16. जिस से सारी देह हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर, और एक साथ गठकर उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक भाग के परिमाण से उस में हाता है, अपने आप को बढ़ाती है, कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए।।
16. From whom the whole body, being compacted and fitly joined together, by what every joint supplieth, according to the operation in the measure of every part, maketh increase of the body, unto the edifying of itself in charity.