15. तब मैं ने आनन्द को सराहा, क्योंकि सूर्य के नीचे मनुष्य के लिये खाने- पीने और आनन्द करने को छोड़ और कुछ भी अच्छा नहीं, क्योंकि यही उसके जीवन भर जो परमेश्वर उसके लिये धरती पर ठहराए, उसके परिश्रम में उसके संग बना रहेगा।।
15. Therfore I commende gladnesse, because a man hath no better thing vnder the sunne, then to eate and drinke, and to be merie: for that shall he haue of his labour, al the dayes of his life which God geueth hym vnder the sunne.