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1. हे भाइयों, मैं नहीं चाहता कि तुम आत्मिक बरदानों के विषय में अज्ञात रहो।
1. Now concerning the spiritual things, brothers, I do not want you to be ignorant.
2. तुम जानते हो, कि जब तुम अन्यजाति थे, तो गूंगी मूरतों के पीछे जेसे चलाए जाते थे वैसे चलते थे।हबक्कूक 2:18-19
2. Ye know that, while Gentiles, ye were being carried away to the voiceless idols, as ye were led.
3. इसलिये मैं तुम्हें चितौनी देता हूं कि जो कोई परमेश्वर की आत्मा की अगुआई से बोलता है, वह नहीं कहता कि यीशु स्त्रापित है; और न कोई पवित्रा आत्मा के बिना कह सकता है कि यीशु प्रभु है।।
3. Therefore I make known to you, that no man speaking by the Spirit of God says, Jesus is accursed, and no man can say, Jesus is Lord, except by Holy Spirit.
4. बरदान तो कई प्रकार के हैं, परन्तु आत्मा एक ही है।
4. Now there are varieties of gifts, but the same Spirit.
5. और सेवा भी कई प्रकार की है, परन्तु प्रभु एक ही है।
5. And there are varieties of services, and the same Lord.
6. और प्रभावशाली कारर्य कई प्रकार के हैं, परन्तु परमशॆवर एक ही है, जो सब में हर प्रकार का प्रभाव उत्पन्न करता है।
6. And there are varieties of functions, but it is the same God who works all in all.
7. किन्तु सब के लाभ पहुंचाने के लिये हर एक को आत्मा का प्रकाश दिया जाता है।
7. But the manifestation of the Spirit is given to each man toward that which is beneficial.
8. क्योंकि एक को आत्मा के द्वारा बुद्वि की बातें दी जाती हैं; और दूसरे को उसी आत्मा के अनुसार ज्ञान की बातें।
8. For to one, the word of wisdom is given through the Spirit, and to another, the word of knowledge according to the same Spirit,
9. और किसी को उसी आत्मा से विश्वास; और किसी को उसी एक आत्मा से चंगा करने का बरदान दिया जाता है।
9. to a different man, faith by the same Spirit, and to another, gifts of healings by the same Spirit,
10. फिर किसी को सामर्थ के काम करने की शक्ति; और किसी को भविष्यद्वाणी की; और किसी को अनेक प्रकार की भाषा; और किसी को भाषाओं का अर्थ बताना।
10. and to another, workings of miracles, and to another, prophecy, and to another, discerning of spirits, and to a different man, kinds of tongues, and to another, the interpretation of tongues.
11. परन्तु ये सब प्रभावशाली कारर्य वही एक आत्मा करवाता है, और जिसे जो चाहता है वह बांट देता है।।
11. But the one and the same Spirit works all these things, distributing to each man individually as it wills.
12. क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है।
12. For just as the body is one and has many parts, and all the parts of the body, being many, are one body, so also is the Christ.
13. क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्रा एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम एक को एक ही आत्मा पिलाया गया।
13. For also by one Spirit we are all immersed into one body, whether Jews or Greeks, whether bondmen or freemen, and we were all made to drink into one Spirit.
14. इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं।
14. For the body also is not one part, but many.
15. यदि पांव कहे: कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं?
15. If the foot should say, Because I am not a hand I am not of the body, it is not by this not of the body.
16. और यदि कान कहे; कि मैं आंख का नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं।
16. And if the ear should say, Because I am not an eye I am not of the body, it is not by this not of the body.
17. यदि सारी देह आंख की होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता?
17. If the whole body were an eye, where would be the hearing? If the whole were hearing, where would be the smelling?
18. परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक करके देह में रखा है।
18. But now God has placed the parts, each one of them, in the body just as he intended.
19. यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती?
19. And if they were all one part, where would be the body?
20. परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है।
20. But now of course there are many body-parts, but one body.
21. आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं।
21. And the eye cannot say to the hand, I have no need of thee, nor again the head to the feet, I have no need of you.
22. परन्तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं।
22. Instead, much more the parts of the body that seem to be more feeble are necessary.
23. और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं।
23. And those things of the body presumed to be without esteem, we place around these more abundant worth. And our unpresentable parts have more abundant propriety,
24. फिर भी हमारे शोभायमान अंगो केा इस का प्रयोजन नहीं, परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो।
24. whereas our presentable parts have no need. Instead, God united the body together, having given more abundant worth to the part that lacks,
25. ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्ता करें।
25. so that there would be no schisms in the body, but that the parts would have the same care for each other.
26. इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं।
26. And if one part suffers, all the parts suffer together, or one part is honored, all the parts rejoice together.
27. इसी प्रकार तुम सब मिलकर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।
27. Now ye are the body of Christ, and body-parts individually.
28. और परमशॆवर ने कलीसिया में अलग अलग व्यक्ति नियुक्त किए हैं; प्रथम प्रेरित, दूसरे भविष्यद्वक्ता, तीसरे शिक्षक, फिर सामर्थ के काम करनेवाले, फिर चंगा करनेवाले, और उपकार करनेवाले, और प्रधान, और नाना प्रकार की भाषा बालनेवाले।
28. And in the church God has placed men who are first apostles, secondly prophets, thirdly teachers, then miracles, then gifts of healings, helps, administrations, kinds of tongues.
29. क्या सब प्रेरित हैं? क्या सब भविष्यद्वक्ता हैं? क्या सब उपदेशक हैं? क्या सब सामर्थ के काम करनेवाले हैं?
29. Are all apostles? Are all prophets? Are all teachers? Do all do miracles?
30. क्या सब को चंगा करने का बरदान मिला है? क्या सब नाना प्रकार की भाषा बोलते हैं?
30. Do all have gifts of healing? Do all speak with tongues? Do all interpret?
31. क्या सब अनुवाद करते हैं? तुम बड़ी से बड़ी बरदानों की धुन में रहो! परन्तु मैं तुम्हें और भी सब से उत्तम मार्ग बताता हूं।।
31. But be zealous for the better gifts. And yet I show you a more excellent way.