Hebrews - इब्रानियों 4 | View All

1. इसलिये जब कि उसके विश्राम में प्रवेश करने की प्रतिज्ञा अब तक है, तो हमें डरना चाहिए; ऐसा ने हो, कि तुम में से कोई जंग उस से रहित जान पड़े।
भजन संहिता 95:11

1. Therefore we must be wary that, while the promise of entering his rest remains open, none of you may seem to have come short of it.

2. क्योंकि हमें उन्हीं की नाई सुसमाचार सुनाया गया है, पर सुने हुए वचन से उन्हें कुछ लोथ न हुआ; क्योंकि सुननेवालों के मन में विश्वास के साथ नहीं बैठा।

2. For we had good news proclaimed to us just as they did. But the message they heard did them no good, since they did not join in with those who heard it in faith.

3. और हम जिन्हों ने विश्वास किया है, उस विश्राम में प्रवेश करते हैं; जैसा उस ने कहा, कि मैं ने अपने क्रोध में शपथ खाई, कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाएंगे, यद्यपि जगत की उत्पत्ति के समय से उसे काम हो चुके थे।

3. For we who have believed enter that rest, as he has said, 'As I swore in my anger, 'They will never enter my rest!'' And yet God's works were accomplished from the foundation of the world.

4. क्योंकि सातवें दिन के विषय में उस ने कहीं यों कहा है, कि परमेश्वर ने सातवें दिन अपने सब कामों को निपटा करके विश्राम किया।
उत्पत्ति 2:2

4. For he has spoken somewhere about the seventh day in this way: 'And God rested on the seventh day from all his works,'

5. और इस जगह फिर यह कहता है, कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश न करने पाएंगे।

5. but to repeat the text cited earlier: 'They will never enter my rest!'

6. तो जब यह बात बाकी है कि कितने और हैं जो उस विश्राम में प्रवेश करें, और जिन्हें उसका सुसमाचार पहिले सुनाया गया, उन्हों ने आज्ञा न मानने के कारण उस में प्रवेश न किया।

6. Therefore it remains for some to enter it, yet those to whom it was previously proclaimed did not enter because of disobedience.

7. तो फिर वह किसी विशेष दिन की ठहराकर इतने दिन के बाद दाऊद की पुस्तक में उसे आज का दिन कहता है, जैसे पहिले कहा गया, कि यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मनों को कठोर न करो।
भजन संहिता 95:7-8

7. So God again ordains a certain day, 'Today,' speaking through David after so long a time, as in the words quoted before, 'O, that today you would listen as he speaks! Do not harden your hearts.'

8. और यदि यहोशू उन्हें विश्राम में प्रवेश कर लेता, तो उसके बाद दूसरे दिन की चर्चा न होती।
व्यवस्थाविवरण 31:7, यहोशू 22:4

8. For if Joshua had given them rest, God would not have spoken afterward about another day.

9. सो जान लो कि परमेश्वर के लोगों के लिये सब्त का विश्राम बाकी है।

9. Consequently a Sabbath rest remains for the people of God.

10. क्योंकि जिस ने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उस ने भी परमेश्वर की नाई अपने कामों को पूरा करके विश्राम किया है।
उत्पत्ति 2:2

10. For the one who enters God's rest has also rested from his works, just as God did from his own works.

11. सो हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो, कि कोई जन उन की नाई आज्ञा न मानकर गिर पड़े।

11. Thus we must make every effort to enter that rest, so that no one may fall by following the same pattern of disobedience.

12. क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग करके, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है।
यशायाह 49:2

12. For the word of God is living and active and sharper than any double-edged sword, piercing even to the point of dividing soul from spirit, and joints from marrow; it is able to judge the desires and thoughts of the heart.

13. और सृष्टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है बरन जिस से हमें काम है, उस की आंखों के साम्हने सब वस्तुएं खुली और बेपरद हैं।।

13. And no creature is hidden from God, but everything is naked and exposed to the eyes of him to whom we must render an account.

14. सो जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्वर्गों से होकर गया है, अर्थात् परमेश्वर का पुत्रा यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहे।

14. Therefore since we have a great high priest who has passed through the heavens, Jesus the Son of God, let us hold fast to our confession.

15. क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; बरन वह सब बातों में हमारी नाई परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला।

15. For we do not have a high priest incapable of sympathizing with our weaknesses, but one who has been tempted in every way just as we are, yet without sin.

16. इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।।

16. Therefore let us confidently approach the throne of grace to receive mercy and find grace whenever we need help.



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