1 Samuel - 1 शमूएल 14 | View All

1. एक दिन शाऊल के पुत्रा योनातान ने अपने पिता से बिना कुछ कहे अपने हथियार ढोनेवाले जवान से कहा, आ, हम उधर पलिश्तियों की चौकी के पास चलें।

1. এক দিবস এই ঘটনা হইল, শৌলের পুত্র যোনাথন আপন অস্ত্রবাহক যুবককে কহিলেন, চল, আমরা ঐ দিকে পলেষ্টীয়দের প্রহরী সৈন্যদলের নিকটে যাই; কিন্তু তিনি এ কথা আপন পিতাকে জ্ঞাত করিলেন না।

2. शाऊल तो गिबा के सिरे पर मिग्रोन में के अनार के पेड़ के तले टिका हुआ था, और उसके संग के लोग कोई छ: सौ थे;

2. তখন শৌল গিবিয়ার প্রান্তভাগে মিগ্রোণস্থ দাড়িম্ব বৃক্ষের তলে অবস্থিতি করিতেছিলেন, এবং তাঁহার সঙ্গে অনুমান ছয় শত লোক ছিল।

3. और एली जो शीलों में यहोवा का याजक था, उसके पुत्रा पिनहास का पोता, और ईकाबोद के भाई, अहीतूब का पुत्रा अहिरयाह भी एपोद पहिने हुए संग था। परन्तु उन लोगों को मालूम न था कि योनातान चला गया है।

3. আর এলি, যিনি শীলোতে সদাপ্রভুর যাজক ছিলেন, তাঁহার সন্তান পীনহসের সন্তান ঈখাবোদের ভ্রাতা অহীটুবের পুত্র যে অহিয়, তিনি এফোদ বস্ত্রধারী ছিলেন। আর যোনাথন যে বাহির হইয়া গিয়াছেন, সে কথা লোকেরা জানিত না।

4. उन घाटियों के बीच में, जिन से होकर योनातान पलिश्तियों की चौकी को जाना चाहता था, दोनों अलंगों पर एक एक नोकीली चट्टान थी; एक चट्टान का नाम तो बोसेस, और दूसरी का नाम सेने था।

4. যোনাথন যে গিরিপথ দিয়া পলেষ্টীয়দের প্রহরী সৈন্যদলের নিকটে যাইতে চেষ্টা করিলেন, সেই ঘাটের মধ্যস্থলে এক পার্শ্বে দম্ভাকার এক শৈল, এবং অন্য পার্শ্বে দম্ভাকার আর এক শৈল ছিল; তাহার একটীর নাম বোৎসেস ও আর একটীর নাম সেনি।

5. एक चट्टान तो उत्तर की ओर मिकमाश के साम्हने, और दूसरी दक्खिन की ओर गेबा के साम्हने खड़ी है।

5. তাহার মধ্যে একটী শৈল উত্তরদিকে মিক্‌মসের অভিমুখে, আর একটী দক্ষিণদিকে গেবার অভিমুখে ছিল।

6. तब योनातान ने अपने हथियार ढोनेवाले जवान से कहा, आ, हम उन खतनारहित लोगों की चौकी के पास जाएं; क्या जाने यहोवा हमारी सहायता करे; क्योंकि यहोवा को कुछ रोक नहीं, कि चाहे तो बहुत लोगों के द्वारा चाहे थोड़े लोगों के द्वारा छुटकारा दे।

6. আর যোনাথন আপন অস্ত্রবাহক যুবককে কহিলেন, চল, আমরা ঐ দিকে অচ্ছিন্নত্বক্‌দের প্রহরিদলের নিকটে যাই; হয় ত সদাপ্রভু আমাদের অন্য কর্ম্ম করিবেন; কেননা অনেকের দ্বারা হউক বা অল্পের দ্বারা হউক, নিস্তার করিতে সদাপ্রভুর কোন প্রতিবন্ধক নাই।

7. उसके हथियार ढोनेवाले ने उस से कहा, जो कुछ तेरे मन में हो वही कर; उधर चल, मैं तेरी इच्छा के अनुसार तेरे संग रहूंगा।

7. তখন তাঁহার অস্ত্রবাহক কহিল, আপনার যাহা মনে লয়, তাহাই করুন; সেই দিকে ফিরুন, দেখুন, আপনার মনের বাঞ্ছানুসারে আমি আপনার সঙ্গে সঙ্গে আছি।

8. योनातान ने कहा, सुन, हम उन मनुष्यों के पास जाकर अपने को उन्हें दिखाएं।

8. যোনাথন কহিলেন, দেখ, আমরা ঐ লোকদের দিকে অগ্রসর হইব, উহাদের কাছে দেখা দিব।

9. यदि वे हम से यों कहें, हमारे आने तक ठहरे रहो, तब तो हम उसी स्थान पर खड़े रहें, और उनके पास न चढ़ें।

9. যদি তাহারা আমাদিগকে এই কথা বলে, থাক, আমরা তোমাদের নিকটে আসিব, তবে আমরা আপনাদের স্থানে দাঁড়াইয়া থাকিব, তাহাদের কাছে উঠিয়া যাইব না।

10. परन्तु यदि वे यह कहें, कि हमारे पास चढ़ आओ, तो हम यह जानकर चढ़ें, कि यहोवा उन्हें हमारे साथ कर देगा। हमारे लिये यही चिन्ह हो।

10. কিন্তু যদি এই কথা বলে, আমাদের নিকটে উঠিয়া আইস, তবে আমরা উঠিয়া যাইব, কেননা সদাপ্রভু আমাদের হস্তে তাহাদিগকে সমর্পণ করিয়াছেন; ইহাই আমাদের চিহ্ন হইবে।

11. तब उन दोनों ने अपने को पलिश्तियों की चौकी पर प्रगट किया, तब पलिश्ती कहने लगे, देखो, इब्री लोग उन बिलों में से जहां वे छिप रहे थे निकले आते हैं।

11. পরে তাঁহারা দুই জন পলেষ্টীয়দের প্রহরিদলের নিকটে দেখা দিলে পলেষ্টীয়েরা কহিল, দেখ, ইব্রীয়গণ যে সকল গর্ত্তে লুকাইয়া ছিল, তাহা হইতে এখন বাহির হইয়া আসিতেছে।

12. फिर चौकी के लोगों ने योनातान और उसके हथियार ढोनवाले से पुकार के कहा, हमारे पास चढ़ आओ, तब हम तुम को कुछ सिखाएंगे। तब योनातान ने अपने हथियार ढोनवाले से कहा मेरे पीछे पीछे चढ़ आ; क्योंकि यहोवा उन्हें इस्राएलियों के हाथ में कर देगा।

12. পরে সেই প্রহরিদলের লোকেরা যোনাথনকে ও তাঁহার অস্ত্রবাহককে কহিল, আমাদের নিকটে উঠিয়া আইস, আমরা তোমাদিগকে কিছু দেখাইব। যোনাথন আপন অস্ত্রবাহককে কহিলেন, আমার পশ্চাতে আইস, কারণ সদাপ্রভু উহাদিগকে ইস্রায়েলের হস্তগত করিয়াছেন।

13. और योनातान अपने हाथों और पावों के बल चढ़ गया, और उसका हथियार ढोनेवाला भी उसके पीछे पीछे चढ़ गया। और पलिश्ती योनातान के साम्हने गिरते गए, और उसका हथियार ढोनेवाला उसके पीछे पीछे उन्हें मारता गया।

13. পরে যোনাথন হামাগুড়ি দিয়া উঠিয়া গেলেন, এবং তাঁহার অস্ত্রবাহক তাঁহার পশ্চাতে গেল; তাহাতে সেই লোকেরা যোনাথনের সম্মুখে পতিত হইতে লাগিল, এবং তাঁহার অস্ত্রবাহক তাঁহার পশ্চাতে পশ্চাতে তাহাদিগকে বধ করিতে লাগিল।

14. यह पहिला संहार जो योनातान और उसके हथियार ढोनेवाल से हुआ, उस में आधे बीघे भूमि में बीस एक पुरूष मारे गए।

14. যোনাথনের ও তাঁহার অস্ত্রবাহকের কৃত এই প্রথম হত্যাকাণ্ডে এক বিঘার প্রায় অর্দ্ধ হালখাত পরিমিত ভূমিতে কমবেশ বিশ জন হত হইল।

15. और छावनी में, और मैदान पर, और उन सब लोगों में थरथराहट हुई; और चौकीवाले और नाश करनेवाले भी थरथराने लगे; और भुईंडोल भी हुआ; और अत्यन्त बड़ी थरथराहट हुई।

15. আর শিবিরমধ্যে, ক্ষেত্রে, ও সমস্ত সৈন্যের মধ্যে কম্প উপস্থিত হইল, প্রহরী ও বিনাশক-দল সকলও কম্পান্বিত হইল; আর ভূমিকম্প হইল; এইরূপে ঈশ্বর হইতে মহাকম্প উপস্থিত হইল।

16. और बिन्यामीन के गिबा में शाऊल के पहरूओं ने दृष्टि करके देखा कि वह भीड़ घटती जाती है, और वे लोग इधर उधर चले जाते हैं।।

16. তখন বিন্যামীনের গিবিয়াতে স্থিত শৌলের প্রহরিগণ চাহিয়া দেখিল; আর দেখ, লোকের ভিড় ভাঙ্গিয়া গেল, তাহারা ছিন্নভিন্ন হইয়া পড়িল।

17. तब शाऊल ने अपने साथ के लोगों से कहा, अपनी गिनती करके देखो कि हमारे पास से कौन चला गया है। उन्हों ने गिनकर देखा, कि योनातान और उसका हथियार ढोनेवाला यहां नहीं है।

17. তখন শৌল আপন সঙ্গীদিগকে কহিলেন, এক বার লোক গণনা করিয়া দেখ, আমাদের মধ্য হইতে কে গিয়াছে? পরে তাহারা লোকদিগকে গণনা করিল, আর দেখ, যোনাথন ও তাঁহার অস্ত্রবাহক তথায় নাই।

18. तब शाऊल ने अहिरयाह से कहा, परमेश्वर का सन्दूक इस्राएलियों के साथ था।

18. তখন শৌল অহিয়কে কহিলেন, ঈশ্বরের সিন্দুক এই স্থানে আন; কেননা সেই দিনে ঈশ্বরের সিন্দুক ইস্রায়েল-সন্তানগণের মধ্যে ছিল।

19. शाऊल याजक से बातें कर रहा था, कि पलिश्तियों की छावनी में हुल्लड़ अधिक होता गया; तब शाऊल ने याजक से कहा, अपना हाथ खींच।

19. পরে যখন শৌল যাজকের সহিত কথা কহিতেছিলেন, তখন পলেষ্টীয়দের সৈন্যমধ্যে উত্তর উত্তর কোলাহল বৃদ্ধি পাইতে লাগিল। তাহাতে শৌল যাজককে কহিলেন, হাত টানিয়া লও।

20. तब शाऊल और उसके संग के सब लोग इकट्ठे होकर लड़ाई में गए; वहां उन्हों ने क्या देखा, कि एक एक पुरूष की तलवार अपने अपने साथी पर चल रही है, और बहुत कोलाहल मच रहा है।

20. আর শৌল ও তাঁহার সঙ্গী সমস্ত লোক সমাগত হইয়া যুদ্ধে গমন করিলেন; আর দেখ, প্রত্যেক জনের খড়্‌গ তাহার বন্ধুর প্রতিকূল হওয়াতে অতিশয় কোলাহল হইতেছিল।

21. और जो इब्री पहिले की नाईं पलिश्तियों की ओर के थे, और उनके साथ चारों ओर से छावनी में गए थे, वे भी शाऊल और योनातान के संग के इस्राएलियों में मिल गए।

21. আর যে ইব্রীয়গণ পূর্ব্বে পলেষ্টীয়দের পক্ষ হইয়াছিল, যাহারা চারিদিক্‌ হইতে তাহাদের সঙ্গে শিবিরের মধ্যে আসিয়াছিল, তাহারাও শৌলের ও যোনাথনের সঙ্গী ইস্রায়েলের পক্ষ হইল।

22. और जितने इस्राएली पुरूष एप्रैम के पहाड़ी देश में छिप गए थे, वे भी यह सुनकर कि पलिश्ती भागे जाते हैं, लड़ाई में आ उनका पीछा करने में लग गए।

22. আর ইস্রায়েলের যে সমস্ত লোক পর্ব্বতময় ইফ্রয়িম প্রদেশে লুকাইয়া ছিল, তাহারাও পলেষ্টীদের পলায়ন সংবাদ শুনিয়া যুদ্ধে তাহাদের পশ্চাতে ধাবমান হইতে লাগিল।

23. तब यहोवा ने उस दिन इस्राएलियों को छुटकार दिया; और लड़नेवाले बेतावेन की परली ओर तक चले गए।

23. এই প্রকারে সদাপ্রভু ঐ দিবসে ইস্রায়েলকে নিস্তার করিলেন, এবং বৈৎ-আবনের পার পর্য্যন্ত যুদ্ধ ব্যাপিয়া গেল।

24. परन्तु इस्राएली पुरूष उस दिन तंग हुए, क्योंकि शाऊल ने उन लोगों को शपथ धराकर कहा, शापित हो वह, जो सांझ से पहिले कुछ खाए; इसी रीति मैं अपने शत्रुओं से पलटा ले सकूंगा। तब उन लोगों में से किसी ने कुछ भी भोजन न किया।

24. ঐ দিবসে ইস্রায়েল লোকেরা দুর্দ্দশাপন্ন হইয়াছিল, কিন্তু শৌল লোকদিগকে এই দিব্য করাইয়াছিলেন, সায়ংকালের পূর্ব্বে, আমি যে পর্য্যন্ত আমার শত্রুগণকে প্রতিফল না দিই, সে পর্য্যন্ত যে কেহ খাদ্য গ্রহণ করিবে, সে শাপগ্রস্ত হইক। এই জন্য লোকদের মধ্যে কেহই খাদ্য দ্রব্য স্পর্শ করিল না।

25. और सब लोग किसी वन में पहुंचे, जहां भूमि पर मधु पड़ा हुआ था।

25. পরে সকলে বনমধ্যে গেল, সেখানে ভূমির উপরে মধু ছিল।

26. जब लोग वन में आए तब क्या देखा, कि मधु टपक रहा है, तौभी शपथ के डर के मारे कोई अपना हाथ अपने मुंह तक न ले गया।

26. আর লোকেরা যখন বনে উপস্থিত হইল, দেখ, মধু ক্ষরিতেছে, কিন্তু কেহ মুখে হস্ত তুলিল না; কারণ লোকেরা ঐ দিব্যে ভীত হইয়াছিল;

27. परन्तु योनातान ने अपने पिता को लोगों को शपथ धराते न सुना था, इसलिये उस ने अपने हाथ की छड़ी की नोक बढ़ाकर मधु के छत्ते में डुबाया, और अपना हाथों अपने मुंह तक लगाया; तब उसकी आंखों में ज्योति आई।

27. কিন্তু যোনাথনের পিতা লোকদিগকে যে দিব্য করাইয়াছিলেন, যোনাথন তাহা শুনেন নাই, তাই তিনি আপন হস্তস্থিত দণ্ডের অগ্রভাগ বাড়াইয়া দিয়া এক মধুর চাকে ডুবাইয়া হাতে করিয়া মুখে দিলেন; তাহাতে তাঁহার চক্ষু সতেজ হইল।

28. तब लोगों में से एक मनुष्य ने कहा, तेरे पिता ने लोगों को दृढ़ता से शपथ धरा के कहा, शापित हो वह, जो आज कुछ खाए। और लोग थके मांदे थे।

28. তখন লোকদের মধ্যে এক জন কহিল, তোমার পিতা শপথসহকারে লোকদিগকে এই দৃঢ় আজ্ঞা দিয়াছেন, যে ব্যক্তি অদ্য খাদ্য গ্রহণ করিবে, সে শাপগ্রস্থ হইক; কিন্তু লোক সকল ক্লান্ত হইয়াছে।

29. योनातान ने कहा, मेरे पिता ने लोगों को कष्ट दिया है; देखो, मैं ने इस मधु को थोड़ा सा चखा, और मुझे आंखों से कैसा सूझने लगा।

29. যোনাথন কহিলেন, আমার পিতা লোকদিগকে ব্যাকুল করিয়াছেন; বিনয় করি, দেখ, এই যৎকিঞ্চিৎ মধু আস্বাদন করাতে আমার চক্ষু কেমন সতেজ হইল।

30. यदि आज लोग अपने शत्रुओं की लूट से जिसे उन्हों ने पाया मनमाना खाते, तो कितना अच्छा होता; अभी तो बहुत पलिश्ती मारे नहीं गए।

30. অদ্য যদি লোকেরা শত্রুদের হইতে প্রাপ্ত লুটদ্রব্য হইতে যথেষ্ট আহার করিতে পাইত, তবে আরও সতেজ হইত। কেননা এখন পলেষ্টীয়দের মধ্যে মহাহত্যা হয় নাই।

31. उस दिन वे मिकमाश से लेकर अरयालोन तक पलिश्तियों को मारते गए; और लोग बहुत ही थक गए।

31. ঐ দিবসে তাহারা মিক্‌মস অবধি অয়ালোন পর্য্যন্ত পলেষ্টীয়দিগকে আঘাত করিল; আর লোকেরা অতিশয় ক্লান্ত হইয়া পড়িল।

32. सो वे लूट पर टूटे, और भेड़- बकरी, और गाय- बैल, और बछड़े लेकर भूमि पर मारके उनका मांस लोहू समेत खाने लगे।

32. পরে লোকেরা লুটদ্রব্যের দিকে দৌড়িয়া মেষ, গোরু ও বাছুর ধরিয়া ভূমিতে বধ করিতে ও রক্তশুদ্ধ খাইতে লাগিল।

33. जब इसका समाचार शाऊल को मिला, कि लोग लोहू समेत मांस खाकर यहोवा के विरूद्ध पाप करते हैं। तब उस ने उन से कहा; तुम ने तो विश्वासघात किया है; अभी एक बड़ा पत्थर मेरे पास लुढ़का दो।

33. তখন কেহ কেহ শৌলকে বলিল, দেখুন, লোকেরা রক্তশুদ্ধ ভোজন করিয়া সদাপ্রভুর বিরুদ্ধে পাপ করিতেছে। তাহাতে তিনি কহিলেন, তোমরা সত্যলঙ্ঘন করিয়াছ; আজ আমার নিকটে একখানা বৃহৎ প্রস্তর গড়াইয়া আন।

34. फिर शाऊल ने कहा, लोगों के बीच में इधर उधर फिरके उन से कहो, कि अपना अपना बैल और भेड़ शाऊल के पास ले जाओ, और वहीं बलि करके खाओ; और लोहू समेत खाकर यहोवा के विरूद्ध पाप न करो। तब सब लोगों ने उसी रात अपना अपना बैल ले जाकर वहीं बलि किया।

34. শৌল আরও কহিলেন, তোমরা লোকদের মধ্যে চারিদিকে গিয়া তাহাদিগকে বল, তোমরা প্রত্যেক জন আপন আপন গোরু ও প্রত্যেক জন আপন আপন মেষ আমার নিকটে আন, আর এই স্থানে বধ করিয়া ভোজন কর; রক্তশুদ্ধ ভোজন করিয়া সদাপ্রভুর বিরুদ্ধে পাপ করিও না। তাহাতে সমস্ত লোক সেই রাত্রিতে প্রত্যেকে আপন আপন গোরু সঙ্গে করিয়া আনিয়া সেই স্থানে বধ করিল।

35. तब शाऊल ने यहोवा के लिये एक वेदी बनवाई; वह तो पहिली वेदी है जो उस ने यहोवा के लिये बनवाई।।

35. আর শৌল সদাপ্রভুর উদ্দেশে এক যজ্ঞবেদি নির্ম্মাণ করিলেন, তাহা সদাপ্রভুর উদ্দেশে তাঁহার নির্ম্মিত প্রথম বেদি।

36. फिर शाऊल ने कहा, हम इसी राज को पलिश्तियों का पीछा करके उन्हें भोर तक लूटते रहें; और उन में से एक मनुष्य को भी जीवित न छोड़ें। उन्हों ने कहा, जो कुछ तुझे अच्छा लगे वही कर। परन्तु याजक ने कहा, हम इधर परमेश्वर के समीप आएं।

36. পরে শৌল কহিলেন, চল, আমরা রাত্রিতে পলেষ্টীয়দের পশ্চাতে নামিয়া গিয়া প্রভাত পর্য্যন্ত তাহাদের দ্রব্য লুট করি, এবং তাহাদের এক জনকেও অবশিষ্ট রাখিব না। তাহারা কহিল, আপনার দৃষ্টিতে যাহা ভাল বোধ হয়, তাহাই করুন। পরে যাজক কহিল, আইস, আমরা এই স্থানে ঈশ্বরের নিকটে উপস্থিত হই।

37. तब शाऊल ने परमेश्वर से पुछवाया, कि क्या मैं पलिश्तियों का पीछा करूं? क्या तू उन्हें इस्राएल के हाथ में कर देगा? परन्तु उसे उस दिन कुछ उत्तर न मिला।

37. তাহাতে শৌল ঈশ্বরের নিকটে জিজ্ঞাসা করিলেন, আমি কি পলেষ্টীয়দের পশ্চাতে নামিয়া যাইব? তুমি কি তাহাদিগকে ইস্রায়েলের হস্তে সমর্পণ করিবে? কিন্তু সেই দিন তিনি তাঁহাকে উত্তর দিলেন না।

38. तब शाऊल ने कहा, हे प्रजा के मुख्य लोगों, इधर आकर बूझो; और देखो कि आज पाप किस प्रकार से हुआ है।

38. তখন শৌল কহিলেন, হে লোকদের অধ্যক্ষ সকল, তোমরা নিকটে আইস, এবং অদ্যকার এই পাপ কিসে হইল, তাহা জ্ঞাত হও, বুঝিয়া দেখ।

39. क्योंकि इस्राएल के छुड़ानेवाले यहोवा के जीवन की शपथ, यदि वह पाप मेरे पुत्रा योनातान से हुआ हो, तौभी निश्चय वह मार डाला जाएगा। परन्तु लोगों में से किसी ने उसे उत्तर न दिया।

39. ইস্রায়েলের নিস্তারকর্ত্তা জীবন্ত সদাপ্রভুর দিব্য, যদ্যপি আমার পুত্র যোনাথনেরই দোষে তাহা হইয়া থাকে, তবু সে অবশ্য মরিবে। কিন্তু সমস্ত লোকের মধ্যে কেহই তাঁহাকে উত্তর দিল না।

40. तब उस ने सारे इस्राएलियों से कहा, तुम एक ओर हो, और मैं और मेरा पुत्रा योनातान दूसरी और होंगे। लोगों ने शाऊल से कहा, जो कुछ तुझे अच्छा लगे वही कर।

40. পরে তিনি সমস্ত ইস্রায়েলকে কহিলেন, তোমরা এক দিকে থাক, এবং আমি ও আমার পুত্র যোনাথন অন্য দিকে থাকি। তাহাতে লোকেরা শৌলকে কহিল, আপনার দৃষ্টিতে যাহা ভাল বোধ হয়, তাহাই করুন।

41. तब शाऊल ने यहोवा से कहा, हे इस्राएल के परमेश्वर, सत्य बात बता। तब चिट्ठी योनातान और शाऊल के नाम पर निकली, और प्रजा बच गई।

41. পরে শৌল সদাপ্রভুকে কহিলেন, হে ইস্রায়েলের ঈশ্বর, যথার্থ কি, দেখাইয়া দিউন; তখন যোনাথন ও শৌল ধরা পড়িলেন, কিন্তু লোকেরা মুক্ত হইল।

42. फिर शाऊल ने कहा, मेरे और मेरे पुत्रा योनातान के नाम पर चिट्ठी डालो। तब चिट्ठी योनातान के नाम पर निकली।

42. পরে শৌল কহিলেন, আমার ও আমার পুত্র যোনাথনের মধ্যে গুলিবাঁট কর; তাহাতে যোনাথন ধরা পড়িলেন।

43. तब शाऊल ने योनातान से कहा, मुझे बता, कि तू ने क्या किया है। योनातान ने बताया, और उस से कहा, मैं ने अपने हाथ की छड़ी की नोक से थोड़ा सा मधु चख तो लिया है; और देख, मुझे मरना है।

43. তখন শৌল যোনাথনকে কহিলেন, বল দেখি, তুমি কি করিয়াছ? যোনাথন বলিলেন, আমি আপন হস্তস্থিত দণ্ডের অগ্রভাগে একটু মধু লইয়া চাকিয়াছিলাম; দেখুন, আমি মরিব।

44. शाऊल ने कहा, परमेश्वर ऐसा ही करे, वरन इस से भी अधिक करे; हे योनातान, तू निश्चय मारा जाएगा।

44. শৌল কহিলেন, ঈশ্বর অমুক ও ততোধিক দণ্ড দিউন; যোনাথন, তুমি অবশ্য মরিবে।

45. परन्तु लोगों ने शाऊल से कहा, क्या योनातान मारा जाए, जिस ने इस्राएलियों का ऐसा बड़ा छुटकारा किया है? ऐसा न होगा! यहोवा के जीवन की शपथ, उसके सिर का एक बाल भी भूमि पर गिरने न पाएगा; क्योंकि आज के दिन उस ने परमेश्वर के साथ होकर काम किया है। तब प्रजा के लोगों ने योनातान को बचा लिया, और वह मारा न गया।
मत्ती 10:30, लूका 21:18, प्रेरितों के काम 27:34

45. কিন্তু লোকেরা শৌলকে কহিল, ইস্রায়েলের মধ্যে যিনি এমন মহানিস্তার সাধন করিয়াছেন, সেই যোনাথন কি মরিবেন? এমন না হউক, জীবন্ত সদাপ্রভুর দিব্য, উহাঁর মস্তকের একটী কেশও মৃত্তিকাতে পড়িবে না, কেননা উনি অদ্য ঈশ্বরের সহিত কার্য্য করিয়াছেন। এইরূপে লোকেরা যোনাথনকে রক্ষা করিল, তাঁহার মৃত্যু হইল না।

46. तब शाऊल पलिश्तियों का पीछा छोड़कर लौट गया; और पलिश्ती भी अपने स्थान को चले गए।।

46. পরে শৌল পলেষ্টীয়দের পশ্চাদগমন হইতে ফিরিয়া আসিলেন, আর পলেষ্টীয়েরা স্বস্থানে গমন করিল।

47. जब शाऊल इस्राएलियों के राज्य में स्थिर हो गया, तब वह मोआबी, अम्मोनी, एदोमी, और पलिश्ती, अपने चारों ओर के सब शत्रुओं से, और सोबा के राजाओं से लड़ा; और जहां जहां वह जाता वहां जय पाता था।

47. ইস্রায়েলের উপর রাজত্ব গ্রহণ করিবার পর শৌল সকল দিকে সমস্ত শত্রুর সহিত, মোয়াবের, অম্মোন-সন্তানগণের, ইদোমের, সোবার রাজগণের ও পলেষ্টীয়দের সহিত যুদ্ধ করিলেন; তিনি যে কোন দিকে ফিরিতেন, ব্যতিব্যস্ত করিয়া তুলিতেন।

48. फिर उस ने वीरता करके अमालेकियों को जीता, और इस्राएलियों को लूटनेवालों के हाथ से छुड़ाया।।

48. তিনি বীরত্বের সহিত কার্য্য করিতেন, অমালেককে আঘাত করিলেন, এবং লুটকারীদের হস্ত হইতে ইস্রায়েলকে উদ্ধার করিলেন।

49. शाऊल के पुत्रा योनातान, यिशबी, और मलकीश थे; और उसकी दो बेटियों के नाम ये थे, बड़ी का नाम तो मेरब और छोटी का नाम मीकल था।

49. যোনাথন, যিশ্‌বি ও মল্কীশূয় নামে শৌলের তিন পুত্র ছিলেন; আর তাঁহার দুইটী কন্যার নাম এই, জ্যেষ্ঠার নাম মেরব, কনিষ্ঠার নাম মীখল;

50. और शाऊल की स्त्री का नाम अहीनोअम था जो अहीमास की बेटी थी। और उसके प्रधान सेनापति का नाम अब्नेर था जो शाऊल के चचा नेर का पुत्रा था।

50. আর শৌলের স্ত্রীর নাম অহীনোয়ম, তিনি অহীমাসের কন্যা; এবং তাঁহার সেনাপতির নাম অব্‌নের; ইনি শৌলের পিতৃব্য নেরের পুত্র।

51. और शाऊल का पिता कीश था, और अब्नेर का पिता नेर अबीएल का पुत्रा था।

51. আর কীশ শৌলের পিতা, এবং অব্‌নেরের পিতা নের অবীয়েলের পুত্র।

52. और शाऊल जीवन भर पलिश्तियों से संग्राम करता रहा; जब जब शाऊल को कोई वीर वा अच्छा योद्धा दिखाई पड़ा तब तब उस ने उसे अपने पास रख लिया।।

52. শৌলের জীবন কাল ব্যাপিয়া পলেষ্টীয়দের সহিত ঘোরতর যুদ্ধ হইল। আর শৌল কোন বলবান পুরুষ বা কোন বীর পুরুষকে দেখিলে গ্রহণ করিতেন।



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