Romans - रोमियों 13 | View All

1. हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के अधीन रहे; क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर स न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं।
नीतिवचन 8:15

1. Let euery soule submytte himselfe to the auctorite off the hyer powers. For there is no power but of God.

2. इस से जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्वर की विधि का साम्हना करता है, और साम्हना करनेवाले दण्ड पाएंगे।

2. The powers that be, are ordeyned of God: so that who so euer resisteth the power, resisteth the ordinaunce of God. And they that resiste, shal receaue to them selues danacion.

3. क्योंकि हाकिम अच्छे काम के नहीं, परन्तु बुरे काम के लिये डर का कारण हैं; सो यदि तू हाकिम से निडर रहना चाहता है, तो अच्छा काम कर और उस की ओर से तेरी सराहना होगी;

3. For rulers are not to be feared for good workes, but for euell. Yf thou wilt be without feare off the power, do well then, and thou shalt haue prayse of the same:

4. क्योंकि वह तेरी भलाई के लिये परमेश्वर का सेवक है। परन्तु यदि तू बुराई करे, तो डर; क्योकि वह तलवार व्यर्थ लिये हुए नहीं और परमेश्वर का सेवक है; कि उसके क्रोध के अनुसार बुरे काम करनेवाले को दण्ड दे।

4. for he is the minister off God for thy wealth. But yff thou do euell, then feare, for he beareth not the swerde for naughte. For he is the mynister of God, a taker of vengeaunce, to punyshe him that doth euell.

5. इसलिये अधीन रहना न केवल उस क्रोध से परन्तु डर से अवश्य है, वरन विवेक भी यही गवाही देता है।

5. Wherfore ye must nedes obeye, not onely for punyshmet, but also because of conscience.

6. इसलिये कर भी दो, क्योंकि परमशॆवर के सेवक हैं, और सदा इसी काम में लगे रहते हैं।

6. For this cause must ye geue trybute also. For they are Gods mynisters, which mateyne ye same defence.

7. इसलिये हर एक का हक्क चुकाया करो, जिस कर चाहिए, उसे कर दो; जिसे महसूल चाहिए, उसे महसूल दो; जिस से डरना चाहिए, उस से डरो; जिस का आदर करना चाहिए उसका आदर करो।।

7. Geue to euery man therfore his dutye: tribute, to whom tribute belongeth: custome, to whom custome is due: feare, to whom feare belongeth: honoure, to whom honoure pertayneth.

8. आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदान न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है।

8. Owe nothinge to eny man, but to loue one another. For he that loueth another, hath fulfylled the lawe.

9. क्योंकि यह कि व्यभिचार न करना, हत्या न करना; चोरी न करना; लालच न करना; और इन को छोड़ और कोई भी आज्ञा हो तो सब का सारांश इस बात में पाया जाता है, कि अपने पड़ोसी से अपने समान प्र्रेम रख।
निर्गमन 20:13-16, लैव्यव्यवस्था 19:18, व्यवस्थाविवरण 5:17-20, व्यवस्थाविवरण 5:18-21, यशायाह 42:21

9. For where it is sayde: ( Thou shalt not breake wedlocke: thou shalt not kyll: thou shalt not steale: thou shalt not beare false witnesse: thou shalt not lust) and yf there be eny other commaundement, it is compreheded in this worde.Thou shalt loue thy neghboure as thy selfe.

10. प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिये प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है।।
यशायाह 42:21

10. Loue doth his neghboure no euell. Therfore is loue ye fulfillynge of the lawe.

11. और समय को पहिचान कर ऐसा ही करो, इसलिये कि अब तुम्हारे लिये नींद से जाग उठने की घड़ी आ पहुंची है, क्योंकि जिस समय हम ने विश्वास किया था, उस समय के विचार से अब हमारा उद्धार निकट है।

11. And for so moch as we know this, namely the tyme that the houre is now for vs to ryse from slepe (For now is oure saluacion nearer, then whan we beleued:

12. रात बहुत बीन गई है, और दिन निकलने पर है; इसलिये हम अन्धकार के कामों को तज कर ज्योति के हथियार बान्ध लें।

12. the nighte is past, but the daye is come nye.) Let vs therfore cast awaye ye workes of darknesse, and put on the armoure of lighte.

13. जैसा दिन को सोहता है, वैसा ही हम सीधी चाल चलें; न कि लीला क्रीड़ा, और पियक्कड़पन, न व्यभिचार, और लुचपन में, और न झगड़े और डाह में।

13. Let vs walke honestly as in the daye, not in excesse off eatinge aud in dronkennesse, not in chamburynge and wantonnesse, not in stryfe and enuyenge:

14. बरन प्रभु यीशु मसीह को पहिन लो, और शरीर के अभिलाषों को पूरा करने का उपाय न करो।।

14. but put ye on the LORDE Iesus Christ, and make not prouysion for ye flesh, to fulfill the lustes of it.



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