Deuteronomy - व्यवस्थाविवरण 30 | View All

1. फिर जब आशीष और शाप की ये सब बातें जो मैं ने तुझ को कह सुनाई हैं तुझ पर घटें, और तू उन सब जातियों के मध्य में रहकर, जहां तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को बरबस पहुंचाएगा, इन बातों को स्मरण करे,

1. 'I have now given you a choice between a blessing and a curse. When all these things have happened to you, and you are living among the nations where the LORD your God has scattered you, you will remember the choice I gave you.

2. और अपनी सन्तान सहित अपने सारे मन और सारे प्राण से अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरकर उसके पास लौट आए, और इन सब आज्ञाओं के अनुसार जो मैं आज तुझे सुनाता हूं उसकी बातें माने;

2. If you and your descendants will turn back to the LORD and with all your heart obey his commands that I am giving you today,

3. तब तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को बन्धुआई से लौटा ले आएगा, और तुझ पर दया करके उन सब देशों के लोगों में से जिनके मध्य में वह तुझ को तित्तर बित्तर कर देगा फिर इकट्ठा करेगा।

3. then the LORD your God will have mercy on you. He will bring you back from the nations where he has scattered you, and he will make you prosperous again.

4. चाहे धरती के छोर तक तेरा बरबस पहुंचाया जाना हो, तौभी तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को वहां से ले आकर इकट्ठा करेगा।
मत्ती 24:31, मरकुस 13:27

4. Even if you are scattered to the farthest corners of the earth, the LORD your God will gather you together and bring you back,

5. और तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे उसी देश में पहुंचाएगा जिसके तेरे पुरखा अधिकारी हुए थे, और तू फिर उसका अधिकारी होगा; और वह तेरी भलाई करेगा, और तुझ को तेरे पुरखाओं से भी गिनती में अधिक बढ़ाएगा।

5. so that you may again take possession of the land where your ancestors once lived. And he will make you more prosperous and more numerous than your ancestors ever were.

6. और तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे और तेरे वंश के मन का खतना करेगा, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन और सारे प्राण के साथ प्रेम करे, जिस से तू जीवित रहे।
रोमियों 2:29

6. The LORD your God will give you and your descendants obedient hearts, so that you will love him with all your heart, and you will continue to live in that land.

7. और तेरा परमेश्वर यहोवा ये सब शाप की बातें तेरे शत्रुओं पर जो तुझ से बैर करके तेरे पीछे पड़ेंगे भेजेगा।

7. He will turn all these curses against your enemies, who hated you and oppressed you,

8. और तू फिरेगा और यहोवा की सुनेगा, और इन सब आज्ञाओं को मानेगा जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं।

8. and you will again obey him and keep all his commands that I am giving you today.

9. और यहोवा तेरी भलाई के लिये तेरे सब कामों में, और तेरी सन्तान, और पशुओं के बच्चों, और भूमि की उपज में तेरी बढ़ती करेगा; क्योंकि यहोवा फिर तेरे ऊपर भलाई के लिये वैसा ही आनन्द करेगा, जैसा उस ने तेरे पूर्वजों के ऊपर किया था;

9. The LORD will make you prosperous in all that you do; you will have many children and a lot of livestock, and your fields will produce abundant crops. He will be as glad to make you prosperous as he was to make your ancestors prosperous,

10. क्योंकि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सुनकर उसकी आज्ञाओं और विधियों को जो इस व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हैं माना करेगा, और अपने परमेश्वर यहोवा की ओर अपने सारे मन और सारे प्राण से मन फिराएगा।।

10. but you will have to obey him and keep all his laws that are written in this book of his teachings. You will have to turn to him with all your heart.

11. देखो, यह जो आज्ञा मैं आज तुझे सुनाता हूं, वह न तो तेरे लिये अनोखी, और न दूर है।
1 यूहन्ना 5:3

11. 'The command that I am giving you today is not too difficult or beyond your reach.

12. और न तो यह आकाश में है, कि तू कहे, कि कौन हमारे लिये आकाश में चढ़कर उसे हमारे पास ले आए, और हम को सुनाए कि हम उसे मानें?
रोमियों 10:6-9

12. It is not up in the sky. You do not have to ask, 'Who will go up and bring it down for us, so that we can hear it and obey it?'

13. और न यह समुद्र पार है, कि तू कहे, कौन हमारे लिये समुद्र पार जाए, और उसे हमारे पास ले आए, और हम को सुनाए कि हम उसे मानें?

13. Nor is it on the other side of the ocean. You do not have to ask, 'Who will go across the ocean and bring it to us, so that we may hear it and obey it?'

14. परन्तु यह वचन तेरे बहुत निकट, वरन तेरे मुंह और मन ही में है ताकि तू इस पर चले।।

14. No, it is here with you. You know it and can quote it, so now obey it.

15. सुन, आज मैं ने तुझ को जीवन और मरण, हानि और लाभ दिखाया है।

15. 'Today I am giving you a choice between good and evil, between life and death.

16. क्योंकि मैं आज तुझे आज्ञा देता हूं, कि अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करना, और उसके मार्गों पर चलना, और उसकी आज्ञाओं, विधियों, और नियमों को मानना, जिस से तू जीवित रहे, और बढ़ता जाए, और तेरा परमेश्वर यहोवा उस देश में जिसका अधिकारी होने को तू जा रहा है, तुझे आशीष दे।

16. If you obey the commands of the LORD your God, which I give you today, if you love him, obey him, and keep all his laws, then you will prosper and become a nation of many people. The LORD your God will bless you in the land that you are about to occupy.

17. परन्तु यदि तेरा मन भटक जाए, और तू न सुने, और भटककर पराए देवताओं को दण्डवत करे और उनकी उपासना करने लगे,

17. But if you disobey and refuse to listen, and are led away to worship other gods,

18. तो मैं तुम्हें आज यह चितौनी दिए देता हूं कि तुम नि:सन्देह नष्ट हो जाओगे; और जिस देश का अधिकारी होने के लिये तू यरदन पार जा रहा है, उस देश में तुम बहुत दिनों के लिये रहने न पाओगे।

18. you will be destroyed---I warn you here and now. You will not live long in that land across the Jordan that you are about to occupy.

19. मैं आज आकाश और पृथ्वी दोनों को तुम्हारे साम्हने इस बात की साक्षी बनाता हूं, कि मैं ने जीवन और मरण, आशीष और शाप को तुम्हारे आगे रखा है; इसलिये तू जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें;

19. I am now giving you the choice between life and death, between God's blessing and God's curse, and I call heaven and earth to witness the choice you make. Choose life.

20. इसलिये अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करो, और उसकी बात मानों, और उस से लिपटे रहो; क्योंकि तेरा जीवन और दीर्घ जीवन यही है, और ऐसा करने से जिस देश को यहोवा ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब, तेरे पूर्वजों को देने की शपथ खाई थी उस देश में तू बसा रहेगा।।

20. Love the LORD your God, obey him and be faithful to him, and then you and your descendants will live long in the land that he promised to give your ancestors, Abraham, Isaac, and Jacob.'



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