14. और उस ने क्या देखा कि राजा रीति के अनुसार खम्भे के पास खड़ा है, और राजा के पास प्रधान और तुरही बजानेवाले खड़े हैं। और लोग आनन्द करते और तुरहियां बजा रहे हैं। तब अतल्याह अपने वस्त्रा फाड़कर राजद्रोह.. राजद्रोह यों पुकारने लगी।
14. আর দৃষ্টিপাত করিল, আর দেখ, রাজা যথারীতি মঞ্চের উপরে দাঁড়াইয়া আছেন, এবং সেনাপতিগণ ও তূরীবাদকগণ রাজার নিকটে আছে, এবং দেশের সমস্ত লোক আনন্দ করিতেছে ও তূরী বাজাইতেছে। তখন অথলিয়া আপনার বস্ত্র ছিঁড়িয়া ‘রাজদ্রোহ, রাজদ্রোহ’ বলিয়া চেঁচাইয়া উঠিল।