10. हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष के भी हो जाएं, तौभी उनका घमण्ड केवल नष्ट और शोक ही शोक है; क्योंकि वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं।
10. Days of our years, in them [are] seventy years, And if, by reason of might, eighty years, Yet [is] their enlargement labour and vanity, For it hath been cut off hastily, and we fly away.