27. दोपहर को एलिरयाह ने यह कहकर उनका ठट्ठा किया, कि ऊंचे शब्द से पुकारो, वह तो देवता है; वह तो ध्यान लगाए होगा, वा कहीं गया होगा वा यात्रा में होगा, वा हो सकता है कि सोता हो और उसे जगाना चाहिए।
27. And when it was now noon, Elias jested at them, saying: Cry with a louder voice: for he is a God, and perhaps he is talking, or is in an inn, or on a journey, or perhaps he is asleep, and must be awaked.