Proverbs - नीतिवचन 30 | View All

1. याके के पुत्रा आगूर के प्रभावशाली वचन।। उस पुरूष ने ईतीएल और उक्काल से यह कहा,

1. The words of Agur the son of Jakeh, {even} the prophecy: the man spoke to Ithiel, even to Ithiel and Ucal,

2. निश्चय मैं पशु सरीखा हूं, वरन मनुष्य कहलाने के योग्य भी नहीं; और मनुष्य की समझ मुझ में नहीं है।

2. Surely I {am} more brutish than {any} man, and have not the understanding of a man.

3. न मैं ने बुद्धि प्राप्त की है, और न परमपवित्रा का ज्ञान मुझे मिला है।

3. I neither learned wisdom, nor have the knowledge of the holy.

4. कौन स्वर्ग में चढ़कर फिर उतर अया? किस ने वायु को अपनी मुट्ठी में बटोर रखा है? किस ने महासागर को अपने वस्त्रा में बान्ध लिया है? किस ने पृथ्वी के सिवनों को ठहराया है? उसका नाम क्या है? और उसके पुत्रा का नाम क्या है? यदि तू जानता हो तो बता!
मत्ती 11:27, यूहन्ना 3:13

4. Who hath ascended into heaven, or descended? who hath gathered the wind in his fists? who hath bound the waters in a garment? who hath established all the ends of the earth? what {is} his name, and what {is} his son's name, if thou canst tell?

5. ईश्वर का एक एक वचन ताया हुआ है; वह अपने शरणागतों की ढाल ठहरा है।

5. Every word of God {is} pure: he {is} a shield to them that put their trust in him.

6. उसके वचनों में कुछ मत बढ़ा, ऐसा न हो कि वह तुझे डांटे और तू झूठा ठहरे।।

6. Add thou not to his words, lest he reprove thee, and thou be found a liar.

7. मैं ने तुझ से दो वर मांगे हैं, इसलिये मेरे मरने से पहिले उन्हें मुझे देने से मुंह न मोड़:

7. Two {things} have I required of thee; deny {them} not to me before I die:

8. अर्थात व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख; मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर।
1 तीमुथियुस 6:8

8. Remove far from me vanity and lies; give me neither poverty nor riches; feed me with food convenient for me:

9. ऐसा न हो, कि जब मेरा पेट भर जाए, तब मैं इन्कार करके कहूं कि यहोवा कौन है? वा अपना भाग खोकर चोरी करूं, और अपने परमेश्वर का नाम अनुचित रीति से लूं।

9. Lest I be full, and deny {thee}, and say, Who {is} the LORD? or lest I be poor, and steal, and take the name of my God {in vain}.

10. किसी दास की, उसके स्वामी से चुगली न करना, ऐसा न हो कि वह तुझे शाप दे, और तू दोषी ठहराया जाए।।

10. Accuse not a servant to his master, lest he curse thee, and thou be found guilty.

11. ऐसे लोग हैं, जो अपने पिता को शाप देते और अपनी माता को धन्य नहीं कहते।

11. {There is} a generation {that} curseth their father, and doth not bless their mother.

12. ऐसे लोग हैं जो अपनी दृष्टि में शुद्ध हैं, तौभी उनका मैल धोया नहीं गया।

12. {There is} a generation {that are} pure in their own eyes, and {yet} are not washed from their filthiness.

13. एक पीढ़ी के लोग ऐसे हैं उनकी दृष्टि क्या ही घमण्ड से भरी रहती है, और उनकी आंखें कैसी चढ़ी हुई रहती हैं।

13. {There is} a generation, O how lofty are their eyes! and their eyelids are lifted up.

14. एक पीढ़ी के लोग ऐसे हैं, जिनके दांत तलवार और उनकी दाढ़ें छुरियां हैं, जिन से वे दीन लोगों को पृथ्वी पर से, और दरिद्रों को मनुष्यों में से मिटा डालें।।

14. {There is} a generation, whose teeth {are as} swords, and their jaw-teeth {as} knives, to devour the poor from off the earth, and the needy from {among} men.

15. जैसे जोंक की दो बेछियां होती हैं, जो कहती हैं दे, दे, वैसे ही तीन वस्तुएं हैं, जो तृप्त नहीं होतीं; वरन चार हैं, जो कभी नहीं कहतीं, बस।

15. The horse-leech hath two daughters, {crying}, Give, give. There are three {things that} are never satisfied, {yes}, four {things} say not, {It is} enough:

16. अधोलोक और बांझ की कोख, भूमि जो जल पी पीकर तृप्त नहीं होती, और आग जो कभी नहीं कहती, बस।।

16. The grave; and the barren womb; the earth {that} is not filled with water; and the fire {that} saith not, {It is} enough.

17. जिस आंख से कोई अपने पिता पर अनादर की दृष्टि करे, और अपमान के साथ अपनी माता की आज्ञा न माने, उस आंख को तराई के कौवे खोद खोदकर निकालेंगे, और उकाब के बच्चे खा डालेंगे।।

17. The eye {that} mocketh at {its} father, and despiseth to obey {its} mother, the ravens of the valley shall pick it out, and the young eagles shall eat it.

18. तीन बातें मेरे लिये अधिक कठिन है, वरन चार हैं, जो मेरी समझ से परे हैं:

18. There are three {things which} are too wonderful for me, yes, four which I know not:

19. आकाश में उकाब पक्षी का मार्ग, चट्टान पर सर्प की चाल, समुद्र में जहाज की चाल, और कन्या के संग पुरूष की चाल।।

19. The way of an eagle in the air; the way of a serpent upon a rock; the way of a ship in the midst of the sea; and the way of a man with a maid.

20. व्यभिचारिणी की चाल भी वैसी ही है; वह भोजन करके मुंह पोंछती, और कहती है, मैं ने कोई अनर्थ काम नहीं किया।।

20. Such {is} the way of an adulterous woman; she eateth, and wipeth her mouth, and saith, I have done no wickedness.

21. तीन बातों के कारण पृथ्वी कांपती है; वरन चार है, जो उस से सही नहीं जातीं:

21. For three {things} the earth is disquieted, and for four {which} it cannot bear:

22. दास का राजा हो जाना, मूढ़ का पेट भरना

22. For a servant when he reigneth; and a fool when he is filled with food.

23. घिनौनी स्त्री का ब्याहा जाना, और दासी का अपनी स्वामिन की वारिस होना।।

23. For an odious {woman} when she is married; and a handmaid that is heir to her mistress.

24. पृथ्वी पर चार छोटे जन्तु हैं, जो अत्यन्त बुद्धिमान हैं:

24. There are four {things which are} little upon the earth, but they {are} very wise:

25. च्यूटियां निर्बल जाति तो हैं, परन्तु धूपकाल में अपनी भोजनवस्तु बटोरती हैं;

25. The ants {are} a people not strong, yet they prepare their food in the summer;

26. शापान बली जाति नहीं, तौभी उनकी मान्दें पहाड़ों पर होती हैं;

26. The conies {are but} a feeble people, yet they make their houses in the rocks;

27. टिडि्डयों के राजा तो नहीं होता, तौभी वे सब की सब दल बान्ध बान्धकर पयान करती हैं;

27. The locusts have no king, yet go they forth all of them by bands;

28. और छिपकली हाथ से पकड़ी तो जाती है, तौभी राजभवनों में रहती है।।

28. The spider taketh hold with her hands, and is in king's palaces.

29. तीन सुन्दर चलनेवाले प्राणी हैं; वरन चार हैं, जिन की चाल सुन्दर है:

29. There are three {things} which go well, yes, four are comely in going:

30. सिंह जो सब पशुओं में पराक्रमी हैं, और किसी के डर से नहीं हटता;

30. A lion, {which is} strongest among beasts, and turneth not away for any;

31. शिकारी कुत्ता और बकरा, और अपनी सेना समेत राजा।

31. A greyhound; a he-goat also; and a king, against whom {there is} no rising up.

32. यदि तू ने अपनी बढ़ाई करने की मूढ़ता की, वा कोई बुरी युक्ति बान्धी हो, तो अपने मुंह पर हाथ धर।

32. If thou hast done foolishly in lifting up thyself, or if thou hast thought evil, {lay} thy hand upon thy mouth.

33. क्योंकि जैसे दूध के मथने से मक्खन और नाक के मरोड़ने से लोहू निकलता है, वैसे ही क्रोध के भड़काने से झगड़ा उत्पन्न होता है।।

33. Surely the churning of milk bringeth forth butter, and the wringing of the nose bringeth forth blood: so the forcing of wrath bringeth forth strife.



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