Revelation - प्रकाशितवाक्य 5 | View All

1. और जो सिंहासन पर बैठा था, मैं ने उसके दहिने हाथ में एक पुस्तक देखी, जो भीतर और बाहर लिखी हुई भी, और वह सात मुहर लगाकर बन्द की गई थी।
1 राजाओं 22:19, 2 इतिहास 18:18, भजन संहिता 47:8, यशायाह 6:1, यशायाह 29:11, यहेजकेल 1:26-27, यहेजकेल 2:9-10

1. I saw that in the right hand of the One sitting on the throne there was a scroll that was written on back and front and was sealed with seven seals.

2. फिर मैं ने एक बलवन्त स्वर्गदूत को देखा जो ऊंचे शब्द से यह प्रचार करता था कि इस पुस्तक के खोलने और उस की मुहरें तोड़ने के योग्य कौन है?

2. Then I saw a powerful angel who called with a loud voice, 'Who is worthy to open the scroll and break its seals?'

3. और न स्वर्ग में, न पृथ्वी पर, न पृथ्वी के नीचे कोई उस पुस्तक को खोलने या उस पर दृष्टि डालने के योग्य निकला।

3. But there was no one, in heaven or on the earth or under the earth, who was able to open the scroll and read it.

4. और मैं फूट फूटकर रोने लगा, क्योंकि उस पुस्तक के खोलने, या उस पर दृष्टि करने के योग्य कोई न मिला।

4. I wept bitterly because nobody could be found to open the scroll and read it,

5. तब उन प्राचीनों में से एक ने मुझे से कहा, मत रो; देख, यहूदा के गोत्रा का वह सिंह, जो दाऊद का मूल है, उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहर तोड़ने के लिये जयवन्त हुआ है।
उत्पत्ति 49:9, यशायाह 11:1, यशायाह 11:10

5. but one of the elders said to me, 'Do not weep. Look, the Lion of the tribe of Judah, the Root of David, has triumphed, and so he will open the scroll and its seven seals.'

6. और मैं ने उस सिंहासन और चारों प्राणियों और उन प्राचीनों के बीच में, मानों एक वध किया हुआ मेम्ना खड़ा देखा: उसके सात सींग और सात आंखे थी; ये परमेश्वर की सातों आत्माएं हैं, जो सारी पृथ्वी पर भेजी गई हैं।
यशायाह 53:7, जकर्याह 4:10

6. Then I saw, in the middle of the throne with its four living creatures and the circle of the elders, a Lamb standing that seemed to have been sacrificed; it had seven horns, and it had seven eyes, which are the seven Spirits that God has sent out over the whole world.

7. उस ने आकर उसके दहिने हाथ से जो सिंहासन पर बैठा था, वह पुस्तक ले ली,
2 इतिहास 18:18

7. The Lamb came forward to take the scroll from the right hand of the One sitting on the throne,

8. और जब उस ने पुस्तक ले ली, तो वे चारों प्राणी और चौबीसों प्राचीन उस मेम्ने के साम्हने गिर पड़े; और हर एक के हाथ में वीणा और धूप से भरे हुए सोने के कटोरे थे, ये तो पवित्रा लोगों की प्रार्थनाएं हैं।
भजन संहिता 141:2

8. and when he took it, the four living creatures prostrated themselves before him and with them the twenty-four elders; each one of them was holding a harp and had a golden bowl full of incense which are the prayers of the saints.

9. और वे यह नया गीत गाने लगे, कि तू इस पुस्तक के लेने, और उसकी मुहरें खोलने के योग्य है; क्योंकि तू ने वध होकर अपने लोहू से हर एक कुल, और भाषा, और लोग, और जाति में से परमेश्वर के लिये लोगों को मोल लिया है।
भजन संहिता 33:3, भजन संहिता 40:3, भजन संहिता 96:1, भजन संहिता 98:1, भजन संहिता 144:9, भजन संहिता 149:1, यशायाह 42:10

9. They sang a new hymn: You are worthy to take the scroll and to break its seals, because you were sacrificed, and with your blood you bought people for God of every race, language, people and nation

10. और उन्हें हमारे परमेश्वर के लिये एक राज्य और याजक बनाया; और वे पृथ्वी पर राज्य करते हैं।
निर्गमन 19:6, यशायाह 61:6

10. and made them a line of kings and priests for God, to rule the world.

11. और जब मै ने देखा, तो उस सिंहासन और उन प्राणियों और उन प्राचीनों की चारों ओर बहुत से स्वर्गदूतों का शब्द सुना, जिन की गिनती लाखों और करोड़ों की थी।
दानिय्येल 7:10

11. In my vision, I heard the sound of an immense number of angels gathered round the throne and the living creatures and the elders; there were ten thousand times ten thousand of them and thousands upon thousands,

12. और वे ऊंचे शब्द से कहते थे, कि वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ, और धन, और ज्ञान, और शक्ति, और आदर, और महिमा, और धन्यवाद के योग्य है।
1 इतिहास 29:11, यशायाह 53:7, जकर्याह 4:10

12. loudly chanting: Worthy is the Lamb that was sacrificed to receive power, riches, wisdom, strength, honour, glory and blessing.

13. फिर मैं ने स्वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र की सब सृजी हुई वस्तुओं को, और सब कुछ को जो उन में हैं, यह कहते सुना, कि जो सिंहासन पर बैठा है, उसका, और मेम्ने का धन्यवाद, और आदर, और महिमा, और राज्य, युगानुयुग रहे।
2 इतिहास 18:18

13. Then I heard all the living things in creation -- everything that lives in heaven, and on earth, and under the earth, and in the sea, crying: To the One seated on the throne and to the Lamb, be all praise, honour, glory and power, for ever and ever.

14. और चारों प्राणियों ने आमीन कहा, और प्राचीनों ने गिरकर दण्डवत् किया।।

14. And the four living creatures said, 'Amen'; and the elders prostrated themselves to worship.



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