1 Kings - 1 राजाओं 18 | View All

1. बहुत दिनों के बाद, तीसरे वर्ष में यहोवा का यह वचन एलिरयाह के पास पहुंचा, कि जाकर अपने अपप को अहाब को दिखा, और मैं भूमि पर मेंह बरसा दूंगा।
लूका 4:25

1. And at the last the word of the LORD came to Eliah the third year saying: go shew thyself unto Ahab, that I may send rain upon the earth.

2. तब एलिरयाह अपने आप को अहाब को दिखाने गया। उस समय शोमरोन में अकाल भारी था।

2. And Eliah went to shew himself unto Ahab, for there was a great famishment in Samaria.

3. इसलिये अहाब ने ओबद्याह को जो उसके घराने का दीवान था बुलवाया।

3. Wherefore Ahab called Abdiah the governor of his house: which Abdiah feared GOD greatly:

4. ओबद्याह तो यहोवा का भय यहां तक मानता था कि जब ईज़ेबेल यहोवा के नबियों को नाश करती थी, तब ओबद्याह ने एक सौ नबियों को लेकर पचास- पचास करके गुफाओं में छिपा रखा; और अन्न जल देकर उनका पालन- पोषण करता रहा।
इब्रानियों 11:38

4. insomuch that when Jezebel destroyed the Prophets of the LORD, he took an hundredth of the Prophets and hid them, fifty in one cave and fifty in another, and provided bread and water for them.

5. और अहाब ने ओबद्याह से कहा, कि देश में जल के सब सोतों और सब नदियों के पास जा, कदाचित इतनी घास मिले कि हम घेड़ों और खच्चरों को जीवित बचा सकें,

5. And Ahab said unto Abdiah: walk thorow the land, unto all fountains of water and unto all brooks, to see whether any grass may be found that we may save the horses and the Mules, that we destroy not the beasts.

6. और हमारे सब पशु न मर जाएं। और उन्हों ने आपस में देश बांटा कि उस में होकर चलें; एक ओर अहाब और दूसरी ओर ओबद्याह चला।

6. And they divided the land between them to walk thorow it. Ahab went one way by himself, and Abdiah went another by himself.

7. ओबद्याह मार्ग में था, कि एलिरयाह उसको मिला; उसे चरन्ह कर वह मुंह के बल गिरा, और कहा, हे मेरे प्रभु एलिरयह, क्या तू है?

7. And it chanced as Abdiah went in the way, that Eliah met him. And Abdiah knew him and fell on his face and said: art not thou my lord Eliah?

8. उस ने कहा हां मैं ही हूँ : जाकर अपने स्वामी से कह, कि एलिरयाह मिला है।

8. And he said unto him: I am he. Go and tell Ahab that Eliah is here.

9. उस ने कहा, मैं ने ऐसा क्या पाप किया है कि तू मुझे मरवा डालने के लिये अहाब के हाथ करना चाहता है?

9. And the other answered: what have I sinned, that thou wouldest deliver me unto the hand of Ahab, to slay me?

10. तेरे परमेश्वर यहोवा के जीवन की शपथ कोई ऐसी जाति वा राज्य नहीं, जिस में मेरे स्वामी ने तुझे ढूंढ़ने को न भेजा हो, और जब उन लोगों ने कहा, कि वह यहां नहीं है, तब उस ने उस राज्य वा जाति को इसकी शपथ खिलाई कि एलिरयाह नहीं मिला।

10. As surely as the LORD thy God liveth there is no nation or kingdom, whither my lord hath not sent, to seek thee. And when they said thou wast not there, he took an oath of the kingdom and nation, because he found thee not.

11. और अब तू कहता है कि जाकर अपने स्वामी से कह, कि एलिरयाह मिला !

11. And now thou sayest: go and tell thy Lord Eliah is here.

12. फिर ज्यों ही मैं तेरे पास से चला जाऊंगा, त्यों ही यहोवा का आत्मा तुझे न जाने कहां उठा ले जाएगा, सो जब मैं जाकर अहाब को बताऊंगा, और तू उसे न मिलेगा, तब वह मुझे मार डालेगा : परन्तु मैं तेरा दास अपने लड़कपन से यहोवा का भय मानता आया हूँ !
प्रेरितों के काम 8:39

12. And as soon as I am gone from thee, the spirit of the LORD shall carry thee away whither I shall not know: and then when I have gone and told Ahab, and then he can not find thee, he shall slay me. And yet I thy servant have feared the LORD from my young age.

13. क्या मेरे प्रभु को यह नहीं बताया गया, कि जब ईज़ेबेल यहोवा के नबियों को घात करती थी तब मैं ने क्या किया? कि यहोवा के नबियों में से एक सौ लेकर पचाय- पचाय करके गुफाओं में छिपा रखा, और उन्हें अन्न जल देकर पालता रहा।
इब्रानियों 11:38

13. Was it not told my lord, what I did, when Jezebel slew the Prophets of the LORD? how I hid an hundredth of the LORD's Prophets, fifty in one cave and as many in another, and provided them of bread and water?

14. फिर अब तू कहता है, जाकर अपने स्वामी से कह, कि एलिरयाह मिला है ! तब वह मुझे घात करेगा।

14. And yet now thou sayest, go shew thy lord, that Eliah is here, that he should slay me.

15. एलिरयाह ने कहा, सेनाओं का यहोवा जिसके साम्हने मैं रहता हूँ, उसके जीवन की शपथ आज मैं अपने अप को उसे दिखाऊंगा।

15. Then Eliah said: as truly as the LORD of Hosts liveth, before whom I stand: I will shew myself unto him this day.

16. तब ओबद्याह अहाब से मिलने गया, और उसको बता दिया, सो अहाब एलिरयाह से मिलने चला।

16. And thereupon Abdiah went to Ahab and told him. And Ahab went against Eliah.

17. एलिरयाह को देखते ही अहाब ने कहा, हे इस्राएल के सतानेवाले क्या तू ही है?
प्रेरितों के काम 16:20

17. And when Ahab saw Eliah, he said unto him: art thou he that troubleth Israel?

18. उस ने कहा, मैं ने इस्राएल को कष्ट नहीं दिया, परन्तु तू ही ने और तेरे पिता के घराने ने दिया है; क्योंकि तुम यहोवा की आज्ञाओ को टालकर बाल देवताओं की उपासना करने लगे।

18. And he said: it is not I that trouble Israel, but thou and thy father's house, in that ye have forsaken the commandments of the LORD, and hast followed Baal.

19. अब दूत भेजकर सारे इस्राएल को और बाल के साढ़े चार सौ नबियों और अशेरा के चार सौ नबियों को जो ईज़ेबेल की मेज पर खाते हैं, मेरे पास कर्म्मेल पर्वत पर इकट्ठा कर ले।

19. But now send and gather to me all Israel unto mount Carmel and the Prophets of Baal four hundredth and fifty, and the Prophets of the groves four hundredth, which eat of Jezebel's table.

20. तब अहाब ने सारे इस्राएलियों को बुला भेजा और नबियों को कर्म्मेल पर्वत पर इकट्ठा किया।

20. And Ahab sent for all the children of Israel, and gathered the Prophets unto mount Carmel.

21. और एलिरयाह सब लोगों के पास आकर कहने लगा, तुम कब तक दो विचारों में लटके रहोगे, यदि यहोवा परमेश्वर हो, तो उसके पीछे हो लेओे; और यदि बाल हो, तो उसके पीछे हो लेओ। लोगों ने उसके उत्तर में एक भी बात न कही।

21. And Eliah came unto all the people and said: why halt ye between two opinions? If the LORD be very God, follow him: or if Baal be he follow him. And the people answered him not one word.

22. तब एलिरयाह ने लोगों से कहा, यहोवा के नबियों में से केवल मैं ही रह गया हूँ; और बाल के नबी साढ़े चार सौ मनुष्य हैं।

22. Then said Eliah unto the people: I onely remain of the LORD's Prophets, and Baal's Prophets are four hundredth and fifty.

23. इसलिये दो बछड़े लाकर हमें दिए जाएं, और वे एक अपने लिये चुनकर उसे टुकड़े टुकड़े काटकर लकड़ी पर रख दें, और कुछ आग न लगाएं; और मैं दूसरे बछड़े को तैयार करके लकड़ी पर रखूंगा, और कुछ आग न लगाऊंगा।

23. Let two oxen be given us, and let them choose the one and cut him in pieces and lay him on wood, and put no fire under. And I will dress the other and put him on wood, and will put no fire under.

24. तब तुम तो अपने दवता से प्रार्थना करना, और मैं यहोवा से प्रार्थना करूंगा, और जो आग गिराकर उत्तर दे वही परमेश्वर ठहरे। तब सब लोग बोल उठे, अच्छी बात।
प्रकाशितवाक्य 13:13

24. And call ye on the name of your God, and I will call on the name of the LORD. And then the God that answereth by fire, he is the very God. And all the people said: it is well spoken.

25. और एलिरयाह ने बाल के नबियों से कहा, पहिले तुम एक बछड़ा चुनकर तैयार कर लो, क्योंकि तुम तो बहुत हो; तब अपने देवता से प्रार्थना करना, परन्तु आग न लगाना।

25. Then said Eliah unto the Prophets of Baal, choose you an ox and dress him first (for ye are many) and call on the name of your God, but put no fire under.

26. तब उन्हों ने उस बछड़े को जो उन्हें दिया गया था लेकर तैयार किया, और भोर से लेकर दोपहर तक वह यह कहकर बाल से प्रार्थना करते रहे, कि हे बाल हमारी सुन, हे बाल हमारी सुन ! परन्तु न कोई शब्द और न कोई उत्तर देनेवाला हुआ। तब वे अपनी बनाई हुई वेदी पर उछलने कूदने लगे।

26. And they took the ox that was given them and dressed it, and called on the name of Baal from morning to noon saying: O Baal hear us. But there was no voice nor answer. And they leapt about the altar that they had made.

27. दोपहर को एलिरयाह ने यह कहकर उनका ठट्ठा किया, कि ऊंचे शब्द से पुकारो, वह तो देवता है; वह तो ध्यान लगाए होगा, वा कहीं गया होगा वा यात्रा में होगा, वा हो सकता है कि सोता हो और उसे जगाना चाहिए।

27. And at noon Eliah mocked them and said: call loud (for he is a God: but he is talking, or occupied, or in the way, or haply he sleepeth) that he may awake.

28. और उन्हों ने बड़े शब्द से पुकार पुकार के अपनी रीति के अनुसार छुरियों और बर्छियों से अपने अपने को यहां तक घायल किया कि लोहू लुहान हो गए।

28. And they cried loud, and cut themselves, as their manner was, with knives and lances, till the blood flowed on them.

29. वे दोपहर भर ही क्या, वरन भेंट चढ़ाने के समय तक नबूवत करते रहे, परन्तु कोई शब्द सुन न पड़ा; और न तो किसी ने उत्तर दिया और न कान लगाया।

29. And when midday was passed, they prophesied until it was time to offer. But there was neither voice nor answer nor any that regarded them.

30. तब एलिरयाह ने सब लोगों से कहा, मेरे निकट आओ; और सब लोग उसके निकट आए। तब उस ने यहोवा की वेदी की जो गिराई गई थी मरम्मत की।

30. Then Eliah said to all the folk: come to me. And all the people came to him. And he mended the altar of the LORD that was broken.

31. फिर एलिरयाह ने याकूब के पुत्रों की गिनती के अनुसार जिसके पास यहोवा का यह पचन आया था,

31. And he took twelve stones according to the number of the twelve tribes of the sons of Jacob, unto whom the word of the LORD came saying: Israel shall be thy name.

32. कि तेरा नाम इस्राएल होगा, बारह पत्थ्र छांटे, और उन पत्थरों से यहोवा के नाम की एक वेदी बनाई; और उसके चारों ओर इतना बड़ा एक गड़हा खोद दिया, कि उस में दो सआ बीज समा सके।

32. And with the stones he made an altar in the name of the LORD. And he made a gutter round about the altar, able to receive two pecks of corn.

33. तब उस ने वेदी पर लकड़ी को सजाया, और बछड़े को टुकड़े टुकड़े काटकर लकड़ी पर धर दिया, और कहा, चार घड़े पानी भर के होमबलि, पशु और लकड़ी पर उणडेल दो।

33. And he put the wood in order, and hewed the ox in pieces, and put him on the wood,

34. तब उस ने कहा, दूसरी बार वैसा ही करो; तब लोगों ने दूसरी बार वैसा ही किया। फिर उस ने कहा, तीसरी बार करो; तब लोगों ने तीसरी बार भी वैसा ही किया।

34. and said: fill four pitchers with water and pour it on the sacrifice and on the wood. And he said: do so again. And they did so again. Then he said: do it the third time. And they did so the third time.

35. और जल वेदी के चारों ओर बह गया, और गड़हे को भी उस ने जल से भर दिया।

35. And the water ran round about the altar, and the gutter was full of water also.

36. फिर भेंट चढ़ाने के समय एलिरयाह नबी समीप जाकर कहने लगा, हे इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ! आज यह प्रगट कर कि इस्राएल में तू ही परमेश्वर है, और मैं तेरा दास हूँ, और मैं ने ये सब काम तझ से वचन पाकर किए हैं।

36. And when offering time was come, Eliah the prophet went to and said: LORD God of Abraham, Isaac and of Israel, let it be known this day, that thou art the God in Israel, and that I am thy servant, and that I do all these things at thy commandment.

37. हे यहावा ! मेरी सुन, मेरी सुन, कि ये लोग जान लें कि हे यहोवा, तू ही परमेश्वर है, और तू ही उनका मन लौटा लेता है।

37. Hear me O LORD, hear me, that this people may know, that thou LORD, art the God, and that thou hast turned their hearts backward.

38. तब यहोवा की आग आकाश से प्रगट हुई और होमबलि को लकड़ी और पत्थ्रों और धूलि समेत भस्म कर दिया, और गड़हे में का जल भी सुखा दिया।

38. And there fell fire from the LORD and consumed the sacrifice and the wood and the stones and the dust, and licked up the water that was in the gutter.

39. यह देख सब लोग मुंह के बल गिरकर बोल उठे, यहोवा ही परमेश्वर है, यहोवा ही परमेश्वर है;

39. And when all the people saw that, they fell on their faces and said: the LORD he is God, the LORD he is God.

40. एलिरयाह ने उन से कहा, बाल के नबियों को पकड़ लो, उन में से एक भी छूटते न पाए; तब उन्हों ने उनको पकड़ लिया, और एलिरयाह ने उन्हें नीचे किशोन के नाले में ले जाकर मार डाला।

40. Then said Eliah unto them, lay hands on the Prophets of Baal, let not one of them escape. And when they had taken them, Eliah brought them down unto the brook Kison, and slew them there.

41. फिर एलिरयाह ने अहाब से कहा, उठकर खा पी, क्योंकि भारी वर्षा की सनसनाहट सुन पडती है।

41. Then Eliah said unto Ahab, get thee up and eat and drink, for there is a sound of much rain.

42. तब अहाब खाने पीने चला गया, और एलिरयाह कर्म्मेल की चोटी पर चढ़ गया, और भूमि पर गिर कर अपना मुंह घुटनों के बीच किया।
याकूब 5:18

42. And when Ahab went up to eat and to drink, Eliah went up to the top of mount Carmel. And bowed himself to the earth, and put his face between his knees,

43. और उस ने अपने सेवक से कहा, चढ़कर समुद्र की ओर दृष्टि कर देख, तब उस ने चढ़कर देखा और लौटकर कहा, कुछ नहीं दीखता। एलिरयाह ने कहा, फिर सात बार जा।

43. and said to his servant: go up and look toward the sea. And he went up and looked, and said: here is nothing. And he said go again seven times.

44. सातवीं बार उस ने कहा, देख समुद्र में से मनुष्य का हाथ सा एक छोटा आदल उठ रहा है। एलिरयाह ने कहा, अहाब के पास जाकर कह, कि रथ जुतवा कर नीचे जा, कहीं ऐसा न हो कि नू वर्षा के कारण रूक जाए।

44. And the seventh time he said: behold, there ariseth a little cloud out of the sea, like the palm of a man's hand. Then he said: go and say to Ahab, put the horses in the chariot, and get thee down that the rain stop thee not.

45. थोड़ी ही देर में आकाश वायु से उड़ाई हुई घटाओं, और आन्धी से काला हो गया और भरी वर्षा होने लगी; और अहाब सवार होकर यिज्रेल को चला।

45. And within a little while, heaven was black with clouds and wind, and there was a great rain. And Ahab rode and went to Jezrahel.

46. तब यहोवा की शक्ति एलिरयाह पर ऐसी हुई; कि वह कमर बान्धकर अहाब के आगे आगे यिज्रेल तक दौड़ता चला गया।
लूका 12:35

46. And the hand of the LORD was on Eliah, and he girded up his loins and ran before Ahab, till they came to Jezrahel.



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