Psalms - भजन संहिता 90 | View All

1. हे प्रभु, तू पीढ़ी से पीढ़ी तक हमारे लिये धाम बना है।

1. BOOK THE FOURTH A Prayer by Moses, the Man of God. Lord! a dwelling-place, hast, thou, become to us, From generation to generation:

2. इस से पहिले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, वा तू ने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू ही ईश्वर है।।

2. Before, the mountains, were born, Or thou hadst brought forth the earth and the world, Even, from age to age, thou, wast GOD.

3. तू मनुष्य को लौटाकर चूर करता है, और कहता है, कि हे आदमियों, लौट आओ!

3. Thou causest man to return unto dust, And hast said Return, ye sons of Adam!

4. क्योंकि हजार वर्ष तेरी दृष्टि में ऐसे हैं, जैसा कल का दिन जो बीत गया, वा रात का एक पहर।।
2 पतरस 3:8

4. For, a thousand years, in thine eyes, are , As yesterday, in that it passed away, Or as a watch in the night.

5. तू मनुष्यों को धारा में बहा देता है; वे स्वप्न से ठहरते हैं, वे भोर को बढ़नेवाली घास के समान होते हैं।

5. Thou hast snatched them away, A sleep, do they become, In the morning, they are like grass that shooteth up,

6. वह भोर को फूलती और बढ़ती है, और सांझ तक काटकर मुर्झा जाती है।।

6. In the morning, it sprouteth and shooteth up, By the evening, it is cut down and withered.

7. क्योंकि हम तेरे क्रोध से नाश हुए हैं; और तेरी जलजलाहट से घबरा गए हैं।

7. For we are consumed in thine anger, And, in thy wrath, are we dismayed;

8. तू ने हमारे अधर्म के कामों से अपने सम्मुख, और हमारे छिपे हुए पापों को अपने मुख की ज्योति में रखा है।।

8. Thou hast set, Our iniquities before thee, Our secret near the luminary of thy face.

9. क्योंकि हमारे सब दिन तेरे क्रोध में बीत जाते हैं, हम अपने वर्ष शब्द की नाई बिताते हैं।

9. For, all our days, decline in thy wrath, We end our years like a sigh.

10. हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष के भी हो जाएं, तौभी उनका घमण्ड केवल नष्ट और शोक ही शोक है; क्योंकि वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं।

10. The days of our years, have, in them, three score years and ten, And, if, by reason of strength, they have fourscore years, Yet, their boast, is labour and sorrow, For it hath passed quickly, and we have flown away.

11. तेरे क्रोध की शक्ति को और तेरे भय के योग्य रोष को कौन समझता है?

11. Who knoweth the strength of thine anger? Even, according to the fear of thee, is thy wrath!

12. हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएं।।

12. How to number our days, so grant us to know, That we may win us a heart that hath wisdom.

13. हे यहोवा लौट आ! कब तक? और अपने दासों पर तरस खा!

13. Return, Yahweh, oh how long? And have compassion upon thy servants;

14. भोर को हमें अपनी करूणा से तृप्त कर, कि हम जीवन भर जयजयकार और आनन्द करते रहें।

14. Satisfy us, in the morning, with thy lovingkindness, That we may shout aloud and be glad, Throughout all our days.

15. जितने दिन तू ने हमें दु:ख देता आया, और जितने वर्ष हम क्लेश भोगते आए हैं उतने ही वर्ष हम को आनन्द दे।

15. Make us glad, according to, The days thou hast humbled us, The years we have seen misfortune:

16. तेरी काम तेरे दासों को, और तेरा प्रताप उनकी सन्तान पर प्रगट हो।

16. Let thy work, appear unto thy servants, And, thy majesty, upon their children;

17. और हमारे परमेश्वर यहोवा की मनोहरता हम पर प्रगट हो, तू हमारे हाथों का काम हमारे लिये दृढ़ कर, हमारे हाथों के काम को दृढ़ कर।।

17. And let the delightfulness of Adonay our God be upon us, And, the work of our hands, establish thou upon us, Yea, the work of our hands, establish thou it.



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