1 Corinthians - 1 कुरिन्थियों 8 | View All

1. अब मूरतों के साम्हने बलि की हुई वस्तुओं के विषय में हम जानते हैं, कि हम सब को ज्ञान है: ज्ञान घमण्ड उत्पन्न करता है, परन्तु प्रेम से उन्नति होती है।

1. vigrahamulaku baligaa arpinchinavaati vishayamu: Manamandharamu gnaanamugalavaaramani yerugudumu. gnaanamu uppongajeyunu gaani prema kshemaabhivruddhi kalugajeyunu.

2. यदि कोई समझे, कि मैं कुछ जानता हूं, तो जैसा जानना चाहिए वैसा अब तक नहीं जानता।

2. okadu thanakemainanu teliyunanukoni yunte, thaanu telisikonavalasinattu inkanu emiyu telisikoninavaadu kaadu.

3. परन्तु यदि कोई परमेश्वर से प्रेम रखता है, तो उसे परमेश्वर पहिचानता है।

3. okadu dhevuni preminchina yedala athadu dhevuniki erukainavaade.

4. सो मूरतों के साम्हने बलि की हुई वस्तुओं के खाने के विषय में हम जानते हैं, कि मूरत जगत में कोई वस्तु नहीं, और एक को छोड़ और कोई परमेश्वर नहीं।
व्यवस्थाविवरण 4:35, व्यवस्थाविवरण 4:39, व्यवस्थाविवरण 6:5

4. kaabatti vigrahamulaku baligaa arpinchinavaatini thinuta vishayamu: Lokamandu vigrahamu vattidaniyu, okkade dhevudu thappa veroka dhevudu ledaniyu erugudumu.

5. यद्यपि आकाश में और पृथ्वी पर बहुत से ईश्वर कहलाते हैं, (जैसा कि बहुत से ईश्वर ओर बहुत से प्रभु हैं)।

5. dhevathalana badinavaarunu prabhuvulanabadinavaarunu anekulunnaaru.

6. तौभी हमारे निकट तो एक ही परमेश्वर है: अर्थात् पिता जिस की ओर से सब वस्तुएं हैं, और हम उसी के लिये हैं, और एक ही प्रभु है, अर्थात् यीशु मसीह जिस के द्वारा सब वस्तुएं हुई, और हम भी उसी के द्वारा हैं।
मलाकी 2:10

6. aakaashamandainanu bhoomimeedhanainanu dhevathalanabadinavi yunnanu, manaku okkade dhevudunnaadu. aayana thandri; aayananundi samasthamunu kaligenu; aayana nimitthamu manamunnaamu. Mariyu manaku prabhuvu okkade; aayana yesukreesthu; aayanadvaaraa samasthamunu kaligenu; manamu aayanadvaaraa kaliginavaaramu.

7. परन्तु सब को यह ज्ञान नही; परन्तु कितने तो अब तक मूरत को कुछ समझने के कारण मूरतों के साम्हने बलि की हुई को कुछ वस्तु समझकर खाते हैं, और उन का विवेक निर्बल होकर अशुद्ध होता है।

7. ayithe andariyandu ee gnaanamu ledu. Kondaridivaraku vigrahamunu aaraadhinchinavaaru ganuka thaamu bhujinchu padaarthamulu vigrahamunaku bali yiyyabadinavani yenchi bhujinchuduru; induvalana vaari manassaakshi balaheenamainadai apavitramaguchunnadi.

8. भेजन हमें परमेश्वर के निकट नहीं पहुंचाता, यदि हम न खांए, तो हमारी कुछ हानि नहीं, और यदि खाएं, तो कुछ लाभ नहीं।

8. bhojanamunubatti dhevuni yeduta manamu meppupondamu; thinakapoyinanduna manaku thakkuvaledu, thininanduna manaku ekkuvaledu.

9. परन्तु चौकस रहो, ऐसा न हो, कि तुम्हारी यह स्वतंत्राता कहीं निर्बलों के लिये ठोकर का कारण हो जाए।

9. ayinanu meeku kaligiyunna yeesvaathantryamuvalana balaheenulaku abhyantharamu kalugakunda choochukonudi.

10. क्योंकि यदि कोई तुझ ज्ञानी को मूरत के मन्दिर में भोजन करते देखे, और वह निर्बल जन हो, तो क्या उसके विवेक में मूरत के साम्हने बलि की हुई वस्तु के खाने का हियाव न हो जाएगा।

10. yelayanagaa gnaanamugala neevu vigrahaalayamandu bhojanapankthini koorchundagaa okadu chuchinayedala, balaheenamaina mana ssaakshigala athadu vigrahamulaku bali yiyyabadina padaarthamulanu thinutaku dhairyamu techukonunu gadaa?

11. इस रीति से तेरे ज्ञान के कारण वह निर्बल भाई जिस के लिये मसीह मरा नाश हो जाएगा।

11. anduvalana evanikoraku kreesthu chanipoyeno aa balaheenudaina aa nee sahodarudu nee gnaanamunubatti nashinchunu.

12. सो भाइयों का अपराध करने से ओर उन के निर्बल विवेक को चोट देने से तुम मसीह का अपराध करते हो।

12. eelaagu sahodarulaku virodhamugaa paapamu cheyuta valananu, vaari balaheenamaina manassaakshini noppinchuta valananu, meeru kreesthunaku virodhamugaa paapamu cheyu vaaraguchunnaaru.

13. इस कारण यदि भोजन मेरे भाई को ठोकर खिलाए, तो मैं कभी किसी रीति से मांस न खाऊंगा, न हो कि मैं अपने भाई के ठोकर का कारण बनूं।

13. kaabatti bhojanapadaarthamuvalana naa sahodaruniki abhyantharamu kaliginayedala, naa sahodaruniki abhyantharamu kalugajeyakundutakai nenennatikini maansamu thinanu.



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