2 Chronicles - 2 इतिहास 32 | View All

1. इन बातों और ऐसे प्रबन्ध के बाद अश्शूर का राजा सन्हेरीब ने आकर यहूदा में प्रवेश कर ओर गढ़वाले नगरों के विरूद्ध डेरे डालकर उनको अपने लाभ के लिये लेना चाहा।

1. এই সকল কর্ম্মের ও বিশ্বস্ত আচরণের পরে অশূর-রাজ সন্‌হেরীব আসিয়া যিহূদা দেশে প্রবেশ করিলেন, এবং প্রাচীর বেষ্টিত নগর সকলের বিরুদ্ধে শিবির স্থাপন করিয়া সে সমস্ত ভাঙ্গিয়া ফেলিতে মনস্থ করিলেন।

2. यह देखकर कि सन्हेरीब निकट आया है और यरूशलेम से लड़ने की मनसा करता है,

2. যখন হিষ্কিয় দেখিলেন, সন্‌হেরীব আসিয়াছেন, আর তিনি যিরূশালেমের বিরুদ্ধে যুদ্ধ করিবার জন্য উন্মুখ হইয়াছেন,

3. हिजकिरयाह ने अपने हाकिमों और वीरों के साथ यह सम्मति की, कि नगर के बाहर के सोतों को पठवा दें; और उन्हों ने उसकी सहायता की।

3. তখন তিনি আপন অধ্যক্ষগণের ও বীর্য্যবান্‌ লোকদের সহিত নগরের বহিঃস্থিত উনুই সকলের জল বদ্ধ করিবার মন্ত্রণা করিলেন, এবং তাঁহারা তাঁহার সাহায্য করিলেন।

4. इस पर बहुत से लोग इकट्ठे हुए, और यह कहकर, कि अश्शूर के राजा क्यों यहां आएं, और आकर बहुत पानी पाएं, उन्होंने सब सोतों को पाट दिया और उस नदी को सुखा दिया जो देश के मध्य होकर बहती थी।

4. অতএব অনেক লোক একত্র হইয়া সমস্ত উনুই ও দেশের মধ্য গিয়া প্রবাহিত স্রোত বদ্ধ করিল, তাহারা কহিল অশূর-রাজগণ আসিয়া কেন অনেক জল পাইবে?

5. फिर हिजकिरयाह ने हियाव बान्धकर शहरपनाह जहां कहीं टूटी थी, वहां वहां उसको बनवाया, और उसे गुम्मटों के बराबर ऊंचा किया और बाहर एक और शहरपनाह बनवाई, और दाऊदपुर में मिल्लो को दृढ़ किया। और बहुत से तीर और ढालें भी बनवाई।

5. আর তিনি আপনাকে বলবান করিয়া সমস্ত ভগ্ন প্রাচীর গাঁথিয়া দুর্গসমান উচ্চ করিলেন; আবার তাহার বাহিরে আর এক প্রাচীর গাঁথিলেন ও দায়ূদ নগরস্থ মিল্লো দৃঢ় করিলেন, এবং প্রচুর অস্ত্র শস্ত্র ও ঢাল প্রস্তুত করিলেন।

6. तब उस ने प्रजा के ऊपर सेनापति नियुक्त किए और उनको नगर के फाटक के चौक में इकट्ठा किया, और यह कहकर उनको धीरज दिया,

6. আর তিনি লোকদের উপরে সেনাপতিদিগকে নিযুক্ত করিলেন, এবং নগরদ্বারের চকে আপনার নিকটে তাহাদিগকে একত্র করিয়া এই চিত্ততোষক বাক্য কহিলেন,

7. कि हियाव बान्धो और दृढ हो तुम न तो अश्शूर के राजा से डरो और न उसके संग की सारी भीड़ से, और न तुम्हारा मन कच्चा हो; क्योंकि जो हमारे साथ है, वह उसके संगियों से बड़ा है।

7. তোমরা বলবান হও, সাহস কর, অশূর-রাজের সম্মুখে ও তাঁহার সঙ্গী সমস্ত লোক-সমারোহের সম্মুখে ভীত কি নিরাশ হইও না; কারণ তাঁহার সহায় অপেক্ষা আমাদের সহায় মহান্‌।

8. अर्थात् उसका सहारा तो मतुष्य ही है परन्तु हमारे साथ, हमारी सहायता और हमारी ओर से युठ्ठ करने को हमारा परमेश्वर यहोवा है। इसलिये प्रजा के लोग यहूदा के राजा हिजकिरयाह की बातों पर भरोसा किए रहे।

8. মাংসময় বাহু তাঁহার সহায়, কিন্তু আমাদের সাহায্য করিতে ও আমাদের পক্ষে যুদ্ধ করিতে আমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভু আমাদের সহায়। তখন লোকেরা যিহূদা-রাজ হিষ্কিয়ের বাক্যে নির্ভর করিল।

9. इसके बाद अश्शूर का राजा सन्हेरीब जो सारी सेना समेत लाकीश के साम्हने पड़ा था, उस ने अपने कर्मचारियों को यरूशलेम में यहूदा के राजा हिजकिरयाह और उन सब यहूदियों से जो यरूशलेम में थे यों कहने के लिये भेजा,

9. তৎপরে অশূর-রাজ সন্‌হেরীব আপনি যৎকালে সৈন্যসামন্তের সহিত লাখীশ অবরোধ করেন, তৎকালে যিরূশালেমে যিহূদা-রাজ হিষ্কিয়ের নিকটে ও যিরূশালেমে উপস্থিত সমস্ত যিহূদার নিকটে আপন দাসগণ দ্বারা এই কথা বলিয়া পাঠাইলেন;

10. कि अश्शूर का राजा सन्हेरीब कहता है, कि तुम्हें किस का भरोसा है जिससे कि तुम घेरे हुए यरूशलेम में बैठे हो?

10. অশূর-রাজ সন্‌হেরীব এই কথা কহেন, তোমরা কিসের উপর নির্ভর করিতেছ যে, যিরূশালেমের দুর্গমধ্যে বাস করিতেছ?

11. क्या हिजकिरयाह तुम से यह कहकर कि हमारा परमेश्वर यहोवा हम को अश्शूर के राजा के पंजे से बचाएगा तुम्हें नहीं भरमाता है कि तुम को भूखों प्यासों मारे?

11. হিষ্কিয় কি ক্ষুৎপিপাসায় মরিতে দিবার জন্য তোমাদিগকে মুগ্ধ করিতেছে না? সে বলিতেছে, আমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভু আমাদিগকে অশূর-রাজের হস্ত হইতে উদ্ধার করিবেন।

12. क्या उसी हिजकिरयाह ने उसके ऊंचे स्थान और वेदियो दूर करके यहूदा और यरूशलेम को आज्ञा नहीं दी, कि तुम एक ही वेदी के साम्हने दणडवत करना और उसी पर धूप जलाना?

12. ঐ হিষ্কিয়ই কি তাঁহার উচ্চস্থলী ও যজ্ঞবেদি সকল দূর করে নাই? এবং ‘তোমাদিগকে একই যজ্ঞবেদির সম্মুখে প্রণিপাত করিতে ও তাহারই উপরে ধূপ জ্বালাইতে হইবে,’ এই আজ্ঞা কি যিহূদাকে ও যিরূশালেমকে দেয় নাই?

13. क्या तुम को मालूम नहीं, कि मैं ने और मेरे पुरखाओं ने देश देश के सब लोगों से क्या क्या किया है? क्या उन देशें की जातियों के देवता किसी भी उपाय से अपने देश को मेरे हाथ से बचा सके?

13. আমি ও আমার পিতৃপুরুষেরা আমরা অন্যান্য দেশস্থ সমস্ত লোকসমাজের প্রতি যাহা করিয়াছি, তোমরা কি তাহা জান না? সেই সকল দেশের জাতিগণের দেবতারা কি কোন প্রকারে আমার হস্ত হইতে আপন আপন দেশ উদ্ধার করিতে সমর্থ হইয়াছে?

14. जितनी जातियों का मेरे पुरखाओं ने सत्यानाश किया है उनके सब देवताओं में से ऐसा कौन था जो अपनी प्रजा को मेरे हाथ से बचा सका हो? फिर तुम्हारा देवता तुम को मेरे हाथ से कैसे बचा सकेगा?

14. আমার পিতৃপুরুষেরা যে সকল জাতিকে নিঃশেষে বিনাশ করিয়াছেন, তাহাদের সমস্ত দেবতার মধ্যে কে আপন প্রজাদিগকে আমার হস্ত হইতে উদ্ধার করিতে পারিয়াছিল? তবে তোমাদের ঈশ্বর আমার হস্ত হইতে যে তোমাদিগকে উদ্ধার করিতে পারে, ইহা কি সম্ভব?

15. अब हिजकिरयाह तुम को इस रीति भुलाने अथवा बहकाने न पाए, और तुम उसकी प्रतीति न करो, क्योंकि किसी जाति या राज्य का कोई देवता अपनी प्रजा को न तो मेरे हाथ से और न मेरे पुरखाओं के हाथ से बचा सका। यह निश्चय है कि तुम्हारा देवता तुम को मेरे हाथ से नहीं बचा सकेगा।

15. অতএব হিষ্কিয় তোমাদিগকে না ভুলাউক, ও এইরূপে মুগ্ধ না করুক; তোমরা তাহাকে বিশ্বাস করিও না; কেননা আমার হস্ত হইতে ও আমার পিতৃপুরুষদের হস্ত হইতে আপন প্রজাদিগকে উদ্ধার করিতে কোন জাতির কিম্বা রাজ্যের কোন দেবতারই সাধ্য হয় নাই; তবে তোমাদের ঈশ্বর কি তোমাদিগকে আমার হস্ত হইতে উদ্ধার করিবে?

16. इस से भी अधिक उसके कर्मचारियों ने यहोवा परमेश्वर की, और उसके दास हिजकिरयाह की निन्दा की।

16. আর রাজার দাসগণ সদাপ্রভু ঈশ্বরের ও তাঁহার দাস হিষ্কিয়ের বিরুদ্ধে আরও অধিক কথা কহিল।

17. फिर उस ने ऐसा एक पत्रा भेजा, जिस में इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की निन्दा की ये बातें लिखी थीं, कि जैसे देश देश की जातियों के देवताओं ने अपनी अपनी प्रजा को मेरे हाथ से नहीं बचाया वैसे ही हिजकिरयाह का देवता भी अपनी प्रजा को मेरे हाथ से नहीं बचा सकेगा।

17. আর তিনি ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুকে টিট্‌কারি দিবার জন্য ও তাঁহার বিরুদ্ধে কথা বলিবার জন্য এইরূপ পত্রও লিখিলেন, অন্যান্য দেশীয় জাতিগণের দেবগণ যেমন আমার হস্ত হইতে আপন আপন লোকদিগকে উদ্ধার করে নাই, তদ্রূপ হিষ্কিয়ের ঈশ্বরও আপন প্রজাদিগকে আমার হস্ত হইতে উদ্ধার করিবে না।

18. और उन्हों ने ऊंचे शब्द से उन यरूशलेमियों को जो शहरपनाह पर बैठे थे, यहूदी बोली में पुकारा, कि उनको डराकर घबराहट में डाल दें जिस से नगर को ले लें।

18. আর যিরূশালেমের যে লোকেরা প্রাচীরের উপরে ছিল, তাহাদিগকে ভয় দেখাইবার ও ব্যাকুল করিবার জন্য তাহারা অতি উচ্চৈঃস্বরে যিহূদী ভাষায় তাহাদিগের কাছে চেঁচাইতে লাগিল; যেন নগর হস্তগত করিতে পারে।

19. और उन्हों ने यरूशलेम के परमेश्वर की ऐसी चर्चा की, कि मानो पृथ्वी के देश देश के लोगों के देवताओं के बराबर हो, जो मनुष्यों के बनाए हुए हैं।

19. পৃথিবীস্থ জাতিগণের যে দেবগণ মনুষ্যহস্ত-নির্ম্মিত, তাহাদের বিষয়ে কথা কহিবার ন্যায় তাহারা যিরূশালেমের ঈশ্বরের বিষয়ে কথা কহিল।

20. तब इन घटनाओं के कारण राजा हिजकिरयाह और आमोस के पुत्रा यशायाह नबी दोनों ने प्रार्थना की और स्वर्ग की ओर दोहाई दी।

20. পরে হিষ্কিয় রাজা ও আমোসের পুত্র যিশাইয় ভাববাদী সেই কারণ প্রযুক্ত প্রার্থনা করিলেন, ও স্বর্গের কাছে ক্রন্দন করিলেন।

21. तब यहोवा ने एक दूत भेज दिया, जिस ने अश्शूर के राजा की छावनी में सब शूरवीरों, प्रधानों और सेनापतियों को नाश किया। और वह लज्जित होकर, आने देश को लौट गया। और जब वह अपने देवता के भवन में था, तब उसके निज पुत्रों ने वहीं उसे तलवार से मार डाला।

21. তখন সদাপ্রভু এক দূত প্রেরণ করিলেন; তিনি অশূর-রাজের শিবিরের মধ্যে সমস্ত বলবান বীরকে, প্রধান লোককে ও সেনাপতিকে উচ্ছেদ করিলেন; তাহাতে সন্‌হেরীব লজ্জিত হইয়া আপন দেশে ফিরিয়া গেলেন। পরে তিনি আপন দেবালয়ে প্রবেশ করিলে তাঁহার নিজ ঔরসজাতেরা সেই স্থানে খড়্‌গ দ্বারা তাঁহাকে নিপাত করিল।

22. यों यहोवा ने हिजकिरयाह और यरूशलेम के निवासियों को अश्शूर के राजा सन्हेरीब और अपने सब शत्रुओं के हाथ से बचाया, और चारों ओर उनकी अगुवाई की।

22. এই প্রকারে সদাপ্রভু হিষ্কিয়কে ও যিরূশালেম-নিবাসীদিগকে অশূর-রাজ সন্‌হেরীবের হস্ত হইতে ও আর সকলের হস্ত হইতে নিস্তার করিলেন, এবং সর্ব্বদিকে তাহাদিগকে রক্ষা করিলেন।

23. और बहुत लोग यरूशलेम को यहोवा के लिये भेंट और यहूदा के राजा हिजकिरयाह के लिये अनमोल वस्तुएं ले आने लगे, और उस समय से वह सब जातियों की दृष्टि में महान ठहरा।

23. তাহাতে অনেক লোক যিরূশালেমে সদাপ্রভুর উদ্দেশে নৈবেদ্য আনিল, এবং যিহূদা-রাজ হিষ্কিয়ের কাছে বহুমূল্য দ্রব্য আনিল; তাহাতে সেই সময় হইতে তিনি সকল জাতির দৃষ্টিতে উন্নত হইলেন।

24. उन दिनों हिजकिरयाह ऐसा रोगी हुआ, कि वह मरा चाहता था, तब उस ने यहोवा से प्रार्थना की; और उस ने उस से बातें करके उसके लिये एक चमत्कार दिखाया।

24. ঐ সময়ে হিষ্কিয়ের সাংঘাতিক পীড়া হইল, আর তিনি সদাপ্রভুর কাছে প্রার্থনা করিলেন; তাহাতে সদাপ্রভু তাঁহাকে উত্তর দিলেন, ও তাঁহাকে এক অদ্ভুত লক্ষণ জানাইলেন।

25. परन्तु हिजकिरयाह ने उस उपकार का बदला न दिया, क्योंकि उसका मन फूल उठा था। इस कारण उसका कोप उस पर और यहूदा और यरूशलेम पर भड़का।

25. কিন্তু হিষ্কিয় প্রাপ্ত উপকারানুসারে প্রতিদান করিলেন না, কারণ তাঁহার মন গর্ব্বিত হইয়াছিল; অতএব তাঁহার এবং যিহূদার ও যিরূশালেমের উপরে ক্রোধ উপস্থিত হইল।

26. तब हिजकिरयाह यरूशलेम के निवासियों समेत अपने मन के फूलने के कारण दीन हो गया, इसलिये यहोवा का क्रोध उन पर हिजकिरयाह के दिनों में न भड़का।

26. তখন হিষ্কিয় আপন মনের গর্ব্ব বুঝিয়া আপনাকে অবনত করিলেন, তিনি ও যিরূশালেম-নিবাসীরা তাহা করিলেন। সেই জন্য সদাপ্রভুর ক্রোধ তাহাদের উপরে হিষ্কিয়ের সময়ে উপস্থিত হইল না।

27. और हिजकिरयाह को बहुत ही धन और विभव मिला; और उस ने चान्दी, सोने, मणियों, सुगन्धद्रव्य, ढालों और सब प्रकार के मनभावने पात्रों के लिये भणडार बनवाए।

27. হিষ্কিয়ের প্রতি প্রচুর ধন ও প্রতাপ ছিল, তিনি আপনার জন্য রৌপ্যের, স্বর্ণের, মণির, সুগন্ধি দ্রব্যের, ঢালের ও সর্ব্বপ্রকার মনোহর পাত্রের কোষ প্রস্তুত করিলেন,

28. फिर उस ने अन्न, नया दाखमधु, और टटका लेल के लिये भणडार, और सब भांति के पशुओं के लिये थान, और भेड़- बकरियों के लिये भेड़शालाएं बनवाई।

28. আর শস্য, দ্রাক্ষারস ও তৈলের জন্য ভাণ্ডার, এবং সর্ব্বপ্রকার পশুর ঘর ও মেষপালের খোঁয়াড় করিলেন।

29. और उस ने नगर बसाए, और बहुत ही भेड़- बकरियों और गाय- बैलों की सम्पत्ति इकट्ठा कर ली, क्योंकि परमेश्वर ने उसे बहुत ही धन दिया था।

29. আর তিনি আপনার জন্য নানা নগর ও গোমেষাদি অনেক পশুধন প্রস্তুত করিলেন, যেহেতু ঈশ্বর তাঁহাকে অতি প্রচুর ধন দিয়াছিলেন।

30. उसी हिजकिरयाह ने गीहोन नाम नदी के ऊपर के सोते को पाटकर उस नदी को नीचे की ओर दाऊदपुर की पच्छिम अलंग को सीधा पहुंचाया, और हिजकिरयाह अपने सब कामों में कृतार्थ होता था।

30. এই হিষ্কিয় গীহোনের জলের উচ্চতর মুখ বদ্ধ করিয়া সরল পথে দায়ূদ-নগরের পশ্চিম পার্শ্বে সেই জল নামাইয়া আনিয়াছিলেন। আর হিষ্কিয় আপনার সকল কার্য্যেই কৃতকার্য্য হইলেন।

31. तौभी जब बाबेल के हाकिमों ने उसके पास उसके देश में किए हुए चमत्कार के विषय पूछने को दूत भेजे तब परमेश्वर ने उसको इसलिये छोड़ दिया, कि उसको परख कर उसके मन का सारा भेद जान ले।

31. কিন্তু তাঁহার দেশে যে অদ্ভুত লক্ষণ দেখান হইয়াছিল, তাহার বিবরণ জিজ্ঞাসা করিতে বাবিলেন অধ্যক্ষগণ দূতদিগকে পাঠাইলে ঈশ্বর তাঁহার পরীক্ষা করিবার নিমিত্ত, তাঁহার মনে কি আছে, সে সকল জানিবার নিমিত্ত, তাঁহাকে ত্যাগ করিয়াছিলেন।

32. हिजकिरयाह के और काम, ओर उसके भक्ति के काम आमोस के पुत्रा यशायाह नबी के दर्शन नाम पुस्तक में, और यहूदा और इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं।

32. হিষ্কিয়ের অবশিষ্ট কর্ম্মের বৃত্তান্ত ও তাঁহার সাধুকার্য্যের বিবরণ, দেখ, আমোসের পুত্র যিশাইয় ভাববাদীর দর্শন-পুস্তকে লিখিত আছে; তাহা যিহূদার ও ইস্রায়েলের রাজাদের ইতিহাস পুস্তকান্তর্গত।

33. अन्त में हिजकिरयाह अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसको दाऊद की सन्तान के कब्रिस्तान की चढाई पर मिट्टी दी गई, और सब यहूदियों और यरूशलेम के निवासियों ने उसकी मृत्यु पर उसका आदरमान किया। और उसका पुत्रा मनश्शे उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

33. পরে হিষ্কিয় আপন পিতৃলোকদের সহিত নিদ্রাগত হইলেন; আর লোকেরা দায়ূদ-সন্তানগণের কবরস্থানের ঊর্দ্ধগামী পথে তাঁহাকে কবর দিল, এবং তাঁহার মরণকালে সমস্ত যিহূদা ও যিরূশালেম-নিবাসীরা তাঁহার সম্মান করিল। পরে তাঁহার পুত্র মনঃশি তাঁহার পদে রাজা হইলেন।



Shortcut Links
2 इतिहास - 2 Chronicles : 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 |
उत्पत्ति - Genesis | निर्गमन - Exodus | लैव्यव्यवस्था - Leviticus | गिनती - Numbers | व्यवस्थाविवरण - Deuteronomy | यहोशू - Joshua | न्यायियों - Judges | रूत - Ruth | 1 शमूएल - 1 Samuel | 2 शमूएल - 2 Samuel | 1 राजाओं - 1 Kings | 2 राजाओं - 2 Kings | 1 इतिहास - 1 Chronicles | 2 इतिहास - 2 Chronicles | एज्रा - Ezra | नहेम्याह - Nehemiah | एस्तेर - Esther | अय्यूब - Job | भजन संहिता - Psalms | नीतिवचन - Proverbs | सभोपदेशक - Ecclesiastes | श्रेष्ठगीत - Song of Songs | यशायाह - Isaiah | यिर्मयाह - Jeremiah | विलापगीत - Lamentations | यहेजकेल - Ezekiel | दानिय्येल - Daniel | होशे - Hosea | योएल - Joel | आमोस - Amos | ओबद्याह - Obadiah | योना - Jonah | मीका - Micah | नहूम - Nahum | हबक्कूक - Habakkuk | सपन्याह - Zephaniah | हाग्गै - Haggai | जकर्याह - Zechariah | मलाकी - Malachi | मत्ती - Matthew | मरकुस - Mark | लूका - Luke | यूहन्ना - John | प्रेरितों के काम - Acts | रोमियों - Romans | 1 कुरिन्थियों - 1 Corinthians | 2 कुरिन्थियों - 2 Corinthians | गलातियों - Galatians | इफिसियों - Ephesians | फिलिप्पियों - Philippians | कुलुस्सियों - Colossians | 1 थिस्सलुनीकियों - 1 Thessalonians | 2 थिस्सलुनीकियों - 2 Thessalonians | 1 तीमुथियुस - 1 Timothy | 2 तीमुथियुस - 2 Timothy | तीतुस - Titus | फिलेमोन - Philemon | इब्रानियों - Hebrews | याकूब - James | 1 पतरस - 1 Peter | 2 पतरस - 2 Peter | 1 यूहन्ना - 1 John | 2 यूहन्ना - 2 John | 3 यूहन्ना - 3 John | यहूदा - Jude | प्रकाशितवाक्य - Revelation |

Explore Parallel Bibles
21st Century KJV | A Conservative Version | American King James Version (1999) | American Standard Version (1901) | Amplified Bible (1965) | Apostles' Bible Complete (2004) | Bengali Bible | Bible in Basic English (1964) | Bishop's Bible | Complementary English Version (1995) | Coverdale Bible (1535) | Easy to Read Revised Version (2005) | English Jubilee 2000 Bible (2000) | English Lo Parishuddha Grandham | English Standard Version (2001) | Geneva Bible (1599) | Hebrew Names Version | Hindi Bible | Holman Christian Standard Bible (2004) | Holy Bible Revised Version (1885) | Kannada Bible | King James Version (1769) | Literal Translation of Holy Bible (2000) | Malayalam Bible | Modern King James Version (1962) | New American Bible | New American Standard Bible (1995) | New Century Version (1991) | New English Translation (2005) | New International Reader's Version (1998) | New International Version (1984) (US) | New International Version (UK) | New King James Version (1982) | New Life Version (1969) | New Living Translation (1996) | New Revised Standard Version (1989) | Restored Name KJV | Revised Standard Version (1952) | Revised Version (1881-1885) | Revised Webster Update (1995) | Rotherhams Emphasized Bible (1902) | Tamil Bible | Telugu Bible (BSI) | Telugu Bible (WBTC) | The Complete Jewish Bible (1998) | The Darby Bible (1890) | The Douay-Rheims American Bible (1899) | The Message Bible (2002) | The New Jerusalem Bible | The Webster Bible (1833) | Third Millennium Bible (1998) | Today's English Version (Good News Bible) (1992) | Today's New International Version (2005) | Tyndale Bible (1534) | Tyndale-Rogers-Coverdale-Cranmer Bible (1537) | Updated Bible (2006) | Voice In Wilderness (2006) | World English Bible | Wycliffe Bible (1395) | Young's Literal Translation (1898) | Hindi Reference Bible |