27. क्योंकि इन लोगों का मन मोटा, और उन के कान भारी हो गए, और उन्हों ने अपनी आंखें बन्द की हैं, ऐसा न हो कि वे कभी आंखों से देखें, और कानों से सुनें, और मन से समझें और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूं।
यशायाह 6:9-10
27. কেননা এই লোকদের চিত্ত অসাড় হইয়াছে, শুনিতে তাহাদের কর্ণ ভারী হইয়াছে, ও তাহারা চক্ষু মুদ্রিত করিয়াছে, পাছে তাহারা চক্ষে দেখে, এবং কর্ণে শুনে, হৃদয়ে বুঝে, এবং ফিরিয়া আইসে, আর আমি তাহাদিগকে সুস্থ করি।”