Deuteronomy - व्यवस्थाविवरण 16 | View All

1. आबीब के महीने को स्मरण करके अपने परमेश्वर यहोवा के लिय फसह का पर्व्व मानना; क्योंकि आबीब महीने में तेरा परमेश्वर यहोवा रात को तुझे मि से निकाल लाया।
लूका 2:41

1. তুমি আবীব মাস পালন করিবে, তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর উদ্দেশে নিস্তারপর্ব্ব পালন করিবে; কেননা আবীব মাসে তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমাকে রাত্রিকালে মিসর হইতে বাহির করিয়া আনিয়াছিলেন।

2. इसलिये जो स्थान यहोवा अपने नाम का निवास ठहराने को चुन लेगा, वही अपने परमेश्वर यहोवा के लिये भेड़- बकरियों और गाय- बैल फसह करके बलि करना।

2. আর সদাপ্রভু আপন নামের বাসার্থে যে স্থান মনোনীত করিবেন, সেই স্থানে তুমি আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর উদ্দেশে মেষাদি পাল ও গোপাল হইতে পশু লইয়া নিস্তারপর্ব্বের বলিদান করিবে।

3. उसके संग कोई खमीरी वस्तु न खाना; सात दिन तक अखमीरी रोटी जो दु:ख की रोटी है खाया करना; क्योंकि तू मि देश से उतावली करके निकला था; इसी रीति से तुझ को मि देश से निकलने का दिन जीवन भर स्मरण रहेगा।
1 कुरिन्थियों 5:8

3. তুমি তাহার সহিত তাড়ীযুক্ত রুটী খাইবে না; কেননা তুমি ত্বরান্বিত হইয়াই মিসর দেশ হইতে বাহির হইয়াছিলে; এই জন্য সাত দিবস সেই বলির সহিত তাড়ীশূন্য রুটী, দুঃখাবস্থার রুটী, ভোজন করিবে; যেন মিসর দেশ হইতে তোমার নির্গমনের দিন যাবজ্জীবন তোমার স্মরণে থাকে।

4. सात दिन तक तेरे सारे देश में तेरे पास कहीं खमीर देखने में भी न आए; और जो पशु तू पहिले दिन की संध्या को बलि करे उसके मांस में से कुछ बिहान तक रहने न पाए।

4. সাত দিন তোমার সীমার মধ্যে তাড়ী দৃষ্ট না হউক; এবং প্রথম দিবসের সন্ধ্যাকালে তুমি যে বলিদান কর, তাহার মাংস কিছুই, সমস্ত রাত্রি প্রাতঃকাল পর্য্যন্ত অবশিষ্ট না থাকুক।

5. फसह को अपने किसी फाटक के भीतर, जिसे तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे दे बलि न करना।

5. [5-6] তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমাকে যে সকল নগর দিবেন, তাহার কোন নগরের দ্বারের ভিতরে নিস্তারপর্ব্বের বলিদান করিতে পারিবে না; কিন্তু তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু আপন নামের বাসার্থে যে স্থান মনোনীত করিবেন, সেই স্থানে মিসর দেশ হইতে তোমার বাহির হইয়া আসিবার ঋতুতে, সন্ধ্যাকালে, সূর্য্যাস্ত সময়ে নিস্তারপর্ব্বের বলিদান করিবে।

6. जो स्थान तेरा परमेश्वर यहोवा अपने नाम का निवास करने के लिये चुन ले केवल वहीं, वर्ष के उसी समय जिस में तू मि से निकला था, अर्थात् सूरज डूबने पर संध्याकाल को, फसह का पशुबलि करना।

6.

7. तब उसका मांस उसी स्थान में जिसे तेरा परमेश्वर यहोवा चुन ले भूंजकर खाना; फिर बिहान को उठकर अपने अपने डेरे को लौट जाना।

7. আর তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর মনোনীত স্থানে তাহা পাক করিয়া ভোজন করিবে; পরে প্রাতঃকালে আপন তাম্বুতে ফিরিয়া যাইবে।

8. छ: दिन तक अखीमीरी रोटी खाया करना; और सातवें दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये महासभा हो; उस दिन किसी प्रकार का कामकाज न किया जाए।।

8. তুমি ছয় দিন তাড়ীশূন্য রুটী খাইবে, এবং সপ্তম দিবসে তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর উদ্দেশে পর্ব্বসভা হইবে; তুমি কোন কার্য্য করিবে না।

9. फिर जब तू खेत में हंसुआ लगाने लगे, तब से आरम्भ करके सात अठवारे गिनना।
प्रेरितों के काम 2:1, 1 कुरिन्थियों 16:8

9. তুমি সাত সপ্তাহ গণনা করিবে; ক্ষেত্রস্থ শস্যে প্রথম কাস্ত্যা দেওয়া অবধি সাত সপ্তাহ গণনা করিতে আরম্ভ করিবে।

10. तब अपने परमेश्वर यहोवा की आशीष के अनुसार उसके लिये स्वेच्छा बलि देकर अठवारों नाम पर्व्व मानना;

10. পরে তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর আশীর্ব্বাদানুযায়ী সঙ্গতি হইতে স্ব-ইচ্ছায় দত্ত উপহার দ্বারা তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর উদ্দেশে সাত সপ্তাহের উৎসব পালন করিবে।

11. और उस स्थान में जो तेरा परमेश्वर यहोवा अपने नाम का निवास करने को चुन ले अपने अपने बेटे- बेटियों, दास- दासियों समेत तू और तेरे फाटकों के भीतर जो लेवीय हों, और जो जो परदेशी, और अनाथ, और विधवाएं तेरे बीच में हों, वे सब के सब अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने आनन्द करें।

11. আর তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু আপন নামের বাসার্থে যে স্থান মনোনীত করিবেন, সেই স্থানে তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর সম্মুখে তুমি, তোমার পুত্রকন্যা, তোমার দাসদাসী, তোমার নগর-দ্বারের মধ্যবর্ত্তী লেবীয় ও তোমার মধ্যনিবাসী বিদেশী, পিতৃহীন ও বিধবা সকলে আনন্দ করিবে।

12. और स्मरण रखना कि तू भी मि में दास था; इसलिये इन विधियों के पालन करने में चौकसी करना।।

12. আর তুমি স্মরণে রাখিবে যে, তুমি মিসর দেশে দাস ছিলে, এবং এই সকল বিধি যত্নপূর্ব্বক পালন করিবে।

13. तू जब अपने खलिहान और दाखमधु के कुण्ड में से सब कुछ इकट्ठा कर चुके, तब झोपड़ियों का पर्व्व सात दिन मानते रहना;

13. তোমার খামার ও দ্রাক্ষাকুণ্ড হইতে যাহা সংগ্রহ করিবার, তাহা সংগ্রহ করিলে পর তুমি সাত দিন কুটীরের উৎসব পালন করিবে।

14. और अपने इस पर्व्व में अपने अपने बेटे बेटियों, दास- दासियों समेत तू और जो लेवीय, और परदेशी, और अनाथ, और विधवाएं तेरे फाटकों के भीतर हों वे भी आनन्द करें।

14. আর সেই উৎসবে তুমি, তোমার পুত্রকন্যা, তোমার দাসদাসী ও তোমার নগর-দ্বারের মধ্যবর্ত্তী লেবীয় ও বিদেশী এবং পিতৃহীন ও বিধবা সকলে আনন্দ করিবে।

15. जो स्थान यहोवा चुन ले उस में तु अपने परमेश्वर यहोवा के लिये सात दिन तक पर्व्व मानते रहना; क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा तेरी सारी बढ़ती में और तेरे सब कामों में तुझ को आशीष देगा; तू आनन्द ही करना।

15. সদাপ্রভুর মনোনীত স্থানে তুমি আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর উদ্দেশে সাত দিন উৎসব পালন করিবে; কেননা তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমার সমস্ত উৎপন্ন দ্রব্যে ও হস্তকৃত সমস্ত কর্ম্মে তোমাকে আশীর্ব্বাদ করিবেন, আর তুমি সম্পূর্ণরূপে আনন্দিত হইবে।

16. ुवर्ष में तीन बार, अर्थात् अखमीरी रोटी के पर्व्व, और अठवारों के पर्व्व, और झोपड़ियों के पर्व्व, इन तीनों पर्व्व में तुम्हारे सब पुरूष अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने उस स्थान में जो वह चुन लेगा जाएं। और देखो, छूछे हाथ यहोवा के साम्हने कोई न जाए;

16. তোমার প্রত্যেক পুরুষ বৎসরের মধ্যে তিন বার তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর সম্মুখে তাঁহার মনোনীত স্থানে দেখা দিবে; তাড়ীশূন্য রুটীর উৎসবে, সাত সপ্তাহের উৎসবে ও কুটীরের উৎসবে; আর তাহারা সদাপ্রভুর সম্মুখে রিক্তহস্তে দেখা দিবে না;

17. सब पुरूष अपनी अपनी पूंजी, और उस आशीष के अनुसार जो तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझ को दी हो, दिया करें।।

17. প্রত্যেক জন তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর দত্ত আশীর্ব্বাদানুসারে আপন আপন সঙ্গতি অনুযায়ী উপহার দিবে।

18. तू अपने एक एक गोत्रा में से, अपने सब फाटकों के भीतर जिन्हें तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को देता है न्यायी और सरदार नियुक्त कर लेना, जो लोगों का न्याय धर्म से किया करें।

18. তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমার সকল বংশানুসারে তোমাকে যে সমস্ত নগর দিবেন, সেই সকল নগরের দ্বারদেশে তুমি আপনার জন্য বিচারকর্ত্তৃগণকে ও শাসনকর্ত্তৃগণকে নিযুক্ত করিবে; আর তাহারা ন্যায্য বিচারে লোকদের বিচার করিবে।

19. तुम न्याय न बिगाड़ना; तू न तो पक्षपात करना; और न तो घूस लेना, क्योंकि घूस बुद्धिमान की आंखें अन्धी कर देती है, और धर्मियों की बातें पलट देती है।

19. তুমি অন্যায় বিচার করিবে না, কাহারও মুখাপেক্ষা করিবে না, ও উৎকোচ লইবে না; কেননা উৎকোচ জ্ঞানীদের চক্ষু অন্ধ করে ও ধার্ম্মিকদের বাক্য বিপরীত করে।

20. जो कुछ नितान्त ठीक है उसी का पीछा पकड़े रहना, जिस से तू जीवित रहे, और जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसका अधिकारी बना रहे।।

20. সর্ব্বতোভাবে যাহা ন্যায্য, তাহারই অনুগামী হইবে, তাহাতে তুমি জীবিত থাকিয়া আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর দত্ত দেশ অধিকার করিবে।

21. तू अपने परमेश्वर यहोवा की जो वेदी बनाऐगा उसके पास किसी प्रकार की लकड़ी की बनी हुई अशेरा का स्थापन न करना।

21. তুমি আপন ঈশ্বর সদাপ্রভুর উদ্দেশে যে যজ্ঞবেদি নির্ম্মাণ করিবে, তাহার কাছে কোন প্রকার কাষ্ঠের আশেরা মূর্ত্তি স্থাপন করিবে না।

22. और न कोई लाठ खड़ी करना, क्योंकि उस से तेरा परमेश्वर यहोवा घृणा करता है।।

22. কোন স্তম্ভও উত্থাপন করিবে না, কেননা তাহা তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর ঘৃণাস্পদ।



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