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1. हे प्रभु, तू पीढ़ी से पीढ़ी तक हमारे लिये धाम बना है।
1. হে প্রভু, তুমিই আমাদের বাসস্থান হইয়া আসিতেছ, পুরুষে পুরুষে হইয়া আসিতেছ।
2. इस से पहिले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, वा तू ने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू ही ईश्वर है।।
2. পর্ব্বতগণের জন্ম হইবার পূর্ব্বে, তুমি পৃথিবী ও জগৎকে জন্ম দিবার পূর্ব্বে, এমন কি, অনাদিকাল হইতে অনন্তকাল তুমিই ঈশ্বর।
3. तू मनुष्य को लौटाकर चूर करता है, और कहता है, कि हे आदमियों, लौट आओ!
3. তুমি মর্ত্ত্যকে ধূলিতে ফিরাইয়া থাক, বলিয়া থাক, মনুষ্য-সন্তানেরা, ফিরিয়া যাও।
4. क्योंकि हजार वर्ष तेरी दृष्टि में ऐसे हैं, जैसा कल का दिन जो बीत गया, वा रात का एक पहर।।2 पतरस 3:8
4. কেননা সহস্র বৎসর তোমার দৃষ্টিতে যেন গত কল্য, তাহা ত চলিয়া গিয়াছে, আর যেন রাত্রির এক প্রহরমাত্র।
5. तू मनुष्यों को धारा में बहा देता है; वे स्वप्न से ठहरते हैं, वे भोर को बढ़नेवाली घास के समान होते हैं।
5. তুমি তাহাদিগকে যেন বন্যায় ভাসাইয়া লইয়া যাইতেছ, তাহারা স্বপ্নবৎ; প্রাতঃকালে তাহারা তৃণের ন্যায়, যাহা বাড়িয়া উঠে।
6. वह भोर को फूलती और बढ़ती है, और सांझ तक काटकर मुर्झा जाती है।।
6. প্রাতঃকালে তৃণ পুষ্পিত হয়, ও বাড়িয়া উঠে, সায়ংকালে ছিন্ন হইয়া শুষ্ক হয়।
7. क्योंकि हम तेरे क्रोध से नाश हुए हैं; और तेरी जलजलाहट से घबरा गए हैं।
7. কেননা তোমার ক্রোধে আমরা ক্ষয় পাই, তোমার কোপে আমরা বিহ্বল হই।
8. तू ने हमारे अधर्म के कामों से अपने सम्मुख, और हमारे छिपे हुए पापों को अपने मुख की ज्योति में रखा है।।
8. তুমি রাখিয়াছ আমাদের অপরাধ সকল তোমার সাক্ষাতে, আমাদের গুপ্ত বিষয় সকল তোমার মুখের দীপ্তিতে।
9. क्योंकि हमारे सब दिन तेरे क्रोध में बीत जाते हैं, हम अपने वर्ष शब्द की नाई बिताते हैं।
9. কেননা তোমার ক্রোধে আমাদের সকল দিন বহিয়া যায়, আমরা আপন আপন বৎসর শ্বাসবৎ শেষ করি।
10. हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष के भी हो जाएं, तौभी उनका घमण्ड केवल नष्ट और शोक ही शोक है; क्योंकि वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं।
10. আমাদের আয়ুর পরিমাণ সত্তর বৎসর; বলযুক্ত হইলে আশী বৎসর হইতে পারে; তথাপি তাহাদের দর্প ক্লেশ ও দুঃখমাত্র, কেননা তাহা বেগে পলায়ন করে, এবং আমরা উড়িয়া যাই।
11. तेरे क्रोध की शक्ति को और तेरे भय के योग्य रोष को कौन समझता है?
11. তোমার কোপের বল কে বুঝে? তোমার ভয়াবহতার অনুরূপ ক্রোধ কে বুঝে?
12. हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएं।।
12. এরূপে আমাদের দিন গণনা করিতে শিক্ষা দেও, যেন আমরা প্রজ্ঞার চিত্ত লাভ করি।
13. हे यहोवा लौट आ! कब तक? और अपने दासों पर तरस खा!
13. হে সদাপ্রভু, ফির, কত কাল? তোমার দাসগণের প্রতি সদয় হও।
14. भोर को हमें अपनी करूणा से तृप्त कर, कि हम जीवन भर जयजयकार और आनन्द करते रहें।
14. প্রত্যূষে আমাদিগকে তোমার দয়াতে তৃপ্ত কর, যেন আমরা যাবজ্জীবন আনন্দ ও আহ্লাদ করি।
15. जितने दिन तू ने हमें दु:ख देता आया, और जितने वर्ष हम क्लेश भोगते आए हैं उतने ही वर्ष हम को आनन्द दे।
15. যত দিন তুমি আমাদিগকে দুঃখ দিয়াছ, যত বৎসর আমরা বিপদ দেখিয়াছি, তদনুসারে আমাদিগকে আনন্দিত কর।
16. तेरी काम तेरे दासों को, और तेरा प्रताप उनकी सन्तान पर प्रगट हो।
16. তোমার দাসগণের কাছে তোমার কর্ম্ম, তাহাদের সন্তানদের উপরে তোমার প্রতাপ দৃষ্ট হউক।
17. और हमारे परमेश्वर यहोवा की मनोहरता हम पर प्रगट हो, तू हमारे हाथों का काम हमारे लिये दृढ़ कर, हमारे हाथों के काम को दृढ़ कर।।
17. আর আমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর প্রসন্নভাব আমাদের উপরে বর্ত্তুক; আর তুমি আমাদের পক্ষে আমাদের হস্তের কর্ম্ম স্থায়ী কর, আমাদের হস্তের কর্ম্ম তুমি স্থায়ী কর।