Psalms - भजन संहिता 90 | View All

1. हे प्रभु, तू पीढ़ी से पीढ़ी तक हमारे लिये धाम बना है।

1. The praise of a canticle for David. He that dwelleth in the aid of the most High, shall abide under the protection of the God of Jacob.

2. इस से पहिले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, वा तू ने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू ही ईश्वर है।।

2. He shall say to the Lord: Thou art my protector, and my refuge: my God, in him will I trust.

3. तू मनुष्य को लौटाकर चूर करता है, और कहता है, कि हे आदमियों, लौट आओ!

3. For he hath delivered me from the snare of the hunters: and from the sharp word.

4. क्योंकि हजार वर्ष तेरी दृष्टि में ऐसे हैं, जैसा कल का दिन जो बीत गया, वा रात का एक पहर।।
2 पतरस 3:8

4. He will overshadow thee with his shoulders: and under his wings thou shalt trust.

5. तू मनुष्यों को धारा में बहा देता है; वे स्वप्न से ठहरते हैं, वे भोर को बढ़नेवाली घास के समान होते हैं।

5. His truth shall compass thee with a shield: thou shalt not be afraid of the terror of the night.

6. वह भोर को फूलती और बढ़ती है, और सांझ तक काटकर मुर्झा जाती है।।

6. Of the arrow that flieth in the day, of the business that walketh about in the dark: of invasion, or of the noonday devil.

7. क्योंकि हम तेरे क्रोध से नाश हुए हैं; और तेरी जलजलाहट से घबरा गए हैं।

7. A thousand shall fall at thy side, and ten thousand at thy right hand: but it shall not come nigh thee.

8. तू ने हमारे अधर्म के कामों से अपने सम्मुख, और हमारे छिपे हुए पापों को अपने मुख की ज्योति में रखा है।।

8. But thou shalt consider with thy eyes: and shalt see the reward of the wicked.

9. क्योंकि हमारे सब दिन तेरे क्रोध में बीत जाते हैं, हम अपने वर्ष शब्द की नाई बिताते हैं।

9. Because thou, O Lord, art my hope: thou hast made the most High thy refuge.

10. हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष के भी हो जाएं, तौभी उनका घमण्ड केवल नष्ट और शोक ही शोक है; क्योंकि वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं।

10. There shall no evil come to thee: nor shall the scourge come near thy dwelling.

11. तेरे क्रोध की शक्ति को और तेरे भय के योग्य रोष को कौन समझता है?

11. For he hath given his angels charge over thee; to keep thee in all thy ways.

12. हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएं।।

12. In their hands they shall bear thee up: lest thou dash thy foot against a stone.

13. हे यहोवा लौट आ! कब तक? और अपने दासों पर तरस खा!

13. Thou shalt walk upon the asp and the basilisk: and thou shalt trample under foot the lion and the dragon.

14. भोर को हमें अपनी करूणा से तृप्त कर, कि हम जीवन भर जयजयकार और आनन्द करते रहें।

14. Because he hoped in me I will deliver him: I will protect him because he hath known my name.

15. जितने दिन तू ने हमें दु:ख देता आया, और जितने वर्ष हम क्लेश भोगते आए हैं उतने ही वर्ष हम को आनन्द दे।

15. He shall cry to me, and I will hear him: I am with him in tribulation, I will deliver him, and I will glorify him.

16. तेरी काम तेरे दासों को, और तेरा प्रताप उनकी सन्तान पर प्रगट हो।

16. I will fill him with length of days; and I will shew him my salvation.



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