1 Corinthians - 1 कुरिन्थियों 12 | View All

1. हे भाइयों, मैं नहीं चाहता कि तुम आत्मिक बरदानों के विषय में अज्ञात रहो।

1. In spiritual things brethren I would not have you ignorant.

2. तुम जानते हो, कि जब तुम अन्यजाति थे, तो गूंगी मूरतों के पीछे जेसे चलाए जाते थे वैसे चलते थे।
हबक्कूक 2:18-19

2. Ye know that ye were gentiles,(Heithen) and went your ways unto dumb idols, even as ye were led.

3. इसलिये मैं तुम्हें चितौनी देता हूं कि जो कोई परमेश्वर की आत्मा की अगुआई से बोलता है, वह नहीं कहता कि यीशु स्त्रापित है; और न कोई पवित्रा आत्मा के बिना कह सकता है कि यीशु प्रभु है।।

3. Wherefore I declare unto you that no man speaking in(thorow) the spirit of God defieth Jesus. Also no man can say that Jesus is the Lord: but by the holy ghost.

4. बरदान तो कई प्रकार के हैं, परन्तु आत्मा एक ही है।

4. There are diversities of gifts verily, yet but one spirit.

5. और सेवा भी कई प्रकार की है, परन्तु प्रभु एक ही है।

5. And there are differences of administrations, and yet but one Lord.

6. और प्रभावशाली कारर्य कई प्रकार के हैं, परन्तु परमशॆवर एक ही है, जो सब में हर प्रकार का प्रभाव उत्पन्न करता है।

6. And there are divers manners of operations, and yet but one God, which worketh all things that are wrought in all creatures.

7. किन्तु सब के लाभ पहुंचाने के लिये हर एक को आत्मा का प्रकाश दिया जाता है।

7. The gifts of the spirit are given to every man to profit the congregation.

8. क्योंकि एक को आत्मा के द्वारा बुद्वि की बातें दी जाती हैं; और दूसरे को उसी आत्मा के अनुसार ज्ञान की बातें।

8. To one(won) is given (thorow the spirit) the utterance of wisdom: to another is given the utterance of knowledge by(according to) the same spirit:

9. और किसी को उसी आत्मा से विश्वास; और किसी को उसी एक आत्मा से चंगा करने का बरदान दिया जाता है।

9. to another is given faith, by the same spirit. To another the gifts of healing, by the same spirit.

10. फिर किसी को सामर्थ के काम करने की शक्ति; और किसी को भविष्यद्वाणी की; और किसी को अनेक प्रकार की भाषा; और किसी को भाषाओं का अर्थ बताना।

10. To another power to do miracles: To another prophecy; To another judgement of spirits;(judgement to discern spirits) To another divers tongues: To another the interpretation of tongues:

11. परन्तु ये सब प्रभावशाली कारर्य वही एक आत्मा करवाता है, और जिसे जो चाहता है वह बांट देता है।।

11. and these all worketh even the self same spirit, dividing to every man several gifts even as he will.(These all doth the same onely spirit work, and distributeth unto every man, according as he will)

12. क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है।

12. For as the body is one, and hath many members, and(nevertheless) all the members of one body though they be many, yet are but one body: even so is Christ.

13. क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्रा एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम एक को एक ही आत्मा पिलाया गया।

13. For in one spirit are we all baptised to make one body, whether we be jews or gentiles: whether we be bond or free, and have all drunk of one spirit.

14. इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं।

14. For the body is not one member, but many.

15. यदि पांव कहे: कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं?

15. If the foot say: I am not the hand, therefore I am not (a member) of the body: is he therefore not (a member) of the body?

16. और यदि कान कहे; कि मैं आंख का नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं।

16. and if the ear say I am not the eye: therefore I am not (a member) of the body: is he therefore not (a member) of the body?

17. यदि सारी देह आंख की होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता?

17. if all the body were an eye: where were then the ear? if all were hearing: where were the(where then the) smelling?

18. परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक करके देह में रखा है।

18. But now hath God disposed(set) the members, every one of them(one severally) in the body, at his own pleasure.

19. यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती?

19. If they were all one member: where were the body?

20. परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है।

20. Now are there many members, yet but one body.

21. आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं।

21. And the eye cannot say unto the hand: I have no need of thee: nor the head also to the feet: I have no need of you.

22. परन्तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं।

22. Yea rather a great deal those members of the body which seem to be most feeble, are most necessary.

23. और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं।

23. And upon those members of that body which we think least honest, put we most honesty on. And our ungoodly(uncomely) parts(?later editions have:ungodly parties) have most beauty on.

24. फिर भी हमारे शोभायमान अंगो केा इस का प्रयोजन नहीं, परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो।

24. For our honest members need it not: but God hath so disposed(measured) the body, and hath given most honour to that part which lacked,(member which had need)

25. ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्ता करें।

25. lest there should be any strife in the body: but that the members should indifferently care for one another.

26. इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं।

26. And if one member suffer all suffer with him: if one member be had in honour, all members be glad also.

27. इसी प्रकार तुम सब मिलकर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।

27. Ye are the body of Christ, and members one of another.

28. और परमशॆवर ने कलीसिया में अलग अलग व्यक्ति नियुक्त किए हैं; प्रथम प्रेरित, दूसरे भविष्यद्वक्ता, तीसरे शिक्षक, फिर सामर्थ के काम करनेवाले, फिर चंगा करनेवाले, और उपकार करनेवाले, और प्रधान, और नाना प्रकार की भाषा बालनेवाले।

28. And God hath also ordained in the congregation, first the apostles, secondarily prophets, thirdly teachers, then them that do(doers of) miracles, after that, the gifts of healing, helpers, governors, diversity of tongues.

29. क्या सब प्रेरित हैं? क्या सब भविष्यद्वक्ता हैं? क्या सब उपदेशक हैं? क्या सब सामर्थ के काम करनेवाले हैं?

29. Are all apostles? are all prophets? Are all teachers? are all doers of miracles?

30. क्या सब को चंगा करने का बरदान मिला है? क्या सब नाना प्रकार की भाषा बोलते हैं?

30. have all the gifts of healing? Do all speak with tongues? do all interpret?

31. क्या सब अनुवाद करते हैं? तुम बड़ी से बड़ी बरदानों की धुन में रहो! परन्तु मैं तुम्हें और भी सब से उत्तम मार्ग बताता हूं।।

31. Covet after the best gifts. And yet shew I unto you a more excellent way.



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