1 Samuel - 1 शमूएल 6 | View All

1. यहोवा का सन्दूक पलिश्तियों के देश में सात महीने तक रहा।

1. The ark of Yahweh was in Philistine territory for seven months.

2. तब पलिश्तियों ने याजकों और भावी करनेवालों को बुलाकर पूछा, कि यहोवा के सन्दूक से हम क्या करें? हमें बताओं की क्या प्रायश्चित देकर हम उसे उसके स्थान पर भेजें?

2. The Philistines then called for their priests and diviners and asked, 'What shall we do with the ark of Yahweh? Tell us how to send it back to where it belongs.'

3. वे बोले, यदि तुम इस्राएल के देवता का सन्दूक वहां भेजा, जो उसे वैसे ही न भेजना; उसकी हानि भरने के लिये अवश्य ही दोषबलि देना। तब तुम चंगे हो जाओगे, और तुम जान लोगों कि उसका हाथ तुम पर से क्यों नहीं उठाया गया।

3. They replied, 'If you send the ark of the God of Israel away, you must certainly not send it away without a gift; you must pay him a guilt offering. You will then recover and will realise why he continually oppressed you.'

4. उन्हों ने पूछा, हम उसकी हानि भरने के लिये कोन सा दोषबलि दें? वे बोले, पलिश्ती सरदारों की गिनती के अनुसार सोने की पांच गिलटियां, और सोने के पांच चूहे; क्योंकि तुम सब और तुम्हारे सरदार दोनों एक ही रोग से ग्रसित हो।

4. They then asked, 'What guilt offering ought we to pay him?' They replied, 'Corresponding to the number of Philistine chiefs: five golden tumours and five golden rats, since the same plague afflicted your chiefs as the rest of you.

5. तो तुम अपनी गिलटियों और अपने देश के नाश करनेवाले चूहों की भी मूरतें बनाकर इस्राएल के देवता की महिमा मानो; सम्भव है वह अपना हाथ तुम पर से और तुम्हारे देवताओं और देश पर से उठा ले।

5. So make models of your tumours and models of your rats ravaging the territory, and pay honour to the God of Israel. Then perhaps he will stop oppressing you, your gods and your country.

6. तुम अपने मन क्यों ऐसे हठीले करते हो जैसे मिस्त्रियों और फिरौन ने अपने मन हठीले कर दिए थे? जब उस ने उनके मध्य में अचम्भित काम किए, तब क्या उन्हों ने उन लोगों को जाने न दिया, और क्या वे चले न गए?

6. Why should you be as stubborn as Egypt and Pharaoh were? After he had brought disasters on them, did they not let the people leave?

7. सो अब तुम एक नई गाड़ी बनाओ, और ऐसी दो दुधार गायें लो जो सुए तले न आई हों, और उन गायों को उस गाड़ी में जोतकर उनके बच्चों को उनके पास से लेकर घर को लौटा दो।

7. Now, then, take and fit out a new cart, and two milch cows that have never borne the yoke. Then harness the cows to the cart and take their calves back to the byre.

8. तब यहोवा का सन्दूक लेकर उस गाड़ी पर धर दो, और साने की जो वस्तुएं तुम उसकी हाति भरने के लिये दोषबलि की रीति से दोगे उन्हें दूसरे सन्दूक में घर के उसके पास रख दो। फिर उसे रवाना कर दो कि चली जाए।

8. Then take the ark of Yahweh, place it on the cart, and put the golden objects which you are paying him as guilt offering in a box beside it; and then send it off on its own.

9. और देखते रहना; यदि वह अपने देश के मार्ग से होकर बेतशेमेश को चले, तो जानो कि हमारी यह बड़ी हानि उसी की ओर से हुई: और यदि नहीं, तो हम को निश्चय होगा कि यह मार हम पर उसकी ओर से नहीं, परन्तु संयोग ही से हुई।

9. Watch it; if it goes up the road to its own territory, towards Beth-Shemesh, then he was responsible for this great harm to us; but if not, we shall know that it was not his hand that struck us, and that this has happened to us by chance.'

10. उन मनुष्यों ने वैसा ही किया; अर्थात् दो दुधार गायें लेकर उस गाड़ी में जोतीं, और उनके बच्चों को घर में बन्द कर दिया।

10. The people did this. They took two milch cows and harnessed them to the cart, shutting their calves in the byre.

11. और यहोवा का सन्दूक, और दूसरा सन्दूक, और सोने के चूहों और अपनी गिलटियों की मूरतों को गाड़ी पर रख दिया।

11. They then put the ark of Yahweh on the cart, with the box and the golden rats and the models of their tumours.

12. तब गायों ने बेतशमेश को सीधा मार्ग लिया; वे सड़क ही सड़क बम्बाती हुई चली गई, और न दहिने मुड़ी और न बायें; और पलिश्तियों के सरदार उनके पीछे पीछे बेतशेमेश के सिवाने तक गए।

12. The cows made straight for Beth-Shemesh, keeping to the one road, lowing as they went and turning neither to right nor to left. The Philistine chiefs followed them as far as the boundaries of Beth-Shemesh.

13. और बेतशेमेश के लोग तराई में गेहूं काट रहे थे; और जब उन्हों ने आंखें उठाकर सन्दूक को देखा, तब उसके देखने से आनन्दित हुए।

13. The people of Beth-Shemesh were reaping the wheat harvest in the plain when they looked up and saw the ark and went joyfully to meet it.

14. और गाड़ी यहोशू नाम एक बेतशेमेशी के खेत में जाकर वहां ठहर गई, जहां एक बड़ा पत्थर था। तब उन्हों ने गाड़ी की लकड़ी को चीरा और गायों को होमबलि करके यहोवा के लिये चढ़ाया।

14. When the cart came to the field of Joshua of Beth-Shemesh, it stopped. There was a large stone there, and they cut up the wood of the cart and offered the cows as a burnt offering to Yahweh.

15. और लेवीयों ने यहोवा के सन्दूक को उस सन्दूक के समेत जो साथ था, जिस में सोने की वस्तुएं थी, उतारके उस बड़े पत्थर पर धर दिया; और बेतशेमेश के लोगों ने उसी दिन यहोवा के लिये होमबलि और मेलबलि चढ़ाए।

15. The Levites had taken down the ark of Yahweh and the box with it containing the golden objects and put these on the large stone. That day the people of Beth-Shemesh presented burnt offerings and made sacrifices to Yahweh.

16. यह देखकर पलिश्तियों के पांचों सरदार उसी दिन एक्रोन को लौट गए।।

16. The five chiefs of the Philistines, having witnessed this, went back to Ekron the same day.

17. सोने की गिलटियां जो पलिश्तियों ने यहोवा की हाति भरने के लिये दोषबलि करके दे दी थी उन में से एक तो अशदोद की ओर से, एक अज्जा, एक अश्कलोन, एक गत, और एक एक्रोन की ओर से दी गई थी।

17. The golden tumours paid by the Philistines as a guilt offering to Yahweh were as follows: one for Ashdod, one for Gaza, one for Ashkelon, one for Gath, one for Ekron;

18. और वह सोने के चूहे, क्या शहरपनाहवाले नगर, क्या बिना शहरपनाह के गांव, वरन जिस बड़े पत्थर पर यहोवा का सन्दूक धरा गया था वहां पलिश्तियों के पांचों सरदारों के अधिकार तक की सब बस्तियों की गिनती के अनुसार दिए गए। वह पत्थर तो आज तक बेतशेमेशी यहोशू के खेत में है।

18. and golden rats to the number of all the Philistine towns, those of the five chiefs, from fortified towns down to open villages: still to this day the large stone in the field of Joshua of Beth-Shemesh, on which they put the ark of Yahweh, is a witness.

19. फिर इस कारण से कि बेतशेमेश के लोगों ने यहोवा के सन्दूक के भीतर झांका था उस ने उन में से सत्तर मनुष्य, और फिर पचास हजार मनुष्य मार डाले; और वहां के लोगों ने इसलिये विलाप किया कि यहोवा ने लोगों का बड़ा ही संहार किया था।

19. Of the people of Beth-Shemesh the sons of Jeconiah had not rejoiced when they saw the ark of Yahweh, and Yahweh struck down seventy of them. The people mourned because Yahweh had struck them so fiercely.

20. तब बेतशेमेश के लोग कहने लगे, इस पवित्रा परमेश्वर यहोवा के साम्हने कौन खड़ा रह सकता है? और वह हमारे पास से किस के पास चला जाए?

20. The people of Beth-Shemesh then said, 'Who can stand his ground before Yahweh, this holy God? To whom shall he go, so that we are rid of him?'

21. तब उन्हों ने किर्यत्यारीम के निवासियों के पास यों कहने को दूत भेजे, कि पलिश्तियों ने यहोवा का सन्दूक लौटा दिया है; इसलिये तुम आकर उसे अपने यहां ले जाओ।।

21. So they sent messengers to the inhabitants of Kiriath-Jearim, to say, 'The Philistines have sent back the ark of Yahweh; come down and take it up to your town.'



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