2 Samuel - 2 शमूएल 12 | View All

1. तब यहोवा ने दाऊद के पास नातान को भेजा, और वह उसके पास जाकर कहने लगा, एक नगर में दो मनुष्य रहते थे, जिन में से एक धनी और एक निर्धन था।

1. And Jehovah sent Nathan to David. And he came to him and said to him, There were two men in one city, one rich and one poor.

2. धनी के पास तो बहुत सी भेड़- बकरियां और गाय बैल थे;

2. The rich one had exceeding many flocks and herds,

3. परन्तु निर्धन के पास भेड़ की एक छोटी बच्ची को छोड़ और कुछ भी न था, और उसको उस ने मोल लेकर जिलाया था। और वह उसके यहां उसके बालबच्चों के साथ ही बढ़ी थी; वह उसके टुकड़े में से खाती, और उसके कटोरे में से पीती, और उसकी गोद मे सोती थी, और वह उसकी बेटी के समान थी।

3. but the poor one had nothing except one little ewe lamb which he had bought and nourished up. And it grew up together with him and with his sons. It ate of his own food and drank from his own cup, and lay in his bosom, and was to him like a daughter.

4. और धनी के पास एक बटोही आया, और उस ने उस बटोही के लिये, जो उसके पास आया था, भोजत बनवाने को अपनी भेड़- बकरियों वा गाय बैलों में से कुछ न लिया, परन्तु उस निर्धन मनुष्य की भेड़ की बच्ची लेकर उस जन के लिये, जो उसके पास आया था, भोजन बनवाया।

4. And there came a traveler to the rich man, and he spared to take of his own flock and of his own herd to dress for the traveler that had come to him. But he took the poor man's lamb and dressed it for the man who had come to him.

5. तब दाऊद का कोप उस मनुष्य पर बहुत भड़का; और उस ने नातान से कहा, यहोवा के जीवन की शपथ, जिस मनुष्य ने ऐसा काम किया वह प्राण दणड के योग्य है;

5. And David's anger was greatly kindled against the man. And he said to Nathan, As the Lord lives, the man who has done this shall surely die.

6. और उसको वह भेड़ की बच्ची का औगुणा भर देना होगा, क्योंकि उस ने ऐसा काम किया, और कुछ दया नहीं की।

6. And he shall restore the lamb fourfold, because he did this thing, and because he had no pity.

7. तब नातान ने दाऊद से कहा, तू ही वह मनुष्य है। इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि मैं ने तेरा अभिशेक कराके तुझे इस्राएल का राजा ठहराया, और मैं ते तुझे शाऊल के हाथ से बचाया;

7. And Nathan said to David, You are the man! So says Jehovah, the God of Israel, I anointed you king over Israel, and I delivered you out of the hand of Saul.

8. फिर मैं ने तेरे स्वामी का भवन तुझे दिया, और तेरे स्वामी की पत्नियां तेरे भाग के लिये दीं; और मैं ने इस्राएल और सहूदा का घराना तुझे दिया था; और यदि यह थोड़ा था, तो मैं तुझे और भी बहुत कुछ देनेवाला था।

8. And I gave you your master's house and your master's wives into your bosom, and gave you the house of Israel and of Judah. And if that was too little, I would have given to you such and such things besides.

9. तू ने यहोवा की आज्ञा तुच्छ जानकर क्यों वह काम किया, जो उसकी दृष्टि में बुरा है? हित्ती ऊरिरयाह को तू ने तलवार से घात किया, और उसकी पत्नी को अपनी कर लिया है, और ऊरिरयाह को अम्मोनियों की तलवार से मरवा डाला है।

9. Why have you despised the Word of Jehovah, to do evil in His sight? You have stricken Uriah the Hittite with the sword, and have taken his wife to be your wife, and have killed him with the sword of the sons of Ammon.

10. इसलिये अब तलवार तेरे घर से कभी दूर न होगी, क्योंकि तू ने मुझे तुच्छ जानकर हित्ती ऊरिरयाह की पत्नी को अपनी पत्नी कर लिया है।

10. And therefore, the sword shall never depart from your house, because you have despised Me and have taken the wife of Uriah the Hittite to be your wife.

11. यहोवा यों कहता है, कि सुन, मैं तेरे घर में से विपत्ति उठाकर तुझ पर डालूंगा; और तेरी पत्नियों को तेरे साम्हने लेकर दूसरे को दूंगा, और वह दिन दुपहरी में तेरी पत्नियों से कुकर्म करेगा।

11. So says Jehovah, Behold, I will raise up evil against you out of your own house, and I will take your wives before your eyes and give them to your neighbor. And he shall lie with your wives in the sight of this sun.

12. तू ने तो वह काम छिपाकर किया; पर मैं यह काम सब इस्राएलियों के साम्हने दिन दुपहरी कराऊंगा।

12. For you did it secretly, but I will do this thing before all Israel and before the sun.

13. तब दाऊद ने नातान से कहा, मैं ने यहोवा के विरूद्ध पाप किया है। नातान ने दाऊद से कहा, यहोवा ने तेरे पाप को दूर किया है।; तू न मरेगा।

13. And David said to Nathan, I have sinned against Jehovah. And Nathan said to David, Jehovah also has put away your sin; you shall not die.

14. तौभी तू ने जो इस काम के द्वारा यहोवा के शत्रुओं को तिरस्कार करने का बड़ा अवसर दिया है, इस कारण तेरा जो बेटा उत्पन्न हुआ है वह अवश्य ही मरेगा।

14. Only, because by this deed you have given great occasion to the enemies of Jehovah to blaspheme, this child born to you shall surely die.

15. तब नातान अपने घर चला गया। और जो बच्चा ऊरिरयाह की पत्नी से दाऊद के द्वारा उत्पन्न था, वह यहोवा का मारा बहुत रोगी हो गया।

15. And Nathan left to go to his house. And Jehovah struck the child that Uriah's wife bore to David, and it was very sick.

16. और दाऊद उस लड़के के लिये परमेश्वर से बिनती करने लगा; और उपवास किया, और भीतर जाकर रात भर भूमि पर पड़ा रहा।

16. And David prayed to God for the child. And David fasted, and went in and lay all night upon the earth.

17. तब उसके घराने के पुरनिये उठकर उसे भूमि पर से उठाने के लिये उसके पास गए; परन्तु उस ने न चाहा, और उनके संग रोठी न खाई।

17. And the elders of his house rose up toward him, to raise him up from the earth. But he would not, neither did he eat bread with them.

18. सातवें दिन बच्चा मर गया, और दाऊद के कर्मचारी उसको बच्चे के मरने का समाचार देने से डरे; उन्हों ने तो कहा था, कि जब तक बच्चा जीवित रहा, तब तक उस ने हमारे बमझाने पर मन न लगाया; यदि हम उसको बच्चे के मर जाने का हाल सुनाएं तो वह बहुत ही अधिक दु:खी होगा।

18. And it happened on the seventh day, the child died. And the servants of David feared to tell him that the child was dead. For they said, Behold, while the child was still alive we spoke to him, and he would not listen to our voice. How then will he trouble himself if we tell him that the child is dead?

19. अपने कर्मचारियों को आपस में फुसफुसाते देखकर दाऊद ने जान लिया कि बच्चा मर गया; तो दाऊद ने अपने कर्मचारियों से पूछा, क्या बच्चा मर गया? उन्हों ने कहा, हां, मर गया है।

19. But David saw that his servants whispered. And David understood that the child was dead. And David said to his servants, Is the boy dead? And they said, He is dead.

20. तब दाऊद भूमि पर से उठा, और नहाकर तेल लगाया, और वस्त्रा बदला; तब यहोवा के भवन में जाकर दणडवत् की; फिर अपने भवन में आया; और उसकी आज्ञा पर रोटी उसको परोसी गई, और उस ने भोजन किया।

20. And David arose from the earth and washed, and anointed himself, and changed his clothing, and came into the house of Jehovah and worshiped. And he came to his house, and commanded, and they brought bread before him and he ate.

21. तब उसके कर्मचारियों ने उस से पूछा, तू ने यह क्या काम किया है? जब तक बच्चा जीवित रहा, तब तक तू उपवास करता हुआ रोता रहा; परन्तु ज्योंही बच्चा मर गया, त्योंही तू उठकर भोजन करने लगा।

21. Then his servants said to him, What is this that you have done? You fasted and wept for the living boy, but when the child was dead you arose and ate bread!

22. उस ने उत्तर दिया, कि जब तक बच्चा जीवित रहा तब तक तो मैं यह सोचकर उपवास करता और रोता रहा, कि क्या जाने यहोवा माुझ पर ऐसा अनुग्रह करे कि बच्चा जीवित रहे।

22. And he said, While the child was still alive, I fasted and wept; for I said, Who can tell if God will be gracious to me so that the child may live?

23. परन्तु अब वह मर गया, फिर मैं उपवास क्यों करूं? क्या मैं उसे लौटा ला सकता हूं? मैं तो उसके पास जाऊंगा, परन्तु वह मेरे पास लौट न आएगा।

23. But now he is dead; why should I fast? Can I bring him back again? I shall go to him, but he shall not return to me.

24. तब दाऊद ने अपनी पत्नी बतशेबा को शान्ति दी, और वह उसके पास गया; और असके एक पुत्रा उत्पन्न हुआ, और उस ने उसका नाम सुलैमान रखा। और वह सहोवा का प्रिय हुआ।
मत्ती 1:6

24. And David comforted his wife Bathsheba. And he went in to her and lay with her. And she bore a son. And he called his name Solomon. And Jehovah loved him.

25. और उस ने नातान भविष्यद्वक्ता के द्वारा सन्देश भेज दिया; और उस ने यहोवा के कारण उसका नाम यदीद्याह रखा।

25. And he sent by the hand of Nathan the prophet, and he called his name Jedidiah, because of Jehovah.

26. और योआब ने अम्मोनियों के रब्बा नगर से लड़कर राजनगर को ले लिया।

26. And Joab fought against Rabbah of the sons of Ammon, and took the royal city.

27. तब योआब ने दूतों से दाऊद के पास यह कहला भेजा, कि मैं रब्बा से लड़ा और जलवाले नगर को ले लिया है।

27. And Joab sent messengers to David and said, I have fought against Rabbah, and have taken the city of waters.

28. सो अब रहे हुए लोगों को इकट्ठा करके नगर के विरूद्ध छावनी डालकर उसे भी ले ले; ऐसा न हो कि मैं उसे ले लूं, और वह मेरे नाम पर कहलाए।

28. And therefore gather the rest of the people together, and camp against the city and take it, lest I take the city and it be called after my name.

29. तब दाऊद सब लोगों को इकट्ठा करके रब्बा को गया, और उस से युठ्ठ करके उसे ले लिया।

29. And David gathered all the people and went to Rabbah, and fought against it and took it.

30. तब उस ने उनके राजा का मुकुट, जो तौल में किक्कार भर सोने का था, और उस में मणि जड़े थे, उसको उसके सिर पर से उतारा, और वह दाऊद के सिर पर रखा गया। फिर उस ने उस नगर की बहुत ही लूट पाई।

30. And he took the king's crown from off his head, the weight of which was a talent of gold, and a precious stone in it. And it was set on David's head. And he brought forth the spoil of the city in great abundance.

31. और उस ने उसके रहनेवालों को निकालकर आरो से दो दो टुकड़े कराया, और लोहे के हेंगे उन पर फिरवाए, और लोहे की कुल्हाड़ियों से उन्हें कटवाया, और ईट के पजावे में से चलवाया; और अम्मोनियों के सब नगरों से भी उस ने ऐसा ही किया। तब दाऊद समस्त लोगों समेत यरूशलेम को लौट आया।

31. And he brought forth the people that were in it, and put them to the saw, and to sharp tools of iron, and to axes of iron. And he made them go over into the brick-kiln. And so he did to all the cities of the sons of Ammon. And David and all the people returned to Jerusalem.



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