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Cross Reference Bible
1. यहोवा का धन्यवाद करो, उस से प्रार्थना करो, देश देश के लोगों में उसके कामों का प्रचार करो!
1. O give thanks to Jehovah; call on His name; make His deeds known among the peoples.
2. उसके लिये गीत गाओ, उसके लिये भजन गाओ, उसके सब आश्चर्यकर्मों पर ध्यान करो!
2. Sing to Him; sing praises to Him; tell of all His wonders.
3. उसके पवित्रा नाम की बढ़ाई करो; यहोवा के खोजियों का हृदय आनन्दित हो!
3. Glory in His holy name; let the heart of those who seek Jehovah rejoice.
4. यहोवा और उसकी सामर्थ को खोजो, उसके दर्शन के लगातार खोजी बने रहो!
4. Seek Jehovah and His strength; seek His face without ceasing.
5. उसके किए हु आश्चर्यकर्म स्मरण करो, उसके चमत्कार और निर्णय स्मरण करो!
5. Remember His wonders that He has done, His miracles, and the judgments of His mouth,
6. हे उसके दास इब्राहीम के वंश, हे याकूब की सन्तान, तुम तो उसके चुने हुए हो!
6. O seed of His servant Abraham; O sons of Jacob, His elect.
7. वही हमारा परमेश्वर यहोवा है; पृथ्वी भर में उसके निर्णय होते हैं।
7. He is Jehovah our God; His judgments are in all the earth;
8. वह अपनी वाचा को सदा स्मरण रखता आया है, यह वही वचन है जो उस ने हजार पीढ़ीयों के लिये ठहराया है;लूका 1:72-73
8. He has remembered His covenant forever; the Word He commanded to a thousand generations;
9. वही वाचा जो उस ने इब्राहीम के साथ बान्धी, और उसके विषय में उस ने इसहाक से शपथ खाई,लूका 1:72-73
9. which He cut with Abraham, and His oath to Isaac;
10. और उसी को उस ने याकूब के लिये विधि करके, और इस्राएल के लिये यह कहकर सदा की वाचा करके दृढ़ किया,
10. and He established it to Jacob for a statute, to Israel for a perpetual covenant;
11. कि मैं कनान देश को तुझी को दूंगा, वह बांट में तुम्हारा निज भाग होगा।।
11. saying, To you I will give the land of Canaan, the portion of your inheritance;
12. उस समय तो वे गिनती में थोड़े थे, वरन बहुत ही थोड़े, और उस देश में परदेशी थे।
12. when they were a few men of number; very few, and aliens in it.
13. वे एक जाति से दूसरी जाति में, और एक राज्य से दूसरे राज्य में फिरते रहे;
13. And they went about from nation to nation; from one kingdom to another people.
14. परन्तु उस ने किसी मनुष्य को उन पर अन्धेर करने न दिया; और वह राजाओं को उनके निमित्त यह धमकी देता था,
14. He allowed no man to oppress them; yea, He reproved kings for their sakes;
15. कि मेरे अभिषिक्तों को मत छुओं, और न मेरे नबियों की हानि करो!
15. saying, Touch not My anointed; and, Do My prophets no harm.
16. फिर उस ने उस देश में अकाल भेजा, और अन्न के सब आधार को दूर कर दिया।
16. And He called a famine on the land; He broke the whole staff of bread.
17. उस ने यूसुफ नाम एक पुरूष को उन से पहिले भेजा था, जो दास होने के लिये बेचा गया था।
17. He sent a man before them, Joseph, being sold for a slave;
18. लोंगों ने उसके पैरों में बेड़ियां डालकर उसे दु:ख दिया; वह लोहे की सांकलों से जकड़ा गया;
18. they hurt his feet with chains; his soul came into iron;
19. जब तक कि उसकी बात पूरी न हुई तब तक यहोवा का वचन उसे कसौटी पर कसता रहा।
19. until the time His Word came, the Word of Jehovah refined him;
20. तब राजा के दूत भेजकर उसे निकलवा लिया, और देश देश के लोगों के स्वामी ने उसके बन्धन खुलवाए;
20. the king, the ruler of peoples, sent and shook off his links and set him free;
21. उस ने उसको अपने भवन का प्रधान और अपनी पूरी सम्पत्ति का अधिकारी ठहराया,प्रेरितों के काम 7:10
21. he made him lord of his house, and ruler over all he owned;
22. कि वह उसके हाकिमों को अपनी इच्छा के अनुसार कैद करे और पुरनियों को ज्ञान सिखाए।।
22. to bind his leaders at his will, and to teach his elders wisdom.
23. फिर इस्राएल मि में आया; और याकूब हाम के देश में परेदशी रहा।
23. Israel also came into Egypt, and Jacob sojourned in the land of Ham.
24. तब उस ने अपनी प्रजा को गिनती में बहुत बढ़ाया, और उसके द्रोहियो से अधिक बलवन्त किया।
24. And He increased His people greatly and made them stronger than their enemies.
25. उस ने मिस्त्रियों के मन को ऐसा फेर दिया, कि वे उसकी प्रजा से बैर रखने, और उसके दासों से छल करने लगे।।
25. He turned their heart to hate His people, to deal craftily with His servants.
26. उस ने अपने दास मूसा को, और अपने चुने हुए हारून को भेजा।
26. He sent His servant Moses and Aaron whom He had chosen.
27. उन्हों ने उनके बीच उसकी ओर से भांति भांति के चिन्ह, और हाम के देश में चमत्कार दिखाए।
27. They put things of His signs among them; yea, wonders in the land of Ham.
28. उस ने अन्धकार कर दिया, और अन्धियारा हो गया; और उन्हों ने उसकी बातों को न टाला।
28. He sent darkness and made it dark; and they did not rebel against His Word.
29. उस ने मिस्त्रियों के जल को लोहू कर डाला, और मछलियों को मार डाला।
29. He turned their waters into blood and killed their fish.
30. मेंढक उनकी भूमि में वरन उनके राजा की कोठरियों में भी भर गए।
30. Their land swarmed with frogs in the rooms of their kings.
31. उस ने आज्ञा दी, तब डांस आ गए, और उनके सारे देश में कुटकियां आ गईं।
31. He spoke, and fly swarms came; gnats in all their borders.
32. उस ने उनके लिये जलवृष्टि की सन्ती ओले, और उनके देश में धधकती आग बरसाई।
32. He gave hail for their rain, flaming fire in their land.
33. और उस ने उनकी दाखलताओं और अंजीर के वृक्षों को वरन उनके देश के सब पेड़ों को तोड़ डाला।
33. He struck their vines also, and their fig trees; and He broke the trees of their borders.
34. उस ने आज्ञा दी तब अनगिनत टिडि्डयां, और कीड़े आए,
34. He spoke, and locusts came; and larvae without number;
35. और उन्हों ने उनके देश के सब अन्नादि को खा डाला; औश्र उनकी भूमि के सब फलों को चट कर गए।
35. and they ate up all the plants in the land; yea, ate the fruit of their ground.
36. उस ने उनके देश के सब पहिलौठों को, उनके पौरूष के सब पहिले फल को नाश किया।।
36. He also struck all the first-born in their land, the firstfruit of all their vigor.
37. तब वह अपने गोत्रियों को सोना चांदी दिलाकर निकाल लाया, और उन में से कोई निर्बल न था।
37. And He led them out with silver and gold; and among their tribes, not one was stumbling.
38. उनके जाने से मिस्त्रि आनन्दित हुए, क्योंकि उनका डर उन में समा गया था।प्रकाशितवाक्य 10:10-11
38. Egypt was glad when they went out, for their dread had fallen on them.
39. उस ने छाया के लिये बादल फैलाया, और रात को प्रकाश देने के लिये आग प्रगट की।
39. He spread a cloud for a covering; and fire to give light in the night.
40. उन्हों ने मांगा तब उस ने बटेरें पहुंचाई, और उनको स्वर्गीय भोजन से तृप्त किया।यूहन्ना 6:31
40. He asked, and He brought quail; and satisfied them with the food from the heavens.
41. उस ने चट्टान फाड़ी तब पानी बह निकला; और निर्जल भूमि पर नदी बहने लगी।
41. He opened the rock, and waters gushed out; they went in the dry places like a river.
42. क्योंकि उस ने अपने पवित्रा वचन और अपने दास इब्राहीम को स्मरण किया।।
42. For He remembered His holy Word and His servant Abraham;
43. वह अपनी प्रजा को हर्षित करके और अपने चुने हुओं से जयजयकार करोके निकाल लाया।
43. and He brought His people out with joy; His elect with gladness.
44. और उनको अन्यजातियों के देश दिए; और वे और लोगों के श्रम के फल के अधिकारी किए गए,
44. And He gave to them the lands of the nations; and they inherited the labor of the peoples;
45. कि वे उसकी विधियों को मानें, और उसकी व्यवस्था को पूरी करें। याह की स्तुति करो!
45. so that they might observe His statutes and keep His laws. Praise Jehovah!