Mark - मरकुस 14 | View All

1. दो दिन के बाद फसह और अखमीरी रोटी का पर्व्व होनेवाला था: और महायाजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसे क्योंकर छल से पकड़ कर मार डालें।

1. দুই দিন পরে নিস্তারপর্ব্ব ও তাড়ীশূন্য রুটীর পর্ব্ব; এমন সময়ে প্রধান যাজকগণ ও অধ্যাপকেরা, কিরূপে তাঁহাকে কৌশলে ধরিয়া বধ করিতে পারে, তাহারই চেষ্টা করিতেছিল।

2. परन्तु कहते थे, कि पर्व्व के दिन नहीं, कहीं ऐसा न हो कि लोगों मे बलवा मचे।।

2. কেননা তাহারা বলিল, পর্ব্বের সময়ে নয়, পাছে লোকদের মধ্যে গণ্ডগোল হয়।

3. जब वह बैतनिरयाह में शमौन कोढ़ी के घर भोजन करने बैठा हुआ था जब एक स्त्री संगमरमर के पात्रा में जटामांसी का बहुमूल्य शुद्ध इत़्रा लेकर आई; और पात्रा तोड़ कर इत्रा को उसके सिर पर उण्डेला।

3. যীশু যখন বৈথনিয়াতে কুষ্ঠী শিমোনের বাটীতে ছিলেন, তখন তিনি ভোজনে বসিলে একটী স্ত্রীলোক শ্বেত প্রস্তরের পাত্রে বহুমূল্য আসল জটামাংসীর তৈল লইয়া আসিল; সে পাত্রটী ভাঙ্গিয়া তাঁহার মস্তকে তৈল ঢালিয়া দিল।

4. परन्तु कोई कोई अपने मन में रिसियाकर कहने लगे, इस इत्रा को क्यों सत्यनाश किया गया?

4. কিন্তু উপস্থিত কোন কোন ব্যক্তি বিরক্ত হইয়া পরস্পর কহিল, তৈলের এরূপ অপব্যয় হইল কেন?

5. क्योकि यह इत्रा तो ती सौ दीनार से अधिक मूल्य में बेचकर कंगालों को बांटा जा सकता था, ओर वे उस को झिड़कने लगे।

5. এই তৈল ত বিক্রয় করিলে তিন শত সিকিরও অধিক পাওয়া যাইত, এবং তাহা দরিদ্রদিগকে দিতে পারা যাইত। আর তাহারা সেই স্ত্রীলোকটীর প্রতি বিরক্তি প্রকাশ করিল।

6. यीशु ने कहा; उसे छोड़ दो; उसे क्यों सताते हो? उस ने तो मेरे साथ भालाई की है।

6. কিন্তু যীশু কহিলেন, ইহাকে থাকিতে দেও, কেন ইহাকে দুঃখ দিতেছ? এ আমার প্রতি সৎকার্য্য করিল।

7. कंगाल तुम्हारे साथ सदा रहते हैं: और तुम जब चाहो तब उन से भलाई कर सकते हो; पर मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूंगा।
व्यवस्थाविवरण 15:11

7. কেননা দরিদ্রেরা তোমাদের কাছে সর্ব্বদাই আছে; তোমরা যখন ইচ্ছা কর, তাহাদের উপকার করিতে পার; কিন্তু আমাকে সর্ব্বদা পাইবে না।

8. जो कुछ वह कर सकी, उस ने किया; उस ने मेरे गाड़े जाने की तैयारी में पहिले से मेरी देह पर इत्रा मला है।

8. এ যাহা করিতে পারিত, তাহাই করিল; অগ্রে আসিয়া সমাধির উপলক্ষে আমার দেহে সুগন্ধি তৈল ঢালিয়া দিল।

9. मैं तुम से सच कहता हूं, कि सारे जगत में जहां कहीं सुसमाचार प्रचर किया जाएगा, वहां उसके इस काम की चर्चा भी उसके स्मरण में की जाएगी।।

9. আর আমি তোমাদিগকে সত্য কহিতেছি, সমুদয় জগতে যে কোন স্থানে সুসমাচার প্রচারিত হইবে, সেই স্থানে ইহার স্মরণার্থে ইহার এই কর্ম্মের কথাও বলা যাইবে।

10. तब यहूदा इसकरियोती जो बारह में से एक था, महायाजकों के पास गया, कि उसे उन के हाथ पकड़वा दे।

10. পরে ইষ্করিয়োতীয় যিহূদা, সেই বারো জনের মধ্যে এক জন, প্রধান যাজকদের নিকটে গেল, যেন তাহাদের হস্তে যীশুকে সমর্পণ করিতে পারে।

11. वे यह सुनकर आनन्दित हुए, और उस को रूपये देना स्वीकार किया, और यह अवसर ढूंढ़ने लगा कि उसे किसी प्रकार पकड़वा दे।।

11. তাহারা শুনিয়া আনন্দিত হইল, এবং তাহাকে টাকা দিতে স্বীকার করিল; তখন সে কোন্‌ সুযোগে তাঁহাকে সমর্পণ করিবে, তাহারই চেষ্টা করিতে লাগিল।

12. अखमीरी रोटी के पर्व्व के पहिले दिन, जिस में से फसह का बलिदान करते थे, उसके चेलों ने उस से पूछा, तू कहां चाहता है, कि हम जाकर तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करे?
निर्गमन 12:6, निर्गमन 12:15

12. তাড়ীশূন্য রুটীর পর্ব্বের প্রথম দিন, যে দিন নিস্তারপর্ব্বের মেষশাবক বলিদান করা হইত, সেই দিন তাঁহার শিষ্যেরা তাঁহাকে বলিলেন, আমরা কোথায় গিয়া আপনার জন্য নিস্তারপর্ব্বের ভোজ প্রস্তুত করিব? আপনার ইচ্ছা কি?

13. उस ने अपने चेलों में से दो को यह कहकर भेजा, कि नगर में जाओ, और एक मनुष्य जल का घड़ा उठाए, हुए तुम्हें मिलेगा, उसके पीछे हो लेना।

13. তখন তিনি আপন শিষ্যদের মধ্যে দুই জনকে পাঠাইয়া দিলেন, বলিলেন, তোমরা নগরে যাও, এমন এক ব্যক্তি তোমাদের সম্মুখে পড়িবে, যে এক কলশী জল লইয়া আসিতেছে; তাহারই পশ্চাৎ পশ্চাৎ যাইও;

14. और वह जिस घर में जाए उस घर के स्वामी से कहना; गुरू कहता है, कि मेरी पाहुनशाला जिस में मैं अपने चेलों के साथ फसह खाऊं कहां है?

14. আর সে যে বাটীতে প্রবেশ করে, সেই বাটীর কর্ত্তাকে বলিও, গুরু বলিতেছেন, যেখানে আমি আমার শিষ্যগণের সহিত নিস্তারপর্ব্বের ভোজ ভোজন করিতে পারি, আমার সেই অতিথিশালা কোথায়?

15. वह तुम्हें एक सजी सजाई, और तैयार की हुई बड़ी अटारी दिखा देगा, वहां हमारे लिये तैयारी करो।

15. তাহাতে সে ব্যক্তি তোমাদিগকে উপরের একটী সাজান বড় কুঠরী দেখাইয়া দিবে, সেই স্থানে আমাদের জন্য প্রস্তুত করিও।

16. सो चेले निकलकर नगर में आये और जैसा उस ने उन से कहा था, वैसा की पाया, और फसह तैयार किया।।

16. পরে শিষ্যেরা প্রস্থান করিয়া নগরে গেলেন, আর তিনি যেরূপ বলিয়াছিলেন, সেইরূপ দেখিতে পাইলেন; পরে তাঁহারা নিস্তারপর্ব্বের ভোজ প্রস্তুত করিলেন।

17. जब सांझ हुई, तो वह बारहों के साथ आया।

17. পরে সন্ধ্যা হইলে তিনি সেই বারো জনের সহিত উপস্থিত হইলেন।

18. और जब वे बैठे भोजन कर रहे थे, तो यीशु ने कहा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम में से एक, जो मेरे साथ भोजन कर रहा है, मुझे पकड़वाएगा।
भजन संहिता 41:9

18. তাঁহারা বসিয়া ভোজন করিতেছেন, এমন সময়ে যীশু বলিলেন, আমি তোমাদিগকে সত্য কহিতেছি, তোমাদের এক জন আমাকে সমর্পণ করিবে, সে আমার সহিত ভোজন করিতেছে।

19. उन पर उदासी छा गई और वे एक एक करके उस से कहने लगे; क्या वह मैं हूं?

19. তখন তাঁহারা দুঃখিত হইলেন, এবং একে একে তাঁহাকে জিজ্ঞাসা করিতে লাগিলেন, সে কি আমি?

20. उस ने उन से कहा, वह बारहों में से एक है, जो मेरे साथ थाली में हाथ डालता है।

20. তিনি তাঁহাদিগকে বলিলেন, এই বারো জনের মধ্যে এক জন, যে আমার সঙ্গে ভোজনপাত্রে হাত ডুবাইতেছে, সেই।

21. क्योंकि मनुष्य का पुत्रा तो, जैसा उसके विषय में लिखा है, जाता ही है; परन्तु उस मनुष्य पर हाय जिस के द्वारा मनुष्य का पुत्रा पकड़वाया जाता है! यदि उस मनुष्य का जन्म ही न होताख् तो उसके लिये भला होता।।

21. কেননা মনুষ্যপুত্রের বিষয়ে যেমন লিখিত আছে, তেমনি তিনি যাইতেছেন; কিন্তু ধিক্‌ সেই ব্যক্তিকে, যাহার দ্বারা মনুষ্যপুত্র সমর্পিত হন। সেই মানুষের জন্ম না হইলে তাহার পক্ষে ভালই ছিল।

22. और जब वे खा ही रहे थे तो उस ने रोटी ली, और आशीष मांगकर तोड़ी, और उनहें दी, और कहा, लो, यह मेरी देह है।

22. তাঁহারা ভোজন করিতেছেন, এমন সময়ে তিনি রুটী লইয়া আশীর্ব্বাদপূর্ব্বক ভাঙ্গিলেন এবং তাঁহাদিগকে দিলেন, আর কহিলেন, তোমরা লও, ইহা আমার শরীর।

23. फिर उस ने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें दिया; और उन सब ने उस में से पीया।

23. পরে তিনি পানপাত্র লইয়া ধন্যবাদপূর্ব্বক তাঁহাদিগকে দিলেন, এবং তাঁহারা সকলেই তাহা হইতে পান করিলেন।

24. और उस ने उन से कहा, यह वाचा का मेरा वह लोहू है, जो बहुतों के लिये बहाया जाता है।
निर्गमन 24:8, जकर्याह 9:11

24. আর তিনি তাঁহাদিগকে কহিলেন, ইহা আমার রক্ত, নূতন নিয়মের রক্ত, যাহা অনেকের জন্য পাতিত হয় ।

25. मैं तुम से सच कहता हूं, कि दाख का रस उस दिन तक फिर कभी न पीऊंगा, जब तक परमेश्वर के राज्य में नया न पीऊं।।

25. আমি তোমাদিগকে সত্য কহিতেছি, যে দিন আমি ঈশ্বরের রাজ্যে ইহা নূতন পান করিব, সেই দিন পর্য্যন্ত আমি দ্রাক্ষাফলের রস আর কখনও পান করিব না।

26. फिर वे भजन गाकर बाहर जैतून के पहाड़ पर गए।।

26. পরে তাঁহারা গীত গান করিয়া বাহির হইয়া জৈতুন পর্ব্বতে গেলেন।

27. तब यीशु ने उन से कहा; तुम सब ठोकर खाओगे, क्योंकि लिखा है, कि मैं रखवाले को मारूंगा, और भेड़ तित्तर बित्तर हो जाएंगी।
जकर्याह 13:7

27. তখন যীশু তাঁহাদিগকে কহিলেন, তোমরা সকলে বিঘ্ন পাইবে; কেননা লেখা আছে, “আমি পালরক্ষককে আঘাত করিব, তাহাতে মেষেরা ছিন্নভিন্ন হইয়া পড়িবে।”

28. परन्तु मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहिले गलील को जाऊंगा।

28. কিন্তু উঠিলে পর আমি তোমাদের অগ্রে গালীলে যাইব।

29. पतरस ने उस से कहा; यदि एक ठोकर खाएं तो खांए, पर मैं ठोकर नहीं खाऊंगा।

29. পিতর তাঁহাকে কহিলেন, যদিও সকলে বিঘ্ন পায়, তথাপি আমি পাইব না।

30. यीशु ने उस से कहा; मैं तुझ से सच कहता हूं, कि आज ही इसी रात को मुर्गे के दो बार बांग देने से पहिले, तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा।

30. যীশু তাঁহাকে কহিলেন, আমি তোমাকে সত্য কহিতেছি, তুমিই আজ, এই রাত্রিতে, কুকুড়া দুইবার ডাকিবার পূর্ব্বে, তিন বার আমাকে অস্বীকার করিবে।

31. पर उस ने और भी जोर देकर कहा, यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े तौभी तेरा इन्कार कभी न करूंगा: इसी प्रकार और सब ने भी कहा।।

31. কিন্তু তিনি অতিরিক্ত ব্যগ্রতা সহকারে বলিতে লাগিলেন, যদি আপনার সহিত মরিতেও হয়, কোন মতে আপনাকে অস্বীকার করিব না। অন্য সকলেও অদ্রূপ কহিলেন।

32. फिर वे गतसमने नाम एक जगह में आए, और उस ने अपने चेलों से कहा, यहां बैठे रहो, जब तक मैं प्रार्थना करूं।

32. পরে তাঁহারা গেৎশিমানী নামক এক স্থানে আসিলেন; আর তিনি আপন শিষ্যদিগকে কহিলেন, আমি যতক্ষণ প্রার্থনা করি, তোমরা এখানে বসিয়া থাক।

33. और वह पतरस और याकूब और यूहन्ना को अपने साथ ले गया: और बहुत ही अधीर, और व्याकुल होने लगा।

33. পরে তিনি পিতর, যাকোব ও যোহনকে সঙ্গে লইয়া গেলেন, এবং অত্যন্ত বিস্ময়াপন্ন ও উৎকণ্ঠিত হইতে লাগিলেন।

34. और उन से कहा; मेरा मन बहुत उदास है, यहां तक कि मैं मरने पर हूं: तुम यहां ठहरो, और जागते रहो।
भजन संहिता 42:5, भजन संहिता 42:11, भजन संहिता 43:5, योना 4:9

34. তিনি তাঁহাদিগকে কহিলেন, আমার প্রাণ মরণ পর্য্যন্ত দুঃখার্ত্ত হইয়াছে; তোমরা এখানে থাক, আর জাগিয়া থাক।

35. और वह थोड़ा आगे बढ़ा, और भूमि पर गिरकर प्रार्थना करने लगा, कि यदि हो सके तो यह घड़ी मुझ पर से टल जाए।

35. পরে তিনি কিঞ্চিৎ অগ্রে গিয়া ভূমিতে পড়িলেন, এবং এই প্রার্থনা করিলেন, যদি হইতে পারে, তবে যেন সেই সময় তাঁহার নিকট হইতে চলিয়া যায়।

36. और कहा, हे अब्बा, हे पिता, तुझ से सब कुछ हो सकता है; इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले: तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, पर जो तू चाहता है वही हो।

36. তিনি কহিলেন, আব্বা, পিতঃ, সকলই তোমার সাধ্য; আমার নিকট হইতে এই পানপাত্র দূর কর; তথাপি আমার ইচ্ছামত না হউক, তোমার ইচ্ছামত হউক।

37. फिर वह आया, और उन्हें सोते पाकर पतरस से कहा; हे शमौन तू सो रहा है? क्या तू एक घड़ी भी न जाग सका?

37. পরে তিনি আসিয়া দেখিলেন, তাঁহারা ঘুমাইয়া পড়িয়াছেন, আর তিনি পিতরকে কহিলেন, শিমোন, তুমি কি ঘুমাইয়া পড়িয়াছ? এক ঘন্টাও কি জাগিয়া থাকিতে তোমার শক্তি হইল না?

38. जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, पर शरीर दुर्बल है।

38. তোমরা জাগিয়া থাক ও প্রার্থনা কর, যেন পরীক্ষায় না পড়; আত্মা ইচ্ছুক বটে, কিন্তু মাংস দুর্ব্বল।

39. और वह फिर चला गया, और वही बात कहकर प्रार्थना की।

39. আর তিনি পুনরায় গিয়া সেই কথা বলিয়া প্রার্থনা করিলেন।

40. और फिर आकर उन्हें सोते पाया, क्योंकि उन की आंखे नींद से भरी थीं; और नहीं जानते थे कि उसे क्या उत्तर दें।

40. পরে তিনি আবার আসিয়া দেখিলেন, তাঁহারা ঘুমাইয়া পড়িয়াছেন; কারণ তাঁহাদের চক্ষু বড়ই ভারী হইয়া পড়িয়াছিল, আর তাঁহাকে কি উত্তর দিবেন, তাহা তাঁহারা বুঝিতে পারিলেন না;

41. फिर तीसरी बार आकर उन से कहा; अब सोते रहो और विश्राम करो, बस, घड़ी आ पहुंची; देखो मनुष्य का पुत्रा पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है।

41. পরে তিনি তৃতীয় বার আসিয়া তাঁহাদিগকে কহিলেন, এখন তোমরা নিদ্রা যাও, বিশ্রাম কর; যথেষ্ট হইয়াছে; সময় উপস্থিত, দেখ, মনুষ্যপুত্র পাপীদের হস্তে সমর্পিত হন।

42. उठो, चलें: देखो, मेरा पकड़वानेवाला निकट आ पहुंचा है।।

42. উঠ, আমরা যাই; এই দেখ, যে ব্যক্তি আমাকে সমর্পণ করিতেছে, সে নিকটে আসিয়াছে।

43. वह यह कह ही रहा था, कि यहूदा जो बारहों में से था, अपने साथ महायाजकों और शास्त्रियों और पुरनियों की ओर से एक बड़ी भीड़ तलवारें और लाठियां लिए हुए तुरन्त आ पहुंची।

43. আর তিনি যখন কথা কহিতেছেন, তৎক্ষণাৎ যিহূদা, সেই বারো জনের এক জন, আসিল, এবং তাহার সঙ্গে অনেক লোক খড়গ ও যষ্টি লইয়া প্রধান যাজকদের, অধ্যাপকগণের ও প্রাচীনবর্গের নিকট হইতে আসিল।

44. और उसके पकड़नेवाले ने उन्हें यह पता दिया था, कि जिस को मैं चूमूं वही है, उसे पकड़कर यतन से ले जाना।

44. যে তাঁহাকে সমর্পণ করিতেছিল, সে পূর্ব্বে তাহাদিগকে এই সঙ্কেত বলিয়াছিল, আমি যাহাকে চুম্বন করিব, সেই ঐ ব্যক্তি, তোমরা তাহাকে ধরিয়া সাবধানে লইয়া যাইবে।

45. और वह आया, और तुरन्त उसके पास जाकर कहा; हे रब्बी और उस को बहुत चूमा।

45. সে আসিয়া তৎক্ষণাৎ তাঁহার নিকটে গিয়া বলিল, রব্বি; আর তাঁহাকে আগ্রহপূর্ব্বক চুম্বন করিল।

46. तब उन्हों ने उस पर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया।

46. তখন তাহারা তাঁহার উপরে হস্তক্ষেপ করিয়া তাঁহাকে ধরিল।

47. उन में से जो पास खड़े थे, एक ने तलवार खींच कर महायाजक के दास पर चलाई, और उसका कान उड़ा दिया।

47. কিন্তু যাহারা পার্শ্বে দাঁড়াইয়াছিল, তাহাদের মধ্যে এক জন আপন খড়গ খুলিয়া মহাযাজকের দাসকে আঘাত করিল, তাহার একটী কাণ কাটিয়া ফেলিল।

48. यीशु ने उन से कहा; क्या तुम डाकू जानकर मेरे पकड़ने के लिये तलवारें और लाठियां लेकर निकले हो?

48. তখন যীশু তাহাদিগকে কহিলেন, যেমন দস্যু ধরিতে যায়, তেমনি কি তোমরা খড়গ ও যষ্টি লইয়া আমাকে ধরিতে আসিলে?

49. मैं तो हर दिन मन्दिर में तुम्हारे साथ रहकर उपदेश दिया करता था, और तब तुम ने मुझे न पकड़ा: परन्तु यह इसलिये हुआ है कि पवित्रा शास्त्रा की बातें पूरी हों।

49. আমি প্রতিদিন ধর্ম্মধামে তোমাদের নিকটে থাকিয়া উপদেশ দিয়াছি, তখন ত আমায় ধরিলে না; কিন্তু শাস্ত্রের বচনগুলি সফল হওয়া আবশ্যক।

50. इस पर सब चेले उसे छोड़कर भाग गए।।
जकर्याह 13:7

50. তখন শিষ্যেরা সকলে তাঁহাকে ছাড়িয়া পলাইয়া গেলেন।

51. और एक जवान अपनी नंगी देह पर चादर ओढ़े हुए उसके पीदे हो लिया; और लोगों ने उसे पकड़ा।

51. আর, এক জন যুবক উলঙ্গ শরীরে একখানি চাদর জড়াইয়া তাঁহার পশ্চাৎ পশ্চাৎ চলিতে লাগিল;

52. पर वह चादर छोड़कर नंगा भाग गया।।

52. তাহারা তাহাকে ধরিল, কিন্তু সে সেই চাদরখানি ফেলিয়া উলঙ্গই পলায়ন করিল।

53. फिर वे यीशु को महायाजक के पास ले गए; और सब महायाजक और पुरनिए और शास्त्री उसके यहां इकट्ठे हो गए।

53. পরে তাহারা যীশুকে মহাযাজকের নিকটে লইয়া গেল; তাঁহার সঙ্গে প্রধান যাজকগণ, প্রাচীনবর্গ ও অধ্যাপকেরা সকলে সমবেত হইল।

54. पतरस दूर ही दूर से उसके पीछे पीछे महायाजक के आंगन के भीतर तक गया, और प्यादों के साथ बैठ कर आग तापने लगा।

54. আর পিতর দূরে থাকিয়া তাঁহার পশ্চাৎ পশ্চাৎ ভিতরে, মহাযাজকের প্রাঙ্গণ পর্য্যন্ত গেলেন, এবং পদাতিকদের সহিত বসিয়া আগুন পোহাইতে লাগিলেন।

55. महायाजक और सारी महासभा यीशु के मार डालने के लिये उसके विरोध में गवाही की खोज में थे, पर न मिली।

55. তখন প্রধান যাজকগণ ও সমস্ত মহাসভা যীশুকে বধ করিবার জন্য তাঁহার বিরুদ্ধে সাক্ষ্য অন্বেষণ করিল, কিন্তু পাইল না।

56. क्योंकि बहुतेरे उसके विरोध में झूठी गवाही दे रहे थे, पर उन की गवाही एक सी न थी।

56. কেননা অনেকে তাঁহার বিরুদ্ধে মিথ্যাসাক্ষ্য দিল বটে, কিন্তু তাহাদের সাক্ষ্য মিলিল না।

57. तब कितनों ने उठकर उस पर यह झूठी गवाही दी।

57. পরে কএক জন দাঁড়াইয়া তাঁহার বিপক্ষে মিথ্যাসাক্ষ্য দিয়া কহিল,

58. कि हम ने इसे यह कहते सुना है कि मैं इस हाथ के बनाए हुए मन्दिर को ढ़ा दूंगा, और तीन दिन में दूसरा बनाऊंगा, जो हाथ से न बना हो।

58. আমরা উহাকে এই কথা বলিতে শুনিয়াছি, আমি এই হস্তকৃত মন্দির ভাঙ্গিয়া ফেলিব, আর তিন দিনের মধ্যে অহস্তকৃত আর এক মন্দির নির্ম্মাণ করিব।

59. इस पर भी उन की गवाही एक सी न निकली।

59. ইহাতেও তাহাদের সাক্ষ্য মিলিল না।

60. तब महायाजक ने बीच में खड़े होकर यीशु से पूछा; कि तू कोई उत्तर नहीं देता? ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं?
यशायाह 53:7

60. তখন মহাযাজক মধ্যস্থানে দাঁড়াইয়া যীশুকে জিজ্ঞাসা করিলেন, তুমি কি কিছুই উত্তর দিবে না? তোমার বিরুদ্ধে ইহারা কি সাক্ষ্য দিতেছে? কিন্তু তিনি নীরব রহিলেন,

61. परन्तु वह मौन साधे रहा, और कुछ उत्तर न दिया: महायाजक ने उस से फिर पूछा, क्या तू उस परम धन्य का पुत्रा मसीह है?
यशायाह 53:7

61. কোন উত্তর দিলেন না। আবার মহাযাজক তাঁহাকে জিজ্ঞাসা করিলেন, তুমি কি সেই খ্রীষ্ট, পরমধন্যের পুত্র?

62. यीशु ने कहा; हां मैं हूं: और तुम मनुष्य के पुत्रा को सर्वशक्तिमान की दहिनी और बैठे, और आकाश के बादलों के साथ आते देखोगे।
भजन संहिता 110:1-2, दानिय्येल 7:13

62. যীশু কহিলেন, আমি সেই; আর তোমরা মনুষ্যপুত্রকে পরাক্রমের দক্ষিণ পার্শ্বে বসিয়া থাকিতে ও আকাশের মেঘসহ আসিতে দেখিবে।

63. तब महायाजक ने अपने वस्त्रा फाड़कर कहा; अब हमें गवाहों का क्या प्रयोजन है?
गिनती 14:6

63. তখন মহাযাজক আপন বস্ত্র ছিঁড়িয়া কহিলেন, আর সাক্ষীতে আমাদের কি প্রয়োজন?

64. तुम ने यह निन्दा सुनी: तुम्हारी क्या राय है उन सब ने कहा, वह वध के योग्य है।
लैव्यव्यवस्था 24:16

64. তোমরা ত ঈশ্বর-নিন্দা শুনিলে; তোমাদের কি বিবেচনা হয়? তাহারা সকলে তাঁহাকে দোষী করিয়া বলিল, এ মরিবার যোগ্য।

65. तब कोई तो उस पर थूकने, और कोई उसका मुंह ढांपने और उसे घूसे मारने, और उस से कहने लगे, कि भविष्यद्वाणी कर: और प्यादों ने उसे लेकर थप्पड़ मारे।।

65. তখন কেহ কেহ তাঁহার গায়ে থুথু দিতে লাগিল, এবং তাঁহার মুখ ঢাকিয়া তাঁহাকে ঘুষি মারিতে লাগিল, আর বলিতে লাগিল, ভাববাণী বল না? পরে পদাতিকগণ প্রহার করিতে করিতে তাঁহাকে গ্রহণ করিল।

66. जब पतरस नीचे आंगन में था, तो महायाजक की लौंडियों में से एक वहां आई।

66. পিতর যখন নীচে প্রাঙ্গণে ছিলেন, তখন মহাযাজকের এক দাসী আসিল;

67. और पतरस को आग तापते देखकर उस पर टकटकी लगाकर देखा और कहने लगी, तू भी तो उस नासरी यीशु के साथ था।

67. সে পিতরকে আগুন পোহাইতে দেখিয়া তাঁহার প্রতি দৃষ্টিপাত করিয়া কহিল, তুমিও ত সেই নাসরতীয়ের, সেই যীশুর, সঙ্গে ছিলে।

68. वह मुकर गया, और कहा, कि मैं तो नहीं जानता औश्र नहीं समझता कि तू क्या कह रही है: फिर वह बाहर डेवढ़ी में गया; और मुर्गे ने बांग दी।

68. কিন্তু তিনি অস্বীকার করিয়া কহিলেন, তুমি যাহা বলিতেছ, তাহা আমি জানিও না, বুঝিও না। পরে তিনি বাহির হইয়া ফটকের নিকটে গেলেন, আর কুকুড়া ডাকিয়া উঠিল।

69. वह लौंडी उसे देखकर उन से जो पास खड़े थे, फिर कहने लगी, कि उन में से एक है।

69. কিন্তু দাসী তাঁহাকে দেখিয়া, যাহারা নিকটে দাঁড়াইয়াছিল, তাহাদিগকেও বলিতে লাগিল, এ ব্যক্তি তাহাদের এক জন।

70. परन्तु वह फिर मुकर गया और थोड़ी देर बाद उन्हों ने जो पास खड़े थे फिर पतरस से कहा; निश्चय तू उन में से एक है; क्योंकि तू गलीली भी है।

70. তিনি আবার অস্বীকার করিলেন। কিঞ্চিৎ কাল পরে, যাহারা নিকটে দাঁড়াইয়াছিল, আবার তাহারা পিতরকে বলিল, সত্যই তুমি তাহাদের এক জন, কেননা তুমি গালীলীয় লোক।

71. तब वह धिक्कार देन और शपथ खाने लगा, कि मैं उस मनुष्य को, जिस की तुम चर्चा करते हो, नहीं जानता।

71. কিন্তু তিনি অভিশাপপূর্ব্বক শপথ করিয়া বলিতে লাগিলেন, তোমরা যে ব্যক্তির কথা বলিতেছ, তাহাকে আমি চিনি না।

72. तब तुरन्त दूसरी बार मुर्ग ने बांग दी: पतरस को यह बात जो यीशु ने उस से कही थी स्मरण आई, कि मुर्ग के दो बार बांग देने से पहिले तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा: वह इस बात को सोचकर रोने लगा।।

72. তৎক্ষণাৎ দ্বিতীয় বার কুকুড়া ডাকিয়া উঠিল; তাহাতে যীশু এই যে কথা বলিয়াছিলেন, ‘কুকুড়া দুই বার ডাকিবার পূর্ব্বে তুমি তিন বার আমাকে অস্বীকার করিবে,’ তাহা পিতরের মনে পড়িল; এবং তিনি সেই বিষয় চিন্তা করিয়া ক্রন্দন করিতে লাগিলেন।



Shortcut Links
मरकुस - Mark : 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 |
उत्पत्ति - Genesis | निर्गमन - Exodus | लैव्यव्यवस्था - Leviticus | गिनती - Numbers | व्यवस्थाविवरण - Deuteronomy | यहोशू - Joshua | न्यायियों - Judges | रूत - Ruth | 1 शमूएल - 1 Samuel | 2 शमूएल - 2 Samuel | 1 राजाओं - 1 Kings | 2 राजाओं - 2 Kings | 1 इतिहास - 1 Chronicles | 2 इतिहास - 2 Chronicles | एज्रा - Ezra | नहेम्याह - Nehemiah | एस्तेर - Esther | अय्यूब - Job | भजन संहिता - Psalms | नीतिवचन - Proverbs | सभोपदेशक - Ecclesiastes | श्रेष्ठगीत - Song of Songs | यशायाह - Isaiah | यिर्मयाह - Jeremiah | विलापगीत - Lamentations | यहेजकेल - Ezekiel | दानिय्येल - Daniel | होशे - Hosea | योएल - Joel | आमोस - Amos | ओबद्याह - Obadiah | योना - Jonah | मीका - Micah | नहूम - Nahum | हबक्कूक - Habakkuk | सपन्याह - Zephaniah | हाग्गै - Haggai | जकर्याह - Zechariah | मलाकी - Malachi | मत्ती - Matthew | मरकुस - Mark | लूका - Luke | यूहन्ना - John | प्रेरितों के काम - Acts | रोमियों - Romans | 1 कुरिन्थियों - 1 Corinthians | 2 कुरिन्थियों - 2 Corinthians | गलातियों - Galatians | इफिसियों - Ephesians | फिलिप्पियों - Philippians | कुलुस्सियों - Colossians | 1 थिस्सलुनीकियों - 1 Thessalonians | 2 थिस्सलुनीकियों - 2 Thessalonians | 1 तीमुथियुस - 1 Timothy | 2 तीमुथियुस - 2 Timothy | तीतुस - Titus | फिलेमोन - Philemon | इब्रानियों - Hebrews | याकूब - James | 1 पतरस - 1 Peter | 2 पतरस - 2 Peter | 1 यूहन्ना - 1 John | 2 यूहन्ना - 2 John | 3 यूहन्ना - 3 John | यहूदा - Jude | प्रकाशितवाक्य - Revelation |

Explore Parallel Bibles
21st Century KJV | A Conservative Version | American King James Version (1999) | American Standard Version (1901) | Amplified Bible (1965) | Apostles' Bible Complete (2004) | Bengali Bible | Bible in Basic English (1964) | Bishop's Bible | Complementary English Version (1995) | Coverdale Bible (1535) | Easy to Read Revised Version (2005) | English Jubilee 2000 Bible (2000) | English Lo Parishuddha Grandham | English Standard Version (2001) | Geneva Bible (1599) | Hebrew Names Version | Hindi Bible | Holman Christian Standard Bible (2004) | Holy Bible Revised Version (1885) | Kannada Bible | King James Version (1769) | Literal Translation of Holy Bible (2000) | Malayalam Bible | Modern King James Version (1962) | New American Bible | New American Standard Bible (1995) | New Century Version (1991) | New English Translation (2005) | New International Reader's Version (1998) | New International Version (1984) (US) | New International Version (UK) | New King James Version (1982) | New Life Version (1969) | New Living Translation (1996) | New Revised Standard Version (1989) | Restored Name KJV | Revised Standard Version (1952) | Revised Version (1881-1885) | Revised Webster Update (1995) | Rotherhams Emphasized Bible (1902) | Tamil Bible | Telugu Bible (BSI) | Telugu Bible (WBTC) | The Complete Jewish Bible (1998) | The Darby Bible (1890) | The Douay-Rheims American Bible (1899) | The Message Bible (2002) | The New Jerusalem Bible | The Webster Bible (1833) | Third Millennium Bible (1998) | Today's English Version (Good News Bible) (1992) | Today's New International Version (2005) | Tyndale Bible (1534) | Tyndale-Rogers-Coverdale-Cranmer Bible (1537) | Updated Bible (2006) | Voice In Wilderness (2006) | World English Bible | Wycliffe Bible (1395) | Young's Literal Translation (1898) | Hindi Reference Bible |