2. किसी मनुष्य को परमेश्वर धन सम्पत्ति और प्रतिष्ठा यहां तक देता है कि जो कुछ उसका मन चाहता है उसे उसकी कुछ भी घटी नहीं होती, तौभी परमशॆवर उसको उस में से खाने नहीं देता, कोई दूसरा की उसे खाता है; यह व्यर्थ और भयानक दु:ख है।
2. ঈশ্বর কোন ব্যক্তিকে এত ধন, সম্পত্তি ও গৌরব দেন যে, অভীষ্ট বস্তু সকলের মধ্যে তাহার প্রাণের জন্য কিছুই অনটন থাকে না, তথাচ ঈশ্বর তাহা ভোগ করিবার ক্ষমতা তাহাকে দেন না, কিন্তু অপর লোক তাহা ভোগ করে; ইহা অসার ও অনিষ্টকর ব্যাধি।