17. तीन दिन के बाद उस ने यहूदियों के बड़े लोगों को बुलाया, और जब वे इकट्ठे हुए तो उन से कहा; हे भाइयों, मैं ने अपने लोगों के या बापदादों के व्यवहारों के विरोध में कुछ भी नहीं किया, तौभी बन्धुआ होकर यरूशलेम से रोमियों के हाथ सौंपा गया।
17. After three days Paul called together those who were the leading men of the Jews, and when they came together, he [began] saying to them, 'Brethren, though I had done nothing against our people or the customs of our fathers, yet I was delivered as a prisoner from Jerusalem into the hands of the Romans.