17. और वह उसको पंखों के बीच से फाड़े, पर अलग अलग न करे। तब याजक उसको वेदी पर उस लकड़ी के ऊपर रखकर जो आग पर होगी जलाए, कि वह होमबलि और यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे।।
17. He shall tear it open by the wings, not severing it completely, and then the priest shall burn it on the wood that is on the fire on the altar. It is a burnt offering, an offering made by fire, an aroma pleasing to the LORD.