Isaiah - यशायाह 63 | View All

1. यह कौन है जो एदोम देश के बोस्त्रा नगर से बैंजनी वस्त्रा पहिने हुए चला आता है, जो अति बलवान और भड़कीला पहिरावा पहिने हुए झूमता चला आता है? यह मैं ही हूं, जो धर्म से बोलता और पूरा उद्धार करने की शक्ति रखता हूं।
मत्ती 16:27, मत्ती 9:6, मत्ती 12:6, प्रकाशितवाक्य 19:13

1. Who is this coming from Edom, from the city of Bozrah, dressed in red? Who is this dressed in fine clothes and marching forward with his great power? He says, 'I, the Lord, speak what is right. I have the power to save you.'

2. तेरा पहिरावा क्यों लाल है? और क्या कारण है कि तेरे वस्त्रा हौद में दाख रौंदनेवाले के समान हैं?

2. Someone asks, 'Why are your clothes bright red as if you had walked on the grapes to make wine?'

3. मैं ने तो अकेले ही हौद में दाखें रौंदी हैं, और देश के लोगों में से किसी ने मेरा साथ नहीं दिया; हां, मैं ने अपने क्रोध में आकर उन्हें रौंदा और जलकर उन्हें लताड़ा; उनके लोहू के छींटे मेरे वस्त्रों पर पड़े हैं, इस से मेरा सारा पहिरावा धब्बेदार हो गया है।
प्रकाशितवाक्य 14:20, प्रकाशितवाक्य 19:15

3. The Lord answers, 'I have walked in the winepress alone, and no one among the nations helped me. I was angry and walked on the nations and crushed them because of my anger. Blood splashed on my clothes, and I stained all my clothing.

4. क्योंकि पलटा लेने का दिन मेरे मन में था, और मेरी छुड़ाई हुई प्रजा का वर्ष आ पहुंचा है।

4. I chose a time to punish people, and the time has come for me to save.

5. मैं ने खोजा, पर कोई सहायक न दिखाई पड़ा; मैं ने इस से अचम्भा भी किया कि कोई सम्भालनेवाला नहीं था; तब मैं ने अपने ही भुजबल से उद्धार किया, और मेरी जलजलाहट ही ने मुझे सम्हाला।

5. I looked around, but I saw no one to help me. I was surprised that no one supported me. So I used my own power to save my people; my own anger supported me.

6. हां, मैं ने अपने क्रोध में आकर देश देश के लोगों को लताड़ा, अपनी जलजलाहट से मैं ने उन्हें मतवाला कर दिया, और उनके लोहू को भूमि पर बहा दिया।।

6. While I was angry, I walked on the nations. In my anger I punished them and poured their blood on the ground.'

7. जितना उपकार यहोवा ने हम लोगों का किया अर्थात् इस्राएल के घराने पर दया और अत्यन्त करूणा करके उस ने हम से जितनी भलाई, कि उस सब के अनुसार मैं यहोवा के करूणामय कामों का वर्णन और उसका गुणानुवाद करूंगा।

7. I will tell about the Lord's kindness and praise him for everything he has done. and for his goodness to the people of Israel. He has shown great mercy to us and has been very kind to us.

8. क्योंकि उस ने कहा, निस्न्देह ये मेरी प्रजा के लोग हैं, ऐसे लड़के हैं जो धोखा नदेंगे; और वह उनका उद्धारकर्ता हो गया।

8. He said, 'These are my people; my children will not lie to me.' So he saved them.

9. उनके सारे संकट में उस ने भी कष्ट उठाया, और उसके सम्मुख रहनेवाले दूत ने उनका उद्धार किया; प्रेम और कोमलता से उस ने आप की उनको छुड़ाया; उस ने उन्हें उठाया और प्राचीनकाल से सदा उन्हें लिए फिरा।
मत्ती 25:40-45

9. When they suffered, he suffered also. He sent his own angel to save them. Because of his love and kindness, he saved them. Since long ago he has picked them up and carried them.

10. तौभी उन्हों ने बलवा किया और उसके पवित्रा आत्मा को खेदित किया; इस कारण वह पलटकर उनका शत्रु हो गया, और स्वयं उन से लड़ने लगा।
प्रेरितों के काम 7:51, इफिसियों 4:30

10. But they turned against him and made his Holy Spirit very sad. So he became their enemy, and he fought against them.

11. तब उसके लोगों को उनके प्राचीन दिन अर्थात् मूसा के दिन स्मरण आए, वे कहने लगे कि जो अपनी भेड़ों को उनके चरवाहे समेत समुद्र में से निकाल लाया वह कहां है? जिस ने उनके बीच अपना पवित्रा आत्मा डाला, वह कहां है?
इब्रानियों 13:20

11. But then his people remembered what happened long ago, in the days of Moses and the Israelites with him. Where is the Lord who brought the people through the sea, with the leaders of his people? Where is the one who put his Holy Spirit among them,

12. जिस ने अपने प्रतापी भुजबल को मूसा के दहिने हाथ के साथ कर दिया, जिस ने उनके साम्हने जल को दो भाग करके अपना सदा का नाम कर लिया,

12. who led Moses by the right hand with his wonderful power, who divided the water before them to make his name famous forever,

13. जो उनको गहिरे समुद्र में से ले चला; जैसा घोड़े को जंगल में वैसे ही उनको भी ठोकर न लगी, वह कहां है?

13. who led the people through the deep waters? Like a horse walking through a desert, the people did not stumble.

14. जैसे घरैलू पशु तराई में उतर जाता है, वेैसे ही यहोवा के आत्मा न उनको विश्राम दिया। इसी प्रकार से तू ने अपनी प्रजा की अगुवाई की ताकि अपना नाम महिमायुक्त बनाए।।

14. Like cattle that go down to the valley, the Spirit of the Lord gave the people a place to rest. Lord, that is the way you led your people, and by this you won for yourself wonderful fame.

15. स्वर्ग से, जो तेरा पवित्रा और महिमापूर्ण वासस्थान है, दृष्टि कर। तेरी जलन और पराक्रम कहां रहे? तेरी दया और करूणा मुझ पर से हट गई हैं।

15. Lord, look down from the heavens and see; look at us from your wonderful and holy home in heaven. Where is your strong love and power? Why are you keeping your love and mercy from us?

16. निश्चय तू हमारा पिता है, यद्यपि इब्राहीम हमें नहीं पहिचानता, और इस्राएल हमें ग्रहण नहीं करता; तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता और हमारा छुड़ानेवाला है; प्राचीनकाल से यही तेरा नाम है।
यूहन्ना 8:41

16. You are our father. Abraham doesn't know we are his children, and Israel doesn't recognize us. Lord, you are our father. You are called 'the one who has always saved us.'

17. हे यहोवा, तू क्यों हम को अपने मार्गों से भटका देता, और हमारे मन ऐसे कठोर करता है कि हम तेरा भय नहीं मानते? अपने दास, अपने निज भाग के गोत्रों के निमित्त लौट आ।

17. Lord, why are you making us wander from your ways? Why do you make us stubborn so that we don't honor you? For our sake come back to us, your servants, who belong to you.

18. तेरी पवित्रा प्रजा तो थोड़े ही काल तक मेरे पवित्रास्थान की अधिकारी रही; हमारे द्रोहियों ने उसे लताड़ दिया है।
लूका 21:24, प्रकाशितवाक्य 11:2

18. Your people had your Temple for a while, but now our enemies have walked on your holy place and crushed it.

19. हम लोग तो ऐसे हो गए हैं, मानो तू ने हम पर कभी प्रभुता नहीं की, और उनके समान जो कभी तेरे न कहलाए।।

19. We have become like people you never ruled over, like those who have never worn your name.



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