Daniel - दानिय्येल 3 | View All

1. नबूकदनेस्सर राजा ने सोने की एक मूरत बनवाई, जिनकी ऊंचाई साठ हाथ, और चौड़ाई छ: हाथ की थी। और उस ने उसको बाबुल के प्रान्त के दूरा नाम मैदान में खड़ा कराया।

1. রাজা নবূখদ্‌নিৎসর এক স্বর্ণময় প্রতিমা নির্ম্মাণ করিলেন, তাহা ষষ্টি হস্ত উচ্চ ও ছয় হস্ত স্থূল, তাহা তিনি বাবিল প্রদেশের দূরা সমস্থলীতে স্থাপন করিলেন।

2. तब नबूकदनेस्सर राजा ने अधिपतियों, हाकिमों, गवर्नरों, जजों, खजांनचियों, न्यायियों, शास्त्रियों, आदि प्रान्त- प्रान्त के सब अधिकारियों को बुलवा भेजा कि वे उस मूरत की प्रतिष्ठा में आएं जो उस ने खड़ी कराई थी।

2. আর রাজা নবূখদ্‌নিৎসর সেই যে প্রতিমা স্থাপন করিয়াছিলেন, তাহার প্রতিষ্ঠা করিতে আসিবার জন্য ক্ষিতিপাল, প্রতিনিধি ও দেশাধ্যক্ষগণকে, মহাবিচারকর্ত্তা, কোষাধ্যক্ষ, ব্যবস্থাপক ও অধিপতিগণকে এবং প্রদেশসমূহের সমস্ত শাসনকর্ত্তাকে একত্র করিতে রাজা নবূখদ্‌নিৎসর লোক প্রেরণ করিলেন।

3. तब अधिपति, हाकिम, गर्वनर, जज, खजांनची, न्यायी, शास्त्री आदि प्रान्त- प्रान्त के सब अधिकारी नबूकदनेस्सर राजा की खड़ी कराई हुई मूरत की प्रतिष्ठा के लिये इकट्ठे हुए, और उस मूरत के साम्हने खड़े हुए।

3. তখন ক্ষিতিপালগণ, প্রতিনিধিগণ, দেশাধ্যক্ষগণ, মহাবিচারকর্ত্তৃগণ, কোষাধ্যক্ষগণ, ব্যবস্থাপকগণ ও অধিপতিগণ, এবং প্রদেশসমূহের সমস্ত শাসনকর্ত্তা রাজা নবূখদ্‌নিৎসরের স্থাপিত সেই প্রতিমার প্রতিষ্ঠা করিবার জন্য একত্র হইলেন। পরে তাঁহারা নবূখদ্‌নিৎসরের স্থাপিত প্রতিমার সম্মুখে দাঁড়াইলেন।

4. तब ढिंढोरिये ने ऊंचे शब्द से पुकारकर कहा, हे देश- देश और जाति- जाति के लोगों, और भिन्न भिन्न भाषा बोलनेवालो, तुम को यह आज्ञा सुनाई जाती है कि,
प्रकाशितवाक्य 10:11

4. তখন ঘোষক উচ্চৈঃস্বরে কহিলেন, ‘হে লোকবৃন্দ, জাতিগণ ও নানা ভাষাবাদিগণ, তোমাদের প্রতি এই আজ্ঞা দত্ত হইতেছে;

5. जिस समय तुम नरसिंगे, बांसुली, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुनो, तुम उसी समय गिरकर नबूकदनेस्सर राजा की खड़ी कराई हुए सोने की मूरत को दण्डवत् करो।
मत्ती 4:9, प्रकाशितवाक्य 13:15

5. যে সময়ে তোমরা শৃঙ্গ, বংশী, বীণা, চতুস্তন্ত্রী, পরিবাদিনী ও মৃদঙ্গ প্রভৃতি সর্ব্বপ্রকার যন্ত্রের বাদ্যশুনিবে, তৎকালে রাজা নবূখদ্‌নিৎসরের স্থাপিত স্বর্ণময় প্রতিমার সম্মুখে উপুড় হইয়া প্রণাম করিবে।

6. और जो कोई गिरकर दण्डवत् न करेगा वह उसी घड़ी धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाल दिया जाएगा।
मत्ती 13:42-50, प्रकाशितवाक्य 13:15

6. যে কোন ব্যক্তি উপুড় হইয়া প্রণাম না করিবে, সে তদ্দণ্ডেই প্রজ্বলিত অগ্নিকুণ্ডে নিক্ষিপ্ত হইবে।’

7. इस कारण उस समय ज्यों ही सब जाति के लोगों को नरसिंगे, बांसुली, वीणा, सारंगी, सितार शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुन पड़ा, त्यों ही देश- देश और जाति- जाति के लोगों और भिन्न- भिन्न भाषा बोलनेवालों ने गिरकर उस सोने की मूरत को जो नबूकदनेस्सर राजा ने खड़ी कराई थी, दण्डवत् की।।

7. অতএব সমস্ত লোক যখন শৃঙ্গ, বংশী, বীণা, চতুস্তন্ত্রী ও পরিবাদিনী প্রভৃতি সর্ব্বপ্রকার যন্ত্রের বাদ্য শুনিল, তখন সমস্ত লোকবৃন্দ, জাতি ও ভাষাবাদী উপুড় হইয়া রাজা নবূখদ্‌নিৎসরের স্থাপিত স্বর্ণময় প্রতিমাকে প্রণাম করিল।

8. उसी समय कई एक कसदी पुरूष राजा के पास गए, और कपट से यहूदियों की चुगली खाई।

8. সেই সময়ে কতকগুলি কল্‌দীয় নিকটে আসিয়া যিহূদীদের উপরে দোষারোপ করিল।

9. वे नबुकदनेस्सर राजा से कहने लगे, हे राजा, तू चिरंजीव रहे।

9. তাহারা রাজা নবূখদ্‌নিৎসরের কাছে এই কথা কহিল, হে রাজন্‌ চিরজীবী হউন।

10. हे राजा, तू ने तो यह आज्ञा दी है कि जो मनुष्य नरसिंगे, बांसुली, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुने, वह गिरकर उस सोने की मूरत को दण्डवत करे;
मत्ती 4:9

10. হে রাজন্‌, আপনি এই আজ্ঞা করিয়াছেন, ‘যে কেহ শৃঙ্গ, বংশী, বীণা, চতুস্তন্ত্রী, পরিবাদিনী ও মৃদঙ্গ প্রভৃতি সর্ব্বপ্রকার যন্ত্রের বাদ্য শুনিবে, সে উপুড় হইয়া ঐ স্বর্ণময় প্রতিমাকে প্রণাম করিবে;

11. और जो कोई गिरकर दण्डवत् न करे वह धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाल दिया जाए।

11. যে কোন ব্যক্তি উপুড় হইয়া প্রণাম না করিবে, সে প্রজ্বলিত অগ্নিকুণ্ডে নিক্ষিপ্ত হইবে।’

12. देख, शद्रक, मेशक, और अबेदनगो नाम कुछ यहूदी पुरूष हैं, जिन्हें तू ने बाबुल के प्रान्त के कार्य के ऊपर नियुक्त किया है। उन पुरूषों ने, हे राजा, तेरी आज्ञा की कुछ चिन्ता नहीं की; वे तेरे देवता की उपासना नहीं करते, और जो सोने की मूरत तू ने खड़ी कराई है, उसको दण्डवत् नहीं करते।।

12. বাবিল প্রদেশের রাজকর্ম্মে আপনার নিযুক্ত কয়েক জন যিহূদী আছে, শদ্রক, মৈশক, ও অবেদ-নগো; হে রাজন্‌, সেই ব্যক্তিরা আপনাকে মানে নাই; তাহারা আপনার দেবগণের সেবা করে না, এবং আপনি যে স্বর্ণময় প্রতিমা স্থাপন করিয়াছেন, তাহাকেও প্রণাম করে না।

13. तब नबूकदनेस्सर ने रोष और जलजलाहट में आकर आज्ञा दी कि शद्रक मेशक और अबेदनगो को लाओ। तब वे पुरूष राजा के साम्हने हाजिर किए गए।

13. তখন নবূখদ্‌নিৎসর ক্রোধে ও কোপে শদ্রক, মৈশক ও অবেদ্‌-নগোকে আনিতে আদেশ করিলেন; তাহাতে তাঁহারা রাজার সম্মুখে আনীত হইলেন।

14. नबूकदनेस्सर ने उन से पूछा, हे शद्रक, मेशक और अबेदनगो, तुम लोग जो मेरे देवता की उपासना नहीं करते, और मेरी खड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत् नहीं करते, सो क्या तुम जान बूझकर ऐसा करते हो?

14. নবূখদ্‌নিৎসর তাঁহাদিগকে কহিলেন, হে শদ্রক, মৈশক ও অবেদ্‌-নগো, এই কি তোমাদের সংকল্প যে, আমার দেবতার সেবা করিবে না। আমার স্থাপিত স্বর্ণময় প্রতিমাকে প্রণাম করিবে না?

15. यदि तुम अभी तैयार हो, कि जब नरसिंगे, बाुसुली, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुनो, और उसी क्षण गिरकर मेरी बनवाई हुई मूरत को दण्डवत् करो, तो बचोगे; और यदि तुम दण्डवत् ने करो तो इसी घड़ी धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाले जाओगे; फिर ऐसा कौन देवता है, जो तुम को मेरे हाथ से छुड़ा सके?
मत्ती 4:9

15. এখনও যদি তোমরা শৃঙ্গ, বংশী, বীণা, চতুস্তন্ত্রী, পরিবাদিনী ও মৃদঙ্গ প্রভৃতি সর্ব্বপ্রকার যন্ত্রের বাদ্য শুনিবামাত্র আমার নির্ম্মিত স্বর্ণ-প্রতিমাকে উপুড় হইয়া প্রণাম করিতে প্রস্তুত হও, ভালই; কিন্তু যদি প্রণাম না কর, তবে সেই দণ্ডেই প্রজ্বলিত অগ্নিকুণ্ডে নিক্ষিপ্ত হইবে; আর এমন দেবতা কে যে, আমার হস্ত হইতে তোমাদিগকে উদ্ধার করিবে?

16. शद्रक, मेशक और अबेदनगो ने राजा से कहा, हे नबूकदनेस्सर, इस विषय में तुझे उत्तर देने का हमें कुछ प्रयोजन नहीं जान पड़ता।

16. শদ্রক, মৈশক, ও অবেদ্‌-নগো রাজাকে উত্তর করিলেন, হে নবূখদ্‌নিৎসর, আপনাকে এই কথার উত্তর দেওয়া আমাদের পক্ষে নিষ্প্রয়োজন।

17. हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्टे की आग से बचाने की शक्ति रखता है; वरन हे राजा, वह हमें तेरे हाथ से भी छुड़ा सकता है।

17. যদি হয়, আমরা যাঁহার সেবা করি, আমাদের সেই ঈশ্বর আমাদিগকে প্রজ্বলিত অগ্নিকুণ্ড হইতে উদ্ধার করিতে সমর্থ আছেন, আর, হে রাজন্‌, তিনি আপনার হস্ত হইতে আমাদিগকে উদ্ধার করিবেন;

18. परन्तु, यदि नहीं, तो हे राजा तुझे मालूम हो, कि हम लोग तेरे देवता की उपासना नहीं करेंगे, और न तेरी खड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत् करेंगे।।

18. আর যদি নাও হয়, তবু হে রাজন্‌, আপনি জানিবেন, আমরা আপনার দেবগণের সেবা করিব না, এবং আপনার স্থাপিত স্বর্ণ-প্রতিমাকে প্রণাম করিব না।

19. तब नबूकदनेस्सर झुंझला उठा, और उसके चेहरे का रंग शद्रक, मेशक और अबेदनगो की ओर बदल गया। और उस ने आज्ञा दी कि भट्ठे को सातगुणा अधिक धधका दो।

19. তখন নবূখদ্‌নিৎসর ক্রোধে পরিপূর্ণ হইলেন, এবং শদ্রক, মৈশক ও অবেদ্‌-নগোর বিরুদ্ধে তাঁহার মুখ বিকটাকার হইল; তিনি বলিয়া দিলেন ও আদেশ করিলেন, অগ্নিকুণ্ড যে পরিমাণে উত্তপ্ত আছে, তাহা অপেক্ষা যেন সাত গুণ অধিক উত্তপ্ত করা হয়;

20. फिर अपनी सेना में के कई एक बलवान् पुरूषों को उस ने आज्ञा दी, कि शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बान्धकर उन्हें धधकते हुए भट्ठे में डाल दो।

20. আর তিনি আপন সৈন্যের মধ্যে কতকগুলি বীর্য্যবান্ পুরুষকে আজ্ঞা দিলেন, যেন তাহারা শদ্রক, মৈশক ও অবেদ্‌-নগোকে বাঁধিয়া প্রজ্বলিত অগ্নিকুণ্ডে নিক্ষেপ করে।

21. तब वे पुरूष अपने मोजों, अंगरखों, बागों और और वस्त्रों सहित बान्धकर, उस धधकते हुए भट्ठे में डाल दिए गए।

21. তখন ঐ পুরুষেরা আপন আপন জামা, আঙরাখা, পরিচ্ছদ প্রভৃতি বস্ত্রশুদ্ধ বদ্ধ হইলেন, এবং প্রজ্বলিত অগ্নিকুণ্ড-মধ্যে নিক্ষিপ্ত হইলেন।

22. वह भट्ठा तो राजा की दृढ़ आज्ञा होने के कारण अत्यन्त धधकाया गया था, इस कारण जिन पुरूषों ने शद्रक, मेशक और अबेदनगो को उठाया वे ही आग की आंच से जल मरे।

22. আর রাজার আজ্ঞা প্রচণ্ড ও অগ্নিকুণ্ড অতি উত্তপ্ত ছিল, তৎপ্রযুক্ত যে পুরুষেরা শদ্রক, মৈশক ও অবেদ্‌-নগোকে নিক্ষেপ করিল তাহারাই অগ্নিশিখায় হত হইল।

23. और उसी धधकते हुए भट्ठे के बीच ये तीनों पुरूष, शद्रक, मेशक और अबेदनगो, बन्धे हुए फेंक दिए गए।।
इब्रानियों 11:34

23. আর শদ্রক, মৈশক ও অবেদ্‌-নগো, এই তিন ব্যক্তি বদ্ধ হইয়া প্রজ্বলিত অগ্নিকুণ্ডের মধ্যে পতিত হইলেন।

24. तब नबूकदनेस्सरे राजा अचम्भित हुआ और घबराकर उठ खड़ा हुआ। और अपने मन्त्रियों से पूछने लगा, क्या हम ने उस आग के बीच तीन ही पुरूष बन्धे हुए नहीं डलवाए? उन्हों ने राजा को उत्तर दिया, हां राजा, सच बात तो है।

24. তখন রাজা নবূখদ্‌নিৎসর চমৎকৃত হইলেন, ও সত্বর উঠিলেন; তিনি আপন মন্ত্রীদিগকে কহিলেন, আমরা কি তিন জন পুরুষকে বাঁধিয়া অগ্নিমধ্যে নিক্ষেপ করি নাই? তাঁহারা উত্তর করিয়া রাজাকে কহিলেন, হাঁ, মহারাজ।

25. फिर उस ने कहा, अब मैं देखता हूं कि चार पुरूष आग के बीच खुले हुए टहल रहे हैं, और उनको कुछ भी हानि नहीं पहुंची; और चौथे पुरूष का स्वरूप ईश्वर के पुत्रा के सदृश्य है।।

25. তখন রাজা কহিলেন, দেখ, আমি চারি ব্যক্তিকে দেখিতেছি; উহারা মুক্ত হইয়া অগ্নির মধ্যে গমনাগমন করিতেছে, উহাদের কোন হানি হয় নাই; আর চতুর্থ ব্যক্তির মূর্ত্তি দেবপুত্রের সদৃশ।

26. फिर नबूकदनेस्सर उस धधकते हुए भट्ठे के द्वार के पास जाकर कहने लगा, हे शद्रक, मेशक और अबेदनगो, हे परमप्रधान परमेश्वर के दासो, निकलकर यहां आओ! यह सुनकर शद्रक, मेशक और अबेदनगो आग के बीच से निकल आए।

26. তখন নবূখদ্‌নিৎসর সেই প্রজ্বলিত অগ্নিকুণ্ডের দুয়ারের কাছে গিয়া কহিলেন, হে পরাৎপর ঈশ্বরের দাস শদ্রক, মৈশক ও অবেদ্‌-নগো, বাহির হইয়া আইস। তখন শদ্রক, মৈশক ও অবেদ্‌-নগো অগ্নির মধ্য হইতে বাহির হইয়া আসিলেন।

27. जब अधिपति, हाकिम, गर्वनर और राजा के मन्त्रियों ने, जो इकट्ठे हुए थे, उन पुरूषों की ओर देखा, तब उनकी देह में आग का कुछ भी प्रभाव नहीं पाया; और उनके सिर का एक बाल भी न झुलसा, न उनके मोजे कुछ बिगड़े, न उन में जलने की कुछ गन्ध पाई गई।

27. পরে ক্ষিতিপাল, প্রতিনিধি, দেশাধ্যক্ষ ও রাজমন্ত্রিগণ একত্র হইয়া ঐ তিন ব্যক্তিকে নিরীক্ষণ করিয়া দেখিলেন, অগ্নি তাঁহাদের শরীরের উপর কিছুই শক্তি প্রকাশ করে নাই, তাঁহাদের মস্তকের কেশও দগ্ধ হয় নাই, বস্ত্রও বিকৃত হয় নাই, এবং তাহাদের গায়ে অগ্নির গন্ধও নাই।

28. नबूकदनेस्सर कहने लगा, धन्य है शद्रक, मेशक और अबेदनगो का परमेश्वर, जिस ने अपना दूत भेजकर अपने इन दासों को इसलिये बचाया, क्योंकि इन्हों ने राजा की आज्ञा न मानकर, उसी पर भरोसा रखा, और यह सोचकर अपना शरीर भी अर्पण किया, कि हम अपने परमेश्वर को छोड़, किसी देवता की उपासना वा दण्डवत् न करेंगे।

28. তখন নবূখদ্‌নিৎসর এই কথা কহিলেন, ধন্য শদ্রকের, মৈশকের ও অবেদ্‌-নগোর ঈশ্বর, তিনি আপন দূত প্রেরণ করিয়া, তাঁহার সেই দাসদিগকে উদ্ধার করিলেন, যাহারা তাঁহাতে বিশ্বাস করিয়াছে, রাজার আজ্ঞা লঙ্ঘন করিয়াছে, এবং আপনাদের ঈশ্বর ব্যতিরেকে যেন অন্য কোন দেবের সেবা ও পূজা করিতে না হয়, সেই জন্য আপন আপন শরীর দিয়াছে।

29. इसलिये अब मैं यह आज्ञा देता हूं कि देश- देश और जाति- जाति के लोगों, और भिन्न- भिन्न भाषा बोलनेवालों में से जो कोई शद्रक, मेशक और अबेदनगो के परमेश्वर की कुछ निन्दा करेगा, वह टुकड़े टुकड़े किया जाएगा, और उसका घर घूरा बनाया जाएगा; क्योंकि ऐसा कोई और देवता नहीं जो इस रीति से बचा सके।

29. অতএব আমি এই নিয়ম স্থাপন করিতেছি, সকল দেশের লোক, জাতি ও ভাষাবাদিগণের মধ্যে যে কেহ শদ্রকের, মৈশকের ও অবেদ্‌-নগোর ঈশ্বরের বিরুদ্ধে কোন ভ্রান্তির কথা বলিবে, সে খণ্ডবিখণ্ড হইবে, এবং তাহার গৃহ সারের ঢিবী করা যাইবে; কেননা এ প্রকার উদ্ধার করিতে সমর্থ আর কোন দেবতা নাই।

30. तब राजा ने बाबुल के प्रान्त में शद्रक, मेशक, अबेदनगो का पद और ऊंचा किया।।

30. তখন রাজা বাবিল প্রদেশে শদ্রক, মৈশক ও অবেদ্‌-নগোকে উচ্চপদস্থ করিলেন।



Shortcut Links
दानिय्येल - Daniel : 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 |
उत्पत्ति - Genesis | निर्गमन - Exodus | लैव्यव्यवस्था - Leviticus | गिनती - Numbers | व्यवस्थाविवरण - Deuteronomy | यहोशू - Joshua | न्यायियों - Judges | रूत - Ruth | 1 शमूएल - 1 Samuel | 2 शमूएल - 2 Samuel | 1 राजाओं - 1 Kings | 2 राजाओं - 2 Kings | 1 इतिहास - 1 Chronicles | 2 इतिहास - 2 Chronicles | एज्रा - Ezra | नहेम्याह - Nehemiah | एस्तेर - Esther | अय्यूब - Job | भजन संहिता - Psalms | नीतिवचन - Proverbs | सभोपदेशक - Ecclesiastes | श्रेष्ठगीत - Song of Songs | यशायाह - Isaiah | यिर्मयाह - Jeremiah | विलापगीत - Lamentations | यहेजकेल - Ezekiel | दानिय्येल - Daniel | होशे - Hosea | योएल - Joel | आमोस - Amos | ओबद्याह - Obadiah | योना - Jonah | मीका - Micah | नहूम - Nahum | हबक्कूक - Habakkuk | सपन्याह - Zephaniah | हाग्गै - Haggai | जकर्याह - Zechariah | मलाकी - Malachi | मत्ती - Matthew | मरकुस - Mark | लूका - Luke | यूहन्ना - John | प्रेरितों के काम - Acts | रोमियों - Romans | 1 कुरिन्थियों - 1 Corinthians | 2 कुरिन्थियों - 2 Corinthians | गलातियों - Galatians | इफिसियों - Ephesians | फिलिप्पियों - Philippians | कुलुस्सियों - Colossians | 1 थिस्सलुनीकियों - 1 Thessalonians | 2 थिस्सलुनीकियों - 2 Thessalonians | 1 तीमुथियुस - 1 Timothy | 2 तीमुथियुस - 2 Timothy | तीतुस - Titus | फिलेमोन - Philemon | इब्रानियों - Hebrews | याकूब - James | 1 पतरस - 1 Peter | 2 पतरस - 2 Peter | 1 यूहन्ना - 1 John | 2 यूहन्ना - 2 John | 3 यूहन्ना - 3 John | यहूदा - Jude | प्रकाशितवाक्य - Revelation |

Explore Parallel Bibles
21st Century KJV | A Conservative Version | American King James Version (1999) | American Standard Version (1901) | Amplified Bible (1965) | Apostles' Bible Complete (2004) | Bengali Bible | Bible in Basic English (1964) | Bishop's Bible | Complementary English Version (1995) | Coverdale Bible (1535) | Easy to Read Revised Version (2005) | English Jubilee 2000 Bible (2000) | English Lo Parishuddha Grandham | English Standard Version (2001) | Geneva Bible (1599) | Hebrew Names Version | Hindi Bible | Holman Christian Standard Bible (2004) | Holy Bible Revised Version (1885) | Kannada Bible | King James Version (1769) | Literal Translation of Holy Bible (2000) | Malayalam Bible | Modern King James Version (1962) | New American Bible | New American Standard Bible (1995) | New Century Version (1991) | New English Translation (2005) | New International Reader's Version (1998) | New International Version (1984) (US) | New International Version (UK) | New King James Version (1982) | New Life Version (1969) | New Living Translation (1996) | New Revised Standard Version (1989) | Restored Name KJV | Revised Standard Version (1952) | Revised Version (1881-1885) | Revised Webster Update (1995) | Rotherhams Emphasized Bible (1902) | Tamil Bible | Telugu Bible (BSI) | Telugu Bible (WBTC) | The Complete Jewish Bible (1998) | The Darby Bible (1890) | The Douay-Rheims American Bible (1899) | The Message Bible (2002) | The New Jerusalem Bible | The Webster Bible (1833) | Third Millennium Bible (1998) | Today's English Version (Good News Bible) (1992) | Today's New International Version (2005) | Tyndale Bible (1534) | Tyndale-Rogers-Coverdale-Cranmer Bible (1537) | Updated Bible (2006) | Voice In Wilderness (2006) | World English Bible | Wycliffe Bible (1395) | Young's Literal Translation (1898) | Hindi Reference Bible |