Matthew - मत्ती 14 | View All

1. उस समय चौथाई देश के राजा हेरोदेस ने यीशु की चर्चा सुनी।

1. [1] সেই সময়ে হেরোদ রাজা যীশুর বার্ত্তা শুনিতে পাইলেন,

2. और अपने सेवकों से कहा, यह यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला है: वह मरे हुओं में से जी उठा है, इसी लिये उस से सामर्थ के काम प्रगट होते हैं।

2. আর আপনার দাসগণকে কহিলেন, ইনি সেই যোহন বাপ্তাইজক; তিনি মৃতদের মধ্য হইতে উঠিয়াছেন, আর সেই জন্য পরাক্রম সকল তাঁহাতে কার্য্য সাধন করিতেছে।

3. क्योंकि हेरोदेस ने अपने भाई फिलिप्पुस की पत्नी हेरोदियास के कारण, यूहन्ना को पकड़कर बान्धा, और जेलखाने में डाल दिया था।
लैव्यव्यवस्था 18:16, लैव्यव्यवस्था 20:21

3. কারণ হেরোদ আপন ভ্রাতা ফিলিপের স্ত্রী হেরোদিয়ার জন্য যোহনকে ধরিয়া বাঁধিয়া কারাগারে রাখিয়াছিলেন;

4. क्योंकि यूहन्ना ने उस से कहा था, कि इस को रखना तुझे उचित नहीं है।
लैव्यव्यवस्था 18:16, लैव्यव्यवस्था 20:21

4. কেননা যোহন তাঁহাকে বলিয়াছিলেন, উহাকে রাখা আপনার বিধেয় নয়।

5. और वह उसे मार डालना चाहता था, पर लोगों से डरता था, क्योंकि वे उसे भविष्यद्वक्ता जानते थे।

5. আর তিনি তাঁহাকে বধ করিতে ইচ্ছা করিলেও লোকসমূহকে ভয় করিতেন, কেননা লোকে তাঁহাকে ভাববাদী বলিয়া মানিত।

6. पर जब हेरोदेस का जन्म दिन आया, तो हेरोदियास की बेटी ने उत्सव में नाच दिखाकर हेरोदेस को खुश किया।

6. কিন্তু হেরোদের জন্মদিনের উৎসব উপস্থিত হইলে, হেরোদিয়ার কন্যা সভামধ্যে নাচিয়া হেরোদকে সন্তুষ্ট করিল।

7. इसलिये उस ने शपथ खाकर वचन दिया, कि जो कुछ तू मांगेगी, मैं तुझे दूंगा।

7. এই জন্য তিনি শপথপূর্ব্বক এই প্রতিজ্ঞা করিলেন, তুমি যাহা চাহিবে, তাহাই তোমাকে দিব।

8. वह अपनी माता की उस्काई हुई बोली, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर थाल में यहीं मुझे मंगवा दे।

8. তখন সে আপন মাতার প্রবর্ত্তনায় কহিল, যোহন বাপ্তাইজকের মস্তক থালায় করিয়া এখানে আমাকে দিউন।

9. राजा दुखित हुआ, पर अपनी शपथ के, और साथ बैठनेवालों के कारण, आज्ञा दी, कि दे दिया जाए।

9. ইহাতে রাজা দুঃখিত হইলেন, কিন্তু আপন শপথ হেতু, এবং যাহারা তাঁহার সঙ্গে বসিয়াছিল, তাহাদের হেতু, তাহা দিতে আজ্ঞা করিলেন,

10. और जेलखाने में लोगों को भेजकर यूहन्ना का सिर कटवा दिया।

10. তিনি লোক পাঠাইয়া কারাগারে যোহনের মস্তক ছেদন করাইলেন।

11. और उसका सिर थाल में लाया गया, और लड़की को दिया गया; और वह उस को अपनी मां के पास ले गई।

11. আর তাঁহার মস্তকটী একখানি থালায় করিয়া আনিয়া সেই কন্যাকে দেওয়া হইল; আর সে তাহা মাতার নিকটে লইয়া গেল।

12. और उसके चेलों ने आकर और उस की लोथ को ले जाकर गाढ़ दिया और जाकर यीशु को समाचार दिया।।

12. পরে তাঁহার শিষ্যগণ আসিয়া দেহটী লইয়া গিয়া তাঁহার কবর দিল, এবং যীশুর নিকটে আসিয়া তাঁহাকে সংবাদ দিল।

13. जब यीशु ने यह सुना, तो नाव पर चढ़कर वहां से किसी सुनसान जगह एकान्त में चला गया; और लोग यह सुनकर नगर नगर से पैदल उसके पीछे हो लिए।

13. যীশু তাহা শুনিয়া তথা হইতে নৌকাযোগে বিরলে এক নির্জ্জন স্থানে প্রস্থান করিলেন; আর লোকসমূহ তাহা শুনিয়া নানা নগর হইতে আসিয়া স্থলপথে তাঁহার পশ্চাৎ গমন করিল।

14. उस ने निकलकर बड़ी भीड़ देखी; और उन पर तरस खाया; और उस ने उन के बीमारों को चंगा किया।

14. তখন তিনি বাহির হইয়া বিস্তর লোক দেখিয়া তাহাদের প্রতি করুণাবিষ্ট হইলেন, এবং তাহাদের পীড়িত লোকদিগকে সুস্থ করিলেন।

15. जब सांझ हुई, तो उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा; यह तो सुनसान जगह है और देर हो रही है, लोगों को विदा किया जाए कि वे बस्तियों में जाकर अपने लिये भोजन मोल लें।

15. পরে সন্ধ্যা হইলে শিষ্যগণ নিকটে আসিয়া তাঁহাকে কহিলেন, এ স্থান নির্জ্জন, বেলাও গিয়াছে; লোকদিগকে বিদায় করুন, যেন উহারা গ্রামে গ্রামে গিয়া আপনাদের নিমিত্ত খাদ্য দ্রব্য ক্রয় করে।

16. यीशु ने उन से कहा उन का जाना आवश्यक नहीं! तुम ही इन्हें खाने को दो।

16. যীশু তাঁহাদিগকে কহিলেন, উহাদের যাইবার প্রয়োজন নাই, তোমরাই উহাদিগকে আহার দেও।

17. उन्हों ने उस से कहा; यहां हमारे पास पांच रोटी और दो मछलियों को छोड़ और कुछ नहीं है।

17. তাঁহারা তাঁহাকে কহিলেন, আমাদের এখানে কেবল পাঁচখানি রুটী ও দুইটী মাছ ছাড়া আর কিছুই নাই।

18. उस ने कहा, उन को यहां मेरे पास ले आओ।

18. তিনি কহিলেন, সেগুলি এখানে আমার কাছে আন।

19. तब उस ने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पांच रोटियों और दो मछलियों को लिया; और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को।

19. পরে তিনি লোকসমূহকে ঘাসের উপরে বসিতে আজ্ঞা করিলেন; আর সেই পাঁচখানি রুটী ও দুইটী মাছ লইয়া স্বর্গের দিকে ঊর্দ্ধদৃষ্টি করিয়া আশীর্ব্বাদ করিলেন, এবং রুটী কয়খানি ভাঙ্গিয়া শিষ্যদিগকে দিলেন, শিষ্যেরা লোকদিগকে দিলেন।

20. और सब खाकर तृप्त हो गए, और उन्हों ने बचे हुए टुकड़ों से भरी हुई बारह टोकरियां उठाई।
2 राजाओं 4:43-44

20. তাহাতে সকলে আহার করিয়া তৃপ্ত হইল; এবং তাঁহারা অবশিষ্ট গুঁড়াগাঁড়া পূর্ণ বারো ডালা তুলিয়া লইলেন।

21. और खानेवाले स्त्रियों और बालकों को छोड़कर पांच हजार पुरूषों के अटकल थे।।

21. যাহারা আহার করিয়াছিল, তাহারা স্ত্রী ও শিশু ছাড়া অনুমান পাঁচ সহস্র পুরুষ ছিল।

22. और उस ने तुरन्त अपने चेलों को बरबस नाव पर चढ़ाया, कि वे उस से पहिले पार चले जाएं, जब तक कि वह लोगों को विदा करे।

22. আর যীশু তখনই শিষ্যদিগকে দৃঢ় করিয়া বলিয়া দিলেন, যেন তাঁহারা নৌকায় উঠিয়া, তাঁহার অগ্রে পরপারে যান, আর ইতিমধ্যে তিনি লোকদিগকে বিদায় করিয়া দিবেন।

23. वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वहां अकेला था।

23. পরে তিনি লোকদিগকে বিদায় করিয়া বিরলে প্রার্থনা করিবার নিমিত্ত পর্ব্বতে উঠিলেন। সন্ধ্যা হইলে তিনি সেই স্থানে একাকী থাকিলেন।

24. उस समय नाव झील के बीच लहरों से डगमगा रही थी, क्योंकि हवा साम्हने की थी।

24. কিন্তু নৌকাখানি স্থল হইতে অনেকটা দূরে গিয়া পড়িয়াছিল, তরঙ্গে টলমল করিতেছিল, কারণ বাতাস প্রতিকূল ছিল।

25. और वह रात के चौथे पहर झील पर चलते हुए उन के पास आया।

25. পরে চতুর্থ প্রহর রাত্রিতে তিনি সমুদ্রের উপর দিয়া হাঁটিয়া তাঁহাদের নিকটে আসিলেন।

26. चेले उस को झील पर चलते हुए देखकर घबरा गए! और कहने लगे, वह भूत है; और डार के मारे चिल्ला उठे।

26. তখন শিষ্যেরা তাঁহাকে সমুদ্রের উপর দিয়া হাঁটিতে দেখিয়া ত্রাসযুক্ত হইয়া কহিলেন, এ যে অপচ্ছায়া! আর ভয়ে চেঁচাইতে লাগিলেন।

27. यीशु ने तुरन्त उन से बातें की, और कहा; ढाढ़स बान्धो; मैं हूं; डरो मत।

27. কিন্তু যীশু তখনই তাঁহাদের সহিত কথা কহিলেন, বলিলেন, সাহস কর, এ আমি, ভয় করিও না।

28. पतरस ने उस को उत्तर दिया, हे प्रभु, यदि तू ही है, तो मुझे अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे।

28. তখন পিতর উত্তর করিয়া তাঁহাকে কহিলেন, হে প্রভু, যদি আপনি হন, তবে আমাকে জলের উপর দিয়া আপনার নিকটে যাইতে আজ্ঞা করুন।

29. उस ने कहा, आ: तब पतरस नाव पर से उतरकर यीशु के पास जाने को पानी पर चलने लगा।

29. তিনি বলিলেন, আইস; তাহাতে পিতর নৌকা হইতে নামিয়া জলের উপর দিয়া হাঁটিয়া যীশুর কাছে চলিলেন।

30. पर हवा को देखकर डर गया, और जब डूबने लगा, तो चिल्लाकर कहा; हे प्रभु, मुझे बचा।

30. কিন্তু বাতাস দেখিয়া তিনি ভয় পাইলেন, এবং ডুবিয়া যাইতে যাইতে উচ্চৈঃস্বরে ডাকিয়া কহিলেন, হে প্রভু, আমায় রক্ষা করুন।

31. यीशु ने तुरन्त हाथ बढ़ाकर उसे थाम लिया, और उस से कहा, हे अल्प- विश्वासी, तू ने क्यों सन्देह किया?

31. তখনই যীশু হাত বাড়াইয়া তাঁহাকে ধরিলেন, আর তাঁহাকে কহিলেন, হে অল্পবিশ্বাসি, কেন সন্দেহ করিলে?

32. जब वे नाव पर चढ़ गए, तो हवा थम गई।

32. পরে তাঁহারা নৌকায় উঠিলে বাতাস থামিয়া গেল।

33. इस पर जो नाव पर थे, उन्हों ने उसे दण्डवत करके कहा; सचमुच तू परमेश्वर का पुत्रा है।।
यहोशू 5:14-15

33. আর যাঁহারা নৌকায় ছিলেন, তাঁহারা আসিয়া তাঁহাকে প্রণাম করিয়া কহিলেন, সত্যই আপনি ঈশ্বরের পুত্র।

34. वे पार उतरकर गन्नेसरत देश में पहुंचे।

34. পার হইয়া তাঁহারা স্থলে, গিনেষরৎ প্রদেশে, উপস্থিত হইলেন।

35. और वहां के लोगों ने उसे पहचानकर आस पास के सारे देश में कहला भेजा, और सब बीमारों को उसके पास लाए।

35. তথাকার লোকেরা তাঁহাকে চিনিতে পারিয়া চারিদিকে সেই দেশের সর্ব্বত্র সংবাদ পাঠাইল, এবং যত পীড়িত লোক ছিল, সকলকে তাঁহার নিকটে আনাইল; আর তাঁহাকে বিনতি করিল,

36. और उस से बिनती करने लगे, कि वह उन्हें अपने वस्त्रा के आंचल ही को छूने दे: और जितनों ने उसे छूआ, वे चंगे हो गए।।

36. যেন উহারা তাঁহার বস্ত্রের থোপমাত্র স্পর্শ করিতে পায়; আর যত লোক স্পর্শ করিল, সকলে সুস্থ হইল।



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