Mark - मरकुस 6 | View All

1. वहां से निकलकर वह अपने देश में आया, और उसके चेले उसके पीछे हो लिए।

1. পরে তিনি তথা হইতে প্রস্থান করিয়া আপন দেশে আসিলেন, এবং তাঁহার শিষ্যেরা তাঁহার পশ্চাৎ গমন করিলেন।

2. सब्त के दिन वह आराधनालय में उपदेश करने लगा; और बहुत लोग सुनकर चकित हुए और कहने लगे, इस को ये बातें कहां से आ गई? और यह कौन सा ज्ञान है जो उस को दिया गया है? और कैसे सामर्थ के काम इसके हाथों से प्रगट होते हैं?

2. বিশ্রামবার উপস্থিত হইলে তিনি সমাজ-গৃহে উপদেশ দিতে লাগিলেন; তাহাতে অনেক লোক তাঁহার কথা শুনিয়া চমৎকৃত হইয়া কহিল, ইহার এ সকল কোথা হইতে হইয়াছে? ইহাকে যে জ্ঞান দত্ত হইয়াছে, এবং ইহার হস্ত দ্বারা যে এরূপ পরাক্রম-কার্য্য সকল সম্পন্ন হয়, এই বা কি?

3. क्या यह वही बढ़ई नहीं, जो मरियम का पुत्रा, और याकूब और योसेस और यहूदा और शमौन का भाई है? और क्या उस की बहिनें यहां हमारे बीच में नहीं रहतीं? इसलिये उन्हों ने उसके विषय मे ठोकर खाई।

3. এ কি সেই সূত্রধর, মরিয়মের সেই পুত্র এবং যাকোব, যোষি, যিহূদা ও শিমোনের ভাই নয়? এবং ইহার ভগিনীরা কি এখানে আমাদের মধ্যে নাই? এইরূপে তাহারা তাঁহাতে বিঘ্ন পাইতে লাগিল।

4. यीशु ने उन से कहा, कि भविष्यद्वक्ता अपने देश और अपने कुटुम्ब और अपने घर को छोड़ और कहीं भी निरादर नहीं होता।

4. তখন যীশু তাহাদিগকে কহিলেন, আপনার দেশ ও আত্মীয় স্বজন এবং আপনার বাটী ভিন্ন আর কোথাও ভাববাদী অসম্মানিত হন না।

5. और वह वहां कोई सामर्थ का काम न कर सका, केवल थोड़े बीमारों पर हाथ रखकर उन्हें चंगा किया।।

5. তখন তিনি সে স্থানে আর কোন পরাক্রম-কার্য্য করিতে পারিলেন না, কেবল কয়েক জন রোগগ্রস্ত লোকের উপরে হস্তার্পণ করিয়া তাহাদিগকে সুস্থ করিলেন।

6. और उस ने उन के अविश्वास पर आश्चर्य किया और चारों ओर से गावों में उपदेश करता फिरा।।

6. আর তিনি তাহাদের অবিশ্বাস প্রযুক্ত আশ্চর্য্য জ্ঞান করিলেন। পরে তিনি চারিদিকে গ্রামে গ্রামে ভ্রমণ করিয়া উপদেশ দিলেন।

7. और वह बारहों को अपने पास बुलाकर उन्हें दो दो करके भेजने लगा; और उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया।

7. আর তিনি সেই বারো জনকে ডাকিয়া দুই দুই জন করিয়া তাঁহাদিগকে প্রেরণ করিতে আরম্ভ করিলেন; এবং তাঁহাদিগকে অশুচি আত্মাদের উপরে ক্ষমতা দান করিলেন;

8. और उस ने उन्हें आज्ञा दी, कि मार्ग के लिये लाठी छोड़ और कुछ न लो; न तो रोटी, न झोली, न पटुके में पैसे।

8. আর আজ্ঞা করিলেন, তোমরা যাত্রার জন্য এক এক যষ্টি ব্যতিরেকে আর কিছু লইও না, রুটীও না, ঝুলিও না, গেঁজিয়ায় পয়সাও না;

9. परन्तु जूतियां पहिनो और दो दो कुरते न पहिनो।

9. কিন্তু পায়ে পাদুকা দেও, আর দুইটা আঙ্‌রাখা পরিও না।

10. और उस ने उन से कहा; जहां कहीं तुम किसी घर में उतरो तो जब तक वहां से विदा न हो, तब तक उसी में ठहरे रहो।

10. তিনি তাঁহাদিগকে আরও কহিলেন, তোমরা যে কোন স্থানে যে বাটীতে প্রবেশ করিবে, সেই স্থান হইতে প্রস্থান করা পর্য্যন্ত সেই বাটীতেই থাকিও।

11. जिस स्थान के लोग तुम्हें ग्रहण न करें, और तुम्हारी न सुनें, वहां से चलते ही अपने तलवों की धूल झाड़ डालो, कि उन पर गवाही हो।

11. আর যে কোন স্থানের লোকে তোমাদিগকে গ্রহণ না করে, এবং তোমাদের কথাও না শুনে, তথা হইতে প্রস্থান করিবার সময় তাহাদের উদ্দেশে সাক্ষ্যের জন্য আপন আপন পায়ের ধূলা ঝাড়িয়া ফেলিও।

12. और उन्हों ने जाकर प्रचार किया, कि मन फिराओ।

12. পরে তাঁহারা প্রস্থান করিয়া এই কথা প্রচার করিলেন যে, লোকেরা মন ফিরাউক।

13. और बहुतेरे दुष्टात्माओं को निकाला, और बहुत बीमारों पर तेल मलकर उन्हें चंगा किया।।

13. আর তাঁহারা অনেক ভূত ছাড়াইলেন, ও অনেক পীড়িত লোককে তৈল মাখাইয়া তাহাদিগকে সুস্থ করিলেন।

14. और हेरोदेस राजा ने उस की चर्चा सुनी, क्योंकि उसका नाम फैल गया था, और उस ने कहा, कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला मरे हुओं में से जी उठा है, इसी लिये उस से ये सामर्थ के काम प्रगट होते हैं।

14. আর হেরোদ রাজা তাঁহার কথা শুনিতে পাইলেন, কেননা তাঁহার নাম প্রসিদ্ধ হইয়াছিল। তখন তিনি বলিলেন, যোহন বাপ্তাইজক মৃতগণের মধ্য হইতে উঠিয়াছেন, আর সেই জন্য পরাক্রম সকল তাঁহাতে কার্য্য সাধন করিতেছে।

15. और औरों ने कहा, यह एलिरयाह है, परन्तु औरों ने कहा, भविष्यद्वक्ता या भविष्यद्वक्ताओं में से किसी एक के समान है।

15. কিন্তু কেহ কেহ বলিল, উনি এলিয়; এবং কেহ কেহ বলিল, উনি এক জন ভাববাদী, ভাববাদীদের মধ্যে কোন এক জনের সদৃশ।

16. हेरोदेस ने यह सुन कर कहा, जिस यूहन्ना का सिर मैं ने कटवाया था, वही जी उठा है।

16. কিন্তু হেরোদ তাঁহার কথা শুনিয়া বলিলেন, আমি যে যোহনের মস্তক ছেদন করিয়াছি, তিনিই উঠিয়াছেন।

17. क्योंकि हेरोदेस ने आप अपने भाई फिलिप्पुस की पत्नी हेरोदियास के कारण, जिस से उस ने ब्याह किया था, लोगों को भेजकर यूहन्ना को पकड़वाकर बन्दीगृह में डाल दिया था।

17. কারণ হেরোদ আপন ভাই ফিলিপের স্ত্রী হেরোদিয়ার নিমিত্ত আপনি লোক পাঠাইয়া যোহনকে ধরিয়া কারাগারে বদ্ধ করিয়াছিলেন, কেননা তিনি তাহাকে বিবাহ করিয়াছিলেন।

18. क्योंकि यूहन्ना ने हेरोदेस से कहा था, कि अपने भाई की पत्नी को रखना तुझे उचित नहीं।
लैव्यव्यवस्था 18:16

18. কারণ যোহন হেরোদকে বলিয়াছিলেন, ভাইয়ের স্ত্রীকে রাখা আপনার বিধেয় নয়।

19. इसलिये हेरोदियास उस से बैर रखती थी और यह चाहती थी, कि उसे मरवा डाले, परन्तु ऐसा न हो सका।

19. আর হেরোদিয়া তাঁহার প্রতি কুপিত হইয়া তাঁহাকে বধ করিতে চাহিতেছিল, কিন্তু পারিয়া উঠে নাই।

20. क्योंकि हेरोदेस यूहन्ना को धर्मी और पवित्रा पुरूष जानकर उस से डरता था, और उसे बचाए रखता था, और उस की सुनकर बहुत घबराता था, पर आनन्द से सुनता था।

20. কারণ হেরোদ যোহনকে ধার্ম্মিক ও পবিত্র লোক জানিয়া ভয় করিতেন ও তাঁহাকে রক্ষা করিতেন। আর তাঁহার কথা শুনিয়া তিনি অতিশয় উদ্বিগ্ন হইতেন, এবং তাঁহার কথা শুনিতে ভাল বাসিতেন।

21. और ठीक अवसर पर जब हेरोदेस ने अपने जन्म दिन में अपने प्रधानों और सेनापतियों, और गलील के बड़े लोगों के लिये जेवनार की।

21. পরে এক সুবিধার দিন উপস্থিত হইল, যখন হেরোদ আপনার জন্মদিনে আপন মহৎ লোকদের, সেনাপতিগণের এবং গালীলের প্রধান লোকদের নিমিত্ত এক রাত্রিভোজ প্রস্তুত করিলেন;

22. और उसी हेरोदियास की बेटी भीतर आई, और नाचकर हेरोदेस को और उसके साथ बैठनेवालों को प्रसन्न किया; तब राजा ने लड़की से कहा, तू जो चाहे मुझ से मांग मैं तुझे दूंगा।

22. আর হেরোদিয়ার কন্যা ভিতরে আসিয়া ও নাচিয়া হেরোদ এবং যাঁহারা তাঁহার সঙ্গে ভোজে বসিয়াছিলেন, তাঁহাদের সন্তোষ জন্মাইল। তাহাতে রাজা সেই কন্যাকে কহিলেন, তোমার যাহা ইচ্ছা হয়, আমার কাছে চাও, আমি তোমাকে দিব।

23. और उस ने शपथ खाई, कि मैं अपने आधे राज्य तक जो कुछ तू मुझ से मांगेगी मैं तुझे दूंगा।
Ester 5 3-6, Ester 7 2

23. আর তিনি শপথ করিয়া তাহাকে কহিলেন, অর্দ্ধেক রাজ্য পর্য্যন্ত হউক, আমার কাছে যাহা চাহিবে, তাহাই তোমাকে দিব।

24. उस ने बाहर जाकर अपनी माता से पूछा, कि मैं क्या मांगूं? वह बोली; यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर।

24. তাহাতে সে বাহিরে গিয়া আপন মাতাকে জিজ্ঞাসা করিল, কি চাহিব? সে বলিল, যোহন বাপ্তাইজকের মস্তক।

25. वह तुरन्त राजा के पास भीतर आई, और उस से बिनती की; मैं चाहती हूं, कि तू अभी यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर एक थाल में मुझे मंगवा दे।

25. সে তৎক্ষণাৎ সত্বর রাজার নিকটে আসিয়া তাহা চাহিল, বলিল, আমি ইচ্ছা করি যে, আপনি এখনই যোহন বাপ্তাইজকের মস্তক থালায় করিয়া আমাকে দিউন।

26. तब राजा बहुत उदास हुआ, परन्तु अपनी शपथ के कारण और साथ बैठनेवालों के कारण उसे टालना न चाहा।

26. তখন রাজা অতিশয় দুঃখিত হইলেও আপন শপথ হেতু, এবং যাহারা ভোজে বসিয়াছিল, তাহাদের ভয়ে, তাহাকে ফিরাইয়া দিতে চাহিলেন না।

27. और राजा ने तुरन्त एक सिपाही को आज्ञा देकर भेजा, कि उसका सिर काट लाए।

27. আর রাজা তৎক্ষণাৎ এক জন সেনাকে পাঠাইয়া যোহনের মস্তক আনিতে আজ্ঞা করিলেন; সে কারাগারে গিয়া তাঁহার মস্তক ছেদন করিল,

28. उस ने जेलखाने में जाकर उसका सिर काटा, और एक थाल में रखकर लाया और लड़की को दिया, और लड़की ने अपनी मां को दिया।

28. পরে তাঁহার মস্তক থালায় করিয়া আনিয়া সেই কন্যাকে দিল, এবং কন্যা আপন মাতাকে দিল।

29. यह सुनकर उसके चेले आए, और उस की लोथ को उठाकर कब्र में रखा।

29. এই সংবাদ পাইয়া তাঁহার শিষ্যগণ আসিয়া তাঁহার দেহ লইয়া গিয়া কবরে রাখিল।

30. प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे होकर, जो कुछ उन्हों ने किया, और सिखाया था, सब उस को बता दिया।

30. পরে প্রেরিতেরা যীশুর নিকটে আসিয়া একত্র হইলেন; আর তাঁহারা যাহা কিছু করিয়াছিলেন, ও যাহা কিছু শিক্ষা দিয়াছিলেন, সে সমস্তই তাঁহাকে জানাইলেন।

31. उस ने उन से कहा; तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो; क्योंकि बहुत लोग आते जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था।

31. তিনি তাঁহাদিগকে কহিলেন, তোমরা বিরলে এক নির্জ্জন স্থানে আসিয়া কিছু কাল বিশ্রাম কর। কারণ অনেক লোক আসা যাওয়া করিতেছিল, তাই তাঁহাদের আহার করিবারও অবকাশ ছিল না।

32. इसलिये वे नाव पर चढ़कर, सुनसान जगह में अलग चले गए।

32. পরে তাঁহারা নৌকাযোগে বিরলে এক নির্জ্জন স্থানে যাত্রা করিলেন।

33. और बहुतों ने उन्हें जाते देखकर पचिान लिया, और सब नगरों से इकट्ठे होकर वहां पैदल दौड़े और उन से पहिले जा पहुंचे।

33. কিন্তু লোকে তাঁহাদিগকে যাইতে দেখিল, এবং অনেকে তাঁহাদিগকে চিনিতে পারিল, তাই সকল নগর হইতে পদব্রজে সেখানে দৌড়িয়া তাঁহাদের অগ্রে গেল।

34. उस ने निकलकर बड़ी भीड़ देखी, और उन पर तरस खाया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान थे, जिन का कोई रखवाला न हो; और वह उन्हें बहुत सी बातें सिखाने लगा।
गिनती 27:17, 1 राजाओं 22:17, 2 इतिहास 18:16, यहेजकेल 34:5, यहेजकेल 34:8, जकर्याह 10:2

34. তখন যীশু বাহির হইয়া বিস্তর লোক দেখিয়া তাহাদের প্রতি করুণাবিষ্ট হইলেন, কেননা তাহারা পালক-বিহীন মেষপালের ন্যায় ছিল; আর তিনি তাহাদিগকে অনেক বিষয় শিক্ষা দিতে লাগিলেন।

35. जब दिन बहुत ढल गया, तो उसके चेले उसके पास आकर कहने लगे; यह सुनसान जगह है, और दिन बहुत ढल गया है।

35. পরে দিবা প্রায় অবসান হইলে তাঁহার শিষ্যগণ নিকটে আসিয়া তাঁহাকে কহিলেন, এ নির্জ্জন স্থান, এবং দিবাও অবসান-প্রায়;

36. उन्हें विदा कर, कि चारों ओर के गांवों और बस्तियों में जाकर, अपने लिये कुछ खाने को मोल लें।

36. ইহাদিগকে বিদায় করুন, যেন ইহারা চারিদিকে পল্লীতে পল্লীতে ও গ্রামে গ্রামে গিয়া আপনাদের নিমিত্ত খাদ্য দ্রব্য কিনিতে পারে।

37. उस ने उन्हें उत्तर दिया; कि तुम ही उन्हें खाने को दो : उनहों ने उस से कहा; क्या हम सौ दीनार की रोटियां मोल लें, और उन्हें खिलाएं?

37. কিন্তু তিনি উত্তর করিয়া তাঁহাদিগকে কহিলেন, তোমরাই উহাদিগকে আহার দেও। তাঁহারা কহিলেন, আমরা গিয়া কি দুই শত সিকির রুটী কিনিয়া লইয়া উহাদিগকে খাইতে দিব?

38. उस ने उन से कहा; जाकर देखो तुम्हारे पास कितनी रोटियां हैं? उन्हों ने मालूम करके कहा; पांच और दो मछली भी।

38. তিনি তাঁহাদিগকে বলিলেন, তোমাদের কাছে কয়খানা রুটী আছে? গিয়া দেখ। তাঁহারা দেখিয়া কহিলেন, পাঁচখানি রুটী এবং দুইটী মাছ আছে।

39. तब उस ने उन्हें आज्ञा दी, कि सब को हरी घास पर पांति पांति से बैठा दो।

39. তখন তিনি সকলকে সবুজ ঘাসের উপরে দলে দলে বসাইয়া দিতে আজ্ঞা করিলেন।

40. वे सौ सौ और पचास पचास करके पांति पांति बैठ गए।

40. তাহারা শত শত জন ও পঞ্চাশ পঞ্চাশ জন করিয়া সারি সারি বসিয়া গেল।

41. और उस ने उन पांच रोटियों को और दो मछलियों को लिया, और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़ कर चेलों को देता गया, कि वे लोगों को परोसें, और वे दो मछलियां भी उन सब में बांट दीं।

41. পরে তিনি সেই পাঁচখানি রুটী ও দুইটী মাছ লইয়া স্বর্গের দিকে ঊর্দ্ধদৃষ্টি করিয়া আশীর্ব্বাদ করিলেন এবং সেই রুটী কয়খানি ভাঙ্গিয়া লোকদের সম্মুখে রাখিবার জন্য শিষ্যদিগকে দিতে লাগিলেন; আর সেই দুইটী মাছও সকলকে ভাগ করিয়া দিলেন।

42. और सब खाकर तृप्त हो गए।

42. তাহাতে সকলে আহার করিয়া তৃপ্ত হইল।

43. और उन्हों ने टुकडों से बारह टोकरियां भर कर उठाई, और कुछ मछलियों से भी।

43. পরে তাঁহারা গুঁড়াগাঁড়ায় ভরা বারো ডালা এবং মাছও কিছু তুলিয়া লইলেন।

44. जिन्हों ने रोटियां खाई, वे पांच हजार पुरूष थे।।

44. যাহারা সেই রুটী ভোজন করিয়াছিল, তাহারা পাঁচ হাজার পুরুষ।

45. तब उस ने तुरन्त अपने चेलों को बरबस नाव पर चढाया, कि वे उस से पहिले उस पार बैतसैदा को चले जांए, जब तक कि वह लोगों को विदा करे।

45. পরে তিনি তৎক্ষণাৎ শিষ্যদিগকে দৃঢ় করিয়া বলিয়া দিলেন, যেন তাঁহারা নৌকায় উঠিয়া তাঁহার অগ্রে পরপারে বৈৎসৈদার দিকে যান, আর ইতিমধ্যে তিনি লোকদিগকে বিদায় দেন।

46. और उन्हें विदा करके पहाड़ पर प्रार्थना करने को गया।

46. লোকদিগকে বিদায় করিয়া তিনি প্রার্থনা করিবার জন্য পর্ব্বতে চলিয়া গেলেন।

47. और जब सांझ हुई, तो नाव झील के बीच में थी, और वह अकेला भूमि पर था।

47. যখন সন্ধ্যা হইল, তখন নৌকাখানি সমুদ্রের মাঝখানে ছিল, এবং তিনি একাকী স্থলে ছিলেন।

48. और जब उस ने देखा, कि वे खेते खेते घबरा गए हैं, क्योंकि हवा उन के विरूद्ध थी, तो रात के चौथे पहर के निकट वह झील पर चलते हुए उन के पास आया; और उन से आगे निकल जाना चाहता था।

48. পরে সম্মুখ বাতাস প্রযুক্ত তাঁহারা নৌকা বাহিতে বাহিতে কষ্ট পাইতেছেন দেখিয়া, তিনি প্রায় চতুর্থ প্রহর রাত্রিতে সমুদ্রের উপর দিয়া হাঁটিয়া তাঁহাদের নিকটে আসিলেন, এবং তাঁহাদিগকে ছাড়াইয়া যাইতে উদ্যত হইলেন।

49. परन्तु उन्हों ने उसे झील पर चलते देखकर समझा, कि भूत है, और चिल्ला उठे, क्योंकि सब उसे देखकर घबरा गए थे।

49. কিন্তু সমুদ্রের উপর দিয়া তাঁহাকে হাঁটিতে দেখিয়া তাঁহারা মনে করিলেন, অপচ্ছায়া, আর চেঁচাইয়া উঠিলেন;

50. पर उस ने तुरन्त उन से बातें कीं और कहा; ढाढ़स बान्धों : मैं हूं; डरो मत।

50. কারণ সকলেই তাঁহাকে দেখিয়াছিলেন ও ব্যাকুল হইয়াছিলেন। কিন্তু তিনি তৎক্ষণাৎ তাঁহাদের সহিত কথা কহিলেন, তাঁহাদিগকে বলিলেন, সাহস কর, এ আমি, ভয় করিও না।

51. तब वह उन के पास नाव पर आया, और हवा थम गई: वे बहुत ही आश्चर्य करने लगे।

51. পরে তিনি তাঁহাদের নিকটে নৌকায় উঠিলেন, আর বাতাস থামিয়া গেল; তাহাতে তাঁহারা মনে মনে যার পর নাই আশ্চর্য্য জ্ঞান করিলেন।

52. क्योंकि वे उन रोटियों के विषय में ने समझे थे परन्तु उन के मन कठोर हो गए थे।।

52. কেননা রুটীর বিষয় তাঁহারা বুঝিতে পারেন নাই, তাঁহাদের অন্তঃকরণ কঠিন হইয়া পড়িয়াছিল।

53. और वे पार उतरकर गन्नेसरत में पहुंचे, और नाव घाअ पर लगाई।

53. পরে তাঁহারা পার হইয়া স্থলে, গিনেষরৎ প্রদেশে, আসিয়া নৌকা লাগাইলেন।

54. और जब वे नाव पर से उतरे, तो लोग तुरन्त उस को पहचान कर।

54. আর নৌকা হইতে বাহির হইলে লোকেরা তৎক্ষণাৎ তাঁহাকে চিনিয়া সমুদয় অঞ্চলে চারিদিকে দৌড়িতে লাগিল,

55. आसपास के सारे देश में दोड़े, और बीमारों को खांटों पर डालकर, जहां जहां समाचार पाया कि वह है, वहां वहां लिए फिरे।

55. আর পীড়িত লোকদিগকে খাটের উপরে করিয়া, তিনি যে কোন স্থানে আছেন শুনিতে পাইল, সেই স্থানে আনিতে লাগিল।

56. और जहां कहीं वह गांवों, नगरों, या बस्तियों में जाता था, तो लोग बीमारों को बाजारों में रखकर उस से बिनती करते थे, कि वह उन्हें अपने वस्त्रा के आंचल ही हो छू लेने दे: और जितने उसे छूते थे, सब चंगे हो जाते थे।।

56. আর গ্রামে, কি নগরে, কি পল্লীতে, যে কোন স্থানে তিনি প্রবেশ করিলেন, সেই স্থানে তাহারা পীড়িতদিগকে বাজারে বসাইল; এবং তাঁহাকে বিনতি করিল, যেন উহারা তাঁহার বস্ত্রের থোপমাত্র স্পর্শ করিতে পায়, আর যত লোক তাঁহাকে স্পর্শ করিল, সকলেই সুস্থ হইল।



Shortcut Links
मरकुस - Mark : 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 |
उत्पत्ति - Genesis | निर्गमन - Exodus | लैव्यव्यवस्था - Leviticus | गिनती - Numbers | व्यवस्थाविवरण - Deuteronomy | यहोशू - Joshua | न्यायियों - Judges | रूत - Ruth | 1 शमूएल - 1 Samuel | 2 शमूएल - 2 Samuel | 1 राजाओं - 1 Kings | 2 राजाओं - 2 Kings | 1 इतिहास - 1 Chronicles | 2 इतिहास - 2 Chronicles | एज्रा - Ezra | नहेम्याह - Nehemiah | एस्तेर - Esther | अय्यूब - Job | भजन संहिता - Psalms | नीतिवचन - Proverbs | सभोपदेशक - Ecclesiastes | श्रेष्ठगीत - Song of Songs | यशायाह - Isaiah | यिर्मयाह - Jeremiah | विलापगीत - Lamentations | यहेजकेल - Ezekiel | दानिय्येल - Daniel | होशे - Hosea | योएल - Joel | आमोस - Amos | ओबद्याह - Obadiah | योना - Jonah | मीका - Micah | नहूम - Nahum | हबक्कूक - Habakkuk | सपन्याह - Zephaniah | हाग्गै - Haggai | जकर्याह - Zechariah | मलाकी - Malachi | मत्ती - Matthew | मरकुस - Mark | लूका - Luke | यूहन्ना - John | प्रेरितों के काम - Acts | रोमियों - Romans | 1 कुरिन्थियों - 1 Corinthians | 2 कुरिन्थियों - 2 Corinthians | गलातियों - Galatians | इफिसियों - Ephesians | फिलिप्पियों - Philippians | कुलुस्सियों - Colossians | 1 थिस्सलुनीकियों - 1 Thessalonians | 2 थिस्सलुनीकियों - 2 Thessalonians | 1 तीमुथियुस - 1 Timothy | 2 तीमुथियुस - 2 Timothy | तीतुस - Titus | फिलेमोन - Philemon | इब्रानियों - Hebrews | याकूब - James | 1 पतरस - 1 Peter | 2 पतरस - 2 Peter | 1 यूहन्ना - 1 John | 2 यूहन्ना - 2 John | 3 यूहन्ना - 3 John | यहूदा - Jude | प्रकाशितवाक्य - Revelation |

Explore Parallel Bibles
21st Century KJV | A Conservative Version | American King James Version (1999) | American Standard Version (1901) | Amplified Bible (1965) | Apostles' Bible Complete (2004) | Bengali Bible | Bible in Basic English (1964) | Bishop's Bible | Complementary English Version (1995) | Coverdale Bible (1535) | Easy to Read Revised Version (2005) | English Jubilee 2000 Bible (2000) | English Lo Parishuddha Grandham | English Standard Version (2001) | Geneva Bible (1599) | Hebrew Names Version | Hindi Bible | Holman Christian Standard Bible (2004) | Holy Bible Revised Version (1885) | Kannada Bible | King James Version (1769) | Literal Translation of Holy Bible (2000) | Malayalam Bible | Modern King James Version (1962) | New American Bible | New American Standard Bible (1995) | New Century Version (1991) | New English Translation (2005) | New International Reader's Version (1998) | New International Version (1984) (US) | New International Version (UK) | New King James Version (1982) | New Life Version (1969) | New Living Translation (1996) | New Revised Standard Version (1989) | Restored Name KJV | Revised Standard Version (1952) | Revised Version (1881-1885) | Revised Webster Update (1995) | Rotherhams Emphasized Bible (1902) | Tamil Bible | Telugu Bible (BSI) | Telugu Bible (WBTC) | The Complete Jewish Bible (1998) | The Darby Bible (1890) | The Douay-Rheims American Bible (1899) | The Message Bible (2002) | The New Jerusalem Bible | The Webster Bible (1833) | Third Millennium Bible (1998) | Today's English Version (Good News Bible) (1992) | Today's New International Version (2005) | Tyndale Bible (1534) | Tyndale-Rogers-Coverdale-Cranmer Bible (1537) | Updated Bible (2006) | Voice In Wilderness (2006) | World English Bible | Wycliffe Bible (1395) | Young's Literal Translation (1898) | Hindi Reference Bible |