20. पर मेरे मन की उमंग यह है, कि जहां जहां मसीह का नाम नहीं लिया गया, वहीं सुसमाचार सुनाऊं; ऐसा न हो, कि जिन्हें उसका सुसमाचार नहीं पहुंचा, वे ही देखेंगे और जिन्हों ने नहीं सुना वे ही समझेंगे।।
20. So haue I enforced myselfe to preach ye Gospell, not where Christes name was knowne, lest I shulde buylde on another mans foundacion,