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1. प्रेम का अनुकरण करो, और आत्मिक बरदानों की भी धुन में रहो विशेष करके यह, कि भविष्यद्वाणी करो।
1. Pursue love! However, keep on eagerly seeking the things of the Spirit; and especially seek to be able to prophesy.
2. क्योंकि जो अन्यभाषा में बातें करता है; वह मनुष्यों से नहीं, परन्तु परमेश्वर से बातें करता है; इसलिये कि उस की कोई नहीं समझता; क्योंकि वह भेट की बातें आत्मा में होकर बोलता है।
2. For someone speaking in a tongue is not speaking to people but to God, because no one can understand, since he is uttering mysteries in the power of the Spirit.
3. परन्तु जो भविष्यद्वाणी करता है, वह मनुष्यों से उन्नति, और उपदेश, और शान्ति की बातें कहता है।
3. But someone prophesying is speaking to people, edifying, encouraging and comforting them.
4. जो अन्य भाषा में बातें करता है, वह अपनी ही उन्नति करता है; परन्तु जो भविष्यद्वाणी करता है, वह कलीसिया की उन्नति करता है।
4. A person speaking in a tongue does edify himself, but a person prophesying edifies the congregation.
5. मैं चाहता हूं, कि तुम सब अन्य भाषाओं में बातें करो, परन्तु अधिकतर यह चाहता हूं कि भविष्यद्वाणी करो: क्योंकि यदि अन्यान्य भाषा बोलनेवाला कलीसिया की उन्नति के लिये अनुवाद न करे तो भविष्यद्ववाणी करनेवाला उस से बढ़कर है।गिनती 11:29
5. I wish you would all speak in tongues, but even more I wish you would all prophesy. The person who prophesies is greater than the person who speaks in tongues, unless someone gives an interpretation, so that the congregation can be edified.
6. इसलिये हे भाइयों, यदि मैं तुम्हारे पास आकर अन्यान्य भाषा में बातें करूं, और प्रकाश, या ज्ञान, या भविष्यद्वाणी, या उपदेश की बातें तुम से न कहूं, तो मुझ से तुम्हें क्या लाभ होगा?
6. Brothers, suppose I come to you now speaking in tongues. How can I be of benefit to you unless I bring you some revelation or knowledge or prophecy or teaching?
7. इसी प्रकार यदि निर्जीव वस्तुएं भी, जिन से ध्वनि निकलती है जेसे बांसुरी, या बीन, यदि उन के स्वरों में भेद न हो तो जो फूंका या बजाया जाता है, वह क्योंकर पहिचाना जाएगा?
7. Even with lifeless musical instruments, such as a flute or a harp, how will anyone recognize the melody if one note can't be distinguished from another?
8. और यदि तुरही का शब्द साफ न हो तो कौन लड़ाई के लिये तैयारी करेगा?
8. And if the bugle gives an unclear sound, who will get ready for battle?
9. ऐसे ही तुम भी यदि जीभ से साफ बातें न कहो, तो जो कुछ कहा जाता है? वह क्योंकर समझा जाएगा? तुम तो हवा से बातें करनेवाले ठहरोगे।
9. It's the same with you: how will anyone know what you are saying unless you use your tongue to produce intelligible speech? You will be talking to the air!
10. जगत में कितने की प्रकार की भाषाएं क्यों न हों, परन्तु उन में से कोई भी बिना अर्थ की न होगी।
10. There are undoubtedly all kinds of sounds in the world, and none is altogether meaningless;
11. इसलिये यदि मैं किसी भाषा का अर्थ न समझूं, तो बोलनेवाले की दृष्टि में परदेशी ठहरूंगा; और बोलनेवाला मेरे दृष्टि में परदेशी ठहरेगा।
11. but if I don't know what a person's sounds mean, I will be a foreigner to the speaker and the speaker will be a foreigner to me.
12. इसलिये तुम भी जब आत्मिक बरदानों की धुन में हो, तो ऐसा प्रयत्न करो, कि तुम्हारे बरदानों की उन्नति से कलीसिया की उन्नति हो।
12. Likewise with you: since you eagerly seek the things of the Spirit, seek especially what will help in edifying the congregation.
13. इस कारण जो अन्य भाषा बोले, तो वह प्रार्थना करे, कि उसका अनुवाद भी कर सके।
13. Therefore someone who speaks in a tongue should pray for the power to interpret.
14. इसलिये यदि मैं अन्य भाषा में प्रार्थना करूं, तो मेरी आत्मा प्रार्थना करती है, परन्तु मेरी बुद्धि काम नहीं देती।
14. For if I pray in a tongue, my spirit does pray, but my mind is unproductive.
15. सो क्या करना चाहिए? मैं आत्मा से भी प्रार्थना करूंगा, और बुद्धि से भी प्रार्थना करूंगा; मैं आत्मा से गाऊंगा, और बुद्धि से भी गाऊंगा।
15. So, what about it? I will pray with my spirit, but I will also pray with my mind; I will sing with my spirit, but I will also sing with my mind.
16. नहीं तो यदि तू आत्मा ही से धन्यवाद करेगा, तो फिर अज्ञानी तेरे धन्यवाद पर आमीन क्योंकि कहेगा? इसलिये कि वह तो नहीं जानता, कि तू क्या कहता है?
16. Otherwise, if you are giving thanks with your spirit, how will someone who has not yet received much instruction be able to say, '[Amen,]' when you have finished giving thanks, since he doesn't know what you are saying?
17. तू तो भली भांति से धन्यवाद करता है, परन्तु दूसरे की उन्नति नहीं होती।
17. For undoubtedly you are giving thanks very nicely, but the other person is not being edified.
18. मैं अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, कि मैं तुम सब से अधिक अन्यान्य भाषा में बोलता हूं।
18. I thank God that I speak in tongues more than all of you,
19. परन्तु कलीसिया में अन्य भाषा में दस हजार बातें कहने से यह मुझे और भी अच्छा जान पड़ता है, कि औरों के सिखाने के लिये बुद्धि से पांच ही बातें कहूं।।
19. but in a congregation meeting I would rather say five words with my mind in order to instruct others than ten thousand words in a tongue!
20. हे भाइयो, तुम समझ में बालक न बनो: तौभी बुराई में तो बालक रहो, परन्तु समझ में सियाने बानो।
20. Brothers, don't be children in your thinking. In evil, be like infants; but in your thinking, be grown-up.
21. व्यवस्था में लिखा है, कि प्रभु कहता है; मैं अन्य भाषा बोलनेवालों के द्वारा, और पराए मुख के द्वारा इन लोगों से बात करूंगा तौभी वे मेरी न सुनेंगे।यशायाह 28:11-12
21. In the [Torah] it is written, 'By other tongues, by the lips of foreigners I will speak to this people. But even then they will not listen to me,' says ADONAI.
22. इसलिये अन्यान्य भाषाएं विश्वासियों के लिये नहीं, परन्तु अविश्वासियों के लिये चिन्ह हैं, और भविष्यद्वाणी अविश्वासीयों के लिये नहीं परन्तु विश्वासियों के लिये चिन्ह हैं।
22. Thus tongues are a sign not for believers but for unbelievers, while prophecy is not for unbelievers but for believers.
23. सो यदि कलीसिया एक जगह इकट्ठी हो, और सब के सब अन्यान्य भाषा बोलें, और अनपढ़े या अविश्वासी लोग भीतर आ जाएं तो क्या वे तुम्हें पागल न कहेंगे?
23. So if the whole congregation comes together with everybody speaking in tongues, and uninstructed people or unbelievers come in, won't they say you're crazy?
24. परन्तु यदि सब भविष्यद्वाणी करने लगें, और कोई अविश्वासी या अनपढ़ा मनुष्य भीतर आ जाए, तो सब उसे दोषी ठहरा देंगे और परख लेंगे।
24. But if you all prophesy, and some unbeliever or uninstructed person enters, he is convicted of sin by all, he is brought under judgment by all,
25. और उसके मन के भेअ प्रगट हो जाएंगे, और तब वह मुंह के बल गिरकर परमेश्वर को दण्डवत करेगा, और मान लेगा, कि सचमुच परमेश्वर तुम्हारे बीच में है।यशायाह 45:14, दानिय्येल 2:47, जकर्याह 8:23
25. and the secrets of his heart are laid bare; so he falls on his face and worships God, saying, 'God is really here among you!'
26. इसलिये हे भाइयो क्या करना चाहिए? जब तुम इकट्ठे होते हो, तो हर एक के हृदय में भजन, या उपदेश, या अन्यभाषा, या प्रकाश, या अन्यभाषा का अर्थ बताना रहता है: सब कुछ आत्मिक उन्नति के लिये होना चाहिए।
26. What is our conclusion, brothers? Whenever you come together, let everyone be ready with a psalm or a teaching or a revelation, or ready to use his gift of tongues or give an interpretation; but let everything be for edification.
27. यदि अन्य भाषा में बातें करनीं हों, तो दो दो, या बहुत हो तो तीन तीन जन बारी बारी बोलें, और एक व्यक्ति अनुवाद करे।
27. If the gift of tongues is exercised, let it be by two or at most three, and each in turn; and let someone interpret.
28. परन्तु यदि अनुवाद करनेवाला न हो, तो अन्यभाषा बालनेवाला कलीसिया में शान्त रहे, और अपने मन से, और परमेश्वर से बातें करे।
28. And if there is no one present who can interpret, let the people who speak in tongues keep silent when the congregation meets- they can speak to themselves and to God.
29. भविष्यद्वक्ताओं में से दो या तीन बोलें, और शेष लोग उन के वचन को परखें।
29. Let two or three prophets speak, while the others weigh what is said.
30. परन्तु यदि दूसरे पर जो बैठा है, कुछ ईश्वरीय प्रकाश हो, तो पहिला चुप हो जाए।
30. And if something is revealed to a prophet who is sitting down, let the first one be silent.
31. क्योंकि तुम सब एक एक करके भविष्यद्वाणी कर सकते हो ताकि सब सीखें, और सब शान्ति पाएं।
31. For you can all prophesy one by one, with the result that all will learn something and all will be encouraged.
32. और भविष्यद्वक्ताओं की आत्मा भविष्यद्वक्ताओं के वश में है।
32. Also, the prophets' spirits are under the prophets' control;
33. क्येंकि परमेश्वर गड़बड़ी का नहीं, परन्तु शान्ति का कर्त्ता है; जैसा पवित्रा लोगों की सब कलीसियाओं में है।।
33. for God is not a God of unruliness but of [shalom]. As in all the congregations of God's people,
34. स्त्रियां कलीसिया की सभा में चुप रहें, क्योंकि उन्हें बातें करने की आज्ञा नहीं, परन्तु आधीन रहने की आज्ञा है: जैसा व्यवस्था में लिखा भी है।
34. let the wives remain silent when the congregation meets; they are certainly not permitted to speak out. Rather, let them remain subordinate, as also the [Torah] says;
35. और यदि वे कुछ सीखना चाहें, तो घर में अपने अपने पति से पूछें, क्योंकि स्त्री का कलीसिया में बातें करना लज्जा की बात है।
35. and if there is something they want to know, let them ask their own husbands at home; for it is shameful for a woman to speak out in a congregational meeting.
36. क्यों परमशॆवर का वचन तुम में से निकला? या केवल तुम ही तक पहुंचा है?
36. Did the word of God originate with you? Or are you the only people it has reached?
37. यदि कोई मनुष्य अपने आप को भविष्यद्वक्ता या आत्मिक जन समझे, तो यह जान ले, कि जो बातें मैं तुम्हें लिखता हूं, वे प्रभु की आज्ञाएं हैं।
37. If anyone thinks he is a prophet or is endowed with the Spirit, let him acknowledge that what I am writing you is a command of the Lord.
38. परन्तु यदि कोई न जाने, तो न जाने।।
38. But if someone doesn't recognize this, then let him remain unrecognized.
39. सो हे भाइयों, भविष्यद्वाणी करने की धुन में रहो और अन्यभाषा बोलने से मना न करो।
39. So, my brothers, eagerly seek to prophesy; and do not forbid speaking in tongues;
40. पर सारी बातें सभ्यता और क्रमानुसार की जाएं।
40. but let all things be done in a proper and orderly way.