6. इसलिये हे भाइयों, यदि मैं तुम्हारे पास आकर अन्यान्य भाषा में बातें करूं, और प्रकाश, या ज्ञान, या भविष्यद्वाणी, या उपदेश की बातें तुम से न कहूं, तो मुझ से तुम्हें क्या लाभ होगा?
6. But now, brothers, if I come to you speaking in tongues, what will I benefit you, unless I would speak to you either in a revelation, or in knowledge, or in prophesying, or in doctrine?