Colossians - कुलुस्सियों 3 | View All

1. सो जब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्वर्गीय वस्तुओं की खोज में रहो, जहां मसीह वर्तमान है और परमेश्वर के दहिनी ओर बैठा है।
यशायाह 45:3

1. If ye then were raised with Christ, seek those things which are above, where Christ sitteth on the right hand of God.

2. प्रथ्वी पर की नहीं परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर ध्यान लगाओ।

2. Set your affection on things above, not on things on the earth.

3. क्योंकि तुम तो मर गए, और तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है।

3. For ye are dead, and your life is hid with Christ in God.

4. जब मसीह जो हमारा जीवन है, प्रगट होगा, तब तुम भी उसके साथ महिमा सहित प्रगट किए जाओगे।

4. When Christ, [who is] our life, shall appear, then shall ye also appear with him in glory.

5. इसलिये अपने उन अंगो को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्ति पूजा के बराबर है।

5. Mortify therefore your members which are upon the earth; immorality, uncleanness, inordinate affection, evil desire, and covetousness, which is idolatry:

6. इन ही के कारण परमेश्वर का प्रकोप आज्ञा न माननेवालों पर पड़ता है।

6. For which things' the wrath of God cometh on the children of disobedience:

7. और तुम भी, जब इन बुराइयों में जीवन बिताते थे, तो इन्हीं के अनुसार चलते थे।

7. In which ye also walked once, when ye lived with them.

8. पर अब तुम भी इन सब को अर्थात् क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा, और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो।

8. But now ye also put off all these; anger, wrath, malice, blasphemy, filthy communication out of your mouth.

9. एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्व को उसके कामों समेत उतार डाला है।

9. Lie not one to another, seeing ye have put off the old man with his deeds;

10. और नए मनुष्यत्व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है।
भजन संहिता 110:1

10. And have put on the new [man], which is renewed in knowledge after the image of him that created him:

11. उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारहित, न जंगली, न स्कूती, न दास और न स्वतंत्रा: केवल मसीह सब कुछ और सब में है।।

11. Where there is neither Greek nor Jew, circumcision nor uncircumcision, Barbarian, Scythian, bond [nor] free: but Christ [is] all, and in all.

12. इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्रा और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।

12. Put on therefore, as the elect of God, holy and beloved, tender mercies, kindness, humbleness of mind, meekness, longsuffering;

13. और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।

13. Forbearing one another, and forgiving one another, if any man hath a quarrel against any: even as Christ forgave you, so also [do] ye.

14. और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्ध है बान्ध लो।

14. And above all these things [put on] charity, which is the bond of perfectness.

15. और मसीह की शान्ति जिस के लिये तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।

15. And let the peace of God rule in your hearts, to which also ye are called in one body; and be ye thankful.

16. मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।

16. Let the word of Christ dwell in you richly in all wisdom; teaching and admonishing one another in psalms and hymns and spiritual songs, singing with grace in your hearts to the Lord.

17. और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।।

17. And whatever ye do in word or deed, [do] all in the name of the Lord Jesus, giving thanks to God and the Father by him.

18. हे पत्नियो, जेसा प्रभु में उचित है, वैसा ही अपने अपने पति के आधीन रहो।
उत्पत्ति 1:27

18. Wives, submit yourselves to your own husbands, as it is fit in the Lord.

19. हे पतियो, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, और उन से कठोरता न करो।

19. Husbands, love [your] wives, and be not bitter against them.

20. हे बालको, सब बातों में अपने अपने माता- पिता की आज्ञा का पालन करो, क्योंकि प्रभु इस से प्रसन्न होता है।

20. Children, obey [your] parents in all things: for this is well pleasing to the Lord.

21. हे बच्चेवालो, अपने बालकों को तंग न करो, न हो कि उन का साहस टूट जाए।

21. Fathers, provoke not your children [to anger], lest they be discouraged.

22. हे सेवको, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करनेवालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से।

22. Servants, obey in all things [your] masters according to the flesh; not with eyeservice, as menpleasers; but in singleness of heart, fearing God:

23. और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझकर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो।

23. And whatever ye do, do [it] heartily, as to the Lord, and not to men;

24. क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो।

24. Knowing that from the Lord ye shall receive the reward of the inheritance: for ye serve the Lord Christ.

25. क्योंकि जो बुरा करता है, वह अपनी बुराई का फल पाएगा; वहां किसी का पक्षपात नहीं।
उत्पत्ति 3:16

25. But he that doeth wrong shall receive for the wrong which he hath done: and there is no respect of persons.



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