Ezekiel - यहेजकेल 47 | View All

1. फिर वह मुझे भवन के द्वार पर लौटा ले गया; और भवन की डेवढ़ी के नीचे से एक सोता निकलकर पूर्व ओर बह रहा था। भवन का द्वार तो पूर्वमुखी था, और सोता भवन के पूर्व और वेदी के दक्खिन, नीचे से निकलता था।
प्रकाशितवाक्य 22:1

1. পরে তিনি আমাকে ঘুরাইয়া গৃহের প্রবেশস্থানে আনিলেন, আর দেখ, গৃহের গোবরাটের নীচে হইতে জল বাহির হইয়া পূর্ব্বদিকে বহিতেছে, কেননা গৃহের সম্মুখভাগ পূর্ব্বদিকে ছিল; আর সেই জল নীচে হইতে গৃহের দক্ষিণ বগল দিয়া যজ্ঞবেদির দক্ষিণে নামিয়া যাইতে ছিল।

2. तब वह मुझे उत्तर के फाटक से होकर बाहर ले गया, और बाहर बाहर से घुमाकर बाहरी अर्थात् पूर्वमुखी फाटक के पास पहुंचा दिया; और दक्खिनी अलंग से जल पसीजकर वह रहा था।

2. পরে তিনি আমাকে উত্তরদ্বারের পথ দিয়া বাহির করিলেন, এবং ঘুরাইয়া বাহিরের পথ দিয়া, পূর্ব্বাভিমুখ পথ দিয়া, বহির্দ্বার পর্য্যন্ত লইয়া গেলেন; আর দেখ, দক্ষিণ বগল দিয়া জল চোঁয়াইয়া পড়িতেছিল।

3. जब वह पुरूष हाथ में मापने की डोरी लिए हुए पूर्व ओर निकला, तब उस ने भवन से लेकर, हजार हाथ तक उस सोते को मापा, और मुझे जल में से चलाया, और जल टखनों तक था।

3. সে ব্যক্তি যখন পূর্ব্বদিকে গিয়াছিলেন, তখন তাঁহার হস্তে এক মানসূত্র ছিল; তিনি এক সহস্র হস্ত মাপিয়া আমাকে জলের মধ্য দিয়া গমন করাইলেন; তখন গোড়ালি পর্য্যন্ত জল উঠিল।

4. उस ने फिर हजार हाथ मापकर मुझे जल में से चलाया, और जल घुटनों तक था, फिर ओर हजार हाथ मापकर मुझे जल में से चलाया, और जल कमर तक था।

4. আবার তিনি এক সহস্র হস্ত মাপিয়া আমাকে জলের মধ্য দিয়া গমন করাইলেন, তখন হাঁটু পর্য্যন্ত জল উঠিল। আবার তিনি এক সহস্র হস্ত মাপিয়া আমাকে জলের মধ্য দিয়া গমন করাইলেন; তখন কটি পর্য্যন্ত জল উঠিল।

5. तब फिर उस ने एक हजार हाथ मापे, और ऐसी नदी हो गई जिसके पार मैं न जा सका, क्योंकि जल बढ़कर तैरने के योग्य था; अर्थात् ऐसी नदी थी जिसके पार कोई न जा सकता था।

5. আবার তিনি এক সহস্র হস্ত মাপিলেন; তাহা আমার অগম্য নদী হইল; কারণ জল বাড়িয়া উঠিয়াছিল, সাঁতার জল, পদব্রজে পার হওয়া যায় না, এমন নদী হইয়াছিল।

6. तब उस ने मुझ से पूछा, हे मनुष्य के सन्तान, क्या तू ने यह देखा है? फिर उस ने मुझे नदी के तीर लौटाकर पहुंचा दिया।

6. তখন তিনি আমাকে কহিলেন, হে মনুষ্য-সন্তান, তুমি দেখিলে? পরে তিনি আমাকে পুনরায় ঐ নদীর তীরে লইয়া গেলেন।

7. लौटकर मैं ने क्या देखा, कि नदी के दोनों तीरों पर बहुत से वृक्ष हैं।
प्रकाशितवाक्य 22:2

7. আর আমি যখন ফিরিয়া গেলাম, তখন দেখ, সেই নদীর তীরে এপারে ওপারে অনেক বৃক্ষ ছিল।

8. तब उस ने मुझ से कहा, यह सोता पूव देश की ओर बह रहा है, और अराबा में उतरकर ताल की ओर बहेगा; और यह भवन से निकला हुआ सीधा ताल में मिल जाएगा; और उसका जल मीठा हो जाएगा।

8. তখন তিনি আমাকে কহিলেন, এই জল পূর্ব্বদিক্‌স্থ অঞ্চলে বহিতেছে, অরাবা তলভূমিতে নামিয়া যাইবে, এবং সমুদ্রের দিকে যাইবে; যে জল বাহির করা হইয়াছে তাহা সমুদ্রে যাইবে ও ইহার জল উত্তম হইবে।

9. और जहां जहां यह नदी बहे, वहां वहां सब प्रकार के बहुत अण्डे देनेवाले जीवजन्तु जीएंगे और मछलियां भी बहुत हो जाएंगी; क्योंकि इस सोते का जल वहां पहुंचा है, और ताल का जल मीठा हो जाएगा; और जहा कहीं यह नदी पहुंचेगी वहां सब जन्तु जीएंगे।

9. আর এই স্রোতের জল যে কোন স্থানে বহিবে সে স্থানের অগণনীয় জীবজন্তু বাঁচিবে; আর যার-পর-নাই প্রচুর মৎস্য হইবে; কেননা এই জল সেখানে গিয়াছে বলিয়া সেখানকার [জল] উত্তম হইবে; এবং এই স্রোত যে কোন স্থান দিয়া বহিবে, সেই স্থানের সকলই সঞ্জীবিত হইবে।

10. ताल के तीर पर मछवे खड़े रहेंगे, और एनगदी से लेकर ऐनेग्लैम तक वे जाल फैलाए जाएंगे, और उन्हें महासागर की सी भांति भांति की अनगिनित मछलियां मिलेंगी।

10. আর তাহার তীরে ধীবরগণ দাঁড়াইবে, ঐন্‌গদী অবধি ঐন্‌-ইগ্লয়িম পর্য্যন্ত জাল বিস্তার করিবার স্থান হইবে; মহাসমুদ্রের মৎস্যের ন্যায় নানাজাতীয় মৎস্য জন্মিয়া যার-পর-নাই প্রচুর হইবে।

11. परन्तु ताल के पास जो दलदल ओर गड़हे हैं, उनका जल मीठा न होगा; वे खारे ही रहेंगे।

11. কিন্তু তাহার পঙ্কস্থান ও জলাভূমির প্রতীকার হইবে না; তাহা লবণার্থে নিরূপিত।

12. और नदी के दोनों तीरों पर भांति भांति के खाने योग्य फलदाई पृक्ष उपजेंगे, जिनके पत्ते न मुर्झाएंगे और उनका फलना भी कभी बन्द न होगा, क्योंकि नदी का जल पवित्रा स्थान से तिकला है। उन में महीने महीने, नये नये फल लगेंगे। उनके फल तो खाने के, ओर पत्ते औषधि के काम आएंगे।
प्रकाशितवाक्य 22:2-14-19

12. আর নদীর ধারে এপারে ওপারে সর্ব্বপ্রকার ভোজনার্থ ফলের বৃক্ষ হইবে, তাহার পত্র ম্লান হইবে না, ও ফল শেষ হইবে না; প্রতিমাসে তাহার ফল পাকিবে, কেননা তাহার সেচনের জল ধর্ম্মধাম হইতে নির্গত; আর তাহার ফল আহারের জন্য ও পুত্র আরোগ্যের নিমিত্ত ব্যবহৃত হইবে।

13. परमेश्वर यहोवा यों कहता है, जिस सिवाने के भीतर तुम को यह देश अपने बारहों गोत्रों के अनुसार बांटना पड़ेगा, वह यह हैे यूसुफ को दो भाग मिलें।

13. প্রভু সদাপ্রভু এই কথা কহেন, তোমরা ইস্রায়েলের দ্বাদশ বংশকে যে দেশ অধিকার জন্য দিবে, তাহার সীমা এই; যোষেফের দুই অংশ হইবে।

14. और उसे तुम एक दूसरे के समान निज भाग में पाओगे, क्योंकि मैं ने शपथ खाई कि उसे तुम्हारे पितरों को दूंगा, सो यह देश तुम्हारा निज भाग ठहरेगा।

14. আর তোমরা সকলে সমানাংশে অধিকার বলিয়া তাহা পাইবে, কারণ আমি তোমাদের পিতৃপুরুষদিগকে এই দেশ দিব বলিয়া হস্ত উত্তোলন করিয়াছিলাম; এই দেশ অধিকার বলিয়া তোমাদের হইবে।

15. देश का सिवाना यह हो, अर्थात् उत्तर ओर का सिवाना महासागर से लेकर हेतलोन के पास से सदाद की घाटी तक पहुंचे,

15. আর দেশের সীমা এই; উত্তরদিকে মহাসমুদ্র হইতে সদাদের প্রবেশস্থান পর্য্যন্ত হিৎলোনের পথ;

16. और उस सिवाने के पास हमात बेरोता, और सिब्रैम जो दमिश्क ओर हमात के सिवानों के बीच में है, और हसर्हत्तीकोन तक, जो हौरान के सिवाने पर है।

16. হমাৎ, বরোথা, সিব্রয়িম, যাহা দম্মেশকের সীমার ও হমাতের সীমার মধ্যস্থিত; হৌরণের সীমার নিকটস্থ হৎসর-হত্তীকোন।

17. और यह सिवाना समुद्र से लेकर दमिश्क के सिवाने के पास के हसरेनोन तक महुंचे, और उसकी उत्तर ओर हमात हो। उत्तर का सिवाना यही हो।

17. আর সমুদ্র হইতে সীমা দম্মেশকের সীমাস্থ হৎসোর ঐনন পর্য্যন্ত যাইবে, আর উত্তরদিকে হমাতের সীমা; এই উত্তরপ্রান্ত।

18. और पूव सिवाना जिसकी एक ओर हौरान दमिश्क; और यरदन की ओर गिलाद और इस्राएल का देश हो; उत्तरी सिवाने से लेकर पूव ताल तक उसे मापना। पूव सिवाना तो यही हो।

18. আর পূর্ব্বপ্রান্ত হৌরণ, দম্মেশক ও গিলিয়দের এবং ইস্রায়েল-দেশের মধ্যবর্ত্তী যর্দ্দন; তোমরা [উত্তর] সীমা অবধি পূর্ব্ব সমুদ্র পর্য্যন্ত মাপিবে; এই পূর্ব্বপ্রান্ত।

19. और दक्खिनी सिवाना तामार से लेकर कादेश के मरीबोत नाम सोते तक अर्थात् मिस्र के नाले तक, और महासागर तक महुंचे। दक्खिनी सिवाना यही हो।

19. আর দক্ষিণপ্রান্ত দক্ষিণে তামর অবধি কাদেশস্থ মরীবৎ জলাশয় [মিসরের] স্রোতোমার্গ ও মহাসমুদ্র পর্য্যন্ত; দক্ষিণদিকের এই দক্ষিণপ্রান্ত।

20. और पश्चिमीसिवाना दक्खिनी सिवाने से लेकर हमात की घाटी के साम्हने तक का महासागर हो। पच्छिमी सिवाना यही हो।

20. আর পশ্চিমপ্রান্ত মহাসমুদ্র; [দক্ষিণ] সীমা অবধি হমাতের প্রবেশস্থানের সম্মুখ পর্য্যন্ত এই পশ্চিমপ্রান্ত।

21. इस प्रकार देश को इस्राएल के गोत्रों के अनुसार आपस में बांट लेना।

21. এইরূপে তোমরা ইস্রায়েলের বংশানুসারে আপনাদের মধ্যে এই দেশ বিভাগ করিবে।

22. और इसको आपस में और उन परदेशियों के साथ बांट लेना, जो तुम्हारे बीच रहते हुए बालकों को जन्माएं। वे तुम्हारी दृष्टि में देशी इस्राएलियों की नाई ठहरें, और तुम्हारे गोत्रों के बीच अपना अपना भाग पाएं।

22. তোমরা আপনাদের নিমিত্ত, এবং যে বিদেশী লোকেরা তোমাদের মধ্যে প্রবাস করিয়া তোমাদের মধ্যে সন্তান উৎপন্ন করে, তাহাদেরও নিমিত্ত তাহা অধিকারার্থে গুলিবাঁট দ্বারা বিভাগ করিবে; এবং ইহারা ইস্রায়েল-সন্তানদের মধ্যে স্বজাতীয় লোকদের ন্যায় গণিত হইবে, তোমাদের সহিত ইস্রায়েল-বংশ সকলের মধ্যে অধিকার পাইবে।

23. जो परदेशी जिस गोत्रा के देश में रहता हो, उसको वहीं भाग देना, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।

23. তোমাদের যে বংশের মধ্যে যে বিদেশী লোক প্রবাস করিবে, তাহার মধ্যে তোমরা তাহাকে অধিকার দিবে, ইহা প্রভু সদাপ্রভু বলেন।



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