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Young's Literal Translation (1898)
Cross Reference Bible
1. तब तेमानी एलीपज ने कहा,
1. Then Eliphaz the Temanite answered:
2. क्या बुध्दिमान को उचित है कि अज्ञानता के साथ उत्तर दे, वा उपने अन्तेकरण को पूरबी पवन से भरे?
2. Should the wise answer with windy knowledge, and fill themselves with the east wind?
3. क्या वह निष्फल वचनों से, वा व्यर्थ बातों से वादविवाद करे?
3. Should they argue in unprofitable talk, or in words with which they can do no good?
4. वरन तू भय मानना छोड़ देता, और ईश्वर का ध्यान करना औरों से छुड़ाता है।
4. But you are doing away with the fear of God, and hindering meditation before God.
5. तू अपने मुंह से अपना अधर्म प्रगट करता है, और धूर्त्त लोगों के बोलने की रीति पर बोलता है।
5. For your iniquity teaches your mouth, and you choose the tongue of the crafty.
6. मैं तो नहीं परन्तु तेरा मुंह ही तुझे दोषी ठहराता है; और तेरे ही वचन तेरे विरूद्ध साक्षी देते हैं।
6. Your own mouth condemns you, and not I; your own lips testify against you.
7. क्या पहिला मतुष्य तू ही उत्पन्न हुआ? क्या तेरी उत्पत्ति पहाड़ों से भी पहिले हुई?
7. Are you the firstborn of the human race? Were you brought forth before the hills?
8. क्या तू ईश्वर की सभा में बैठा सुनता था? क्या बुध्दि का ठीका तू ही ने ले रखा है?रोमियों 11:34
8. Have you listened in the council of God? And do you limit wisdom to yourself?
9. तू ऐसा क्या जानता है जिसे हम नहीं जानते? तुझ में ऐसी कौन सी समझ है जो हम में नहीं?
9. What do you know that we do not know? What do you understand that is not clear to us?
10. हम लोगों में तो पक्के बालवाले और अति पुरनिये मनुष्य हैं, जो तेरे पिता से भी बहुत आयु के हैं।
10. The gray-haired and the aged are on our side, those older than your father.
11. ईश्वर की शान्तिदायक बातें, और जो वचन तेरे लिये कोमल हैं, क्या ये तेरी दृष्टि में तुच्छ हैं?
11. Are the consolations of God too small for you, or the word that deals gently with you?
12. तेरा मन क्यों तुझे खींच ले जाता है? और तू आंख से क्यों सैन करता है?
12. Why does your heart carry you away, and why do your eyes flash,
13. तू भी अपनी आत्मा ईश्वर के विरूद्ध करता है, और अपने मुंह से व्यर्थ बातें निकलने देता है।
13. so that you turn your spirit against God, and let such words go out of your mouth?
14. मनुष्य है क्या कि वह निष्कलंक हो? और जो स्त्री से उत्पन्न हुआ वह है क्या कि निदष हो सके?
14. What are mortals, that they can be clean? Or those born of woman, that they can be righteous?
15. देख, वह अपने पवित्रों पर भी विश्वास नहीं करता, और स्वर्ग भी उसकी दृष्टि में निर्मल नहीं है।
15. God puts no trust even in his holy ones, and the heavens are not clean in his sight;
16. फिर मनुष्य अधिक घिनौना और मलीन है जो कुटिलता को पानी की नाई पीता है।
16. how much less one who is abominable and corrupt, one who drinks iniquity like water!
17. मैं तुझे समझा दूंगा, इसलिये मेरी सुन ले, जो मैं ने देखा है, उसी का वर्णन मैं करता हूँ।
17. I will show you; listen to me; what I have seen I will declare--
18. (वे ही बातें जो बुध्दिमानों ने अपने पुरखाओं से सुनकर बिना छिपाए बताया है।
18. what sages have told, and their ancestors have not hidden,
19. केवल उन्हीं को देश दिया गया था, और उनके मध्य में कोई विदेशी आता जाता नहीं था।)
19. to whom alone the land was given, and no stranger passed among them.
20. दुष्ट जन जीवन भर पीड़ा से तड़पता है, और बलात्कारी के वष की गिनती ठहराई हुई है।
20. The wicked writhe in pain all their days, through all the years that are laid up for the ruthless.
21. उसके कान में डरावना शब्द गूंजता रहता है, कुशल के समय भी नाशक उस पर आ पड़ता है।
21. Terrifying sounds are in their ears; in prosperity the destroyer will come upon them.
22. उसे अन्ध्यिारे में से फिर निकलने की कुछ आशा नहीं होती, और तलवार उसकी घात में रहती है।
22. They despair of returning from darkness, and they are destined for the sword.
23. वह रोटी के लिये मारा मारा फिरता है, कि कहां मिलेगी। उसे निश्चय रहता है, कि अन्धकार का दिन मेरे पास ही है।
23. They wander abroad for bread, saying, 'Where is it?' They know that a day of darkness is ready at hand;
24. संकट और दुर्घटना से असको डर लगता रहता है, ऐसे राजा की नाई जो युठ्ठ के लिये तैयार हो, वे उस पर प्रबल होते हैं।
24. distress and anguish terrify them; they prevail against them, like a king prepared for battle.
25. उस ने तो ईश्वर के विरूद्ध हाथ बढ़ाया है, और सर्वशक्तिमान के विरूद्ध वह ताल ठोंकता है,
25. Because they stretched out their hands against God, and bid defiance to the Almighty,
26. और सिर उठाकर और अपनी मोटी मोटी ढालें दिखाता हुआ घमणड से उस पर धावा करता है;
26. running stubbornly against him with a thick-bossed shield;
27. इसलिये कि उसके मुंह पर चिकनाई छा गई है, और उसकी कमर में चब जमी है।
27. because they have covered their faces with their fat, and gathered fat upon their loins,
28. और वह उजाड़े हुए नगरों में बस गया है, और जो घर रहने योग्य नहीं, और खणडहर होने को छोड़े गए हैं, उन में बस गया है।
28. they will live in desolate cities, in houses that no one should inhabit, houses destined to become heaps of ruins;
29. वह धनी न रहेगा, और न उसकी सम्पत्ति बनी रहेगी, और ऐसे लोगों के खेत की उपज भूमि की ओर न भुकने पाएगी।
29. they will not be rich, and their wealth will not endure, nor will they strike root in the earth;
30. वह अन्धियारे से कभी न निकलेगा, और उसकी डालियां आग की लपट से झुलस जाएंगी, और ईश्वर के मुंह की श्वास से वह उड़ जाएगा।
30. they will not escape from darkness; the flame will dry up their shoots, and their blossom will be swept away by the wind.
31. वह अपने को धोखा देकर व्यर्थ बातों का भरोसा न करे, क्योंकि उसका बदला धोखा ही होगा।
31. Let them not trust in emptiness, deceiving themselves; for emptiness will be their recompense.
32. वह उसके नियत दिन से पहिले पूरा हो जाएगा; उसकी डालियां हरी न रहेंगी।
32. It will be paid in full before their time, and their branch will not be green.
33. दाख की नाई उसके कच्चे फल झड़ जाएंगे, और उसके फूल जलपाई के वृक्ष के से गिरेंगे।
33. They will shake off their unripe grape, like the vine, and cast off their blossoms, like the olive tree.
34. क्योंकि भक्तिहीन के परिवार से कुछ बन न पड़ेगा, और जो घूस लेते हैं, उनके तम्बू आग से जल जाएंगे।
34. For the company of the godless is barren, and fire consumes the tents of bribery.
35. उनके उपद्रव का पेट रहता, और अनर्थ उत्पन्न होता हैे और वे अपने अन्तेकरण में छल की बातें गढ़ते हैं।
35. They conceive mischief and bring forth evil and their heart prepares deceit.