2. क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो ऐसा ही करता, और वह आदमी जो इस पर स्थिर रहता है, जो विश्रापदिन को पवित्रा मानता और अपवित्रा करने से बचा रहता है, और अपने हाथ को सब भांति की बुराई करने से रोकता है।
2. Blessed, happy, and fortunate is the man who does this, and the son of man who lays hold of it and binds himself fast to it, who keeps sacred the Sabbath so as not to profane it, and keeps his hand from doing any evil.