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1. याके के पुत्रा आगूर के प्रभावशाली वचन।। उस पुरूष ने ईतीएल और उक्काल से यह कहा,
1. যাকির পুত্র আগূরের কথা; ভারবাণী। ঈথীয়েলের প্রতি, ঈথীয়েল ও উকলের প্রতি সেই ব্যক্তির উক্তি।
2. निश्चय मैं पशु सरीखा हूं, वरन मनुष्य कहलाने के योग्य भी नहीं; और मनुष्य की समझ मुझ में नहीं है।
2. সত্য, আমি মনুষ্য অপেক্ষা পশুবৎ, মনুষ্যের বিবেচনা আমার নাই।
3. न मैं ने बुद्धि प्राप्त की है, और न परमपवित्रा का ज्ञान मुझे मिला है।
3. আমি প্রজ্ঞা শিক্ষা করি নাই, পবিত্রতমের জ্ঞান আমার নাই।
4. कौन स्वर्ग में चढ़कर फिर उतर अया? किस ने वायु को अपनी मुट्ठी में बटोर रखा है? किस ने महासागर को अपने वस्त्रा में बान्ध लिया है? किस ने पृथ्वी के सिवनों को ठहराया है? उसका नाम क्या है? और उसके पुत्रा का नाम क्या है? यदि तू जानता हो तो बता!मत्ती 11:27, यूहन्ना 3:13
4. কে স্বর্গারোহণ করিয়া নামিয়া আসিয়াছেন? কে আপন মুষ্টিদ্বয়ের বায়ু গ্রহণ করিয়াছেন? কে আপন বস্ত্রে জলরাশি বাঁধিয়াছেন? কে পৃথিবীর সমস্ত প্রান্ত স্থাপন করিয়াছেন? তাঁহার নাম কি? তাঁহার পুত্রের নাম কি? যদি জান, বল।
5. ईश्वर का एक एक वचन ताया हुआ है; वह अपने शरणागतों की ढाल ठहरा है।
5. ঈশ্বরের প্রত্যেক বাক্য পরীক্ষাসিদ্ধ; তিনি আপনার শরণাপন্ন লোকদের ঢালস্বরূপ।
6. उसके वचनों में कुछ मत बढ़ा, ऐसा न हो कि वह तुझे डांटे और तू झूठा ठहरे।।
6. তাঁহার বাক্যকলাপে কিছু যোগ করিও না; পাছে তিনি তোমার দোষ ব্যক্ত করেন, আর তুমি মিথ্যাবাদী প্রতিপন্ন হও।
7. मैं ने तुझ से दो वर मांगे हैं, इसलिये मेरे मरने से पहिले उन्हें मुझे देने से मुंह न मोड़:
7. আমি তোমার কাছে দুই বর ভিক্ষা করিয়াছি, আমার জীবন থাকিতে তাহা অস্বীকার করিও না;
8. अर्थात व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख; मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर।1 तीमुथियुस 6:8
8. অলীকতা ও মিথ্যাকথা আমা হইতে দূর কর; দরিদ্রতা বা ঐশ্বর্য্য আমাকে দিও না, আমার নিরূপিত খাদ্য আমাকে ভোজন করাও;
9. ऐसा न हो, कि जब मेरा पेट भर जाए, तब मैं इन्कार करके कहूं कि यहोवा कौन है? वा अपना भाग खोकर चोरी करूं, और अपने परमेश्वर का नाम अनुचित रीति से लूं।
9. পাছে অতি তৃপ্ত হইলে আমি তোমাকে অস্বীকার করিয়া বলি, সদাপ্রভু কে? কিম্বা পাছে দরিদ্র হইলে চুরি করিয়া বসি, ও আমার ঈশ্বরের নাম অপব্যবহার করি।
10. किसी दास की, उसके स्वामी से चुगली न करना, ऐसा न हो कि वह तुझे शाप दे, और तू दोषी ठहराया जाए।।
10. কর্ত্তার কাছে দাসের দুর্নাম করিও না, পাছে সে তোমাকে শাপ দেয়, ও তুমি অপরাধী হও।
11. ऐसे लोग हैं, जो अपने पिता को शाप देते और अपनी माता को धन्य नहीं कहते।
11. এক বংশ আছে, তাহারা পিতাকে শাপ দেয়, আর মাতাকে মঙ্গলবাদ করে না।
12. ऐसे लोग हैं जो अपनी दृष्टि में शुद्ध हैं, तौभी उनका मैल धोया नहीं गया।
12. এক বংশ আছে, তাহারা আপনাদের দৃষ্টিতে শুচি, তবু আপনাদের মালিন্য হইতে ধৌত হয় নাই।
13. एक पीढ़ी के लोग ऐसे हैं उनकी दृष्टि क्या ही घमण्ड से भरी रहती है, और उनकी आंखें कैसी चढ़ी हुई रहती हैं।
13. এক বংশ আছে, তাহাদের দৃষ্টি কেমন উচ্চ! তাহাদের চক্ষুর পাতা উন্নত।
14. एक पीढ़ी के लोग ऐसे हैं, जिनके दांत तलवार और उनकी दाढ़ें छुरियां हैं, जिन से वे दीन लोगों को पृथ्वी पर से, और दरिद्रों को मनुष्यों में से मिटा डालें।।
14. এক বংশ আছে, তাহাদের দন্ত খড়্গ ও কসের দন্ত ছুরিকা, যেন দেশ হইতে দুঃখীদিগকে, মনুষ্যদের মধ্য হইতে দরিদ্রদিগকে গ্রাস করে।
15. जैसे जोंक की दो बेछियां होती हैं, जो कहती हैं दे, दे, वैसे ही तीन वस्तुएं हैं, जो तृप्त नहीं होतीं; वरन चार हैं, जो कभी नहीं कहतीं, बस।
15. জোঁকের দুই কন্যা আছে, ‘দেহি,’ ‘দেহি’। তিনটা কখনও তৃপ্ত হয় না, চারিটা কখনও বলে না, যথেষ্ট হইল;
16. अधोलोक और बांझ की कोख, भूमि जो जल पी पीकर तृप्त नहीं होती, और आग जो कभी नहीं कहती, बस।।
16. পাতাল ও বন্ধ্যার জঠর, ভূমি, যাহা জলে তৃপ্ত হয় না, অগ্নি, যাহা বলে না, যথেষ্ট হইল।
17. जिस आंख से कोई अपने पिता पर अनादर की दृष्टि करे, और अपमान के साथ अपनी माता की आज्ञा न माने, उस आंख को तराई के कौवे खोद खोदकर निकालेंगे, और उकाब के बच्चे खा डालेंगे।।
17. যে চক্ষু আপন পিতাকে পরিহাস করে, নিজ মাতার আজ্ঞা মানিতে অবহেলা করে, উপত্যকার কাকেরা তাহা তুলিয়া লইবে, ঈগল পক্ষীর শাবকগণ তাহা খাইয়া ফেলিবে।
18. तीन बातें मेरे लिये अधिक कठिन है, वरन चार हैं, जो मेरी समझ से परे हैं:
18. তিনটা আমার জ্ঞানের অগম্য, চারিটা আমি বুঝিতে পারি না;
19. आकाश में उकाब पक्षी का मार्ग, चट्टान पर सर्प की चाल, समुद्र में जहाज की चाल, और कन्या के संग पुरूष की चाल।।
19. ঈগল পক্ষীর পথ আকাশে, সর্পের পথ শৈলের উপরে, জাহাজের পথ সমুদ্রের মধ্যস্থলে, পুরুষের পথ যুবতীতে।
20. व्यभिचारिणी की चाल भी वैसी ही है; वह भोजन करके मुंह पोंछती, और कहती है, मैं ने कोई अनर्थ काम नहीं किया।।
20. ব্যভিচারিণীর পথও তদ্রূপ; সে খাইয়া মুখ মুছে, আর বলে, আমি অধর্ম্ম করি নাই।
21. तीन बातों के कारण पृथ्वी कांपती है; वरन चार है, जो उस से सही नहीं जातीं:
21. তিনটার ভারে ভূতল কাঁপে, চারিটার ভারে কাঁপে, সহিতে পারে না;
22. दास का राजा हो जाना, मूढ़ का पेट भरना
22. দাসের ভার, যখন সে রাজত্ব প্রাপ্ত হয়, মূর্খের ভার, যখন সে ভক্ষ্যে পরিতৃপ্ত হয়,
23. घिनौनी स्त्री का ब्याहा जाना, और दासी का अपनी स्वामिन की वारिस होना।।
23. ঘৃণিতা স্ত্রীর ভার, যখন সে পত্নী-পদ প্রাপ্ত হয়, আর দাসীর ভার, যখন সে আপন কর্ত্রীর স্থান প্রাপ্ত হয়।
24. पृथ्वी पर चार छोटे जन्तु हैं, जो अत्यन्त बुद्धिमान हैं:
24. পৃথিবীতে চারিটী অতি ক্ষুদ্র, তথাপি তাহারা বড় বুদ্ধি ধরে;
25. च्यूटियां निर्बल जाति तो हैं, परन्तु धूपकाल में अपनी भोजनवस्तु बटोरती हैं;
25. পিপীলিকা শক্তিমান জাতি নয়, তবু গ্রীষ্মকালে স্ব স্ব খাদ্যের আয়োজন করে;
26. शापान बली जाति नहीं, तौभी उनकी मान्दें पहाड़ों पर होती हैं;
26. শাফন জন্তু বলবান জাতি নয়, তথাপি শৈলে ঘর বাঁধে;
27. टिडि्डयों के राजा तो नहीं होता, तौभी वे सब की सब दल बान्ध बान्धकर पयान करती हैं;
27. পঙ্গপালদিগের রাজা নাই, তথাপি তাহারা দল বাঁধিয়া যাত্রা করে;
28. और छिपकली हाथ से पकड़ी तो जाती है, तौभी राजभवनों में रहती है।।
28. টিক্টিকি হাত দিয়া চলে, তথাপি রাজার অট্টালিকায় থাকে।
29. तीन सुन्दर चलनेवाले प्राणी हैं; वरन चार हैं, जिन की चाल सुन्दर है:
29. তিনটা সুন্দররূপে গমন করে, চারিটা সুন্দররূপে চলে;
30. सिंह जो सब पशुओं में पराक्रमी हैं, और किसी के डर से नहीं हटता;
30. সিংহ, যে পশুদের মধ্যে বিক্রমী, যে কাহাকেও দেখিয়া ফিরিয়া যায় না;
31. शिकारी कुत्ता और बकरा, और अपनी सेना समेत राजा।
31. যুদ্ধের অশ্ব, আর ছাগ, এবং রাজা, যাঁহার বিরুদ্ধে কেহ উঠে না।
32. यदि तू ने अपनी बढ़ाई करने की मूढ़ता की, वा कोई बुरी युक्ति बान्धी हो, तो अपने मुंह पर हाथ धर।
32. তুমি যদি আপনার বড়াই করিয়া মূর্খের কর্ম্ম করিয়া থাক, কিম্বা যদি কুসঙ্কল্প করিয়া থাক, তবে তোমার মুখে হাত দেও।
33. क्योंकि जैसे दूध के मथने से मक्खन और नाक के मरोड़ने से लोहू निकलता है, वैसे ही क्रोध के भड़काने से झगड़ा उत्पन्न होता है।।
33. কেননা দুগ্ধ মন্থনে নবনীত বাহির হয়, নাসিকা মন্থনে রক্ত বাহির হয়, ও ক্রোধ মন্থনে বিরোধ বাহির হয়।