15. क्योंकि जो महान और उत्तम और सदैव स्थिर रहता, और जिसका नाम पवित्रा है, वह यों कहता है, मैं ऊंचे पर और पवित्रा स्थान में निवास करता हूं, और उसके संग भी रहता हूं, जो खेदित और नम्र हैं, कि, नम्र लोगों के हृदय और खेदित लोगों के मन को हर्षित करूं।
15. For thus sayth he that is hie and excellent, he that inhabiteth the eternitie, whose Name is the Holy one, I dwell in the high and holy place: with him also that is of a contrite and humble spirite to reuiue the spirite of the humble, and to giue life to them that are of a contrite heart.