Joshua - यहोशू 17 | View All

1. फिर यूसुफ के जेठे मनश्शे के गोत्रा का भाग चिट्ठी डालने से यह ठहरा। मनश्शे का जेठा पुत्रा गिलाद का पिता माकीर योद्धा था, इस कारण उसके वंश को गिलाद और बाशान मिला।

1. আর গুলিবাঁটক্রমে মনঃশি বংশের অংশ নিরূপিত হইল, সে যোষেফের জ্যেষ্ঠ পুত্র। কিন্তু গিলিয়দের পিতা, অর্থাৎ মনঃশির জ্যেষ্ঠ পুত্র মাখীর যোদ্ধা বলিয়া গিলিয়দ ও বাশন পাইয়াছিল।

2. इसलिये यह भाग दूसरे मनश्शेइशें के लिये उनके कुलों के अनुसार ठहरा, अर्थात् अबीएजेर, हेलेक, असीएल, शेकेम, हेपेर, और शमीदा; जो अपने अपने कुलों के अनुसार यूसुफ के पुत्रा मनश्शे के वंश में के पुरूष थे, उनके अलग अलग वंशों के लिये ठहरा।

2. আর [ঐ অংশ] আপন আপন গোষ্ঠী অনুসারে মনঃশির অন্য অন্য সন্তানদের হইল; তাহারা এই এই, অবীয়েষরের সন্তানগণ, হেলকের সন্তানগণ, অস্রীয়েলের সন্তানগণ, শেখমের সন্তানগণ, হেফরের সন্তানগণ ও শমীদার সন্তানগণ; ইহারা আপন আপন গোষ্ঠী অনুসারে যোষেফর পুত্র মনঃশির পুত্রসন্তান।

3. परन्तु हेपेर जो गिलाद का पुत्रा, माकीर का पोता, और मनश्शे का परपोता था, उसके पुत्रा सलोफाद के बेटे नहीं, बेटियां ही हुईं; और उनके नाम महला, नोआ, होग्ला, मिलका, और तिर्सा हैं।

3. পরন্তু মনঃশির সন্তান মাখীরের সন্তান গিলিয়দের সন্তান হেফরের পুত্র সল্‌ফাদের পুত্রসন্তান ছিল না; কেবল কতিপয় কন্যা ছিল; তাহার কন্যাদের নাম মহলা, নোয়া, হগ্‌লা, মিল্কা ও তির্সা।

4. तब वे एलीआज़र याजक, नून के पुत्रा यहोशू, और प्रधानों के पास जाकर कहने लगीं, यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी, कि वह हम को हमारे भाइयों के बीच भाग दे। तो यहोशू ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार उन्हें उनके चाचाओं के बीच भाग दिया।

4. ইহারা ইলিয়াসর যাজকের, নূনের পুত্র যিহোশূয়ের সম্মুখে ও অধ্যক্ষগণের সম্মুখে আসিয়া কহিল, আমাদের ভ্রাতৃগণের মধ্যে আমাদিগকে এক অধিকার দিতে সদাপ্রভু মোশিকে আজ্ঞা করিয়াছিলেন। অতএব সদাপ্রভুর আজ্ঞানুসারে তিনি তাহাদের পিতার ভ্রাতৃগণের মধ্যে তাহাদিগকে এক অধিকার দেন।

5. तब मनश्शे को, यरदन पार गिलाद देश और बाशान को छोड़, दस भाग मिले;

5. তাহাতে যর্দ্দনের পরপারস্থ গিলিয়দ ও বাশন দেশ ভিন্ন মনঃশির দিকে দশ ভাগ পড়িল;

6. क्योंकि मनश्शेइयों के बीच में मनश्शेई स्त्रियों को भी भाग मिला। और दूसरे मनश्शेइयों को गिलाद देश मिला।

6. কেননা মনঃশির পুত্রদের মধ্যে তাহার কন্যাদেরও অধিকার ছিল; এবং মনঃশির অবশিষ্ট পুত্রগণ গিলিয়দ দেশ পাইল।

7. और मनश्शे का सिवाना आशेर से लेकर मिकमतात तक पहुंचा, जो शकेम के साम्हने है; फिर वह दक्खिन की ओर बढ़कर एनतप्पूह के निवासियों तक पहुंचा।

7. মনঃশির সীমা আশের হইতে শিখিমের সম্মুখস্থ মিক্‌মথৎ পর্য্যন্ত ছিল; পরে ঐ সীমা দক্ষিণ পার্শ্বে ঐন্‌-তপূহ-নিবাসীদের নিকট পর্য্যন্ত গেল।

8. तप्पूह की भूमि तो मनश्शे को मिली, परन्तु तप्पूह नगर जो मनश्शे के सिवाने पर बसा है वह एप्रैमियों का ठहरा।

8. মনঃশি তপূহ দেশ পাইল, কিন্তু মনঃশির সীমাস্থ তপূহ [নগর] ইফ্রয়িম-সন্তানগণের অধিকার হইল;

9. फिर वहां से वह सिवाना काना के नाले तक उतरके उसके दक्खिन की ओर तक पहुंच गया; ये नगर य पि मनश्शे के सिवाने पर बसा है वह एप्रैमियों का ठहरा।

9. ঐ সীমা কান্না স্রোত পর্য্যন্ত, স্রোতের দক্ষিণ তীরে নামিয়া গেল; মনঃশির নগর সকলের মধ্যে স্থিত এই সকল নগর ইফ্রয়িমের ছিল; মনঃশির সীমা স্রোতের উত্তরদিকে ছিল, এবং তাহার সীমান্তভাগ সমুদ্রে ছিল।

10. दक्खिन की ओर का देश तो एप्रैम को और उत्तर की ओर का मनश्शे को मिला, और उसका सिवाना समुद्र ठहरा; और वे उत्तर की ओर आशेर से और पूर्व की ओर इस्साकर से जा मिले।

10. দক্ষিণদিকে ইফ্রয়িমের ও উত্তরদিকে মনঃশির অধিকার ছিল, এবং সমুদ্র তাহার সীমা ছিল; তাহারা উত্তরদিকে আশেরের ও পূর্ব্বদিকে ইষাখরের পার্শ্ববর্ত্তী ছিল।

11. और मनश्शे की, इस्साकार और आशेर अपने अपने नगरों समेत बेतशान, यिबलाम, और अपने नगरों समेत तानाक कि निवासी, और अपने नगरों समेत मगिद्दॊ के निवासी, ये तीनों जो ऊंचे स्थानों पर बसे हैं मिले।

11. আর ইষাখরের ও আশেরের মধ্যে উপনগরের সহিত বৈৎ-শান ও উপনগরের সহিত যিব্‌লিয়ম ও উপনগরের সহিত দোর-নিবাসীরা এবং উপনগরের সহিত ঐন্‌-দোর-নিবাসীরা ও উপনগরের সহিত তানক-নিবাসীরা ও উপনগরের সহিত মগিদ্দো-নিবাসীরা, এই তিনটী উপগিরি মনঃশির অধিকার ছিল।

12. परन्तु मनश्शेई उन नगरों के निवासियों को उन में से नहीं निकाल सके; इसलिये वे कनानी उस देश में बरियाई से बसे ही रहे।

12. তথাপি মনঃশি-সন্তানগণ সেই সেই নগরনিবাসীদিগকে অধিকারচ্যুত করিতে পারিল না; কনানীয়েরা সেই দেশে বাস করিতে স্থিরসঙ্কল্প ছিল।

13. तौभी जब इस्राएली सामर्थी हो गए, तब कनानियों से बेगारी तो कराने लगे, परन्तु उनको पूरी रीति से निकाल बाहर न किया।।

13. পরে ইস্রায়েল-সন্তানগণ যখন প্রবল হইল, তখন কনানীয়দিগকে কর্ম্মাধীন দাস করিল, সম্পূর্ণরূপে অধিকারচ্যুত করিল না।

14. यूसुफ की सन्तान यहोशू से कहने लगी, हम तो गिनती में बहुत हैं, क्योंकि अब तक यहोवा हमें आशीष ही देता आया है, फिर तू ने हमारे भाग के लिये चिट्ठी डालकर क्यों एक ही अंश दिया है?

14. পরে যোষেফ-সন্তানগণ যিহোশূয়কে কহিল, আপনি অধিকারার্থে আমাকে কেবল এক অংশ ও এক ভাগ কেন দিলেন? এ যাবৎ সদাপ্রভু আমাকে আশীর্ব্বাদ করাতে আমি বড় জাতি হইয়াছি।

15. यहोशू ने उन से कहा, यदि तुम गिनती में बहुत हो, और एप्रैम का पहाड़ी देश तुम्हारे लिये छोटा हो, तो परिज्जयों और रपाइयों का देश जो जंगल है उसमें जाकर पेड़ों को काट डालो।

15. যিহোশূয় তাহাদিগকে কহিলেন, যদি তুমি বড় জাতি হইয়া থাক, তবে ঐ অরণ্যে উঠিয়া যাও; ঐ স্থানে পরিষীয়দের ও রফায়ীয়দের দেশে আপনার জন্যে বন কাটিয়া ফেল, কেননা পর্ব্বতময় ইফ্রয়িম প্রদেশ তোমার পক্ষে সঙ্কীর্ণ।

16. यूसुफ की सन्तान ने कहा, वह पहाड़ी देश हमारे लिये छोटा है; और क्या बेतसान और उसके नगरों में रहनेवाले, क्या यिज्रेल की तराई में रहेनवाले, जितने कनानी नीचे के देश में रहते हैं, उन सभों के पास लोहे के रथ हैं।

16. যোষেফ-সন্তানগণ কহিল, এই পর্ব্বতময় দেশে আমাদের সম্পোষ্য হয় না, এবং যে সমস্ত কনানীয় তলভূমিতে বাস করে, বিশেষতঃ বৈৎ-শানে ও তথাকার উপনগরসমূহে এবং যিষ্রিয়েল তলভূমিতে বাস করে, তাহাদের লৌহরথ আছে।

17. फिर यहोशू ने, क्या एप्रैमी क्या मनश्शेई, अर्थात् यूसुफ के सारे घराने से कहा, हां तुम लोग तो गिनती में बहुत हो, और तुम्हारी बड़ी सामर्थ भी है, इसलिये तुम को केवल एक ही भाग न मिलेगा;

17. তখন যিহোশূয় যোষেফকুলকে অর্থাৎ ইফ্রয়িম ও মনঃশিকে কহিলেন, তুমি বড় জাতি, তোমার পরাক্রমও মহৎ; তুমি কেবল এক অংশ পাইবে না;

18. पहाड़ी देश भी तुम्हारा हो जाएगा; क्योंकि वह जंगल तो है, परन्तु उसके पेड़ काट डालो, तब उसके आस पास का देश भी तुम्हारा हो जाएगा; क्योंकि चाहे कनानी सामर्थी हों, और उनके पास लोहे के रथ भी हों, तौभी तुम उन्हें वहां से निकाल सकोगे।।

18. কিন্তু পর্ব্বতময় দেশ তোমার হইবে; উহা বনাকীর্ণ বটে, কিন্তু সেই বন কাটিয়া ফেলিলে তাহার নীচের ভাগ তোমার হইবে; কেননা কনানীয়দের লৌহরথ থাকিলেও এবং তাহারা পরাক্রান্ত হইলেও তুমি তাহাদিগকে অধিকারচ্যুত করিবে।



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