20. क्योंकि यदि तुम ने अपराध करके घूसे खाए और धीरज धरा, तो उस में क्या बड़ाई की बात है? पर यदि भला काम करके दुख उठाते हो और धीरज धरते हो, तो यह परमेश्वर को भाता है।
20. For what glory is it, if, when you+ sin, and are buffeted [for it], you+ will take it patiently? But if, when you+ do good, and suffer [for it], you+ will take it patiently, this is acceptable with God.