Leviticus - लैव्यव्यवस्था 17 | View All

1. फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

1. আর সদাপ্রভু মোশিকে কহিলেন,

2. हारून और उसके पुत्रों से और कुल इस्त्राएलियों से कह, कि यहोवा ने यह आज्ञा दी है,

2. তুমি হারোণ ও তাহার পুত্রগণকে এবং সমস্ত ইস্রায়েল-সন্তানকে কহ, তাহাদিগকে এই কথা বল, সদাপ্রভু এই আজ্ঞা করেন;

3. कि इस्त्राएल के घराने में से कोई मनुष्य हो जो बैल वा भेड़ के बच्चे, वा बकरी को, चाहे छावनी में चाहे छावनी से बाहर घात करके

3. ইস্রায়েল-কুলজাত যে কেহ শিবিরের মধ্যে কিম্বা শিবিরের বাহিরে গোরু কিম্বা মেষ কিম্বা ছাগ হনন করে,

4. मिलापवाले तम्बू के द्वार पर, यहोवा के निवास के साम्हने यहोवा को चढ़ाने के निमित्त न ले जाए, तो उस मनुष्य को लोहू बहाने का दोष लगेगा; और वह मनुष्य जो लोहू बहाने वाला ठहरेगा, वह अपने लोगों के बीच से नाश किया जाए।

4. কিন্তু সদাপ্রভুর আবাসের সম্মুখে সদাপ্রভুর উদ্দেশে উপহার উৎসর্গ করিতে সমাগম-তাম্বুর দ্বারসমীপে তাহা না আনে, তাহার উপর রক্তপাতের পাপ গণিত হইবে; সে রক্তপাত করিয়াছে, সে ব্যক্তি আপন লোকদের মধ্য হইতে উচ্ছিন্ন হইবে।

5. इस विधि का यह कारण है कि इस्त्राएली अपने बलिदान जिनको वह खुले मैदान में वध करते हैं, वे उन्हें मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक के पास, यहोवा के लिये ले जाकर उसी के लिये मेलबलि करके बलिदान किया करें;

5. কেননা ইস্রায়েল-সন্তানগণ আপনাদের যে যে যজ্ঞীয় পশু মাঠে লইয়া গিয়া বলিদান করে, সে সমস্ত সদাপ্রভুর উদ্দেশে সমাগম-তাম্বুর দ্বারে যাজকের নিকটে আনিয়া সদাপ্রভুর উদ্দেশে মঙ্গলার্থক বলি বলিয়া বলিদান করিতে হইবে।

6. और याजक लोहू को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा की वेदी के ऊपर छिड़के, और चरबी को उसके सुखदायक सुगन्ध के लिये जलाए।

6. আর যাজক সমাগম-তাম্বুর দ্বারসমীপে সদাপ্রভুর বেদির উপরে তাহাদের রক্ত প্রক্ষেপ করিবে, এবং মেদ সদাপ্রভুর উদ্দেশে সৌরভার্থে দগ্ধ করিবে।

7. और वे जो बकरों के पूजक होकर व्यभिचार करते हैं, वे फिर अपने बलिपशुओं को उनके लिये बलिदान न करें। तुम्हारी पीढ़ियों के लिये यह सदा की विधि होगी।।

7. তাহাতে তাহারা যে ছাগদের অনুগমনে ব্যভিচার করিয়া আসিতেছে, তাহাদের উদ্দেশে আর বলিদান করিবে না। ইহা তাহাদের পুরুষানুক্রমে পালনীয় চিরস্থায়ী বিধি হইবে।

8. और तू उन से कह, कि इस्त्राएल के घराने के लोगों में से वा उनके बीच रहनेहारे परदेशियों में से कोई मनुष्य क्यों न हो जो होमबलि वा मेलबलि चढ़ाए,

8. আর তুমি তাহাদিগকে বল, ইস্রায়েল-কুলজাত কোন ব্যক্তি কিম্বা তাহাদের মধ্যে প্রবাসকারী কোন বিদেশী লোক যদি হোম কিম্বা বলিদান করে,

9. और उसको मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के लिये चढ़ाने को न ले आए; वह मनुष्य अपने लोगों में से नाश किया जाए।।

9. কিন্তু সদাপ্রভুর উদ্দেশে উৎসর্গ করিবার জন্য তাহা সমাগম-তাম্বুর দ্বারসমীপে না আনে, তবে সে আপন লোকদের মধ্য হইতে উচ্ছিন্ন হইবে।

10. फिर इस्त्राएल के घराने के लोगों में से वा उनके बीच रहनेवाले परदेशियों में से कोई मनुष्य क्यों न हो जो किसी प्रकार का लोहू खाए, मैं उस लोहू खानेवाले के विमुख होकर उसको उसके लोगों के बीच में से नाश कर डालूंगा।
प्रेरितों के काम 15:20-29

10. আর ইস্রায়েল-কুলজাত কোন ব্যক্তি, কিম্বা তাহাদের মধ্যে প্রবাসকারী কোন বিদেশী লোক যদি কোন প্রকার রক্ত ভোজন করে, তবে আমি সেই রক্তভোক্তার প্রতি বিমুখ হইব, ও তাহার লোকদের মধ্য হইতে তাহাকে উচ্ছিন্ন করিব।

11. क्योंकि शरीर का प्राण लोहू में रहता है; और उसको मैं ने तुम लोगों को वेदी पर चढ़ाने के लिये दिया है, कि तुम्हारे प्राणों के लिये प्रायश्चित्त किया जाए; क्योंकि प्राण के कारण लोहू ही से प्रायश्चित्त होता है।
इब्रानियों 9:22

11. কেননা রক্তের মধ্যেই শরীরের প্রাণ থাকে, এবং তোমাদের প্রাণের জন্য প্রায়শ্চিত্ত করণার্থ আমি তাহা বেদির উপরে তোমাদিগকে দিয়াছি; কারণ প্রাণের গুণে রক্তই প্রায়শ্চিত্তসাধক।

12. इस कारण मैं इस्त्राएलियों से कहता हूं, कि तुम में से कोई प्राणी लोहू न खाए, और जो परदेशी तुम्हारे बीच रहता हो वह भी लोहू कभी न खाए।।

12. এই জন্য আমি ইস্রায়েল-সন্তানগণকে কহিলাম, তোমাদের মধ্যে কেহ রক্ত ভোজন করিবে না, ও তোমাদের মধ্যে প্রবাসকারী কোন বিদেশীও রক্ত ভোজন করিবে না।

13. और इस्त्राएलियों में से वा उनके बीच रहनेवाले परदेशियों में से कोई मनुष्य क्यों न हो जो अहेर करके खाने के योग्य पशु वा पक्षी को पकड़े, वह उसके लोहू को उंडेलकर धूलि से ढंाप दे।

13. আর ইস্রায়েল-সন্তানগণের মধ্যে কোন ব্যক্তি কিম্বা তাহাদের মধ্যে প্রবাসকারী কোন বিদেশী লোক যদি মৃগয়াতে কোন খাদ্য পশু কিম্বা পক্ষী বধ করে, তবে সে তাহার রক্ত ঢালিয়া দিয়া ধূলাতে আচ্ছাদন করিবে।

14. क्योंकि शरीर का प्राण जो है वह उसका लोहू ही है जो उसके प्राण के साथ एक है; इसी लिये मैं इस्त्राएलियों से कहता हूं, कि किसी प्रकार के प्राणी के लोहू को तुम न खाना, क्योंकि सब प्राणियों का प्राण उनका लोहू ही है; जो कोई उसको खाए वह नाश किया जाएगा।

14. কেননা প্রত্যেক প্রাণীর রক্তই প্রাণ, তাহাই তাহার প্রাণস্বরূপ; এই জন্য আমি ইস্রায়েল-সন্তানগণকে কহিলাম, তোমরা কোন প্রাণীর রক্ত ভোজন করিবে না, কেননা প্রত্যেক প্রাণীর রক্তই তাহার প্রাণ; যে কেহ তাহা ভোজন করিবে, সে উচ্ছিন্ন হইবে।

15. और चाहे वह देशी हो वा परदेशी हो, जो कोई किसी लोथ वा फाड़े हुए पशु का मांस खाए वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे, और सांझ तक अशुद्ध रहे; तब वह शुद्ध होगा।

15. আর স্বদেশী কি বিদেশীর মধ্যে যে কেহ স্বয়ংমৃত কিম্বা বিদীর্ণ পশু ভোজন করে, সে আপন বস্ত্র ধৌত করিবে, জলে স্নান করিবে, এবং সন্ধ্যা পর্য্যন্ত অশুচি থাকিবে; পরে শুচি হইবে।

16. और यदि वह उनको न धोए और न स्नान करे, तो उसको अपने अधर्म का भार स्वयं उठाना पड़ेगा।।

16. কিন্তু যদি বস্ত্র ধৌত না করে ও স্নান না করে, তবে সে আপন অপরাধ বহন করিবে।



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