16. परन्तु मैं ने उन को उत्तर दिया, कि रोमियों की यह रीति नहीं, कि किसी मनुष्य को दण्ड के लिये सौंप दें, जब तक मुस्राअलैह को अपने मु इयों के आमने सामने खड़े होकर दोष के उत्तर देने का अवसर न मिले।
16. To whom I answered: It is not the manner of the romans to deliver any man that he should perish, before that he which is accused, have the accusers before him,(presence) and have license(receive liberty) to answer for himself, as pertaining to the crime whereof he is accused:(concerning the crime laid against him:)