Turn Off
21st Century KJV
A Conservative Version
American King James Version (1999)
American Standard Version (1901)
Amplified Bible (1965)
Apostles' Bible Complete (2004)
Bengali Bible
Bible in Basic English (1964)
Bishop's Bible
Complementary English Version (1995)
Coverdale Bible (1535)
Easy to Read Revised Version (2005)
English Jubilee 2000 Bible (2000)
English Lo Parishuddha Grandham
English Standard Version (2001)
Geneva Bible (1599)
Hebrew Names Version
Hindi Bible
Holman Christian Standard Bible (2004)
Holy Bible Revised Version (1885)
Kannada Bible
King James Version (1769)
Literal Translation of Holy Bible (2000)
Malayalam Bible
Modern King James Version (1962)
New American Bible
New American Standard Bible (1995)
New Century Version (1991)
New English Translation (2005)
New International Reader's Version (1998)
New International Version (1984) (US)
New International Version (UK)
New King James Version (1982)
New Life Version (1969)
New Living Translation (1996)
New Revised Standard Version (1989)
Restored Name KJV
Revised Standard Version (1952)
Revised Version (1881-1885)
Revised Webster Update (1995)
Rotherhams Emphasized Bible (1902)
Tamil Bible
Telugu Bible (BSI)
Telugu Bible (WBTC)
The Complete Jewish Bible (1998)
The Darby Bible (1890)
The Douay-Rheims American Bible (1899)
The Message Bible (2002)
The New Jerusalem Bible
The Webster Bible (1833)
Third Millennium Bible (1998)
Today's English Version (Good News Bible) (1992)
Today's New International Version (2005)
Tyndale Bible (1534)
Tyndale-Rogers-Coverdale-Cranmer Bible (1537)
Updated Bible (2006)
Voice In Wilderness (2006)
World English Bible
Wycliffe Bible (1395)
Young's Literal Translation (1898)
Cross Reference Bible
1. यहोवा का धन्यवाद करो, उस से प्रार्थना करो, देश देश के लोगों में उसके कामों का प्रचार करो!
1. সদাপ্রভুর স্তব কর, তাঁহার নামে ডাক, জাতিগণের মধ্যে তাঁহার ক্রিয়া সকল জানাও।
2. उसके लिये गीत गाओ, उसके लिये भजन गाओ, उसके सब आश्चर्यकर्मों पर ध्यान करो!
2. তাঁহার উদ্দেশে গীত গাও, তাঁহার প্রশংসা গান কর, তাঁহার সকল আশ্চর্য্য কর্ম্ম ধ্যান কর।
3. उसके पवित्रा नाम की बढ़ाई करो; यहोवा के खोजियों का हृदय आनन्दित हो!
3. তাঁহার পবিত্র নামের শ্লাঘা কর; সদাপ্রভুর অন্বেষণকারীদের চিত্ত আনন্দ করুক।
4. यहोवा और उसकी सामर्थ को खोजो, उसके दर्शन के लगातार खोजी बने रहो!
4. সদাপ্রভুর ও তাঁহার শক্তির অনুসন্ধান কর, নিয়ত তাঁহার শ্রীমুখের অন্বেষণ কর।
5. उसके किए हु आश्चर्यकर्म स्मरण करो, उसके चमत्कार और निर्णय स्मरण करो!
5. স্মরণ কর তাঁহার কৃত আশ্চর্য্য কর্ম্ম সকল, তাঁহার অদ্ভুত লক্ষণ ও তাঁহার মুখের শাসন সকল;
6. हे उसके दास इब्राहीम के वंश, हे याकूब की सन्तान, तुम तो उसके चुने हुए हो!
6. হে তাঁহার দাস অব্রাহামের বংশ, হে যাকোবের সন্তানগণ, তাঁহার মনোনীত লোকেরা।
7. वही हमारा परमेश्वर यहोवा है; पृथ्वी भर में उसके निर्णय होते हैं।
7. তিনি সদাপ্রভু, আমাদের ঈশ্বর, তাঁহার শাসন সকল সমস্ত পৃথিবীতে বিদ্যমান।
8. वह अपनी वाचा को सदा स्मरण रखता आया है, यह वही वचन है जो उस ने हजार पीढ़ीयों के लिये ठहराया है;लूका 1:72-73
8. তিনি আপন নিয়ম চিরকাল স্মরণ করেন, সেই বাক্য তিনি সহস্র পুরুষপরম্পরার প্রতি আদেশ করিয়াছেন;
9. वही वाचा जो उस ने इब्राहीम के साथ बान्धी, और उसके विषय में उस ने इसहाक से शपथ खाई,लूका 1:72-73
9. সেই নিয়ম তিনি অব্রাহামের সহিত করিলেন, সেই শপথ ইস্হাকের কাছে করিলেন;
10. और उसी को उस ने याकूब के लिये विधि करके, और इस्राएल के लिये यह कहकर सदा की वाचा करके दृढ़ किया,
10. তিনি তাহা যাকোবের জন্য বিধি বলিয়া, ইস্রায়েলের জন্য চিরকালীন নিয়ম বলিয়া দাঁড় করাইলেন।
11. कि मैं कनान देश को तुझी को दूंगा, वह बांट में तुम्हारा निज भाग होगा।।
11. তিনি কহিলেন, আমি তোমাকে কনান দেশ দিব, তাহাই তোমাদের নির্ণীত অধিকার।
12. उस समय तो वे गिनती में थोड़े थे, वरन बहुत ही थोड़े, और उस देश में परदेशी थे।
12. তৎকালে তাহারা সংখ্যাতে অধিক ছিল না, তাহারা অল্পই ছিল, এবং তথায় প্রবাসী ছিল।
13. वे एक जाति से दूसरी जाति में, और एक राज्य से दूसरे राज्य में फिरते रहे;
13. তাহারা এক জাতি হইতে অন্য জাতির নিকটে, এক রাজ্য হইতে অন্য লোকবৃন্দের নিকটে বেড়াইত।
14. परन्तु उस ने किसी मनुष्य को उन पर अन्धेर करने न दिया; और वह राजाओं को उनके निमित्त यह धमकी देता था,
14. তিনি কোন মনুষ্যকে তাহাদের প্রতি উপদ্রব করিতে দিতেন না, বরং তাহাদের জন্য রাজগণকে অনুযোগ করিতেন;
15. कि मेरे अभिषिक्तों को मत छुओं, और न मेरे नबियों की हानि करो!
15. ‘আমার অভিষিক্ত ব্যক্তিদিগকে স্পর্শ করিও না, আমার ভাববাদিগণের অপকার করিও না।’
16. फिर उस ने उस देश में अकाल भेजा, और अन्न के सब आधार को दूर कर दिया।
16. আর তিনি দেশে দুর্ভিক্ষ আহ্বান করিলেন, ভক্ষ্যরূপ সমস্ত যষ্টি ভগ্ন করিলেন।
17. उस ने यूसुफ नाम एक पुरूष को उन से पहिले भेजा था, जो दास होने के लिये बेचा गया था।
17. তিনি তাহাদের অগ্রে এক পুরুষকে পাঠাইলেন, যোষেফ দাসরূপে বিক্রীত হইলেন।
18. लोंगों ने उसके पैरों में बेड़ियां डालकर उसे दु:ख दिया; वह लोहे की सांकलों से जकड़ा गया;
18. লোকে বেড়ী দ্বারা তাঁহার চরণকে ক্লেশ দিল; তাঁহার প্রাণ লৌহে বদ্ধ হইল।
19. जब तक कि उसकी बात पूरी न हुई तब तक यहोवा का वचन उसे कसौटी पर कसता रहा।
19. যাবৎ তাঁহার বচন সফল না হইল, তাবৎ সদাপ্রভুর বাক্য তাঁহাকে পরীক্ষা করিল।
20. तब राजा के दूत भेजकर उसे निकलवा लिया, और देश देश के लोगों के स्वामी ने उसके बन्धन खुलवाए;
20. রাজা লোক পাঠাইয়া তাঁহাকে ছাড়িয়া দিলেন, জাতিগণের কর্ত্তা তাঁহাকে মুক্ত করিলেন।
21. उस ने उसको अपने भवन का प्रधान और अपनी पूरी सम्पत्ति का अधिकारी ठहराया,प्रेरितों के काम 7:10
21. তিনি তাঁহাকে আপন বাটীর প্রভু করিলেন, আপনার সমস্ত সম্পত্তির কর্ত্তা করিলেন,
22. कि वह उसके हाकिमों को अपनी इच्छा के अनुसार कैद करे और पुरनियों को ज्ञान सिखाए।।
22. যেন তিনি তাঁহার অমাত্যগণকে ইচ্ছানুসারে বন্ধন করেন, ও তাঁহার প্রাচীনবর্গকে জ্ঞান প্রদান করেন।
23. फिर इस्राएल मि में आया; और याकूब हाम के देश में परेदशी रहा।
23. আর ইস্রায়েল মিসরে উপস্থিত হইলেন, যাকোব হামের দেশে প্রবাস করিলেন।
24. तब उस ने अपनी प्रजा को गिनती में बहुत बढ़ाया, और उसके द्रोहियो से अधिक बलवन्त किया।
24. ঈশ্বর নিজ প্রজাদের অতিশয় বংশবৃদ্ধি করিলেন, বিপক্ষগণ হইতে তাহাদিগকে বলবান করিলেন।
25. उस ने मिस्त्रियों के मन को ऐसा फेर दिया, कि वे उसकी प्रजा से बैर रखने, और उसके दासों से छल करने लगे।।
25. তিনি উহাদের চিত্ত এমন ফিরাইলেন যে, উহারা তাঁহার প্রজাদিগকে ঘৃণা করিল, তাঁহার দাসদের প্রতি ধূর্ত্ততার ব্যবহার করিল।
26. उस ने अपने दास मूसा को, और अपने चुने हुए हारून को भेजा।
26. তিনি পাঠাইলেন আপন দাস মোশিকে, ও হারোণকে, যাঁহাকে তিনি মনোনীত করিয়াছিলেন।
27. उन्हों ने उनके बीच उसकी ओर से भांति भांति के चिन्ह, और हाम के देश में चमत्कार दिखाए।
27. তাঁহারা উহাদের মধ্যে তাঁহার নানা চিহ্ন, হামের দেশে নানা অদ্ভুত লক্ষণ দেখাইলেন।
28. उस ने अन्धकार कर दिया, और अन्धियारा हो गया; और उन्हों ने उसकी बातों को न टाला।
28. তিনি অন্ধকার পাঠাইলেন, আর অন্ধকার হইল; তাঁহারা তাঁহার বাক্যের বিরুদ্ধাচরণ করিলেন না।
29. उस ने मिस्त्रियों के जल को लोहू कर डाला, और मछलियों को मार डाला।
29. তিনি উহাদের জল রক্তে পরিণত করিলেন, উহাদের মৎস্য সকল মারিয়া ফেলিলেন।
30. मेंढक उनकी भूमि में वरन उनके राजा की कोठरियों में भी भर गए।
30. উহাদের দেশ ভেকে আকীর্ণ হইল, উহাদের রাজগণের অন্তঃপুরে [তাহা প্রবেশ করিল]।
31. उस ने आज्ञा दी, तब डांस आ गए, और उनके सारे देश में कुटकियां आ गईं।
31. তিনি বলিলেন, আর দংশকের ঝাঁক আসিল, পিশুগণ উহাদের সমস্ত অঞ্চলে আসিল।
32. उस ने उनके लिये जलवृष्टि की सन्ती ओले, और उनके देश में धधकती आग बरसाई।
32. তিনি উহাদিগকে বৃষ্টির পরিবর্ত্তে শিলা দিলেন, উহাদের দেশে শিখাযুক্ত অগ্নি বর্ষণ করিলেন।
33. और उस ने उनकी दाखलताओं और अंजीर के वृक्षों को वरन उनके देश के सब पेड़ों को तोड़ डाला।
33. আর তিনি উহাদের দ্রাক্ষালতা ও ডুমুরগাছে আঘাত করিলেন, উহাদের অঞ্চলের বৃক্ষসকল ভাঙ্গিয়া ফেলিলেন।
34. उस ने आज्ञा दी तब अनगिनत टिडि्डयां, और कीड़े आए,
34. তিনি বলিলেন, আর পঙ্গপাল আসিল, অসংখ্য পতঙ্গ আসিল।
35. और उन्हों ने उनके देश के सब अन्नादि को खा डाला; औश्र उनकी भूमि के सब फलों को चट कर गए।
35. তাহারা উহাদের দেশের সমস্ত ওষধি গ্রাস করিল, উহাদের ভূমির ফল খাইয়া ফেলিল।
36. उस ने उनके देश के सब पहिलौठों को, उनके पौरूष के सब पहिले फल को नाश किया।।
36. আর তিনি উহাদের দেশে প্রথমজাত সকলকে, উহাদের সমস্ত শক্তির প্রথম ফলকে, আঘাত করিলেন।
37. तब वह अपने गोत्रियों को सोना चांदी दिलाकर निकाल लाया, और उन में से कोई निर्बल न था।
37. পরে তিনি লোকদিগকে রৌপ্য ও স্বর্ণের সহিত বাহির করিয়া আনিলেন, তাঁহার গোষ্ঠীদের মধ্যে এক জনও উছোট খায় নাই।
38. उनके जाने से मिस्त्रि आनन्दित हुए, क्योंकि उनका डर उन में समा गया था।प्रकाशितवाक्य 10:10-11
38. তাহারা প্রস্থান করিলে মিসর আনন্দ করিল, কারণ উহারা তাহাদের হইতে ত্রাসাপন্ন হইয়াছিল।
39. उस ने छाया के लिये बादल फैलाया, और रात को प्रकाश देने के लिये आग प्रगट की।
39. তিনি চন্দ্রাতপের জন্য মেঘ বিস্তার করিলেন, তিনি রাত্রি আলোকময় করণার্থে অগ্নি দিলেন।
40. उन्हों ने मांगा तब उस ने बटेरें पहुंचाई, और उनको स्वर्गीय भोजन से तृप्त किया।यूहन्ना 6:31
40. তাহারা যাচ্ঞা করিলে তিনি ভারুই পক্ষী আনাইলেন, এবং স্বর্গীয় ভক্ষ্যে তাহাদিগকে তৃপ্ত করিলেন।
41. उस ने चट्टान फाड़ी तब पानी बह निकला; और निर्जल भूमि पर नदी बहने लगी।
41. তিনি শৈল খুলিয়া দিলেন, জল প্রবাহিত হইল; তাহা নদী হইয়া শুষ্কভূমিতে বহিল।
42. क्योंकि उस ने अपने पवित्रा वचन और अपने दास इब्राहीम को स्मरण किया।।
42. কারণ তিনি আপন পবিত্র বাক্য স্মরণ করিলেন, আপন দাস অব্রাহামকে স্মরণ করিলেন।
43. वह अपनी प्रजा को हर्षित करके और अपने चुने हुओं से जयजयकार करोके निकाल लाया।
43. তিনি আপন প্রজাদিগকে আনন্দ সহ, নিজ মনোনীত লোকদিগকে সঙ্গীতের সহিত বাহির করিয়া আনিলেন।
44. और उनको अन्यजातियों के देश दिए; और वे और लोगों के श्रम के फल के अधिकारी किए गए,
44. তিনি তাহাদিগকে জাতিগণের দেশ দিলেন, তাহারা লোকবৃন্দের শ্রমের ফলাধিকারী হইল,
45. कि वे उसकी विधियों को मानें, और उसकी व्यवस्था को पूरी करें। याह की स्तुति करो!
45. যেন তাহারা তাঁহার বিধি সকল পালন করে, তাঁহার ব্যবস্থা রক্ষা করে। তোমরা সদাপ্রভুর প্রশংসা কর।