Exodus - निर्गमन 10 | View All

1. फिर यहोवा ने मूसा से कहा, फिरोन के पास जा; क्योंकि मैं ही ने उसके और उसके कर्मचारियों के मन को इसलिये कठोर कर दिया है, कि अपने चिन्ह उनके बीच में दिखलाऊं।

1. THE LORD said to Moses, Go to Pharaoh, for I have made his heart hard, and his servants' hearts, that I might show these My signs [of divine power] before him,

2. और तुम लोग अपने बेटों और पोतों से इसका वर्णन करो कि यहोवा ने मिस्त्रियों को कैसे ठट्ठों में उड़ाया और अपने क्या क्या चिन्ह उनके बीच प्रगट किए हैं; जिस से तुम यह जान लोगे कि मैं यहोवा हूं।

2. And that you may recount in the ears of your son and of your grandson what I have done in derision of the Egyptians and what things I have [repeatedly] done there--My signs [of divine power] done among them--that you may recognize and know that I am the Lord.

3. तब मूसा और हारून ने फिरौन के पास जाकर कहा, कि इब्रियों का परमेश्वर यहोवा तुझ से इस प्रकार कहता है, कि तू कब तक मेरे साम्हने दीन होने से संकोच करता रहेगा ? मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे, कि वे मेरी उपासना करें।

3. So Moses and Aaron went to Pharaoh, and said to him, Thus says the Lord, the God of the Hebrews, How long will you refuse to humble yourself before Me? Let My people go, that they may serve Me.

4. यदि तू मेरी प्रजा को जाने न दे तो सुन, कल मैं तेरे देश में टिडि्डयां ले आऊंगा।

4. For if you refuse to let My people go, behold, tomorrow I will bring locusts into your country.

5. और वे धरती को ऐसा छा लेंगी, कि वह देख न पड़ेगी; और तुम्हारा जो कुछ ओलों से बच रहा है उसको वे चट कर जाएंगी, और तुम्हारे जितने वृक्ष मैदान में लगे हैं उनको भी वे चट कर जाएंगी,

5. And they shall cover the land so that one cannot see the ground; and they shall eat the remainder of what escaped and is left to you from the hail, and they shall eat every tree of yours that grows in the field;

6. और वे तेरे और तेरे सारे कर्मचारियों, निदान सारे मिस्त्रियों के घरों में भर जाएंगी; इतनी टिडि्डयां तेरे बापदादों ने वा उनके पुरखाओं ने जब से पृथ्वी पर जन्मे तब से आज तक कभी न देखीं। और वह मुंह फेरकर फिरौन के पास से बाहर गया।

6. The locusts shall fill your houses and those of all your servants and of all the Egyptians, as neither your fathers nor your fathers' fathers have seen from their birth until this day. Then Moses departed from Pharaoh.

7. तब फिरौन के कर्मचारी उस से कहने लगे, वह जन कब तक हमारे लिये फन्दा बना रहेगा ? उन मनुष्यों को जाने दे, कि वे अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करें; क्या तू अब तक नहीं जानता, कि सारा मि नाश हो गया है ?

7. And Pharaoh's servants said to him, How long shall this man be a snare to us? Let the men go, that they may serve the Lord their God; do you not yet understand and know that Egypt is destroyed?

8. तब मूसा और हारून फिरौन के पास फिर बुलवाए गए, और उस ने उन से कहा, चले जाओ, अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करो; परन्तु वे जो जानेवाले हैं, कौन कौन हैं ?

8. So Moses and Aaron were brought again to Pharaoh; and he said to them, Go, serve the Lord your God; but just who are to go?

9. मूसा ने कहा, हम तो बेटों बेटियों, भेड़- बकरियों, गाय- बैलों समेत वरन बच्चों से बूढ़ों तक सब के सब जाएंगे, क्योंकि हमें यहोवा के लिये पर्ब्ब करना है।

9. And Moses said, We will go with our young and our old, with our sons and our daughters, with our flocks and our herds [all of us and all we have], for we must hold a feast to the Lord.

10. उस ने इस प्रकार उन से कहा, यहोवा तुम्हारे संग रहे जब कि मैं तुम्हें बच्चों समेत जाने देता हूं; देखो, तुम्हारे आगे को बुराई है।

10. Pharaoh said to them, Let the Lord be with you, if I ever let you go with your little ones! See, you have some evil purpose in mind.

11. नहीं, ऐसा नहीं होने पाएगा; तुम पुरूष ही जाकर यहोवा की उपासना करो, तुम यही तो चाहते थे। और वे फिरौन के सम्मुख से निकाल दिए गए।।

11. Not so! You that are men, [without your families] go and serve the Lord, for that is what you want. And [Moses and Aaron] were driven from Pharaoh's presence.

12. तब यहोवा ने मूसा से कहा, मि देश के ऊपर अपना हाथ बढ़ा, कि टिडि्डयां मि देश पर चढ़के भूमि का जितना अन्न आदि ओलों से बचा है सब को चट कर जाएं।
प्रकाशितवाक्य 9:3

12. Then the Lord said to Moses, Stretch out your hand over the land of Egypt for the locusts, that they may come up on the land of Egypt and eat all the vegetation of the land, all that the hail has left.

13. और मूसा ने अपनी लाट्ठी को मि देश के ऊपर बढ़ाया, तब यहोवा ने दिन भर और रात भर देश पर पुरवाई बहाई; और जब भोर हुआ तब उस पुरवाई में टिडि्डयां आईं।

13. And Moses stretched forth his rod over the land of Egypt, and the Lord brought an east wind upon the land all that day and all that night; when it was morning, the east wind brought the locusts.

14. और टिडि्डयों ने चढ़के मि देश के सारे स्थानों मे बसेरा किया, उनका दल बहुत भारी था, वरन न तो उनसे पहले ऐसी टिडि्डयां आई थी, और न उनके पीछे ऐसी फिर आएंगी।

14. And the locusts came up over all the land of Egypt and settled down on the whole country of Egypt, a very dreadful mass of them; never before were there such locusts as these, nor will there ever be again.

15. वे तो सारी धरती पर छा गई, यहां तक कि देश अन्धेरा हो गया, और उसका सारा अन्न आदि और वृक्षों के सब फल, निदान जो कुछ ओलों से बचा था, सब को उन्हों ने चट कर लिया; यहां तक कि मि देश भर में न तो किसी वृक्ष पर कुछ हरियाली रह गई और न खेत में अनाज रह गया।
प्रकाशितवाक्य 9:3

15. For they covered the whole land, so that the ground was darkened, and they ate every bit of vegetation of the land and all the fruit of the trees which the hail had left; there remained not a green thing of the trees or the plants of the field in all the land of Egypt.

16. तब फिरौन ने फुर्ती से मूसा और हारून को बुलवाके कहा, मैं ने तो तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का और तुम्हारा भी अपराध किया है।

16. Then Pharaoh sent for Moses and Aaron in haste. He said, I have sinned against the Lord your God and you.

17. इसलिये अब की बार मेरा अपराध क्षमा करो, और अपने परमेश्वर यहोवा से बिनती करो, कि वह केवल मेरे ऊपर से इस मृत्यु को दूर करे।

17. Now therefore forgive my sin, I pray you, only this once, and entreat the Lord your God only that He may remove from me this [plague of] death.

18. तब मूसा ने फिरोन के पास से निकल कर यहोवा से बिनती की।

18. Then Moses left Pharaoh and entreated the Lord.

19. तब यहोवा ने बहुत प्रचण्ड पछुवा बहाकर टिडि्डयों को उड़ाकर लाल समुन्द्र में डाल दिया, और मि के किसी स्थान में एक भी टिड्डी न रह गई।

19. And the Lord turned a violent west wind, which lifted the locusts and drove them into the Red Sea; not one locust remained in all the country of Egypt.

20. तौभी यहोवा ने फिरौन के मन को कठोर कर दिया, जिस से उस ने इस्राएलियों को जाने न दिया।

20. But the Lord made Pharaoh's heart more strong and obstinate, and he would not let the Israelites go.

21. फिर यहोवा ने मूसा से कहा, अपना हाथ आकाश की ओर बढ़ा कि मि देश के ऊपर अन्धकार छा जाए, ऐसा अन्धकार कि टटोला जा सके।

21. And the Lord said to Moses, Stretch out your hand toward the heavens, that there may be darkness over the land of Egypt, a darkness which may be felt.

22. तब मूसा ने अपना हाथ आकाश की ओर बढ़ाया, और सारे मि देश में तीन दिन तक घोर अन्धकार छाया रहा।
प्रकाशितवाक्य 16:10

22. So Moses stretched out his hand toward the sky, and for three days a thick darkness was all over the land of Egypt.

23. तीन दिन तक न तो किसी ने किसी को देखा, और न कोई अपने स्थान से उठा; परन्तु सारे इस्राएलियों के घरों में उजियाला रहा।

23. The Egyptians could not see one another, nor did anyone rise from his place for three days; but all the Israelites had natural light in their dwellings.

24. तब फिरौन ने मूसा को बुलवाकर कहा, तुम लोग जाओ, यहोवा की उपासना करो; अपने बालकों को भी संग ले जाओ; केवल अपनी भेड़- बकरी और गाय- बैल को छोड़ जाओ।

24. And Pharaoh called to Moses, and said, Go, serve the Lord; let your little ones also go with you; it is only your flocks and your herds that must not go.

25. मूसा ने कहा, तुझ को हमारे हाथ मेलबलि और होमबलि के पशु भी देने पड़ेंगे, जिन्हें हम अपने परमेश्वर यहोवा के लिये चढ़ाएं।

25. But Moses said, You must give into our hand also sacrifices and burnt offerings, that we may sacrifice to the Lord our God.

26. इसलिये हमारे पशु भी हमारे संग जाएंगे, उनका एक खुर तक न रह जाएगा, क्योंकि उन्हीं में से हम को अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना का सामान लेना होगा, और हम जब तक वहां न पहुंचें तब तक नहीं जानते कि क्या क्या लेकर यहोवा की उपासना करनी होगी।

26. Our livestock also shall go with us; there shall not a hoof be left behind; for of them must we take to serve the Lord our God, and we know not with what we must serve the Lord until we arrive there.

27. पर यहोवा ने फिरौन का मन हठीला कर दिया, जिस से उस ने उन्हें जाने न दिया।

27. But the Lord made Pharaoh's heart stronger and more stubborn, and he would not let them go.

28. तब फिरौन ने उस से कहा, मेरे साम्हने से चला जा; और सचेत रह; मुझे अपना मुख फिर न दिखाना; क्योंकि जिस दिन तू मुझे मुंह दिखलाए उसी दिन तू मारा जाएगा।
इब्रानियों 11:27

28. And Pharaoh said to Moses, Get away from me! See that you never enter my presence again, for the day you see my face again you shall die!

29. मूसा ने कहा, कि तू ने ठीक कहा है; मैं तेरे मुंह को फिर कभी न देखूंगा।।
इब्रानियों 11:27

29. And Moses said, You have spoken truly; I will never see your face again.



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