3. मैं ने मन में सोचा कि किस प्रकार से मेरी बुद्धि बनी रहे और मैं अपने प्राण को दाखमधु पीने से क्योंकर बहलाऊं और क्योंकर मूर्खता को थामे रहूं, जब तक मालूम न करूं कि वह अच्छा काम कौन सा है जिसे मनुष्य जीवन भर करता रहे।
3. I made a search with my heart to give pleasure to my flesh with wine, still guiding my heart with wisdom, and to go after foolish things, so that I might see what was good for the sons of men to do under the heavens all the days of their life.