Daniel - दानिय्येल 2 | View All

1. अपने राज्य के दूसरे वर्ष में नबूकदनेस्सर ने ऐसा स्वप्न देखा जिस से उसका मन बहुत ही व्याकुल हो गया और उसको नींद न आई।

1. নবূখদ্‌নিৎসরের রাজত্বের দ্বিতীয় বৎসরে নবূখদ্‌নিৎসর স্বপ্ন দেখিলেন, আর তাঁহার আত্মা উদ্বিগ্ন হইল, ও তাঁহার নিদ্রাভঙ্গ হইল।

2. तब राजा ने आज्ञा दी, कि ज्योतिषी, तन्त्री, टोनहे और कसदी बुलाए जाएं कि वे राजा को उसका स्वप्त बताएं; सो वे आए और राजा के साम्हने हाजिर हुए।

2. পরে রাজা আদেশ করিলেন, যেন তাঁহাকে ঐ স্বপ্ন বুঝাইয়া দিবার নিমিত্ত মন্ত্রবেত্তা, গণক, মায়াবী ও কল্‌দীয়দিগকে আহ্বান করা হয়। তাহারা আসিয়া রাজার সম্মুখে দাঁড়াইল।

3. तब राजा ने उन से कहा, मैं ने एक स्वप्न देखा है, और मेरा मन व्याकुल है कि स्वपन को कैसे समझूं।

3. তখন রাজা তাহাদিগকে কহিলেন, আমি একটা স্বপ্ন দেখিয়াছি, সেই স্বপ্ন বুঝিবার জন্য আমার আত্মা উদ্বিগ্ন হইয়াছে।

4. कसदियों ने, राजा से अरामी भाषा में कहा, हे राजा, तू चिरंजीव रहे! अपने दासों को स्वप्न बता, और हम उसका फल बताएंगे।

4. তখন কল্‌দীয়েরা রাজাকে বলিল,— অরামীয় ভাষা —মহারাজ! চিরজীবী হউন; আপনার এই দাসদিগকে স্বপ্নটী বলুন, আমরা তাৎপর্য্য জানাইব।

5. राजा ने कसदियों को उत्तर दिया, मैं यह आज्ञा दे चुका हूं कि यदि तुम फल समेत स्वप्न को न बताओगे तो तुम टुकड़े टुकड़े किए जाओगे, और तुम्हारे घर फुंकवा दिए जाएंगे।

5. রাজা উত্তর করিয়া কল্‌দীয়দিগকে কহিলেন, আমার এই আদেশবাক্য বাহির হইয়াছে; তোমরা যদি সেই স্বপ্ন ও স্বপ্নের তাৎপর্য্য আমাকে জ্ঞাত না কর, তবে খণ্ডবিখণ্ড হইবে, এবং তোমাদের গৃহ সকল সারের ঢিবী করা যাইবে;

6. और यदि तुम फल समेत स्वप्न को बता दो तो मुझ से भांति भांति के दान और भारी प्रतिष्ठा पाओगे।

6. কিন্তু যদি সেই স্বপ্ন ও স্বপ্নের তাৎপর্য্য জ্ঞাত কর, তবে আমার কাছে দান, পারিতোষিক ও মহাসমাদর পাইবে; অতএব সেই স্বপ্ন ও স্বপ্নের তাৎপর্য্য আমাকে জানাও।

7. इसलिये तुम मुझे फल समेत स्वप्न बाताओ। उन्हों ने दूसरी बार कहा, हे राजा स्वप्न तेरे दासों को बताया जाए, और हम उसका फल समझाा देंगे।

7. তাহারা পুনর্ব্বার উত্তর করিয়া বলিল, মহারাজ, আপনার দাসদিগকে স্বপ্নটী বলুন, আমরা তাৎপর্য্য জানাইব।

8. राजा ने उत्तर दिया, मैं निश्चय जानता हूं कि तुम यह देखकर, कि राजा के मुंह से आज्ञा निकल चुकी है, समय बढ़ाना चाहते हो।

8. রাজা উত্তর করিয়া কহিলেন, আমি নিশ্চয় জানিলাম, আমার আদেশবাক্য বাহির হইয়াছে দেখিয়া তোমরা কাল বিলম্ব করিতে চাহিতেছ;

9. इसलिये यदि तुम मुझे स्वप्न न बताओ तो तुम्हारे लिये एक ही आज्ञा है। क्योंकि तुम ने गोष्ठी की होगी कि जब तक समय न बदले, तब तक हम राजा के साम्हने झूठी और गपशप की बातें कहा करेंगे। इसलिये तुम मुझे स्वप्न को बताओ, तब मैं जानूंगा कि तुम उसका फल भी समझा सकते हो।

9. কিন্তু যদি তোমরা সেই স্বপ্ন আমাকে জ্ঞাত না কর, তবে তোমাদের জন্য একমাত্র ব্যবস্থা রহিল; কেননা তোমরা আমার সাক্ষাতে মিথ্যাকথা ও বঞ্চনাবাক্য বলিবার মন্ত্রণা করিতেছ, যে পর্য্যন্ত না সময়ের পরিপর্ত্তন হয়; অতএব তোমরা আমাকে স্বপ্নটী বল, তাহাতে জানিব, স্বপ্নের তাৎপর্য্যও আমাকে জানাইতে পার।

10. कसदियों ने राजा से कहा, पृथ्वी भर में ऐसा कोई मनुष्य नहीं जो राजा के मन की बात बता सके; और न कोई ऐसा राजा, वा प्रधान, वा हाकिम कभी हुआ है जिस ने किसी ज्योतिषी वा तन्त्री, वा कसदी से ऐसी बात पूछी हो।

10. কল্‌দীয়েরা রাজার সম্মুখে উত্তর করিয়া বলিল, মহারাজের স্বপ্নকথা জানাইতে পারে, পৃথিবীতে এমন মনুষ্য কেহ নাই; বাস্তবিক মহান্‌ কি পরাক্রান্ত কোন রাজা কখন কোন মন্ত্রবেত্তাকে কি গণককে কি কল্‌দীয়কে এমন কথা জিজ্ঞাসা করেন নাই।

11. जो बात राजा पूछता है, वह अनोखी है, और देवताओं को छोड़कर जिनका निवास मनुष्यों के संग नहीं है, और कोई दूसरा नहीं, जो राजा को यह बता सके।।

11. মহারাজ যে কথা জিজ্ঞাসা করিতেছেন, তাহা দুরূহ; বস্তুতঃ যাঁহারা মাংসদেহে বাস করেন না, সেই দেবগণ ব্যতিরেকে আর কেহ নাই যে মহারাজের সম্মুখে ইহা জানাইতে পারে।

12. इस पर राजा ने झुंझलाकर, और बहुत की क्रोधित होकर, बाबुल के सब पण्डितों के नाश करने की आज्ञा दे दी।

12. ইহা শুনিয়া রাজা অত্যন্ত ক্রুদ্ধ ও কোপান্বিত হইয়া বাবিলের সমস্ত বিদ্বান্‌ লোককে বধ করিতে আজ্ঞা দিলেন।

13. सो यह आज्ञा निकली, और पण्डित लोगों का घात होने पर था; और लोग दानिरयेल और उसके संगियों को ढूंढ़ रहे थे कि वे भी घात किए जाएं।

13. তখন এই আজ্ঞা প্রচারিত হইল যে, বিদ্বান্‌ লোকদিগকে বধ করিতে হইবে; আর লোকেরা দানিয়েলকে ও তাঁহার সহচরদিগকে বধ করণার্থে তাহাদের অন্বেষণ করিল।

14. तब दानिरयेल ने, जल्लादों के प्रधान अर्योक से, जो बाबुल के पण्डितों को घात करने के लिये निकला था, सोच विचारकर और बुद्धिमानी के साथ कहा;

14. তখন যে রাজসেনাপতি অরিয়োক বাবিলীয় বিদ্বান্‌ লোকদিগকে বধ করিবার নিমিত্ত বাহির হইয়াছিলেন, তাঁহার কাছে দানিয়েল বিবেচনা ও জ্ঞান সহকারে কথা কহিলেন।

15. और राजा के हाकिम अर्योक से पूछने लगा, यह आज्ञा राजा की ओर से ऐसी उतावली के साथ क्यों निकली? तब अर्योक ने दानिरयेल को इसका भेद बता दिया।

15. তিনি রাজসেনাপতি অরিয়োককে জিজ্ঞাসা করিলেন, রাজার আদেশ এত প্রচণ্ড কেন? তাহাতে অরিয়োক দানিয়েলকে বৃত্তান্ত জ্ঞাত করিলেন।

16. और दानिरयेल ने भीतर जाकर राजा से बिनती की, कि उसके लिये कोई समय ठहराया जाए, तो वह महाराज को स्वप्न का फल बता देगा।

16. তখন দানিয়েল রাজার নিকটে গিয়া এই প্রার্থনা করিলেন, আমার জন্য সময় নিরূপণ করিতে আজ্ঞা হউক, যেন আমি মহারাজকে স্বপ্নটীর তাৎপর্য্য জ্ঞাত করিতে পারি।

17. तब दानिरयेल ने अपने घर जाकर, अपने संगी हनन्याह, मीशाएल, और अजर्याह को यह हाल बताकर कहा,

17. পরে দানিয়েল গৃহে গিয়া আপনার সহচর হনানিয়, মীশায়েল, ও অসরিয়কে সেই কথা জ্ঞাত করিলেন;

18. इस भेद के विषश् में स्वर्ग के परमशॆवर की दया के लिये यह कहकर प्रार्थना करो, कि बाबुल के और सब पण्डितों के संग दानिरयेल और उसके संगी भी नाश न किए जाएं।

18. যেন তাঁহারা ঐ নিগূঢ় বিষয় সম্বন্ধে স্বর্গের ঈশ্বরের কাছে করুণা প্রার্থনা করেন; দানিয়েল ও তাঁহার সহচরগণ যেন বাবিলের অন্য বিদ্বান্‌ লোকদের সঙ্গে বিনষ্ট না হন।

19. तब वह भेद दानिरयेल को रात के समय दर्शन के द्वारा प्रगट किया गया। सो दानिरयेल ने स्वर्ग के परमेश्वर का यह कहकर धन्यवाद किया,
प्रकाशितवाक्य 11:13, प्रकाशितवाक्य 16:11

19. তখন রাত্রিকালীন দর্শনে দানিয়েলের কাছে ঐ নিগূঢ় বিষয় প্রকাশিত হইল; তখন দানিয়েল স্বর্গের ঈশ্বরকে ধন্যবাদ করিলেন।

20. परमेश्वर का नाम युगानुयुग धन्य है; क्योंकि बुद्धि और पराक्रम उसी के हैं।

20. দানিয়েল কহিলেন, ঈশ্বরের নাম যুগে যুগে চিরকাল ধন্য হউক, কেননা জ্ঞান ও পরাক্রম তাঁহারই।

21. समयों और ऋतुओं को वही पलटता है; राजाओं का अस्त और उदय भी वही करता है; बुद्धिमानों को बुद्धि और समझवालों को समझ भी वही देता है;

21. তিনিই কাল ও ঋতু পরিরত্তন করেন; রাজাদিগকে পদভ্রষ্ট করেন, ও রাজাদিগকে পদস্থ করেন; তিনি জ্ঞানীদিগকে জ্ঞান দেন, বিবেচকদিগকে বিবেচনা দেন।

22. वही गूढ़ और गुप्त बातों को प्रगट करता है; वह जानता है कि अन्धियारे में क्या है, और उसके संग सदा प्रकाश बना रहता है।

22. তিনিই গভীর ও গুপ্ত বিষয় প্রকাশ করেন, অন্ধকারে যাহা আছে, তাহা তিনি জানেন, এবং তাঁহার কাছে জ্যোতিঃ বাস করে।

23. हे मेरे पूर्वजों के परमशॆवर, मैं तेरा धन्यवाद और स्तुति करता हूं, क्योंकि तू ने मुझे बुद्धि और शक्ति दी है, और जिस भेद का खुलना हम लोगों न तुझ से मांगे था, उसे तू ने मुझ पर प्रगट किया है, तू ने हम को राजा की बात बताई है।

23. হে আমার পিতৃপুরুষদের ঈশ্বর, আমি তোমার ধন্যবাদ ও প্রশংসা করি, তুমি আমাকে জ্ঞাত ও সামর্থ্য দিয়াছ, আমরা তোমার কাছে যাহা চাহিয়াছিলাম, তাহা আমাকে এখন জানাইলে; তুমি রাজার স্বপ্ন আমাদিগকে জানাইলে।

24. तब दानिरयेल ने अर्योक के पास, जिसे राजा ने बाबुल के पण्डितों के नाश करने के लिये ठहराया था, भीतर जाकर कहा, बाबुल के पण्डितों का नाश न कर, मुझे राजा के सम्मुख भीतर ले चल, मैं फल बताऊंगा।।

24. এই কারণ দানিয়েল সেই অরিয়োকের নিকটে প্রবেশ করিলেন, যাঁহাকে রাজা বাবিলের বিদ্বান্‌ লোকদিগকে বধ করিতে নিযুক্ত করিয়াছিলেন; তিনি গিয়া তাঁহাকে এইরূপ কহিলেন, আপনি বাবিলের বিদ্বান্‌ লোকদিগকে বধ করিবেন না; রাজার নিকটে আমাকে লইয়া চলুন; আমি রাজাকে তাৎপর্য্য জ্ঞাত করিব।

25. तब अर्योक ने दानिरयेल को राजा के सम्मुख शीघ्र भीतर ले जाकर उस से कहा, यहूदी बंधुओं में से एक पुरूष मुझ को मिला है, जो राजा को स्वप्न का फल बताएगा।

25. তখন অরিয়োক সত্বর দানিয়েলকে রাজার নিকটে লইয়া গেলেন, আর রাজাকে এই কথা কহিলেন, নির্ব্বাসিত যিহূদীদের মধ্যে এই এক ব্যক্তিকে পাইলাম; ইনি মহারাজকে তাৎপর্য্য জ্ঞাত করিবেন।

26. राजा ने दानिरयेल से, जिसका नाम बेलतशस्सर भी था, पूछा, क्या तुझ में इतनी शक्ति है कि जो स्वप्न मैं ने देखा है, उसे फल समेत मुझे बताए?

26. রাজা বেল্টশৎসর নামে আখ্যাত দানিয়েলকে জিজ্ঞাসা করিলেন, আমি যে স্বপ্ন দেখিয়াছি, সেই স্বপ্ন ও তাহার তাৎপর্য্য তুমি কি আমাকে জানাইতে পার?

27. दानिरयेल ने राजा का उत्तर दिया, जो भेद राजा पूछता है, वह न तो पण्डित न तन्त्री, न ज्योतिषी, न दूसरे भावी बतानेवाले राजा को बता सकते हैं,

27. দানিয়েল রাজার সাক্ষাতে উত্তর করিয়া কহিলেন, মহারাজ যে নিগূঢ় কথা জিজ্ঞাসা করিয়াছেন, তাহা বিদ্বান্‌ কি গণক কি মন্ত্রবেত্তা কি জ্যোতির্ব্বেত্তারা মহারাজকে জানাইতে পারে না;

29. हे राजा, जब तुझ को पलंग पर यह विचार हुआ कि भविष्य में क्या क्या होनेवाला है, तब भेदों को खोलनेवाले ने तुझ को बताया, कि क्या क्या होनेवाला है।
प्रकाशितवाक्य 1:19, प्रकाशितवाक्य 4:1

29. হে মহারাজ, শয্যার উপরে আপনার মনে এই চিন্তা উৎপন্ন হইয়াছিল যে, ইহার পরে কি হইবে; আর যিনি নিগূঢ় বিষয় প্রকাশ করেন, তিনি আপনাকে ভাবী ঘটনা জানাইয়াছেন।

30. मुझ पर यह भेद इस कारण नहीं खोला गया कि मैं और सब प्राणियों से अधिक बुद्धिमान हूं, परन्तु केवल इसी कारण खोला गया है कि स्वपन का फल राजा को बताया जाए, और तू अपने मन के विचार समझ सके।।

30. পরন্তু আমার সম্বন্ধে ইহা বক্তব্য, অন্য কোন জীবিত লোক অপেক্ষা আমার অধিক জ্ঞান আছে বলিয়া যে আমার কাছে এই নিগূঢ় বিষয় প্রকাশিত হইল তাহা নয়, কিন্তু অভিপ্রায় এই, যেন মহারাজকে তাৎপর্য্য জ্ঞাত করা যায়, আর আপনি যেন আপনার মনের চিন্তা বুঝিতে পারেন।

31. हे राजा, जब तू देख रहा था, तब एक बड़ी मूर्त्ति देख पड़ी, और वह मूर्त्ति जो तेरे साम्हने खड़ी थी, सो लम्बी चौड़ी थी; उसकी चमक अनुपम थी, और उसका रूप भयंकर था।

31. হে মহারাজ, আপনি দৃষ্টিপাত করিয়াছিলেন, আর দেখুন, এক প্রকাণ্ড প্রতিমা; সেই প্রতিমা বৃহৎ এবং অতিশয় তেজোবিশিষ্ট; তাহা আপনার সম্মুখে দাঁড়াইয়াছিল; আর তাহার দৃশ্য ভয়ঙ্কর।

32. उस मूर्त्ति का सिर तो चोखे सोने का था, उसकी छाती और भुजाएं चान्दी की, उसका पेट और जांघे पीतल की,

32. সেই প্রতিমার বৃত্তান্ত এই; তাহার মস্তক সুবর্ণময়, তাহার বক্ষঃ ও বাহু রৌপ্যময়, তাহার উদর ও ঊরুদেশ পিত্তলময়;

33. उसकी टांगे लोहे की और उसके पांव कुछ तो लोहे के और कुछ मिट्टी के थे।

33. তাহার জঙ্ঘা লৌহময়, এবং তাহার চরণ কিছু লৌহময় ও কিছু মৃত্তিকাময় ছিল।

34. फिर देखते देखते, तू ने क्या देखा, कि एक पत्थर ने, बिना किसी के खोदे, आप ही आप उखड़कर उस मूर्त्ति के पांवों पर लगकर जो लोहे और मिट्टी के थे, उनको चूर चूर कर डाला।
प्रेरितों के काम 4:11, 1 पतरस 2:4-7, मत्ती 21:44, लूका 20:18

34. আপনি দৃষ্টিপাত করিতে থাকিলেন, শেষে বিনা হস্তে খনিত এক প্রস্তর সেই প্রতিমার লৌহ ও মৃণ্ময় দুই চরণে আঘাত করিয়া সেইগুলি চূর্ণ করিল।

35. तब लोहा, मिट्टी, पीतल, चान्दी और सोना भी सब चूर चूर हो गए, और धूपकाल में खलिहानों के भूसे की नाईं हवा से ऐसे उड़ गए कि उनका कहीं पता न रहा; और वह पत्थर जो मूर्त्ति पर लगा था, वह बड़ा पहाड़ बनकर सारी पृथ्वी में फैल गया।।
प्रकाशितवाक्य 20:11, प्रेरितों के काम 4:11, 1 पतरस 2:4-7, मत्ती 21:44, लूका 20:18

35. তখন সেই লৌহ, মৃত্তিকা, পিত্তল, রৌপ্য ও সুবর্ণ একসঙ্গে চূর্ণ হইয়া গ্রীষ্মকালীন খামারের তুষের ন্যায় হইল, আর বায়ু সে সকল উড়াইয়া লইয়া গেল, তাহাদের জন্য আর কোথাও স্থান পাওয়া গেল না। আর যে প্রস্তরখানি ঐ প্রতিমাকে আঘাত করিয়াছিল, তাহা বাড়িয়া মহাপর্ব্বত হইয়া উঠিল, এবং সমস্ত পৃথিবী পূর্ণ করিল।

36. स्वपन तो यों ही हुआ; और अब हम उसका फल राजा को समझा देते हैं।

36. স্বপ্নটী এই; এখন আমরা মহারাজের সাক্ষাতে ইহার তাৎপর্য্য জ্ঞাত করি।

37. हे राजा, तू तो महाराजाधिरा है, क्योंकि स्वर्ग के परमेश्वर ने तुझ को राज्य, सामर्थ, शक्ति और महिमा दी है,

37. হে মহারাজ, আপনি রাজাধিরাজ, স্বর্গের ঈশ্বর আপনাকে রাজ্য, ক্ষমতা, পরাক্রম ও মহিমা দিয়াছেন।

38. और जहां कहीं मनुष्य पाए जाते हैं, वहां उस ने उन सभों को, और मैदान के जीवजन्तु, और आकाश के पक्षी भी तेरे वश में कर दिए हैं; और तुझ को उन सब का अधिकारी ठहराया है। यह सोने का सिर तू ही है।

38. আর যে কোন স্থানে মনুষ্য-সন্তানগণ বাস করে, সেই স্থানে তিনি মাঠের পশু ও আকাশের পক্ষিগণকে আপনার হস্তে সমর্পণ করিয়াছেন, এবং তাহাদের সকলের উপরে আপনাকে কর্ত্তৃত্ব দিয়াছেন; আপনিই সেই স্বর্ণময় মস্তক।

39. तेरे बाद एक राज्य और उदय होगा जो तुझ से छोटा होगा; फिर एक और तीसरा पीतल का सा राज्य होगा जिस में सारी पृथ्वी आ जाएगी।

39. আপনার পশ্চাতে আপনা হইতে ক্ষুদ্র আর এক রাজ্য উঠিবে; তাহার পরে পিত্তলময় তৃতীয় এক রাজ্য উঠিবে, তাহা সমস্ত পৃথিবীর উপরে কর্ত্তৃত্ব করিবে।

40. और चौथा राज्य लोहे के तुल्य मजबूत होगा; लोहे से तो सब वस्तुएं चूर चूर हो जाती और पिस जाती हैं; इसलिये जिस भांति लोहे से वे सब कुचली जाती हैं, उसी भांति, उस चौथे राज्य से सब कुछ चूर चूर होकर पिस जाएगा।

40. আর চতুর্থ রাজ্য লৌহবৎ দৃঢ় হইবে; কারণ লৌহ যেমন সমস্ত দ্রব্য চূর্ণ করে ও পাড়িয়া ফেলে, লৌহ যেমন এই সকল চূর্ণ করে, তদ্রূপ সেই রাজ্য সকলই ভাঙ্গিয়া চূর্ণ করিবে।

41. और तू ने जो मूर्त्ति के पांवों और उनकी उंगलियों को देखा, जो कुछ कुम्हार की मिट्टी की और कुछ लोहे की थीं, इस से वह चौथा राज्य बटा हुआ होगा; तौभी उस में लोहे का सा कड़ापन रहेगा, जैसे कि तू ने कुम्हार की मिट्टी के संग लोहा भी मिला हुआ देखा था।

41. আর আপনি দেখিয়াছেন, দুই চরণ ও চরণের অঙ্গুলি সকল কিছু কুম্ভকারের মৃত্তিকার ও কিছু লৌহের, ইহাতে বিভক্ত রাজ্য বুঝায়; কিন্তু সেই রাজ্যে লৌহের দৃঢ়তা থাকিবে, কেননা আপনি কর্দ্দমে মিশ্রিত লৌহ দেখিয়াছেন।

42. और जैसे पांवों की उंगलियां कुछ तो लोहे की और कुछ मिट्टी की थीं, इसका अर्थ यह है, कि वह राज्य कुछ तो दृढ़ और कुछ निर्बल होगा।

42. আর চরণের অঙ্গুলি সকল যেরূপ কিছু লৌহময় ও কিছু মৃণ্ময় ছিল, তদ্রূপ রাজ্যের একাংশ দৃঢ় ও একাংশ ভঙ্গুর হইবে।

43. और तू ने जो लोहे को कुम्हार की मिट्टी के संग मिला हुआ देखा, इसका अर्थ यह है, कि उस राज्य के लोग एक दूसरे मनुष्यों से मिले जुले तो रहेंगे, परन्तु जैसे लोहा मिट्टी के साथ मेल नहीं खाता, वैसे ही वे भी एक न बने रहेंगे।

43. আর আপনি যেমন দেখিয়াছেন, লৌহ কর্দ্দমে মিশ্রিত হইয়াছে, তদ্রূপ সেই লোকেরা মনুষ্যের বীর্য্যে পরস্পর মিশ্রিত হইবে; কিন্তু যেমন লৌহ মৃত্তিকার সহিত মিশ্রিত হয় না, তদ্রূপ তাহারা পরস্পর মিশ্রিত থাকিবে না।

44. और उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्वर, एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन वह उन सब राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा;
1 कुरिन्थियों 15:24, प्रकाशितवाक्य 11:15, मत्ती 21:44

44. আর সেই রাজগণের সময়ে স্বর্গের ঈশ্বর এক রাজ্য স্থাপন করিবেন, তাহা কখনও বিনষ্ট হইবে না, এবং সেই রাজত্ব অন্য জাতির হস্তে সমর্পিত হইবে না; তাহা ঐ সকল রাজ্য চূর্ণ ও বিনষ্ট করিয়া আপনি চিরস্থায়ী হইবে।

45. जैसा तू ने देखा कि एक पत्थर किसी के हाथ के बिन खोदे पहाड़ में से उखड़ा, और उस ने लोहे, पीतर, मिट्टी, चान्दी, और सोने को चूर चूर किया, इसी रीति महान् परमेश्वर ने राजा को जताया है कि इसके बाद क्या क्या होनेवाला है। न स्वप्न में और न उसके फल में कुछ सन्देह है।।
मत्ती 24:6, प्रकाशितवाक्य 1:1, प्रकाशितवाक्य 1:19, प्रकाशितवाक्य 4:1, प्रकाशितवाक्य 22:6, मत्ती 21:44

45. কারণ আপনি ত দেখিয়াছেন, পর্ব্বত হইতে একখানি প্রস্তর বিনা হস্তে খনিত হইল, এবং ঐ লৌহ, পিত্তল, মৃত্তিকা, রৌপ্য ও সুবর্ণকে চূর্ণ করিল; মহান্‌ ঈশ্বর মহারাজকে ভাবী ঘটনা জানাইয়াছেন; স্বপ্নটী নিশ্চিত ও তাহার তাৎপর্য্য সত্য।

46. इतना सुनकर नबूकदनेस्सर राजा ने मुंह के बल गिरकर दानिरयेल को दण्डवत् की, और आज्ञा दी कि उसको भेंट चढ़ाओ, और उसके साम्हने सुगन्ध वस्तु जलाओ।

46. তখন রাজা নবূখদ্‌নিৎসর উপুড় হইয়া দানিয়েলকে প্রণাম করিলেন, এবং তাঁহার উদ্দেশে নৈবেদ্য ও সুগন্ধি দ্রব্য উৎসর্গ করিতে আজ্ঞা দিলেন।

47. फिर राजा ने दानिरयेल से कहा, सच तो यह है कि तुम लोगों का परमेश्वर, सब ईश्वरों का ईश्वर, राजाओं का राजा और भेदों का खोलनेवाला है, इसलिये तू यह भेद प्रगट कर पाया।
1 कुरिन्थियों 14:25, प्रकाशितवाक्य 17:14, प्रकाशितवाक्य 19:16

47. রাজা দানিয়েলকে কহিলেন, সত্যই তোমাদের ঈশ্বর দেবগণের ঈশ্বর, রাজাদের প্রভু ও নিগূঢ়তত্ত্বপ্রকাশক, কেননা তুমি এই নিগূঢ়তত্ত্বের বিষয় প্রকাশ করিতে সমর্থ হইয়াছ।

48. तब राजा ने दानिरयेल का पद बड़ा किया, और उसको बहुत से बड़े बड़े दान दिए; और यह आज्ञा दी कि वह बाबुल के सारे प्रान्त पर हाकिम और बाबुल के सब पण्डितों पर मुख्य प्रधान बने।

48. তখন রাজা দানিয়েলকে মহান্‌ করিলেন, তাঁহাকে অনেক বহুমূল্য উপহার দিলেন, এবং তাঁহাকে বাবিলের সমস্ত প্রদেশের কর্ত্তা ও বাবিলস্থ সমুদয় বিদ্বান্‌ লোকের প্রধান অধিপতি করিয়া নিযুক্ত করিলেন।

49. तब दानिरयेल के बिनती करने से राजा ने शद्रक, मेशक, और अबेदनगो को बाबुल के प्रान्त के कार्य के ऊपर नियुक्त कर दिया; परन्तु दानिरयेल आप ही राजा के दरबार में रहा करता था।।

49. পরে দানিয়েল রাজার নিকটে নিবেদন করিলে রাজা শদ্রক, মৈশক, ও অবেদ-নগোকে বাবিল প্রদেশের রাজকার্য্যে নিযুক্ত করিলেন; কিন্তু দানিয়েল রাজদ্বারে থাকিতেন।



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