14. ताकि हम आगे को बालक न रहें, जो मनुष्यों की ठग- विद्या और चतुराई से उन के भ्रम की युक्तियों की, और उपदेश की, हर एक बयार से उछाले, और इधर- उधर घुमाए जाते हों।
14. that we be not now litle children, mouynge as wawis, and be not borun aboute with ech wynd of teching, in the weiwardnesse of men, in sutil wit, to the disseyuyng of errour.